बड़े बच्चे (5-8 वर्ष)

बढ़ते बच्चों में ग्रोइंग पेन (पैर में दर्द): कारण, लक्षण और इलाज

8 से 12 वर्ष की उम्र के बच्चे अक्सर रात में पिंडलियों या घुटनों पीछे के दर्द से जूझते हैं। इस उम्र के कारण इस दर्द को ग्रोइंग पेन कहा जाता है। यह क्या है और इसे कैसे ठीक किया जा सकता है, यह जानने से आप निश्चित रूप से अपने बच्चे को दर्द से आराम दिला पाएंगे। 

ग्रोइंग पेन क्या है?

बच्चे हमेशा उछल-कूद, दौड़-भाग और हजारों तरह के खेल खेलने में व्यस्त रहते हैं और कभी शांत नहीं बैठते हैं। जहां यह बच्चे के स्वास्थ्य के लिए अच्छी बात है, वहीं अत्यधिक शारीरिक गतिविधि के कारण अक्सर दोपहर के बाद या शाम के समय बच्चों में पैर में दर्द की समस्या देखी जाती है। इस दर्द को ग्रोइंग पेन कहा जाता है। लेकिन इन दोनों के बीच पारस्परिक संबंध को पहचानने में अब तक कोई भी रिसर्च सक्षम नहीं रही हैं। 

ग्रोइंग पेन एक तरह का दर्द या फड़फड़ाना होता है, जो कि हल्के दर्द से शुरू होता है और यह इतना गंभीर भी हो सकता है, कि सोए हुए बच्चे को जगा दे। आमतौर पर यह दर्द घुटने के पीछे, पिंडलियों या जांघों के सामने होता है। हालांकि यह दर्द काफी तेज हो सकता है, पर अच्छी बात यह है, कि प्रभावित जगह पर गर्म सिकाई करके या मसाज करके इसे आसानी से ठीक किया जा सकता है। 

आमतौर पर पेरेंट्स इन लक्षणों पर ध्यान नहीं देते हैं, क्योंकि सुबह होने पर बच्चों के पैर में होने वाला यह दर्द जादुई रूप से गायब हो जाता है। जिससे उन्हें लगता है, कि शायद बच्चा दर्द का बहाना बना रहा था। लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं होता है। कभी-कभी यह दर्द सुबह होने पर अपने आप ही ठीक हो जाता है और बच्चे पूरी तरह से एक्टिव हो जाते हैं, तब तक जब तक यह दर्द वापस शुरू ना हो जाए। 

बच्चों में पैर में दर्द के कारण

बच्चे अपने टीनएज के पहले सबसे अधिक एक्टिव होते हैं। लेकिन ग्रोइंग पेन 3 वर्ष की आयु से ही शुरू हो जाता है और यह 8 से 12 वर्ष के उम्र के बच्चे में सबसे अधिक देखा जाता है। 

  • ये बच्चे काफी एक्टिव होते हैं और लगातार दौड़ते-भागते, उछलते-कूदते पाए जाते हैं। चूंकि, यह हल्के दर्द के रूप में शुरू होता है, इसलिए जब तक यह बहुत अधिक बढ़ न जाए, तब तक वे इस पर ध्यान नहीं देते हैं।
  • पूरे विश्व में किए गए अध्ययनों से यह पाया गया है, कि जो बच्चे पूरे दिन स्पोर्ट्स में व्यस्त रहते हैं, उनमें ग्रोइंग पेन सबसे अधिक देखा जाता है।
  • बच्चों का मस्क्यूलोस्केलेटल सिस्टम इतनी कम उम्र में पूरे दिन के खेलकूद के दबाव को झेल नहीं पाता है।
  • ग्रोइंग पेन को रेस्टलेस लेग सिंड्रोम से भी जोड़ा जा सकता है।
  • ग्रोइंग पेन का शरीर के बढ़ते अंगों या स्पोर्ट्स में एक्टिव रहने वाले बच्चों के तेज विकास से कोई लेना देना नहीं होता है।

पेरेंट्स को अपने बच्चों को स्पोर्ट्स में रुचि लेने से हतोत्साहित नहीं करना चाहिए। आमतौर पर जब बच्चे बढ़ना बंद कर देते हैं, तब यह दर्द भी बंद हो जाता है। इसलिए ये दर्द आसानी से मैनेज किया जा सकता है और यह ठीक भी हो सकता है। 

