बारिश के मौसम में शिशु की देखभाल – नए पेरेंट्स के लिए उपयोगी टिप्स

बारिश के मौसम में शिशु की देखभाल - नए पेरेंट्स के लिए उपयोगी टिप्स

चिलचिलाती गर्मी और धूप से बेहाल होने के बाद जब बारिश की पहली फुहार आती है तो हमारे देश में रहने वाले लगभग सभी लोग मानसून का बेसब्री से इंतजार करने लगते हैं। कई नए पेरेंट्स के लिए, उनके बच्चे का ये पहला मानसून हो सकता है और, यदि वे इतने बड़े हैं कि इसे एन्जॉय कर सकें तो उन्हें इस सीजन में बहुत मजा आएगा। लेकिन हर कोई ये जानता है कि बारिश का मौसम बीमारी फैलाने वाले जर्म्स और मच्छरों के पैदा होने का भी समय होता है। इसलिए बरसात के मौसम में बच्चे की एक्स्ट्रा देखभाल करने की जरूरत होती है।

बारिश के मौसम में अपने छोटे बच्चे की देखभाल कैसे करें

छोटे बच्चों के लिए बारिश का मजा यानी खिड़की या बालकनी में आने वाली पानी की बूंदों को देखकर और महसूस करके चहकना होता है। ऐसी कई चीजें हैं जो बच्चे को सुरक्षित रखने के लिए आपको ध्यान में रखनी चाहिए। इनमें से कुछ बातों को बाहर ट्रेवल करते समय आपको ध्यान में रखना चाहिए और कुछ बातों का खयाल घर पर रखना चाहिए।

बारिश के मौसम में अपने छोटे बच्चे की देखभाल कैसे करें

घर के अंदर देखभाल

घर के अंदर बरती जाने वाली कुछ सावधानियां:

1. घर की सफाई

घर के विभिन्न हिस्सों पर एक नजर डालें, जिसमें गार्डन, बाथरूम या बालकनी की साफ सफाई का ध्यान रखें और साथ ही चेक करें कि कहीं लंबे समय तक पानी न जमा रहे खासकर किसी गड्ढे और अंधेरे वाले कॉर्नर में, क्योंकि ऐसी जगह मच्छरों और फंगल इंफेक्शन के पनपने का खतरा रहता है। जमाव और ओवरफ्लो से बचने के लिए अपने घर की सभी नालियों को साफ करें। बरसात के मौसम में बिजली की दुर्घटनाएं होना कॉमन हैं, इसलिए इस्तेमाल में न आने वाले पॉवर प्लग को कवर करें और लूज इलेक्ट्रिक वायर को फिट करा लें।

2. ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली मां के लिए एक हेल्दी डाइट 

जितना संभव हो सके बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराएं क्योंकि यह आपके बच्चे को एंटीबॉडी, विटामिन और मिनरल  जैसे न्यूट्रिएंट प्रदान करती है, जो बच्चे को बीमारियों से प्रोटेक्ट करने में मदद करते हैं। इसलिए एक माँ को अच्छी डाइट लेनी चाहिए क्योंकि बच्चे को न्यूट्रिएंट माँ के दूध के जरिए प्राप्त होते हैं।

3. इंफेक्शन से बचाव करें 

बुखार, शरीर में दर्द, छींक आना आदि मानसून से जुड़ी बीमारियों के आम लक्षण हैं और यहाँ तक ​​कि वायरल बीमारियों का भी कारण बनते हैं। अपने डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें कि आप बच्चे को इंफेक्शन होने से बचाने के लिए क्या करें।

4. मच्छरों को अपने और बेबी से दूर रखें

मच्छर के काटने से बच्चे को काफी दर्द हो सकता है और इससे उसकी त्वचा पर चकत्ते पड़कर सूजन हो सकती है। बच्चे के पालने में मच्छरदानी लगाएं, ताकि वह बिना किसी परेशानी के सो सकें। शाम होने पर उसे पूरी बांह के कपड़ों से कवर करें। यदि आपके पास नेचुरल इंग्रीडिएंट से बना मॉस्किटो रेपेलेंट है, तो आप उसे भी यूज कर सकती हैं।

