ब्रेस्टफीडिंग के दौरान पीरियड्स होना

गर्भावस्था पूरी होने के बाद भी महिलाओं को ज्यादा देखभाल करने की जरूरत है क्योंकि इस समय ब्रेस्टफीडिंग के कारण डायट और लाइफस्टाइल से बच्चे के विकास पर प्रभाव पड़ता है। बहुत सारी चीजें हैं जिनकी वजह से ब्रेस्टफीडिंग प्रभावी और सुविधाजनक हो सकती है। ब्रेस्टफीडिंग के दौरान अक्सर महिलाओं को पीरियड्स नहीं होते हैं क्योंकि इससे मासिक धर्म साइकिल में प्रभाव पड़ता है। हालांकि कुछ महिलाओं में बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराने से भी पीरियड्स होते हैं। ब्रेस्टफीडिंग और पीरियड्स के बारे में पूरी जानकारी के लिए आगे पढ़ें। 

ब्रेस्टफीडिंग के दौरान पीरियड्स कब होते हैं?

डिलीवरी के बाद हर महिला का पहला पीरियड अलग-अलग समय पर होता है। यह डिलीवरी के बाद 11 से 12 महीने और एक साल तक भी हो सकता है। बच्चे के जन्म के बाद पहली बार पीरियड्स होने का एवरेज समय लगभग 6 महीने तक है। पहले भी बताया गया है कि डिलीवरी के बाद कई चीजों की वजह से आप दोबारा गर्भवती हो सकती हैं। यदि महिला के शरीर में प्रोजेस्टेरोन हॉर्मोन्स की मात्रा कम है तो उसका पहला पीरियड ज्यादा होने के साथ जल्दी भी होगा। इसके अलावा प्रोलैक्टिन की मात्रा कम होने से पीरियड्स की शुरुआत प्रभावित होती है। ब्रेस्टफीडिंग के दौरान आपके हॉर्मोन्स ब्रेस्टमिल्क को बढ़ाने में मदद करते हैं और इसकी वजह से ओवुलेशन व पीरियड्स में भी देरी होती है। 

डिलीवरी के बाद पीरियड्स पर प्रभाव पड़ने के कारण

डिलीवरी के बाद पीरियड्स पर क्या प्रभाव पड़ता है इस बारे में माँओं को पता होना चाहिए ताकि वह इसका भी ध्यान रख सकें। डिलीवरी के बाद पीरियड्स के समय पर किस वजह से प्रभाव पड़ता है, आइए जानें;

1. यदि बच्चा दिन में 4 घंटे से ज्यादा या रात में 6 घंटे से ज्यादा सोता है

इसका यह मतलब है कि बच्चा सोते समय दूध नहीं पिएगा। जिसके परिणामस्वरूप ब्रेस्टमिल्क की आपूर्ति कम हो जाएगी और पीरियड्स भी जल्दी शुरू हो जाएंगे। यदि आप अब भी बच्चे को दूध पिलाती हैं तो ब्रेस्टमिल्क कुछ समय के लिए हॉर्मोन्स संतुलित होने तक ही कम होगा। 

2. यदि बच्चा सॉलिड फूड या फॉर्मूला मिल्क का सेवन करने लगा है

यदि बच्चे को बाहरी खाने से न्यूट्रिशन मिलता है तो ब्रेस्टमिल्क का उत्पादन कम होने लगता है और हॉर्मोनल बदलाव के कारण मासिक धर्म चक्र दोबारा से शुरू हो जाता है। यह बदलाव तब भी देखे जाते हैं जब महिला ब्रेस्टफीडिंग के दौरान सप्लीमेंट लेती है। 

3. यदि आप बच्चे के साथ सोती हैं

यदि माँ ज्यादातर बच्चे के पास ही सोती है तो इससे बच्चा सोते समय भी दूध पी सकता है। इससे ब्रेस्टमिल्क की आपूर्ति बढ़ती है और आगे पीरियड्स में देरी होती है। 

4. यदि आप बच्चे को अपने पास ही रखती हैं ताकि वह आवश्यकता के अनुसार लैचिंग कर सके

बच्चे को पास में रखने से उसे लैचिंग में आसानी होती है और इससे वह बार-बार ब्रेस्टफीडिंग करता है। इससे पीरियड्स में देरी हो सकती है। 

