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भारतीय आहार में लहसुन की एक अलग ही जगह है। इसकी तेज गंध और तीखा फ्लेवर हर डिश को बेहतरीन बनाता है पर लोगों को अक्सर इसका स्वाद पसंद नहीं आता है। हालांकि यह सलाह दी जाती है कि आप अपनी डाइट में लहसुन शामिल करें क्योंकि इसमें औषधीय गुण होते हैं। गर्भावस्था और ब्रेस्टफीडिंग के दौरान भी महिलाओं के लिए लहसुन खाना तब तक सुरक्षित है जब तक इसे संयमित मात्रा में खाया जाए। ब्रेस्टफीडिंग के दौरान लहसुन खाने के फायदे और साइड इफेक्ट्स जानने के लिए आप यह लेख पूरा पढ़ें।
गर्भावस्था व ब्रेस्टफीडिंग के दौरान लहसुन खाना सुरक्षित है। इसमें एलिन नामक केमिकल होता है जिसके एंजाइम्स एलिसिन में बदल जाते हैं और माना जाता है कि इसी कारण से लहसुन की सुगंध बहुत तेज होती है और यह स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा होता है।
लहसुन में बहुत सारे विटामिन्स, मिनरल और मेडिसिनल कंपाउंड होते हैं जिससे शरीर के फंक्शन में सुधार आता है। इसमें बहुत सारे फायदे भी होते हैं। आपको अपनी डाइट में लहसुन शामिल क्यों करना चाहिए, इसके कारण निम्नलिखित हैं, आइए जानें;
लहसुन के कंपाउंड ब्लड वेसल में डायलेटरी की क्षमता बढ़ाते हैं, और पूरे शरीर में खून के बहाव को आसान करते हैं। इससे आगे चलकर हार्ट पर दबाव नहीं पड़ता है और इससे कार्डियोवस्कुलर हेल्थ में भी सुधार होता है।
लहसुन में एंटीफंगल और एंटीबायोटिक गुण होते हैं जो इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में मदद करते हैं। स्तनपान के दौरान लहसुन खाने से यीस्ट व कैंडिडा से होने वाले इन्फेक्शन में राहत मिलती है। पर इसे टॉपिकल मेडिसिन (त्वचा के ऊपर इस्तेमाल) के रूप में उपयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे त्वचा में जलन की समस्या हो सकती है।
ब्लड वेसल में घुलते ही लहसुन ब्लड प्रेशर कम कर देता है। यह कोलेस्ट्रॉल घटाने में भी मदद करता है जिससे दिल से संबंधित समस्याएं और स्ट्रोक का खतरा नहीं होता है।
लहसुन पाचन तंत्र के लिए भी अच्छा है। यह पाचन को उत्तेजित करने में मदद करता है और आंतों की इरिटेशन में आराम देता है।
लहसुन को ब्रेस्ट मिल्क की आपूर्ति बढ़ाने के लिए जाना जाता है क्योंकि यह दूध बढ़ाने की एक सामग्री है। इसके अलावा लहसुन के कंपाउंड दूध में जाते हैं और बच्चे के इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं। वैसे तो लहसुन दूध को बढ़ाने वाली सामग्री है पर रिसर्च के अनुसार ब्रेस्ट को लगातार पर्याप्त मात्रा में खाली करने से भी ब्रेस्ट मिल्क की आपूर्ति बढ़ती है। यदि दूध की मांग और आपूर्ति को प्रभावी रूप से मैनेज किया गया है तो दूध बढ़ाने वाली कोई भी सामग्री प्रभावी रूप से काम करेगी।
लहसुन खाने से क्रोनिक फेटीग सिंड्रोम के लक्षणों में आराम मिलता है। यह एक ऐसी समस्या है जिसमें लगातार थकान महसूस होती है।
लहसुन को फ्लू, अस्थमा और अनिद्रा की समस्या ठीक करने के लिए भी जाना जाता है। इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट्स भी होते हैं जो उम्र बढ़ने से संबंधित समस्याओं को कम करते हैं, जैसे डिमेंशिया।
