बड़े बच्चे (5-8 वर्ष)

भारत के 15 लोकप्रिय त्योहार – बच्चों के लिए रोचक तथ्य

भारत के अलग-अलग हिस्सों में विविध धर्म और संस्कृतियां हैं। इसके फलस्वरूप यहाँ ढेरों त्योहार मनाए जाते हैं, और हर एक त्योहार दूसरे की तुलना में अधिक जीवंत और अद्भुत होता है। अधिकांशतः त्योहारों का संबंध किसी देवता या देवी से होता है और इसलिए ये बहुत धूमधाम से आयोजित किए जाते हैं । त्योहारों का समय भारत में बच्चों के लिए एक विशेष समय होता है, क्योंकि ज्यादातर त्योहारों में रंग, उल्लास, प्रकाश और संगीत के साथ बहुत सारा उत्साह और धूम धड़ाका शामिल होता है। इस समय वे दिल खोलकर वो सब कर सकते हैं जो वे करना चाहते हैं। हालांकि, उन्हें इन त्योहारों के पीछे की प्रासंगिकता और इतिहास को समझने की भी जरूरत है। यह उनके सामान्य ज्ञान के लिए हमेशा अच्छा रहता है। उसके लिए, आपको उन्हें पर्व और त्योहारों के हर पहलू में पूरी तरह से शामिल करने की आवश्यकता है। नीचे भारतीय त्योहारों के बारे में कुछ बातें बताई गई हैं जो बच्चो को बताई जा सकती हैं:

भारतीय त्योहारों की सूची, जिन्हें जानना बच्चों के लिए आवश्यक है

भारत में कई पर्व और त्यौहार मनाए जाते हैं जिनके पीछे एक समृद्ध संस्कृति है। यहाँ उनमें से कुछ के बारे में तथ्यों के साथ संक्षिप्त जानकारी दी गई है:

1. दिवाली

सामान्यतः अक्टूबर और नवंबर के बीच पड़ने वाली दीपावली या दिवाली पूरे भारत में हिंदुओं द्वारा बहुत ही उल्लास और जोश के साथ मनाई जाती है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक माह में मनाया जाने वाला दीवाली का त्योहार पाँच दिनों का होता है, जिसमें धनतेरस, नरक चौदस, कार्तिक अमावस्या यानी दिवाली, गोवर्धन पूजा (परेवा) और भाई दूज शामिल हैं। दिवाली मनाने की परंपरा की शुरुआत त्रेतायुग में भगवान श्रीराम के 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटने पर हुई थी । श्रीराम के प्रति अपनी भक्ति और उनके वापस आने के आनंद को प्रदर्शित करते हुए अयोध्या के लोगों ने अपने घरों में दिए जलाए और पूरे शहर को रोशनी से भर दिया। आज भी दिवाली में घर के अंदर और बाहर ढेर सारे दीपक जलाए जाते हैं। कहा जाता है कि दीपक की रोशनी बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतिनिधित्व करती है। इसके अलावा दीवाली के दिन धन की देवी लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है। लोग अपने घरों को साफ करते हैं और उन्हें रोशन करते हैं ताकि देवी लक्ष्मी प्रवेश कर सकें और परिवार को अपना आशीर्वाद दे सकें। दीवाली के दौरान, लोग कई सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करते हैं, उपहार और मिठाइयों का आदान-प्रदान करते हैं और रंगीन रोशनी से सजे पटाखे फोड़ते हैं।