बच्चे में ग्रोइंग पेन के संकेत और लक्षण

ग्रोइंग पेन आमतौर पर दोनों पैरों को प्रभावित नहीं करता है, इसलिए माता-पिता को इस बात पर ध्यान देना चाहिए, कि बच्चे को केवल एक पैर में दर्द हो। ग्रोइंग पेन के अन्य संकेत और लक्षण इस प्रकार हैं: 

  • एक या दोनों पैरों में हल्के क्रैम्प जैसा दर्द
  • दोपहर के बाद या शाम के समय मांसपेशियों में ऐंठन
  • जांघ के सामने के हिस्से, पिंडलियों या घुटनों के पीछे दर्द का अनुभव
  • ऐसे दर्द का अनुभव जो हर दिन न होता हो
  • ग्रोइंग पेन के दौरान पेट में या सिर में दर्द जैसे अन्य लक्षणों का होना

बच्चों में ग्रोइंग पेन की पहचान

ग्रोइंग पेन की पहचान डॉक्टर आसानी से कर सकते हैं, जिसे वे एक्सक्लूजन द्वारा डायग्नोसिस कहते हैं। इसका मतलब है, कि सभी आम संदेहास्पद बीमारियों को अलग करने के बाद ग्रोइंग पेन की पहचान की जाती है। इस दर्द को पहचानना आमतौर पर बहुत आसान होता है, क्योंकि मरीज स्पर्श के प्रति अच्छी तरह से प्रतिक्रिया देता है। 

जहां अन्य प्रकार के दर्द के मामलों में मरीज शारीरिक स्पर्श या मालिश करने पर अच्छी तरह से प्रतिक्रिया नहीं देते हैं, वहीं ग्रोइंग पेन से ग्रस्त बच्चे मालिश करने पर या पैर दबाने पर आराम महसूस करते हैं, क्योंकि इससे उनका दर्द कम हो जाता है। बहुत ही दुर्लभ मामलों में डॉक्टर ब्लड टेस्ट या एक्स-रे करने को कह सकते हैं। यह कोई बुरी चीज नहीं है, क्योंकि इससे पैर के दर्द की किसी छुपी हुई बीमारी की पहचान में मदद मिल सकती है। 

उपचार

ग्रोइंग पेन के लिए कई तरह के इलाज की सलाह दी जाती है, जिसमें पैर का गंभीर दर्द या रात में पैर में दर्द दिखता है। आइबूप्रोफेन या एसिटामिनोफेन जैसी साधारण दर्द निवारक दवाओं के इस्तेमाल से इसे आसानी से ठीक किया जा सकता है। बच्चों या टीनएजर के लिए एस्पिरिन के इस्तेमाल की सलाह बिल्कुल नहीं दी जाती है, क्योंकि स्टडीज के अनुसार बच्चों में एस्पिरिन के इस्तेमाल से रेयेस सिंड्रोम देखा गया है, जो कि एक बहुत ही गंभीर बीमारी है, जिसमें मस्तिष्क और लीवर की सूजन देखी जाती है। 

आइबुप्रोफेन या एसिटामिनोफेन कितना देना चाहिए, इस बारे में आप डॉक्टर से बात कर सकते हैं। अगर बच्चे को असहनीय दर्द हो रहा हो, केवल तभी बच्चे को दवा दें अन्यथा ना दें। घर पर इन समस्याओं से निपटने के कुछ अन्य तरीके भी होते हैं। 

घरेलू उपाय

ग्रोइंग पेन से ग्रस्त बच्चों या टीनएजर के लिए घर पर ही एक उचित दवा तैयार करना बहुत आसान है। ऐसे अनगिनत घरेलू उपाय हैं, जो कि बड़े पैमाने पर ग्रोइंग पेन को कम करने में मददगार होते हैं। इनमें से कुछ नीचे दिए गए हैं:

1. प्रभावित पैर की मालिश

आमतौर पर अच्छी मालिश करने से मांसपेशियों की ऐंठन दूर हो जाती है। मालिश के लिए गर्म तेल का इस्तेमाल भी एक अच्छा विकल्प है।

2. हीटिंग पैड का इस्तेमाल

प्रभावित जगह के नीचे या ऊपर हीटिंग पैड का इस्तेमाल करने से दर्द कम हो जाता है और थोड़े समय के बाद बच्चे को राहत महसूस होती है।

3. मांसपेशियों को स्ट्रेच करना

सुबह के समय बच्चे के पैर की मांसपेशियों को स्ट्रेच करने से रात में होने वाले दर्द को कम किया जा सकता है। अपने फिजियोथेरेपिस्ट या डॉक्टर से मिलें और स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज के बारे में जानकारी लें।

4. खट्टे फलों का जूस

खेलने से पहले बच्चों को संतरे जैसे खट्टे फल या इसका जूस (ताजा निकाला हुआ जूस) देने की सलाह दी जाती है, इससे उन्हें विटामिन ‘सी’ मिलेगा और उनकी मांसपेशियों का दर्द से बचाव होगा।

डॉक्टर से कब मिलें?