थोड़े से शब्दों में कहें तो ब्रेस्टफीडिंग के दौरान किन चीजों से पीरियड्स पर प्रभाव पड़ता है, आइए जानें;

  • नर्सिंग के तरीके से
  • हार्मोंस की वजह से
  • नींद में बाधा न होने से
  • बच्चे को बोतल से दूध पिलाने से
  • नर्सिंग कराने के समय से

ब्रेस्टफीडिंग के दौरान यदि आपको पीरियड्स होता है तो आपको पता होना चाहिए कि ब्रेस्टमिल्क में प्रभाव पड़ता है क्योंकि इस दौरान प्रोलैक्टिन नामक हॉर्मोन के प्रोडक्शन में कमी आती है। पीरियड्स होने से ब्रेस्टफीडिंग पर क्या असर पड़ता है, आइए जानें।

क्या पीरियड्स से ब्रेस्फीडिंग पर भी प्रभाव पड़ता है?

ब्रेस्टफीडिंग के दौरान यदि आपको पीरियड्स होते हैं तो कोई अंतर नहीं दिखेगा। हालांकि कुछ महिलाओं में निम्नलिखित बदलाव दिखाई दे सकते हैं, आइए जानें;

  • पीरियड्स के दौरान निप्पल की सेंसिटिविटी बढ़ जाती है।
  • पीरियड्स शुरू होने के कुछ समय पहले से ही दूध की आपूर्ति कम होने लगती है।
  • दूध का स्वाद बदल जाता है जिससे बच्चा दूध पीना कम कर देता है।
  • ब्रेस्ट का साइज बढ़ सकता है।

पीरियड्स की वजह से ब्रेस्टफीडिंग में कोई भी समस्या नहीं होनी चाहिए या इसे बंद नहीं करना चाहिए। हॉर्मोन्स में बदलाव होना नॉर्मल है और कुछ दिनों में आपका शरीर इन बदलावों में एडजस्ट हो जाएगा। पीरियड्स के दौरान बच्चे को दूध पिलाने से उसे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होंगी। यदि आपको लगता है कि ब्रेस्टमिल्क की आपूर्ति कम हो रही है तो आप डॉक्टर या लैक्टेशन स्पेशलिस्ट से संपर्क करें जो दूध की आपूर्ति बनाए रखने के लिए कुछ सप्लीमेंट्स लेने की सलाह दे सकते हैं। इस बात का ध्यान रखें कि बच्चे में न्यूट्रिशन पहुँचने व उसके वजन से संबंधित चीजों को जानने के लिए आप पेडिअट्रिशन की मदद जरूर लें। 

जब बच्चा सिर्फ माँ के दूध पर ही निर्भर होता है तो ब्रेस्टमिल्क की आपूर्ति बनाए रखने व बढ़ाने की जरूरत पड़ती है। इस मामले में आप पीरियड्स में देरी के लिए डॉक्टर से सलाह लें। पीरियड्स में देरी के कुछ तरीके निम्नलिखित हैं । 

ब्रेस्फीडिंग के दौरान पीरियड्स में देरी करने के तरीके

ब्रेस्टफीडिंग के दौरान पीरियड्स में देरी करने के टिप्स निम्नलिखित हैं, आइए जानें;

  • इस बात का ध्यान रखें कि आप बच्चे को दिन में दूध पिलाने के लिए 4 घंटे और रात में 6 घंटे से ज्यादा का अंतराल न लें।
  • आप बच्चे को उसकी आवश्यकता के अनुसार ही दूध पीने दें। बच्चे को पास में ही रखें ताकि जरूरत पड़ने पर वह दूध पी सके।
  • बच्चे को रात में दूध जरूर पिलाएं। फीडिंग सेशन में ज्यादा अंतराल होने पर बच्चा फिर से पुराने तरीके से दूध पीना शुरू कर सकता है।

इस आर्टिकल में ब्रेस्टफीडिंग के दौरान पीरियड्स से संबंधित कुछ अक्सर पूछे जाने वाले सवालों के जवाब भी बताए गए हैं। यदि आपका सवाल इसमें नहीं है तो आप डॉक्टर से संपर्क करें। 

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

1. यदि पीरियड्स शुरू हो जाते हैं तो क्या मैं ब्रेस्टफीडिंग के दौरान फिर से गर्भवती हो सकती हूँ?

