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ब्रेस्टफीडिंग और फॉर्मूला फीडिंग के बीच 10 अंतर जो आपको जानना चाहिए

बच्चे के लिए माँ का दूध सबसे अच्छा होता है! लेकिन आप इसके सप्लीमेंट के तौर पर बच्चे को फॉर्मूला मिल्क दे सकती हैं। बच्चे की फीडिंग से जुड़ी काफी चर्चा होती है, जहाँ माओं को बहुत सारी एडवाइस मिलती रहती है की वह क्या करें और क्या न करें। माँ के रूप में, बच्चे को दूध पिलाना भी एक ऐसी चीज है जो आपको चिंतित कर सकता है कि आपका बच्चा ठीक तरह से फीडिंग कर रहा है या नहीं। डॉक्टरों का सुझाव है कि बच्चे को विशेष रूप से छह महीने तक ब्रेस्टफीडिंग कराया जाना चाहिए। माँ का दूध निश्चित रूप से बच्चे के लिए सबसे अच्छा ऑप्शन है। हालांकि, ऐसे कई कारण हो सकते हैं कि जिस वजह से आपके बच्चे की डाइट में फॉर्मूला मिल्क को इंट्रोड्यूस किया जा सकता है। तो, ब्रेस्टमिल्क और फॉर्मूला मिल्क के बीच क्या अंतर होता है? क्या दोनों में से किसी एक को चुनने से आपके बच्चे पर किसी भी तरह से असर पड़ेगा?

आइए इस चीज को सीधे तौर से देखते हैं – माँ के दूध की तुलना किसी भी दूध से नहीं की जा सकती हैं और इस बात में कोई शक नहीं है। यहाँ तक कि वर्ल्ड की ज्यादातर मेडिकल एसोसिएशन, जिसमें वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) भी शामिल है, जो ये कहते हैं कि माँ का दूध बच्चे के लिए सबसे बेहतर है। हालांकि, फॉर्मूला फीडिंग अब काफी तेजी से एक पॉपुलर ऑप्शन बन गया है, क्योंकि यह आज के समय में कई माओं की लाइफस्टाइल और सिचुएशन के अनुसार फिट बैठता है। ये उस दौरान एक विकल्प के रूप में कार्य करता है, जब माँ बीमारी हो या मौजूद न हो, माँ कोई ऐसी दवा ले रही हो, जिसके कारण वह ब्रेस्टफीडिंग नहीं करा सकती है या फिर ब्रेस्ट मिल्क की सप्लाई ठीक से न हो रही हो।

जब इन दोनों ऑप्शन के बीच आपको अपने बच्चे के लिए बेहतर चॉइस तय करना हो, तो दोनों के बीच डिफरेंस करना मुश्किल हो जाता है, कि ये कैसे आपके बच्चे को इफेक्ट कर सकते हैं:

1. ब्रेस्टमिल्क एसआईडीएस से बचाता है

इन्फेंट डेथ के खतरे को रोकने के लिए माँ का दूध काफी हद तक लाभकारी पाया गया है। सडन इन्फेंट डेथ सिंड्रोम या एसआईडीएस का खरता उन बच्चों में काफी कम होता है, जो ब्रेस्टफीडिंग करते हैं।

2. ब्रेस्टमिल्क नेचुरल इम्यूनिटी प्रदान करता है

ब्रेस्ट मिल्क से बच्चे को नेचुरल एंटीबॉडी प्रदान होती है, जो बच्चे की इम्यून सिस्टम को विकसित करने में मदद करता है। यह शुरुआती महीनों में होने वाले इन्फेक्शन को भी रोकने में भी मदद करता है। इस विषय पर की गई स्टडी के अनुसार, ब्रेस्ट मिल्क डायबिटीज, बैड कोलेस्ट्रॉल, अस्थमा, ल्यूकेमिया और मोटापे जैसी बीमारियों की संभावना को भी कम करता है। फॉर्मूला मिल्क में ये एंटीबॉडी नहीं होते हैं, जो ब्रेस्ट मिल्क में पाए जाते हैं।

3. ब्रेस्टमिल्क फॉर्मूला मिल्क के मुकाबले जल्दी डाइजेस्ट होता है

ब्रेस्ट मिल्क आसानी से डाइजेस्ट होता है। इसका मतलब यह है कि जब आप अपने बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराती हैं, तो उन्हें कब्ज और गैस की संभावना कम होती है।