2. होली

भारत के सबसे प्रसिद्ध त्योहारों में से एक, होली को ‘रंगों का त्योहार’ भी कहा जाता है। यह रंगों, संगीत, नृत्य, मस्ती, मनमोहकता और चंचलता से भरा त्योहार है। इसके पीछे की कहानी है दैत्यराज हिरण्यकश्यिपु के पुत्र प्रह्लाद की। प्रह्लाद की भगवान विष्णु के प्रति भक्ति के कारण हिरण्यकशिपु उससे परेशान हो गया था और इसलिए उसने अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद को लेकर अग्नि में बैठने के लिए कहा था। होलिका को वरदान था कि वह आग में जल नहीं सकती। हालांकि भक्त प्रह्लाद की ईश्वर भक्ति ने उसे बचा लिया और होलिका ही उस अग्नि में भस्म हो गई। इसीलिए फाल्गुन महीने की पूर्णिमा यानी होली के दिन लोग लकड़ियां जलाकर होलिका दहन करते हैं और अगले दिन रंगों से खेलकर आनंद मनाते हैं। दक्षिण भारत की कुछ संस्कृतियां इसे उस दिन की याद के रूप में भी मनाती हैं जिस दिन भगवान शिव ने अपनी तीसरी आँख खोलकर प्रेम के देवता कामदेव को जलाया था। वे इस बलिदान के लिए भगवान कामदेव की पूजा करते हैं क्योंकि उन्होंने दुनिया को विपत्ति से बचाने के लिए भगवान शिव की तपस्या को भंग करने का साहस किया था । होली भगवान कृष्ण और राधा के प्रेम का उत्सव भी मनाती है। कहा जाता है कि श्रीकृष्ण ने जब अपनी माँ यशोदा से कहा कि क्यों राधा गोरी और वे काले हैं तो उनकी माँ ने राधा के चेहरे पर रंग लगाने का सुझाव दिया और यहीं से रंग लगाने का चलन शुरू हुआ। अंग्रेजी महीनों के अनुसार यह त्योहार आमतौर पर फरवरी से मार्च के बीच आता है।

3. नवरात्रि, दुर्गा पूजा और दशहरा

नवरात्रि का अर्थ है ‘नौ रातें’ और यह त्योहार हिन्दू देवी शक्ति के सभी स्वरूपों को पूजने के लिए मनाया जाता है। पुराणों के अनुसार अत्याचारी राक्षस महिषासुर का अंत करने के लिए देवी पार्वती ने दुर्गा का रूप लिया था, जो सभी देवताओं की शक्तियों से सज्ज थीं । देवी दुर्गा और महिषासुर के बीच 9 दिनों तक यह युद्ध होता रहा और दसवें दिन माँ दुर्गा ने महिषासुर का अंत कर दिया । इसी को स्मरण करते हुए अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नौ रातों तक लोग देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा करते हुए पारंपरिक संगीत पर गरबा नृत्य करते हैं। पश्चिम बंगाल में इस त्योहार को ‘दुर्गा पूजा’ कहा जाता है। यहाँ दस दिनों के लिए कोलकाता सहित कई शहर एक कला दीर्घा में तब्दील हो जाते हैं, जिसमें विस्तृत रूप से सुसज्जित विभिन्न पंडाल होते हैं, और कई नृत्य और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां होती हैं । त्योहार के अंतिम दिन देवी दुर्गा की मूर्तियों को समुद्र में विसर्जित कर दिया जाता है। इसके अतिरिक्त इस दिन को भगवान राम की राक्षसराज रावण के ऊपर जीत के दिन के रूप में भी मनाया जाता है और उत्तर और दक्षिण भारत में इसे दशहरा कहा जाता है। दशहरे से पहले रामायण की कहानी को लोक संगीत के साथ रामलीला के रूप में जगह-जगह प्रस्तुत किया जाता है । दशहरे के दिन, रावण, कुम्भकर्ण और मेघनाद के विशाल पुतलों का दहन किया जाता है। कई दक्षिण भारतीय संस्कृतियों में इस दिन शस्त्र पूजन भी किया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर को देखें तो नवरात्रि और दशहरे का पर्व सितंबर से अक्टूबर के बीच होता है।

4. ओणम

ओणम का त्योहार दक्षिण भारत के केरल राज्य में मुख्य रूप से मनाया जाता है। मलयाली कैलेंडर के अनुसार इसे चिंगम माह में मनाते हैं जो सामन्यतः अगस्त और सितंबर माह के बीच आता है और इसका संबंध नई फसल से है । केरल की संस्कृति में यह नए वर्ष की शुरुआत होती है। इसे मनाने के पीछे पुराणों के अनुसार मान्यता है कि भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर पृथ्वी सहित तीनों लोकों पर अधिकार कर चुके राजा महाबली को पाताल लोक भेज दिया था। हालांकि राजा की लोकप्रियता के कारण विष्णु ने उन्हें प्रतिवर्ष कुछ दिनों के लिए वापस पृथ्वी पर आने की अनुमति दी। अतः ओणम के दौरान महाबली अपने लोगों से मिलने 10 दिनों के लिए वापस आते हैं। इस पर्व में मलयाली समुदाय के लोग घरों के प्रवेश द्वार को सुन्दर रंगोली से सजाते हैं। तरह-तरह के पकवान बनाकर ‘ओणम संध्या’ नामक शानदार पारंपरिक दावतें दी जाती हैं। सांप नौका दौड़ और कैकोट्टिकली नृत्य ओणम की दो अनूठी विशेषताएं हैं। इस दौरान केरल में दस दिनों तक चलने वाला ओणम महोत्सव भी आयोजित किया जाता है जिसमें राज्य की समृद्ध परंपरा और संस्कृति सर्वोत्तम तरीके से प्रस्तुत की जाती है।

