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बच्चे के लिए माँ का दूध ही सबसे अच्छा दूध होता है और छह महीने की उम्र तक यह बच्चे के लिए पोषक तत्वों को पहुँचाने का एकमात्र जरिया होना चाहिए। माँ का दूध बच्चे के इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है और उसे कई तरह के इन्फेक्शन और बीमारियों से बचाता है। यह माँ के लिए भी फायदेमंद साबित होता है, क्योंकि इससे आगे चलकर ब्रेस्ट कैंसर होने की संभावना कम होती है। ज्यादातर माँ ही अपने बच्चे को उसकी जरूरत के अनुसार पोषण प्रदान करने एकमात्र जरिया होती है, इसलिए माँ को हमेशा एक बैलेंस डाइट लेने की सलाह दी जाती है, जिसमें अन्य न्यूट्रिएंट्स के साथ विटामिन डी भी शामिल है। लेकिन कभी-कभी, सिर्फ आहार के जरिए माँ और उसके बढ़ते बच्चे की विटामिन डी की आवश्यकता पूरी नहीं होती है।
विटामिन डी हड्डियों की हेल्दी ग्रोथ, हृदय रोगों से लड़ने के लिए, ऑटोइम्यून डिसऑर्डर और यहाँ तक कि कुछ प्रकार के कैंसर से शरीर की रक्षा करने के लिए जरूरी होता है। संक्षेप में कहा जाए, तो आपके बच्चे के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों के लिए विटामिन डी की आवश्यकता होती है। इसलिए, यदि माँ विटामिन डी की कमी से पीड़ित है, तो इससे उसके बच्चे को विटामिन डी की कमी होने की संभावना बढ़ सकती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि जन्म के बाद पहले कुछ महीनों में, माँ का दूध ही आमतौर पर एक बच्चे के पोषण का एकमात्र जरिया होता है। इसके अलावा, यह देखा गया है कि एक बच्चे में विटामिन डी का लेवल ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली माँ के द्वारा लिए जाने वाले विटामिन डी की मात्रा से संबंधित होता है। एक साइंटिफिक स्टडी में, यह साबित हुआ कि एक दूध पिलाने वाली माँ द्वारा इस विटामिन का अधिक मात्रा में सेवन करने से बच्चे में भी इसकी मात्रा बढ़ी हुई दिखाई देती है।
माँ के दूध में विटामिन डी की कमी होने से आपका बच्चा इस महत्वपूर्ण विटामिन की कमी से पीड़ित हो सकता है। स्तनपान कराने वाली माँ में विटामिन डी की कमी उसके बच्चे को प्रभावित करती है। इसकी कमी से आपके बच्चे का इम्यून सिस्टम, हड्डियों का ठीक तरह से विकास, कैल्शियम अब्सॉर्प्शन और मांसपेशियों में ठीक से मजबूती नहीं प्राप्त होती है। भले ही आपका बच्चा अभी छोटा है लेकिन उसे बड़ा करने के लिए आपको बहुत जतन करने पड़ते हैं ताकि वो हेल्दी रह सके। इसके अलावा, यदि आप ऐसे लोगों की श्रेणी में आती हैं, जो विटामिन की कमी के शिकार हैं या फिर आप ठंडे क्षेत्रों में रहती हैं, जिसकी वजह से आपको रोजाना धूप अच्छी तरह से नहीं मिल पाती है, इसके अलावा आप मोटापे और ऐसी किसी भी समस्या से पीड़ित हों, तो आपको और भी ज्यादा सावधानी बरतने की आवश्यकता है। ताकि आप अपने शरीर में विटामिन डी की जरूरत को पूरा कर सकें।
यदि आपके शरीर में विटामिन डी का स्तर कम है, तो आपको अपना विटामिन डी का सेवन बढ़ाना चाहिए। आपके शरीर में इस विटामिन के लेवल को बढ़ाने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप धूप में बैठें। दिन में लगभग 20 से 30 मिनट के लिए धूप में रहें। आपके हाथों, पैरों, गर्दन और चेहरे को पर्याप्त धूप मिलनी चाहिए, लेकिन सूर्य की किरणों का आनंद लेते हुए अपने हाथों और गर्दन को एक पतले कपड़े से ढक लें। अगर आपकी त्वचा डार्क है तो आपको धूप के संपर्क में ज्यादा देर तक रहने की जरूरत होती है, क्योंकि आपके शरीर को सूरज की रोशनी से इस विटामिन को अब्सॉर्ब करने में अधिक समय लगता है। आप अपने आहार में विटामिन डी युक्त खाद्य पदार्थ भी शामिल कर सकती हैं, जैसे:
14 से 50 वर्ष की आयु वर्ग की महिला के लिए विटामिन डी की दैनिक आवश्यकता लगभग 600 IU है। गर्भवती या ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली माओं के लिए विटामिन डी की दैनिक खुराक भी लगभग 600 IU होनी चाहिए। आपके बच्चे के जन्म से लेकर एक वर्ष की आयु तक के इस आवश्यक विटामिन की रोजाना लगभग 400 IU की जरूरत पड़ती है और बच्चे में विटामिन डी की जरूरत को पूरा करने के लिए माँ के दूध की जरूरत होती है।
यदि ब्रेस्टफीडिंग करने वाली माँ किसी भी फूड सोर्स या सूर्य के संपर्क में रहने के माध्यम से विटामिन डी की अपनी दैनिक जरूरतों को पूरा करने में असमर्थ होती है, तो उन्हें सप्लीमेंट डाइट लेनी पड़ सकती है। कई स्टडीज से पता चला है कि जब बच्चे ने माँ का दूध पिया तो बच्चे में विटामिन डी के लेवल में सुधार हुआ। हालांकि, स्तनपान कराने वाली एक माँ को अपनी इच्छा से सप्लीमेंट डाइट नहीं लेना चाहिए। यह सलाह दी जाती है कि आप डॉक्टर से परामर्श करें, वो आपकी जरूरत के अनुसार आपको डोज देंगे।
यह विटामिन ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली माँ और उसके बच्चे के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। हालांकि, शरीर में इस विटामिन की अत्यधिक मात्रा शरीर में टॉक्सिसिटी यानी विषाक्तता का कारण बन सकती है, जिससे माँ और बच्चे में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए, विषाक्तता की संभावना को कम करने के लिए, आपको स्तनपान करते समय केवल विटामिन डी की डॉक्टर द्वारा बताई गई डोज ही लेनी चाहिए और बिना प्रिस्क्रिप्शन के कोई भी सप्लीमेंट नहीं लेना चाहिए।
यदि आपको नहीं मालूम है कि आपको एक्स्ट्रा विटामिन डी की आवश्यकता है या नहीं, तो अपने डॉक्टर से परामर्श करें और पता करें। अगर जरूरी हो तो वह आपको विटामिन डी की रोजाना की सही खुराक निर्धारित करेंगे।
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