4. माँ को ब्रेस्टफीडिंग से फायदा होता है

ब्रेस्टफीडिंग न केवल बच्चे के लिए, बल्कि माँ के लिए भी बहुत अच्छा है! ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली माओं में ऑस्टियोपोरोसिस, ओवेरियन कैंसर, डायबिटीज, हृदय रोग और ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कम होता है! फॉर्मूला दूध देना से माँ को इनमें से कोई भी फायदा नहीं पहुँचेगा।

5. ब्रेस्टमिल्क मसल्स को मजबूत बनाता है

ब्रेस्ट मिल्क एक ही समय में मांसपेशियों और हड्डियों दोनों को मजबूत करके आपके बच्चे के विकास में मदद करता है।

6. फॉर्मूला फीडिंग ज्यादा नहीं दिया जा सकता है

यदि आप बच्चे को फॉर्मूला फीडिंग कराती हैं, तो आपको उसे कम फीड कराना पड़ता है। ऐसा इसलिए हैं, क्योंकि फॉर्मूला मिल्क को डाइजेस्ट होने में ज्यादा समय लगता है।

7. फॉर्मूला मिल्क से आप दूध की मात्रा जान सकती हैं

यह जानने का एक अच्छा तरीका है कि आपके बच्चे ने कितना दूध पिया होगा। लेकिन ब्रेस्टफीडिंग के दौरान ये अंदाजा लगाना संभव नहीं है।

8. फॉर्मूला फीडिंग से आपकी दवाओं / आहार का साइड इफेक्ट्स बच्चे पर नहीं होता है

यदि आप किसी मेडिकल ट्रीटमेंट से गुजर रही हैं तो फॉर्मूला मिल्क इस दौरान सबसे सेफ ऑप्शन है। आप अपनी मेडिसिन को जारी रख सकती हैं बिना इस चिंता के कि बच्चे पर आपकी दवाओं का कोई साइड इफेक्ट्स होगा। ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली माँ को एक स्ट्रिक्ट डाइट का पालन करने की जरूरत होती है, क्योंकि ब्रेस्टफीडिंग के दौरान ये भोजन बच्चे में भी ट्रांसफर होता है। इसका मतलब यह है कि आपको फिश, अल्कोहल और कैफीन का सेवन बिलकुल नहीं करना चाहिए,

क्योंकि वे बच्चों में चिड़चिड़ापन पैदा हो सकता है। इसलिए अगर आपकी मेडिसिन में आपको इनमें से कोई भी चीज शामिल  है, तो बच्चे के लिए ब्रेस्टफीडिंग का ऑप्शन अच्छा नहीं है।

9. फार्मूला न्यूट्रिशन में मदद करता है जब आप बच्चे को सॉलिड फूड देना शुरू करती हैं

बच्चों को सॉलिड फूड खाने की आदत डालने में समय लगता है। शुरुआत में, वे इसे खाने से मना कर देते हैं या थूक देते हैं। एक बार जब आप अपने बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग छुड़ाने लगेंगी, तो नर्सिंग में अपने आप ही कमी आएगी। हालांकि, बच्चों को ठोस भोजन से सभी आवश्यक पोषण नहीं मिल सकते हैं। लेकिन जिन बच्चों को इस समय फॉर्मूला मिल्क दिया जाता है, उन्हें ये आवश्यक पोषक तत्व आसानी प्राप्त होते हैं।

10. ब्रेस्टमिल्क ब्रेन पावर में सुधार करता है

कुछ स्टडी से पता चलता है कि जो बच्चे ब्रेस्ट मिल्क पीते हैं, खासकर जन्म के शुरुआती 28 दिनों के अंदर, उनका ब्रेन डेवलपमेंट और कॉग्निटिव आउटकम ज्यादा बेहतर होता है। फॉर्मूला फीडिंग करने वाले बच्चों में इस तरह के रिजल्ट को नोटिस नहीं किया गया है।

ब्रेस्टफीडिंग और फॉर्मूला फीडिंग के बीच किसे चुनें?