5. गणेश चतुर्थी

गणेश चतुर्थी का त्योहार वैसे तो मूल रूप से महाराष्ट्र का है लेकिन अब लगभग पूरे देश में इसे बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है । यह त्योहार हिन्दू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद माह में यानी अगस्त और सितम्बर के महीनों के बीच पड़ता है। इस दस दिवसीय उत्सव के दौरान, लोग अपने घरों में भगवान गणेश की मूर्तियों को विराजमान करते हैं और उनकी पूजा करते हैं। साथ ही बड़े-बड़े पंडालों में भी भव्य सजावट के साथ गणपति की विशाल मूर्तियों को रखा जाता है। इस दौरान कई जगह विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है जिसमें विशेष रूप से बच्चों के लिए ढेर साड़ी प्रतियोगिताएं, प्रदर्शनियां और खेल से जुड़ी गतिविधियां शामिल होती हैं। उत्सव के अंतिम दिन ‘अगले बरस तू जल्दी आ’ के उद्घोष के साथ लोग गणपति की इन मूर्तियों का विसर्जन करते हैं।

6. ईद-उल-फितर

ईद-उल-फितर मुस्लिम समाज का सबसे अधिक महत्वपूर्ण त्योहार है। ऐसा माना जाता है कि रमजान के माह में पवित्र किताब कुरान आसमान से उतरी थी। इसकी याद में यह ईद मनाई जाती है। लोग रमजान के पूरे महीने दिन भर का उपवास रखते हैं। महीने के आखिर में चाँद को देखकर ईद की तारीख निर्धारित की जाती है। इस दिन लोग नए कपड़े पहनकर दोस्तों और रिश्तेदारों के घर जाकर उन्हें ईद की शुभकामनाएं देते हैं। उपहारों का आदान-प्रदान करना और ढेर सारे पकवानों के साथ सेवईं खाना भी इस त्योहार की एक खासियत है।

7. जन्माष्टमी

भगवान् विष्णु के आठवें अवतार श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन, लोग भगवान कृष्ण के दो पसंदीदा खाद्य पदार्थ दूध और मक्खन से स्वादिष्ट व्यंजन तैयार करते हैं, और आधी रात तक उपवास रखते हैं, क्योंकि श्रीकृष्ण का जन्म आधी रात को हुआ था। यह त्योहार दो दिन तक चलता है। पूरे देश के मंदिरों में इस दौरान भव्य सजावट की जाती है और श्रीकृष्ण की कहानियों को दर्शाती रंगारंग झांकियां सजाई जाती हैं। इस त्योहार की एक उल्लासपूर्ण रीति ‘दही हांडी’ है, जिसमें कई जगहों पर लोग मानव पिरामिड बनाकर किसी ऊँची जगह पर लटके हुए दही से भरे मिट्टी के बर्तन को तोड़ते हैं।

8. पोंगल

पोंगल फसलों उत्सव है जो प्रतिवर्ष 14 जनवरी या कभी-कभी 15 जनवरी को मनाया जाता है। यह दक्षिण भारत और विशेषतः तमिलनाडु में मनाया जाने वाला उत्सव है। सामान्यतः यह उत्सव 3 दिनों तक चलता है। पहले दिन भोगी पोंगल होता है। इस दिन घरों की साफ-सफाई करके इन्हें सजाया जाता है और इंद्र देव की आराधना की जाती है ताकि वह अगले साल अच्छी वर्षा करके भरपूर फसल उत्पादन में मदद करें। सूर्य पोंगल नामक दूसरे दिन, पोंगल नामक मिठाई बनाई जाती है, और सूर्य देव को धन्यवाद दिया जाता है। तीसरा दिन मट्टू पोंगल का होता है, जिसमें लोग गायों और बैलों की पूजा करते हैं और उनको सम्मान देते हैं।

