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यदि आपकी ब्रेस्ट सर्जरी हुई है, तो आप यह जानना चाहती होंगी कि क्या ब्रेस्ट इम्प्लांट या मैस्टेक्टमी के बाद भी ब्रेस्टफीडिंग की जा सकती है? ब्रेस्टफीडिंग कराना एक सामान्य बात लगती है, लेकिन बेबी को दूध पिलाने के लिए बहुत सारी बातों का ध्यान रखना पड़ता है। हर सर्जरी के अपने फायदे और रिस्क होती हैं जिसे समझना आपके लिए बहुत जरूरी है।
हाँ, एक महिला अपने बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग करा सकती है, भले ही उसकी ब्रेस्ट सर्जरी हुई हो, लेकिन यह किस तरह की सर्जरी है इस पर भी निर्भर करता है। ब्रेस्टफीडिंग, मिल्क प्रोडक्शन, मिल्क डक्ट और निप्पल के साथ साथ एरोला के एक साथ कॉम्बिनेशन से मिलकर काम करने से होती है। इसलिए, सही मिल्क प्रोडक्शन के लिए सभी चीजों का ठीक से फंक्शन करना जरूरी है।
रिडक्शन सर्जरी या किसी भी तरह की ब्रेस्ट सर्जरी के बाद ब्रेस्टफीडिंग कराना कई मांओं के लिए चैलेंजिंग हो सकता है। लेकिन सभी सर्जरी हानिकारक नहीं होती हैं। जब तक सर्जरी एरोला या मिल्क डक्ट में हस्तक्षेप नहीं करती है, तब तक आपको ब्रेस्टफीडिंग कराने में परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। ज्यादातर मामलों में, एक महिला की ब्रेस्टफीडिंग क्षमता इससे प्रभावित नहीं होती है। हालांकि, कुछ लोगों को दवाइयां लेने की आवश्यकता होती है जो मिल्क प्रोडक्शन को बढ़ाने में मदद करती हैं। एक आखिरी ऑप्शन यह हो सकता है कि आप ब्रेस्ट मिल्क सप्लाई को बैलेंस करने के लिए सप्लीमेंट ले सकती हैं।
चाहे ब्रेस्ट बड़े करने के लिए सर्जरी की गई हो या उन्हें वापस पहले जैसे करने के लिए, दोनों ही मामलों में ब्रेस्ट इम्प्लांट का उपयोग किया जाता है। इम्प्लांटेशन का उपयोग मिल्क प्रोडक्शन और ब्रेस्टफीडिंग को प्रभावित नहीं करता है, जब तक कि ब्रेस्ट टिश्यू और एरोला को कोई नुकसान नहीं होता है, तब तक कोई परेशानी वाली बात नहीं है। हालांकि, मिल्क प्रोडक्शन के कम होने की संभावना उस जगह ज्यादा होती है जहाँ अंडरडेवलप ब्रेस्ट को बहुत ज्यादा बड़ा करने के प्रयास किया गया हो या फिर मैस्टेक्टमी के बाद ऐसा किया जाता है।
ब्रेस्ट को बड़ा करने की तरह, कुछ महिलाएं ब्रेस्ट के आकार को कम करना चाहती हैं, साथ ही अगर आपके ब्रेस्ट बहुत बड़े हैं तो आपको दर्द और परेशानी का भी अनुभव होगा। सर्जरी में एक्स्ट्रा ब्रेस्ट टिश्यू को हटाने और एरोला को शिफ्ट करके निप्पल को ठीक जगह पर करना शामिल होता है, जिसमें मिल्क डक्ट को नुकसान पहुंचने का खतरा होता है। यह मिल्क प्रोडक्शन में बाधा उत्पन्न कर सकता है या मिल्क प्रोडक्शन होने पर भी ब्रेस्ट पंप करने में परेशानी हो सकती है।
महिलाएं अक्सर यह सोचती हैं कि क्या वे मैस्टेक्टमी के बाद ब्रेस्टफीडिंग करा सकती हैं क्योंकि इस प्रक्रिया में उनके ब्रेस्ट को पूरी तरह से हटाया जाता है। यह या तो कैंसर के टिश्यू को हटाने या बाद में बढ़ने से रोकने के लिए किया जाता है। कितनी मात्रा में ब्रेस्ट टिश्यू को हटाया जा रहा है यह बात अहम भूमिका निभाती है। क्योंकि कैंसर टिश्यू को मारने के लिए रेडिएशन के संपर्क में आने से बहुत सारे टिश्यू हटाए जाते हैं, जिससे मिल्क प्रोडक्शन पर प्रभाव पड़ता है। हालांकि ड्यूअल मैस्टेक्टमी में आपके पास बॉटल फीडिंग के अलावा कोई और ऑप्शन नहीं रह जाता है, लेकिन सिंगल मैस्टेक्टमी के बाद आप दूसरे ब्रेस्ट से ब्रेस्टफीडिंग करा सकती हैं।