इतने सारे सुझाव मिलने के बाद आपके लिए यह तय कर पाना मुश्किल होता होगा कि आप बच्चे के लिए ब्रेस्ट मिल्क का ऑप्शन चुने या फॉर्मूला मिल्क। सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण चीज यह है कि यदि आपके पास पर्याप्त समय है और आप बच्चे को फीड कराने के लिए सक्षम हैं, तो बच्चे के लिए ब्रेस्टफीडिंग से अच्छा और कुछ भी नहीं है। ऐसे मामले में जहाँ आप किसी कारण से बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग नहीं करा सकती हैं, तो ही आप बच्चे  को फॉर्मूला मिल्क दें, वरना आपको ब्रेस्टफीडिंग को ही प्राथमिकता देनी चाहिए। माँ का दूध नवजात शिशु की शारीरिक, न्यूरोलॉजिकल और मनोवैज्ञानिक आवश्यकताओं अच्छी तरह से पूरा करने में सक्षम होता है।

हालांकि, आज की तेज भागती हुई जिंदगी में, कई माओं को बच्चे के जन्म के कुछ दिनों या महीनों बाद से ही अपने काम पर वापस जाना पड़ता है। उनके लिए, फॉर्मूला फीडिंग या मिक्स्ड फीडिंग ही बेहतर ऑप्शन हो जाता है। ऐसे में आपकी गैर मौजूदगी में भी बच्चे को फीड कराया जा सकता है। ये वर्किंग वुमन के लिए एक अच्छा एडवांटेज है। इसके अलावा, आप तब भी फॉर्मूला फीडिंग का ऑप्शन चुन सकती हैं अगर आपका मिल्क सप्लाई कम है या आप एक कॉम्प्लिकेटेड प्रेगनेंसी से रिकवर कर रही हों। कई महिलाओं को लैचिंग प्रॉब्लम होती है या उनके निप्पल में बहुत दर्द होता है जिसके चलते उनके लिए नर्सिंग कराना मुश्किल हो जाता है। यहाँ फिर से, ऐसे हालातों में फॉर्मूला मिल्क बहुत काम आता है।

हमारा सुझाव यही है कि आप अपने बच्चे को कम से कम 6 महीने के ब्रेस्टफीडिंग कराएं, उसके बाद ही फॉर्मूला मिल्क दें। बहुत सारी ऐसी चीजें हैं, जो आपकी लाइफस्टाइल और सिचुएशन पर निर्भर करती है। फॉर्मूला मिल्क काफी महंगा पड़ जाता है, ये इस बात पर भी निर्भर करता है कि आप कौन से ब्रांड और टाइप का फॉर्मूला मिल्क ले रहे हैं। पाउडर फॉर्मूला  कम महंगा होता है, जबकि रेडी-टू-फीड फॉर्मूला मिल्क सबसे महंगा होता है। इसलिए इस ऑप्शन को तभी अपनाएं जब आप अपनी लाइफस्टाइल और सिचुएशन में इसे फिट कर सकें। आपको यह भी ध्यान रखने की जरूरत है कि आप इसे गाइडलाइन के अनुसार ही तैयार करें, ऐसा न करने से  बच्चे के लिए बहुत हानिकारक हो सकता है।

अगर आप किसी भी कारण से ब्रेस्टफीडिंग नहीं करा पा रही हैं, तो प्रेशर न महसूस करें, क्योंकि किसी ने आपको बताया है कि फॉर्मूला मिल्क बच्चे के लिए सही नहीं होता है। फॉर्मूला मिल्क खासतौर पर बच्चों को दिमाग में रख कर ही तैयार किया गया है। इसमें वह विटामिन और मिनरल शामिल हैं जो एक बच्चे को अपने विकास के दौरान चाहिए होता है, और इसे विधि के अनुसार सही ढंग से तैयार करने पर बच्चों को दिया जाना बिलकुल सुरक्षित है। अगर आप फॉर्मूला मिल्क चूज करती है, तो आपको गिल्ट फील करने की कोई जरूरत नहीं है।

आपका क्या कहना है ब्रेस्ट मिल्क और फॉर्मूला मिल्क फीडिंग को लेकर ? आप नीचे कमेंट करके अपनी राय हमारे साथ शेयर कर सकती हैं।

यह भी पढ़े:

फॉर्मूला फीडिंग के संबंध में आवश्यक जानकारी
ब्रेस्टफीडिंग के बारे में 15 भ्रांतियां और सच्चाई
बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराने के फायदे और टिप्स

समर नक़वी

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