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ब्रेस्टफीडिंग मातृत्व का एक अटूट हिस्सा है। यह एक नई मां के लिए बहुत ही संतोष देने वाला अनुभव होता है। लेकिन यह भी सच है, कि डिलीवरी के बाद के दर्द और नाजुक निप्पल के कारण ब्रेस्टफीडिंग में माँ को थोड़ा दर्द भी हो सकता है। स्तनपान कराने वाली कुछ माँएं, बच्चे को दूध पिलाते समय कभी-कभी सिरदर्द का अनुभव भी करती हैं। ऐसे सिरदर्द के कारणों की सूची काफी लंबी होती है। इसमें डिहाइड्रेशन और तनाव से लेकर थकावट, मौसमी बदलाव और एलर्जी तक भी शामिल होते हैं। कभी-कभी बच्चे के जन्म के बाद महिला के शरीर में होने वाले हॉर्मोनल बदलाव के कारण भी सिर में दर्द हो सकता है। अगर ब्रेस्टफीडिंग के दौरान आपको सिरदर्द की समस्या हो रही है, तो इस लेख में दी गई जानकारी आपको इसके बारे में समझने में मदद करेगी और इससे निपटने के कुछ तरीके भी बताएगी।
ब्रेस्टफीडिंग के दौरान सिरदर्द को ‘लेक्टेशन हेडेक’ भी कहते हैं। स्तनपान कराने वाली माँएं बच्चे को दूध पिलाते समय कभी-कभी सिर में दर्द का अनुभव करती है। आमतौर पर फीडिंग खत्म होने के बाद यह दर्द या तो कम हो जाता है या फिर ठीक हो जाता है। कुछ विशेषज्ञ यह मानते हैं, कि ऑक्सीटॉसिन हॉरमोन ऐसे सिरदर्द को पैदा करने का जिम्मेवार हो सकता है। ऑक्सीटॉसिन एक ऐसा हॉर्मोन है, जो कि डिलीवरी के दौरान लेबर पेन को पैदा करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह हॉर्मोन ब्रेस्टफीडिंग के दौरान भी रिलीज होता है और यह मिल्क डक्ट्स को टाइट करने और ब्रेस्ट मिल्क के बहाव को आसान बनाने का काम करता है। जब शिशु ब्रेस्ट से दूध खींचता है, तो इसके साथ ही शरीर में ऑक्सीटॉसिन का रिलीज होना भी बढ़ जाता है। कुछ महिलाओं में ऑक्सीटॉसिन के स्तर में होने वाली इस बढ़ोतरी के कारण सिर में दर्द होने लगता है।
ब्रेस्टफीडिंग के दौरान सिरदर्द के पैदा होने के कई कारण हो सकते हैं, इनमें से कुछ नीचे दिए गए हैं। उनके साथ उनका इलाज भी दिया गया है:
डिलीवरी के बाद के शुरुआती कुछ हफ्तों के दौरान, स्तनपान कराने वाली कुछ महिलाएं एस्ट्रोजन के स्तर में गिरावट का अनुभव करती हैं। इसके कारण बच्चे को ब्रेस्टफीड कराते समय सिरदर्द का अनुभव हो सकता है। कुछ महिलाएं एस्ट्रोजन लेवल के स्तर में गिरावट के कारण डिप्रेशन का अनुभव भी करती हैं।
इलाज
अगर यह दर्द काफी तेज हो, तो ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली मां को इस सिरदर्द से छुटकारा पाने के लिए डॉक्टर की सलाह के अनुसार दवाएं लेने की जरूरत हो सकती है। डिलीवरी के बाद होने वाले डिप्रेशन के कारण, ब्रेस्टफीडिंग के दौरान होने वाले सिरदर्द को ठीक करने के लिए, डॉक्टर काउंसलिंग और एंटी डिप्रेसेंट की सलाह दे सकते हैं।
अगर आपको माइग्रेन होने का खतरा है, तो यह ब्रेस्टफीडिंग के दौरान सिरदर्द का एक कारण बन सकता है, खासकर डिलीवरी के बाद के कुछ सप्ताह के दौरान। शरीर में एस्ट्रोजन के स्तर में आने वाली गिरावट के जैसे, हॉर्मोनल बदलाव, माइग्रेन को पैदा कर सकते हैं और ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली माँएं सिर के एक या दोनों तरफ एक तेज सिरदर्द का अनुभव कर सकती हैं। यह दर्द 2 से 3 दिनों तक रह सकता है और इसके साथ मतली भी आ सकती है। माइग्रेन के अन्य कारणों में, तनाव, नींद की कमी, फोनोफोबिया (तेज आवाज का डर) या अनुवांशिक कारण शामिल हो सकते हैं।