ब्रेस्टफीडिंग के दौरान कच्चा लहसुन खाने के कुछ निम्नलिखित साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं, आइए जानें;
आप अपनी डाइट में संयमित मात्रा में लहसुन शामिल करें। रोजाना एक से दो लहसुन की कलियाँ खाएं। विभिन्न प्रकार की डिश, जैसे पास्ता, ग्रेवी, सीफूड, फ्राइड सब्जियां आदि के फ्लेवर को बढ़ाने के लिए भी लहसुन का उपयोग किया जाता है। यह ब्रेस्टफीडिंग के दौरान लैक्टेशन बढ़ाने में मदद करता है। आपको कच्चा लहसुन खाने की सलाह दी जाती है। ज्यादा पके व फ्राइड लहसुन के गुण नष्ट हो जाते हैं।
संयमित मात्रा में लहसुन खाने से बच्चे को या आपको कोई भी हानि नहीं होगी। हालांकि लहसुन के सप्लीमेंट्स खाने की सलाह वास्तव में नहीं दी जाती है क्योंकि इसमें आर्टिफिशियल गंध डाली जाती है जिससे लहसुन की गंध खत्म हो जाती है। चूंकि ब्रेस्टफीडिंग के दौरान लहसुन की टेबलेट लेने से बच्चा इसकी गंध पर प्रतिक्रिया देता है पर इसे लेने की सलाह इसलिए नहीं दी जाती है क्योंकि टेबलेट का उपयोग फ्रेश लहसुन के स्थान पर नहीं किया जा सकता है। इसके अलावा मार्केट में मिलने वाले सप्लीमेंट्स की सेफ्टी के बारे में भी कुछ नहीं कहा जा सकता है। इसमें भी ऐसी सामग्रियां हो सकती हैं जो बच्चा या माँ के लिए सुरक्षित न हों। ये चीजें बच्चे के स्वास्थ्य के लिए अच्छी भी नहीं हो सकती हैं इसलिए लहसुन के सप्लीमेंट्स लेने से बचना ही बेहतर है। कोई भी नेचुरल या मेडिसिनल सप्लीमेंट लेने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
हर बच्चा ब्रेस्ट मिल्क में मौजूद लहसुन के स्वाद व सुगंध को सहन नहीं कर सकता। इससे वह चिड़चिड़ा सकता है। यदि बच्चे को कोलिक है तो उसे लहसुन नहीं खिलाना चाहिए क्योंकि इससे समस्या अधिक गंभीर हो सकती है। यदि ब्रेस्टफीडिंग के दौरान आप लहसुन खाती हैं और आपके बच्चे में कोलिक के लक्षण दिखाई देते हैं तो उसकी डाइट से लहसुन बिलकुल हटा दें और कुछ समय तक अंतर में बदलाव की जांच करें।
हाँ, लहसुन में एसिडिक कंपाउंड होते हैं जो ब्रेस्ट मिल्क में जाकर उसका स्वाद व सुगंध बदल सकते हैं।
ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली मांओं के लिए लहसुन का दूध एक बेहतरीन पेय पदार्थ है क्योंकि इससे दूध की आपूर्ति बढ़ती है। यहाँ इसकी रेसिपी बताई गई है जिसे बनाने में सिर्फ पाँच मिनट लगते हैं, आइए जानें;
सामग्री
विधि
लहसुन में बहुत सारे औषधीय गुण हैं जिसके लिए इसे खाया जाता है। इसलिए यदि आप ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली माँ है तो इस बात का ध्यान रखें कि सिर्फ फ्रेश और पका हुआ लहसुन ही खाएं। जब तक डॉक्टर सलाह न दें तब तक आप लहसुन के डाइटरी सप्लीमेंट न खाएं। यदि सप्लीमेंट्स से नहीं बचा जा सकता है तो आप एंटेरिक कोटिंग वाले सप्लीमेंट्स लें ताकि यह पेट के बजाय आंतों में घुल सके। इसके अलावा अपने शिशु को खाली लहसुन न खिलाएं क्योंकि इससे उसका अविकसित पाचन तंत्र इसमें मौजूद कंपाउंड को सहन नहीं कर पाएगा।
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