9. बैसाखी

बैसाखी सिख समुदाय के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है और यह 14 अप्रैल को मनाई जाती है । यह पंजाबी नव वर्ष और फसलों की कटाई के उत्सव का पर्व है। बैसाखी के दिन पंजाबी लोग नए-नए कपड़े पहनकर और खूब सज-धज कर आते हैं और लकड़ियों को जलाकर उसके इर्द-गिर्द नाचते गाते हैं। इस दिन तिल से बनी मिठाइयां और बहुत सारे दूसरे पकवान बनाकर खाए जात हैं। यह त्योहार समृद्धि और आनंद का प्रतीक है।

10. महाशिवरात्रि

महाशिवरात्रि का पर्व भगवान शिव और उनकी पत्नी पार्वती के विवाह के उत्सव के रूप में मनाया जाता है। फाल्गुन माह में यानी फरवरी और मार्च के दौरान पड़ने वाली महाशिवरात्रि के दिन पूरे भारत के शिव मंदिरों को तरह-तरह के फूलों से सजाया जाता है और भक्त शिवलिंग पर पवित्र जल, दूध और फूल अर्पण करते हैं। महाशिवरात्रि के दिन उपवास रखने और रात्रि जागरण करने की परंपरा है। कुछ दूसरी मान्यताओं के अनुसार यह भी कहा जाता है कि इस दिन महादेव ने तांडव नृत्य किया था। इसीलिए कोणार्क और खजुराहो जैसे देश के कई बड़े मंदिरों और ऐतिहासिक स्थानों पर महाशिवरात्रि के दौरान डांस फेस्टिवल आयोजित किए जाते हैं।

11. रक्षाबंधन

श्रावण महीने की पूर्णिमा के दिन पड़ने वाला रक्षाबंधन या राखी का त्योहार भाई और बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक है। इस दिन, बहनें अपने भाई की कलाई पर उसके प्रति अपने प्यार और अपने प्रति उसकी जिम्मेदारी के प्रतीक के रूप में एक पवित्र धागा बांधती हैं। इसके बाद उपहार, पैसे और मिठाइयों का आदान-प्रदान होता है। भाई आमतौर पर अपनी बहनों को पैसे देते हैं और बहनें उनसे उपहार लेने के लिए हठ भी करती हैं। ऐसा कहा जाता है कि महाभारत काल में कृष्ण की अंगुली में चोट लगने और खून बहने पर द्रौपदी ने अपनी साड़ी फाड़कर उनकी चोट पर कपड़ा बांधा था। इस घटना का संबंध राखी मनाने से जोड़ा जाता है।

12. करवा चौथ

करवा का अर्थ है मिट्टी का घड़ा और चौथ का अर्थ है चौथा। यह पर्व उत्तर भारत में विवाहित महिलाओं द्वारा कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष के चौथे दिन मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं अपने पति के अच्छे स्वास्थ्य और लंबे जीवन के लिए प्रार्थना करते हुए, सूर्योदय से चाँद निकलने तक उपवास रखती हैं। वे चंद्रमा को देखकर ही अपना व्रत तोड़ती हैं। यह त्योहार उनके पति के प्रति प्रेम और निष्ठा का प्रतीक भी है।

13. गुरु नानक जयंती

दुनिया भर में सिख समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण पर्व, गुरु नानक जयंती सिख धर्म के संस्थापक, गुरु नानक के जन्म का उत्सव है जो कार्तिक महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इसे ‘गुरुपुरब’ या ‘गुरु नानक प्रकाश उत्सव’ भी कहते हैं। गुरुपुरब से तीन दिन पहले विभिन्न गुरुद्वारों में सिखों के पवित्र ‘गुरु ग्रन्थ साहिब’ का अखंड पाठ शुरू किया जाता है। गुरुपुरब के दिन, पूरे देश में कई जगहों पर सिखों के जोशपूर्ण जुलूस निकलते हैं, जिनमें पंजाब के अमृतसर शहर के जुलूस की शोभा देखने लायक होती है।