इलाज
स्तनपान कराने के दौरान, आम दर्द निवारक या माइग्रेन की दवाओं के सेवन की मनाही होती है, क्योंकि ये बच्चे के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं। सबसे बेहतर यही है, कि इसके लिए आप अपने डॉक्टर से परामर्श लें, जो आपको ब्रेस्टफीडिंग के दौरान आइबूप्रोफेन जैसी कुछ सुरक्षित दर्द निवारक दवाओं की सलाह दे सकते हैं।
स्तनपान कराने वाली माँएं आमतौर पर दूध पिलाना शुरू करने के समय बहुत प्यास का अनुभव करती हैं। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि दूध बनाने के लिए अतिरिक्त तरल पदार्थ की जरूरत होती है (ब्रेस्ट मिल्क में लगभग 90% पानी होता है)। आमतौर पर वयस्कों के पानी पीने के लिए रेकमेंडेड मात्रा की तुलना में, ब्रेस्टफीडिंग कराने वाले मां को अधिक पानी पीने की जरूरत होती है, ताकि दूध पिलाने के दौरान पानी की इस बढ़ी हुई जरूरत को पूरा किया जा सके। अगर वह पर्याप्त पानी का नहीं पीती है, तो डिहाइड्रेशन हो सकता है, जिससे ब्रेस्टफीडिंग के दौरान सिरदर्द हो सकता है। इसलिए हर दिन कम से कम 3 लीटर पानी पीना चाहिए।
इलाज
ब्रेस्टफीडिंग के दौरान, भरपूर पानी पीने से डिहाइड्रेशन का खतरा कम हो जाता है। ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली माँओं को जितना हो सके पानी पीना चाहिए, ताकि उनके शरीर की बढ़ी हुई जरूरत पूरी हो सके। पानी की कमी को तुरंत पूरा करने के लिए, दूध पिलाने से पहले और बाद एक गिलास पानी पीना एक अच्छा आईडिया हो सकता है।
मैस्टाइटिस मेमेरी ग्लैंड का एक इंफेक्शन होता है। निप्पल की फटी त्वचा के माध्यम से बैक्टीरिया अगर ब्रेस्ट के अंदर पहुंच जाए, तो यह संक्रमण हो सकता है। इसके कारण प्रभावित ब्रेस्ट में सूजन, दर्द और त्वचा के लाल होने जैसी समस्याएं हो सकती हैं, जिससे दूध पिलाने के दौरान असुविधा और तकलीफ हो सकती है। ब्रेस्टफीड कराने वाली कुछ माँएं अगर ठीक तरह से दूध ना पिला सकें, तो ब्रेस्ट में मिल्क डक्ट्स जाम हो जाते हैं, जिससे मैस्टाइटिस हो सकता है। मिल्क डक्ट्स के माध्यम से दूध अगर ठीक तरह से बाहर ना निकले, तो ब्रेस्ट में दूध जमा होने लगता है। अगर माँ में ऐसी स्थिति बन जाती है, तो उसे बुखार, कंपकंपी और सिरदर्द का अनुभव होता है।
इलाज
ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली माँएं सही तरह से ब्रेस्ट फीडिंग कराने के टिप्स सीखने के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकती हैं। ब्रेस्टफीडिंग के दौरान माँ को इस बात का ध्यान रखना चाहिए, कि दूध पूरी तरह से खाली हो जाए। इससे मैस्टाइटिस होने की संभावना कम हो जाती है। कुछ गंभीर मामलों में डॉक्टर ब्रेस्ट के टिशूज की सूजन को ठीक करने के लिए ओरल एंटीबायोटिक्स की सलाह देते हैं।
डिलीवरी के बाद थकान का अनुभव करना महिलाओं के लिए बहुत ही आम होता है। बच्चे की देखभाल, रात को जाग-जाग कर दूध पिलाना और नींद की कमी, इस समस्या को और भी बढ़ा देती हैं। स्तनपान कराने वाली माँओं में पोषण की कमी से सुस्ती और कमजोरी भी हो सकती है। इन सभी कारणों से ब्रेस्टफीडिंग कराने वाले कुछ माँओं को दूध पिलाने के दौरान सिर में दर्द का अनुभव हो सकता है।