5. नियमित रूप से नैपी बदलें या नैपी फ्री रखें 

नैपी में देर तक गीला रहने से बच्चे को ठंड लग सकती है या उसे डायपर रैश हो सकता है, क्योंकि इससे बुरे बैक्टीरिया के पनपने और फंगल इंफेक्शन होने का खतरा होता है। नैपी को बार बार चेक करती रहें, ताकि आप इसे तुरंत बदल सकें या फिर उसे कुछ समय के लिए बिना नैपी पहनाए रहने दें।

6. उबदार और ब्रीदेबल कपड़े पहनाएं

जब मानसून आता है, तो वातावरण में दो बड़े बदलाव होते हैं। बारिश से आपके आसपास तापमान गिर जाता है और गर्मी कम हो जाती है। इससे हवा में ह्यूमिडिटी बढ़ जाती है। यह एक अजीब सा कॉम्बिनेशन है, जो आपको एक ही समय में ठंडा और गर्म महसूस कराता है। ऐसे मामलों में, अपने बच्चे को कॉटन के कपड़े पहनाएं, या हल्की ऊन से बने कपड़े पहनाएं। ये न केवल उसे गर्म रखते हैं बल्कि उसकी त्वचा को सांस लेने में भी मदद करते हैं।

7. सुनिश्चित करें कि कपड़े पूरी तरह से सूखे हों 

नैपी को बार बार बदला जाता है, लेकिन हवा में उमस होने के कारण अक्सर यह ठीक से सूख नहीं पाती है। इससे नैपी में नमी रह जाती है और पहनने पर ठंडा लगता है। तो बच्चे को ठंड लगने से बचाने के लिए आप उसके कपड़ों को रखने से पहले आयरन कर दें। इससे मॉइस्चर हट जाएगा और कपड़े पहनाते समय हल्का गर्म भी महसूस होगा जो बेबी को एक्स्ट्रा कोजी फील देगा।

8. अपने हाथों को हर समय साफ रखें

हाथों के जरिए जर्म्स सीधे बच्चे के शरीर में प्रवेश करते हैं। बच्चे को छूने से पहले हाथों को डिसइनफेक्ट करके साफ रखें। यही चीज बच्चे के हाथों को भी क्लीन रखने के लिए करें, खासकर अगर वो यहाँ से वहाँ घूमता रहता है। उसके नाखूनों को छोटा रखें। कोशिश करें कि बच्चा जिस भी खिलौने के संपर्क में आता है उसे नियमित रूप पर साफ और ड्राई रखें।

9. हमेशा ताजा खाना तैयार करें 

थोड़े बड़े हो चुके बच्चों के लिए, जिन्हे सॉलिड फूड देना शुरू कर दिया गया है, उन्हें हर मील में फ्रेश खाना देना बहुत जरूरी है। उबले हुए पानी में खाना बनाने से इंफेक्शन होने का खतरा कम हो जाता है। बच्चे द्वारा उपयोग किए जाने वाले सभी बर्तन स्टर्लाइज्ड करें।

10. अपने बच्चे को साफ रखें

आसपास की जगह को साफ रखने का कोई मतलब नहीं है, अगर बच्चा खुद ही जर्म्स से घिरा हुआ है। बच्चे को रोजाना अच्छे से साफ करें, क्योंकि ह्यूमिडिटी के कारण उसे बार-बार पसीना आने लगता है। बगल, कान, जेनिटल और अन्य क्षेत्रों में मॉइस्चर जमा हो जाता है, जिससे इंफेक्शन होने का भी खतरा होता है। इसलिए इन्हें ड्राई रखें।

घर के बाहर देखभाल 

मानसून के दौरान घर के बाहर जाने पर आप अपने बच्चे की देखभाल कैसे करें इसके लिए आपको यहाँ कुछ टिप्स दी गई हैं।

1. गंदी जगहों पर जाने बचें

उन क्षेत्रों में न जाएं जहां बहुत दिनों का पानी जमा हो या कीचड़ और गंदगी हो। अपने घर के पास वाले क्षेत्र में ही टहलें। ऐसी जगहों पर जाने से से बचें जहाँ घनी झाड़ियां हो या बहुत घास हो क्योंकि ऐसी जगहों पर मच्छरों के काटने और कभी-कभी सांप या बिच्छू के काटने का भी खतरा होता है।

