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गर्भावस्था एक महिला के जीवन का वह चरण है जब उसे एक्स्ट्रा केयर व प्रोटेक्शन की जरूरत होती है ताकि बच्चा सुरक्षित और हेल्दी हो। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को बहुत सारी चीजें करने व न करने के लिए सलाह दी जाती है और यह बच्चे के जन्म के बाद बढ़ता जाता है।
डिलीवरी के बाद पहले कुछ सप्ताह तक बच्चे को माँ के दूध से ही न्यूट्रिशन मिलता है। माँ जो भी खाती है वह ब्रेस्टमिल्क के माध्यम से बच्चे तक पहुँचता है। इसलिए ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली सभी महिलाओं को अच्छी डायट लेना जरूरी है जिससे सही मात्रा में आवश्यक न्यूट्रिशन मिल सके। जो भी चीजें बच्चे पर प्रभाव डाल सकती हैं आपको उनका सेवन नहीं करना चाहिए या सेवन करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें। उनमें से एक चीज एंटीबायोटिक भी है।
लैक्टेशन पर एंटीबायोटिक का प्रभाव प्रिस्क्राइब की हुई दवा के प्रकार व इसकी स्ट्रेंथ से पड़ता है। बच्चे का स्वास्थ्य यह निर्धारित करता है कि उसका शरीर एंटीबायोटिक और केमिकल पर कैसे रिएक्ट करेगा।
ब्रेस्टफीडिंग के दौरान महिलाओं के लिए ज्यादातर एंटीबायोटिक सुरक्षित होती हैं और इससे बच्चे के स्वास्थ्य पर कोई भी उल्टा असर नहीं होता है।
ब्रेस्ट को खून से न्यूट्रिशन मिलता है और इसलिए माँ जो भी खाती है वह सब कुछ, यहाँ तक कि दवा भी ब्रेस्टमिल्क के माध्यम से बच्चे तक पहुँचती है।
दूध में एंटीबायोटिक्स की मात्रा इसके सेवन व डोज पर निर्भर करता है।
कई चीजों के कारण बच्चों पर विभिन्न एंटीबायोटिक का असर अलग-अलग तरीकों से पड़ता है। बच्चों पर एंटीबायोटिक का असर किन चीजों से पड़ सकता है, आइए जानें;
यद्यपि एंटीबायोटिक्स का सेवन करने पर डॉक्टर को अच्छी तरह से मॉनिटर करना चाहिए और उनकी सलाह के बिना कोई भी दवा नहीं लेनी चाहिए पर फिर भी यहाँ पर कुछ एंटीबायोटिक या दवा की लिस्ट दी हुई है जो ब्रेस्टफीडिंग के दौरान ली जा सकती हैं, आइए जानें;
दवा का नाम | उपयोग |
एसिटामिनोफेन (टायलेनोल) | पेनकिलर |
सिफालोस्पोरिन (केफ्लेक्स, सेक्लोर, सेफ्टिन, ओमनीसेफ, सुप्रैक्स) | लंग्स, कान, स्किन, यूरिनरी ट्रैक्ट, गले, और हड्डियों के इन्फेक्शन के लिए एंटीबायोटिक |
वार्फरिन | ब्लड क्लॉट्स को ठीक करने के लिए |
क्लोट्रिमेजोल (लोटरिमिन, मिस्लेक्स) | फंगल और यीस्ट इन्फेक्शन को ठीक करने के लिए |
इरिथ्रोमाइसिन (इ-मायसिन, एरीथ्रोसिन) | स्किन और रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन को ठीक करने के लिए |
डिगोक्सिन (लेनोक्सिन ) | दिल की समस्याओं को ठीक करने के लिए |
फ्लुकोजोल (डिफ्लूकैन) | यीस्ट इन्फेक्शन को ठीक करने के लिए |
फेक्सॉनडाइन (एलेग्रा) | एलर्जी और हे फीवर के लिए एंटीहिस्टामाइन |
आइबूप्रोफेन (मोटरीन, एडविल) | दर्द को ठीक करने के लिए |
हेपरिन | ब्लड क्लॉटिंग रोकने के लिए |
इनहेलर, ब्रोन्कोडिलेटर, और कॉर्टिकॉस्टेरॉइड्स(अल्बुटेरोल, वर्सेरील) | अस्थमा के लिए |
लैक्सेटिव, बल्क फॉर्मिंग, स्टूल सॉफ्टनिंग (मेटाम्युसिल, कोलेस) | कब्ज को ठीक करने के लिए |
लिडोकेन (जाइलोकेन) | लोकल एनेस्थेटिक |
लौरटाडाइन (क्लैरटिन) | एलर्जी और हे फीवर के लिए एंटीहिस्टामाइन |
थियोफाइलाइन | अस्थमा और ब्रोंकाइटिस ठीक करने के लिए |
थायरॉइड रिप्लेसमेंट (सिन्थ्रॉइड) | थायरॉइड की समस्या ठीक करने के लिए |