गर्भावस्था के बाद ब्रेस्टफीडिंग के दौरान पीरियड्स शुरू होना इस बात का संकेत है कि आपके शरीर ने फिर से ओवुलेट करना शुरू कर दिया है। हर महीने ओवरीज में एग रिलीज होते हैं और गर्भाशय गर्भावस्था के लिए तैयार होता है। जब अंडा फर्टिलाइज नहीं होता है तो गर्भाशय की परत और अंडा दोनों ही डिस्चार्ज हो जाते हैं। इसे पीरियड्स कहा जाता है। चूंकि आपके शरीर में एग्स रिलीज हो रहे हैं जो फर्टिलाइज हो सकते हैं इसलिए आप गर्भनिरोधक तरीकों का उपयोग जरूर करें ताकि ब्रेस्टफीडिंग पर प्रभाव न पड़े। 

2. ब्रेस्टफीडिंग के दौरान पीरियड्स के दर्द को कैसे कम करें?

इस बात का ध्यान रखें कि आप सलाह के अनुसार पर्याप्त मिनरल, जैसे मैग्नीशियम और कैल्शियम ले रही हैं। इससे आपको पीरियड्स से संबंधित दर्द व सेंसिटिविटी में आराम मिलेगा। इस बारे में आप डॉक्टर से सलाह लें और जानें कि ब्रेस्टफीडिंग के दौरान कौन से सप्लीमेंट्स लेना सुरक्षित है। आप अन्य तरीकों का उपयोग भी करें, जैसे पीठ और पेट के निचले हिस्से में हॉट कंप्रेस का उपयोग करना। टहलने से आपको क्रैम्पिंग में भी आराम मिलेगा। 

3. क्या ब्रेस्टफीडिंग के दौरान पीरियड्स अनियमित होना नॉर्मल है?

ब्रेस्टफीडिंग के दौरान पीरियड्स अनियमित होना बहुत आम है। निप्पल उत्तेजित होने से हॉर्मोन्स उत्पन्न होते हैं और इससे दूध की आपूर्ति और पीरियड्स में प्रभाव पड़ता है। 

4. क्या पीरियड्स खत्म होने के बाद दोबारा से होते हैं?

ब्रेस्टफीडिंग के दौरान पीरियड्स में उतार-चढ़ाव आम है। इस समय कई बार आपके पीरियड्स मिस भी हो सकते हैं और वह भी ठीक है। यदि आपको पीरियड्स न होने की चिंता होती है तो डॉक्टर से संपर्क करें। इस बात का ध्यान रखें कि अनचाही गर्भावस्था से बचने के लिए आप कॉन्ट्रासेप्टिव के प्रभावी तरीकों का उपयोग जरूर करें। 

5. क्या दोबारा से पीरियड्स शुरू होने पर ब्रेस्टमिल्क की आपूर्ति कम हो जाती है?

पीरियड्स होने के कुछ दिन पहले से ही महिलाओं में कम दूध की आपूर्ति होती है। आपको नेचुरल सप्लीमेंट्स के बारे में लैक्टेशन स्पेशलिस्ट से चर्चा करनी चाहिए ताकि आप उन दिनों में दूध की आपूर्ति को पूरा कर सकें। 

6. क्या पीरियड्स होने से ब्रेस्टमिल्क का स्वाद अलग हो जाता है जिसकी वजह से मुझे बच्चे का दूध छुड़ाना पड़ सकता है?

पीरियड्स की वजह से ब्रेस्टमिल्क का स्वाद बदल जाने का यह मतलब नहीं है कि आप बच्चे को फार्मूला मिल्क या सॉलिड फूड देने लगें। यह बदलाव बहुत दिनों तक नहीं रहेगा। हालांकि यदि बच्चा दूध नहीं पीता है तो आप इस बदलाव के बारे में डॉक्टर से चर्चा जरूर करें। 

ब्रेस्टफीडिंग के दौरान पीरियड्स होना बहुत आम है। ब्रेस्टफीडिंग के दौरान पीरियड्स होने पर शरीर में कोई भी बदलाव के बारे में डॉक्टर से सलाह जरूर लें। मेडिकल एडवाइस की मदद से आप बच्चे की डायट बेहतर तरीके से प्लान कर सकती हैं।  

स्रोत 

हेल्थलाइन

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सुरक्षा कटियार

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