चूंकि ग्रोइंग पेन किसी तरह की बीमारी नहीं है, इसलिए इसे लेकर चिंतित होने की जरूरत नहीं है। लेकिन नीचे दिए गए लक्षणों पर ध्यान जरूर देना चाहिए: 

  • सुबह के समय दर्द
  • बुखार
  • लालीपन
  • सूजन
  • कमजोरी
  • लंगड़ाना
  • भूख की कमी
  • थकावट
  • स्पर्श या मसाज के प्रति संवेदनशीलता
  • असामान्य व्यवहार

आमतौर पर ग्रोइंग पेन से बच्चे के खेलने जैसी सामान्य क्षमताओं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। लेकिन अगर आप ऊपर दिए गए कोई भी बदलाव देखती हैं, तो बच्चे का चेकअप करवाने के लिए डॉक्टर से मिलना चाहिए। 

याद रखने वाली बातें

आपके बच्चे या टीनएजर में ग्रोइंग पेन होना एक बहुत ही सामान्य बात है और इससे आसानी से निपटा जा सकता है। अगर आपको ऐसा लगता है, कि आपका बच्चा दर्द का नाटक कर रहा है, क्योंकि यह सुबह के समय ठीक हो जाता है, तो आप गलती कर रहे हैं। क्योंकि ग्रोइंग पेन आमतौर पर सुबह के समय नहीं देखा जाता है। अगर आपके बच्चे को मांसपेशियों में दर्द के कारण सोने में कठिनाई हो रही है, तो आप उसे यह समझा कर आश्वस्त कर सकती हैं, कि यह तकलीफ टेंपरेरी है और बड़े होने के बाद यह अपने आप ठीक हो जाएगी। 

ग्रोइंग पेन बच्चे के शरीर के परिपक्व होने की प्रक्रिया का एक सामान्य हिस्सा है। अगर आपका बच्चा इसके कारण तकलीफ में है, तो गर्म सिकाई करके या मालिश करके उसे सुलाएं और वह बहुत जल्दी ही ठीक हो जाएगा।

यह भी पढ़ें: 

बच्चों में फ्लैट फीट – कारण, लक्षण और उपचार
बच्चों में पैर दर्द की समस्या – कारण और घरेलू उपचार
बच्चों में इनग्रोन टो नेल्स – कारण, लक्षण और इलाज

पूजा ठाकुर

Recent Posts

अभय नाम का अर्थ, मतलब और राशिफल l Abhay Name Meaning in Hindi

नाम हर व्यक्ति की पहली पहचान होता है, और इसलिए बच्चे के जन्म लेने से…

2 weeks ago

दृश्या नाम का अर्थ, मतलब और राशिफल l Drishya Name Meaning in Hindi

क्या आपके घर में बेटी का जन्म हुआ है या आपके घर में छोटा मेहमान…

2 weeks ago

अरहम नाम का अर्थ, मतलब और राशिफल l Arham Name Meaning in Hindi

हमारे देश में कई धर्मों के लोग रहते हैं और हर धर्म के अपने रीति-रिवाज…

2 weeks ago

ज्योत्सना नाम का अर्थ, मतलब और राशिफल l Jyotsna Name Meaning in Hindi

हर किसी के लिए नाम बहुत मायने रखता है। जब आप अपनी बेटी का नाम…

2 weeks ago

सारा नाम का अर्थ, मतलब और राशिफल l Sara Name Meaning in Hindi

इन दिनों लड़कियों के कई ऐसे नाम हैं, जो काफी ट्रेंड कर रहे हैं। अगर…

2 weeks ago

उर्मिला नाम का अर्थ, मतलब और राशिफल l Urmila Name Meaning in Hindi

बच्चों के प्रति माता-पिता का प्यार और भावनाएं उनकी हर छोटी-छोटी बात से जुड़ी होती…

2 weeks ago