2. भीड़ से दूर रहें

ऐसी जगह जहां बहुत ज्यादा लोग हों वहां से इंफेक्शन फैलने का खतरा बहुत ज्यादा होता है। आप अपनी और बच्चे की सलामती के लिए ज्यादा भीड़ वाली जगहों पर जाने बचें।

3. अपने साथ सैनिटाइजर रखें 

जब भी आप बाहर होती हैं, तो जरूरी नहीं है कि आपको हमेशा साफ पानी मिले, इसलिए सुनिश्चित करें कि अपने साथ सैनिटाइजर की एक छोटी बोतल हमेशा रखें और जब भी बच्चे को छूएं उससे पहले अपने हाथों को अच्छे से सैनिटाइज करें।

4. मॉस्किटो प्रोटेक्शन जरूरी है

शाम ढलते ही, मच्छर आना शुरू हो जाते हैं जो बच्चों काट सकते हैं। इसलिए इनसे बचाव के लिए उसे पूरी बांह की शर्ट और पैंट पहनाएं और मच्छरों को उससे दूर रखने के लिए मॉस्किटो क्रीम का इस्तेमाल करें।

5. जिम्मेदारी से बाहर खेलें 

यदि आपका बच्चा बारिश का आनंद लेना चाहता है, तो उसे कुछ समय के लिए ऐसा करने दें। बस उससे कहें कि वो गंदी जगहों से दूर रहे और घर के आसपास ही बारिश को एन्जॉय करें। जैसे ही वो वापस आता है उसे तुंरत सुखाएं और पीने के लिए काढ़ा दें, ताकि उसे सर्दी न लगे।

6. सुरक्षा के लिए टीकाकरण करवाना सबसे बेहतर है

कई डॉक्टर मानसून आसपास होने पर फ्लू बूस्टर शॉट लेने की सलाह देते हैं। टाइफाइड वैक्सीन का एक शॉट और हेपेटाइटिस ए वैक्सीन भी टाइफाइड या हेपेटाइटिस जैसे पानी और खाद्य जनित इंफेक्शन को रोकने में मदद करती है। यदि बच्चे की इम्यूनिटी दूसरे बच्चों से कम है, तो वैक्सीन लगवाना फायदेमंद रहेगा। 

7. सेफ और हेल्दी फूड ऑप्शन अपनाएं 

बाहर से लाए गए खाने को पूरे यकीन के साथ नहीं कहा जा सकता है कि वे साफ-सफाई का खयाल रखते हुए तैयार किए गए होंगे। बच्चे के लिए आप हमेशा घर से एक बोतल उबला हुआ पानी और कुछ फॉर्मूला या सॉलिड फूड बना कर ले जाएं, जिसे आप उसे सुरक्षित रूप से दे सकें।

8. अगर आपको सर्दी है तो बारिश से बचें

अगर बच्चे को सर्दी जुकाम हो और और उसे बारिश पसंद हो तो ऐसे में उसे रोकना बहुत मुश्किल होता है । लेकिन जितना संभव हो उसे बारिश से दूर रखें और इसके बजाय आप उसे गुनगुने पानी से स्नान कराएं।

मानसून के दौरान आपको कितनी बार अपने बच्चे को नहलाना चाहिए?

क्योंकि ज्यादातर बच्चा घर के अंदर ही रहता है, इसलिए अगर वातावरण ठंडा हो तो उसे रोजाना स्नान कराने की आवश्यकता नहीं होती है। अगर उमस हो तो बेबी को नहलाने से उसे गर्मी से राहत मिलेगी। अगर बच्चा बाहर जाकर आया है, तो निश्चित ही उसे गुनगुने पानी से स्नान कराएं।

बारिश का मौसम बच्चों के चेहरों पर खुशी ले आता है। बारिश में खेलना और कागज की नाव बनाना हम सभी के बचपन की बेहद खूबसूरत यादें हैं। आप आर्टिकल में दिए गए टिप्स की मदद से मानसून में बच्चे की सही से देखभाल कर सकती हैं, बच्चों को यह मौसम बहुत पसंद होता है, इसलिए उन्हें एन्जॉय करने दें मगर उनकी हेल्थ और सेफ्टी का भी ध्यान रखें।

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