कुछ महिलाओं के ब्रेस्ट में गांठ हो जाती है, जिसे सर्जरी द्वारा निकाला जाता है। यह कैंसर युक्त टिश्यू हो भी सकते हैं और नहीं भी हो सकते हैं, लेकिन गांठ निप्पल के करीब भी मौजूद हो सकती है, जिससे मिल्क डक्ट खतरे में पड़ सकता है। यदि गांठ कैंसर युक्त है, तो आमतौर पर रेडिएशन थेरेपी कराने का सुझाव दिया जाता है, जिससे आपकी ब्रेस्टफीडिंग कराने की संभावना कम हो जाएगी। ऐसा कोई भी मामला न होने पर, यह सर्जरी आपकी ब्रेस्टफीडिंग कराने की क्षमता को अप्रभावित रखती है।
नर्सिंग के साथ ब्रेस्ट इम्प्लांट कराना अपने आप में चैलेंजिंग होता है, बायोप्सी से गुजरने के बाद ब्रेस्टफीडिंग कराने से ज्यादातर मामलों में ऐसी समस्याएं नहीं आती हैं। बायोप्सी में इन्फेक्शन या अन्य बीमारी के कारण ब्रेस्ट टिश्यू के एक खास हिस्से को निकाल दिया जाता है। इस केस में भी जब तक सर्जरी एरोला के करीब न हो। हाल के दिनों में, सर्जिकल बायोप्सी को नीडल बायोप्सी से बदल दिया गया है, जो ब्रेस्ट की गांठ या सिस्ट को हटाने के लिए तुलनात्मक रूप से ज्यादा आसान होती है।
इनवर्टेड निप्पल एक ऐसी स्थिति है जहाँ निप्पल नेचुरली बाहर की ओर पॉइंट नहीं करता है, बल्कि ब्रेस्ट में अंदर की ओर दिखता है। इनवर्टेड निप्पल के सौम्य मामलों में ये हानिरहित होते हैं क्योंकि जब इन्हे उत्तेजित किया जाता है, तो निप्पल बाहर की ओर निकल आते हैं। बाकि मामलों में उन्हें मैन्युअली बाहर निकालने या सर्जरी द्वारा ठीक करने की आवश्यकता होती है। चूंकि सर्जिकल प्रोसेस में मिल्क डक्ट को अलग करने और निप्पल को बाहर निकालने के लिए उन्हें काटा जाता है, इसलिए ब्रेस्टफीडिंग कराने की क्षमता गंभीर रूप से प्रभावित हो सकती है। कुछ मामलों में, निप्पल को बाहर निकालने के लिए त्वचा को खींचा जा सकता है, जिससे मिल्क डक्ट प्रभावित नहीं होते हैं।
निप्पल पियर्सिंग में निप्पल ज्वेलरी पहनी जाती है, लेकिन यह ब्रेस्ट टिश्यू और एरोला से जुड़ा नहीं होता है। इस स्थिति में, ब्रेस्टफीडिंग प्रभावित नहीं होती है। हालांकि, गर्भवती होने के बाद निप्पल पियर्सिंग को हटाने की सलाह दी जाती है, खासकर गर्भावस्था की दूसरी तिमाही तक। इसके अलावा, अपने बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराते समय निप्पल पियर्सिंग नहीं करानी चाहिए, क्योंकि इससे दूध पीने के दौरान बच्चे को चोकिंग होने का खतरा होता है। इसके अलावा, पियर्सिंग को समय से पहले ही हटा देना चाहिए, ताकि वो हिस्सा ठीक हो जाए और किसी भी तरह से इन्फेक्शन का खतरा न हो।
मैस्टेक्टमी के बाद किसी भी प्रकार की नर्सिंग केयर करना मुश्किल होता है, क्योंकि सर्जरी के बाद ब्रेस्टफीडिंग पर प्रभाव पड़ता है। लेकिन, कुछ मामलों में और ज्यादातर अन्य ब्रेस्ट सर्जरी में, आपके स्तनों में दूध की आपूर्ति को बढ़ाने के कुछ प्रभावी तरीके हैं।
किसी भी तरह की ब्रेस्ट सर्जरी कराने के बाद अपने बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराने के लिए शायद पहले जैसा महसूस न हो और इसमें कुछ बदलाव करने पड़ सकते हैं। नीचे बताई गई टिप्स का उपयोग करना आपके लिए चीजों को आसान बना सकता है और साथ ही यह सुनिश्चित करता है कि आपका शिशु हर समय हेल्दी और सुरक्षित रहे।
निप्पल सर्जरी के बाद ब्रेस्टफीडिंग कराने में कुछ समस्या होती है क्योंकि इससे मिल्क डक्ट क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, जिससे मिल्क प्रोडक्शन की पूरी प्रक्रिया बाधित हो जाती है। हालांकि, ज्यादातर अन्य ब्रेस्ट सर्जरी में ब्रेस्टफीडिंग कराने की क्षमता प्रभावित नहीं होती है। आपको इसके बारे में पहले से ही सारी जानकारी प्राप्त करनी चाहिए ताकि आपको सही सर्जिकल निंर्णय लेने में भी मदद मिल सकती है।
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