यहाँ पर ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली मांओं के लिए असुरक्षित एंटीबायोटिक्स की दवाओं की लिस्ट दी हुई है, आइए जानें;
दवा का नाम (ब्रैंड का नाम) | उपयोग |
ऐसबुटोलोल (सेक्टरल) | यह दवा हाई ब्लड प्रेशर और दिल की धड़कन अब्नॉर्मल होने पर ली जाती है |
एटेनोलोल (टेनोर्मिन) | यह दवा हाई ब्लड प्रेशर और दिल की धड़कन अब्नॉर्मल होने पर ली जाती है |
एंटीहिस्टामाइन/डिकंजेस्टेन्ट का कॉम्बिनेशन (कॉन्टैक, डाइमटैप) | यह दवा जुकाम और एलर्जी के लिए उपयोग की जाती है और इससे ब्रेस्टमिल्क की आपूर्ति कम होती है |
क्लोरथलिडोन | यह हाई ब्लड प्रेशर के लिए उपयोग की जाती है और इससे दूध की आपूर्ति कम होती है |
सिटालोप्रैम (सेलेक्सा) | यह एन्टीडिप्रेसेंट दवा है जिससे बच्चे को चक्कर आते हैं |
कंट्रासेप्टिव (एस्ट्रोजन-युक्त) – (ओर्थो-नोवाम, लो-ओवेरल, लोइस्टरीन) | इसका उपयोग जन्म नियंत्रण के लिए किया जाता है, इससे ब्रेस्टमिल्क की आपूर्ति कम होती है |
डोक्सीपिन (सिनेकन) | यह दवा डिप्रेशन को ठीक करने के लिए उपयोग की जाती है |
एर्गोटैमाइन (कॅफेरगोट) | इससे माइग्रेन ठीक होता है |
एस्कॉटलोप्रैम (लेक्साप्रो) | इसे डिप्रेशन के लिए लिया जाता है |
एथोक्सीमाइड (जरोटिन) | इसे एपिलेप्सी ठीक करने के लिए लिया जाता है |
फ्लोरेसीन IV | यह रेटिनल समस्याओं को ठीक करता है |
वेनलेफेक्सीन (एफएक्सर) | यह डिप्रेशन का उपचार है |
वैसे तो डॉक्टर द्वारा प्रिस्क्राइब की हुई दवा लेना सुरक्षित है पर इसका बहुत ज्यादा सेवन नहीं करना चाहिए और सिर्फ प्रिसक्राइब की हुई डोज की लेनी चाहिए।
माँ के द्वारा नॉन-प्रिस्क्राइब एंटीबायोटिक्स लेने से बच्चे में कुछ निम्नलिखित समस्याएं हो सकती हैं।
इसके अलावा एंटीबायोटिक्स का उपयोग करने से माँ में थ्रश विकसित हो सकता है। इस समस्या में इन दवाओं का सेवन करने से माँ के पेट का फ्लॉरा प्रभावित होता है।
डॉक्टर से सलाह लेते समय आप उन्हें अपनी गर्भावस्था के बारे में जरूर बताएं। आपकी कोई भी समस्या के लिए यदि आप दवा लेती हैं तो उसके बारे में डॉक्टर से जानें। यदि आपको कोई भी समस्या या एलर्जी है तो उसके बारे में भी डॉक्टर से बताएं।
इसके अलावा आप ब्रेस्टफीडिंग के दौरान एंटीबायोटिक लेने से संबंधित निम्नलिखित चीजों के बारे में डॉक्टर से चर्चा करें, आइए जानें;
एंटीबायोटिक के साइड-इफेक्ट्स से बचने का यही एक तरीका है कि आप इसका सेवन न करें। हालांकि यदि आप इसे लेती हैं तो बच्चे में इसके उलटे असर पड़ने के खतरे से बचने के लिए निन्मलिखित स्टेप्स को फॉलो करें, आइए जानें;
वैसे तो ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली मांओं के लिए ज्यादातर एंटीबायोटिक्स सुरक्षित होती हैं पर आपको यह दवा डॉक्टर की सलाह लेने के बाद ही लेना चाहिए।
जन्म के कुछ सप्ताह बाद तक का समय बच्चे के लिए बहुए नाजुक होता है। इस दौरान बच्चे के आवश्यक ऑर्गन का विकास हो रहा होता है और उसका इम्यून सिस्टम भी मजबूत नहीं होता है। इसलिए यह बहुत जरूरी है कि आप कुछ भी विशेषकर एंटीबायोटिक खाने से पहले सावधानी जरूर बरतें।
यदि दवा का उपयोग करना बंद नहीं किया जा सकता है तो आप सिर्फ डॉक्टर द्वारा प्रिस्क्राइब की हुई दवा ही लें। बच्चे में एंटीबायोटिक का असर कम हो इसलिए आप हेल्दी व न्यूट्रिशियस खाना खाएं।
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