14. क्रिसमस

दुनिया भर के सबसे प्रसिद्ध त्योहारों में से एक, क्रिसमस यीशु यानी ईसामसीह के जन्म के उत्सव के रूप में मनाया जाता है। 25 दिसंबर को ईसाई और गैर-ईसाई दोनों धर्मों के लोगों द्वारा मनाए जाने वाले इस त्योहार में भारत के मुंबई, कोलकाता और दिल्ली जैसे बड़े शहरों को बेहतरीन तरीके से जाता है। क्रिसमस के दौरान प्रियजनों से मिलना, उपहारों का आदान-प्रदान, क्रिसमस ट्री सजाना आदि शामिल है । इस दिन के खास पकवान के रूप में प्लम-केक बनाया जाता है। बच्चे और बड़े सभी रात में कैरल गाते हैं, और ऐसा माना जाता है कि सांता क्लॉज आधी रात को बच्चों के लिए उपहार देने के लिए आते हैं। आमतौर पर बच्चे अगली सुबह क्रिसमस ट्री के चारों इकट्ठा हो कर अपने उपहार खोलते हैं।

15. मकर संक्रांति

मकर संक्रांति सौर कैलेंडर के अनुसार 14 जनवरी को मनाई जाती है। इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। यह पर्व गंगा और अन्य पवित्र नदियों में डुबकी लगाकर और सूर्य देवता की पूजा करके मनाया जाता है। मकर संक्रांति पर दान देने का भी एक विशेष महत्व है। इस दिन तिल और गुड़ से बने लड्डू और मिठाइयां, उंधियो, खिचड़ी आदि पकवान खाए जाते हैं । पतंगबाजी भी मकर संक्रांति की एक अनूठी विशेषता है, और यह गतिविधि बच्चों को विशेष रूप से पसंद आती है। गुजरात का काइट फेस्टिवल अब पूरी दुनिया में मशहूर हो चुका है।

उपरोक्त त्योहार भारत के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग समुदायों और संस्कृतियों के द्वारा मनाए जाते हैं। हर त्योहार का अपना अलग महत्व है। आपके बच्चे निश्चित रूप से इन त्योहारों को जानने का आनंद लेंगे। एक बार जब वे त्योहारों की उत्पत्ति और उन्हें मनाने के कारण के बारे में जान लेंगे, तो वे आपके साथ उत्सव मनाने के लिए और अधिक उत्सुक रहेंगे। वे अपने दोस्तों को भी अपनी संस्कृति के बारे सिखा सकते हैं और आपके रिश्तेदारों को भी अपने ज्ञान से प्रभावित कर सकते हैं। तो, आएं, उन्हें शिक्षित करें और सभी त्योहारों का एक साथ भरपूर मजा उठाएं।

यह भी पढ़ें:

श्रेयसी चाफेकर

Recent Posts

अ अक्षर से शुरू होने वाले शब्द | A Akshar Se Shuru Hone Wale Shabd

हिंदी वह भाषा है जो हमारे देश में सबसे ज्यादा बोली जाती है। बच्चे की…

2 days ago

6 का पहाड़ा – 6 Ka Table In Hindi

बच्चों को गिनती सिखाने के बाद सबसे पहले हम उन्हें गिनतियों को कैसे जोड़ा और…

2 days ago

गर्भावस्था में मिर्गी के दौरे – Pregnancy Mein Mirgi Ke Daure

गर्भवती होना आसान नहीं होता और यदि कोई महिला गर्भावस्था के दौरान मिर्गी की बीमारी…

2 days ago

9 का पहाड़ा – 9 Ka Table In Hindi

गणित के पाठ्यक्रम में गुणा की समझ बच्चों को गुणनफल को तेजी से याद रखने…

4 days ago

2 से 10 का पहाड़ा – 2-10 Ka Table In Hindi

गणित की बुनियाद को मजबूत बनाने के लिए पहाड़े सीखना बेहद जरूरी है। खासकर बच्चों…

4 days ago

10 का पहाड़ा – 10 Ka Table In Hindi

10 का पहाड़ा बच्चों के लिए गणित के सबसे आसान और महत्वपूर्ण पहाड़ों में से…

4 days ago