इलाज
थकान के कारण होने वाले सिरदर्द से बचने के लिए, ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली माँ को पर्याप्त आराम करना चाहिए। जब आपका बच्चा सो रहा हो, उसी समय खुद भी सो जाने में समझदारी होती है। दिन के समय कई बार आंखों को बंद करके लेट जाएं। बैठने के बजा करवट से लेट कर बच्चे को दूध पिलाने की कोशिश करें। इस तरह ब्रेस्टफीडिंग के दौरान आप खुद को अत्यधिक थकान की बजाय आराम दे सकती हैं।
ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली कुछ माँएं फीडिंग के दौरान गलत पोजीशन अपना लेती हैं, जिससे उनकी मांसपेशियों पर तनाव बढ़ जाता है। दूध पिलाने के दौरान कुछ महिलाएं गलत पोजीशन में बैठती हैं, वे नीचे काफी अधिक झुक जाती हैं या बच्चे को उठाने के लिए और उसके वजन को मैनेज करने के लिए, अपने कंधों पर दबाव डालती हैं। इससे गर्दन और पीठ की मांसपेशियों पर तनाव पड़ता है और इससे सिर का दर्द हो सकता है।
इलाज
दूध पिलाने के दौरान माँओं को सही पोस्चर अपनाना चाहिए। हल्का मसाज करवाने से गर्दन और कंधे की मांसपेशियों को आराम मिलता है और दर्द से राहत मिलती है। कंधे और गर्दन को आराम देने के लिए कुछ स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज से भी फायदा मिलता है। अगर जरूरत हो, तो आप एक ब्रेस्टफीडिंग पिलो का इस्तेमाल भी कर सकती हैं।
ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली माँओं द्वारा ली जाने वाली कुछ दवाएं साइड इफेक्ट के रूप में सिर दर्द को पैदा कर सकती हैं। दवाओं की अधिक खुराक लेने से भी ऐसा हो सकता है। उदाहरण के लिए, विटामिन ‘बी6’ की अधिक मात्रा लेने से कुछ माँओं में सिरदर्द या ब्रेस्ट में दर्द की समस्या हो सकती है। कभी-कभी ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली मां ओवर द काउंटर मेडिसिन ले लेती है या बिना डॉक्टर की परामर्श के खुद ही कोई दवा ले लेती है। इससे भी साइड इफेक्ट के रूप में सिरदर्द हो सकता है।
इलाज
डॉक्टर की सलाह के अनुसार उचित मात्रा में दवाओं का सेवन करने में ही समझदारी है। ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली माँ को चाहे हल्का सिरदर्द ही क्यों न हो, डॉक्टर की सलाह के बिना कोई दवा नहीं लेनी चाहिए। अगर आपको लगता है, कि कोई दवा आपको सूट नहीं कर रही है, या आपको आराम नहीं दिला रही है, तो आप अपने डॉक्टर से संपर्क करके दवा बदलने को कह सकती हैं।
जो माँएं हमेशा अपने कंप्यूटर, मोबाइल या टैबलेट पर होती हैं, उन्हें ब्रेस्टफीडिंग के दौरान सिरदर्द होने की संभावना बहुत ज्यादा होती है। जब आपका शरीर पहले से ही ब्रेस्टफीडिंग के दौरान कई तरह के दबाव सहन कर रहा है, तो ऐसे में अपने ऑप्टिक नर्व को इतना तनाव देना अच्छा नहीं है।
इलाज
स्क्रीन टाइम से बचने की या जितना संभव हो इसे कम करने की कोशिश करें। स्तनपान कराने वाली जो महिलाएं घर से काम करती हैं और उनके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है, तो उन्हें अपनी आंखों को आराम देने के लिए नियमित रूप से ब्रेक लेना चाहिए और दिन भर हेल्दी भोजन लेना चाहिए।
एक साइनस इनफेक्शन या एलर्जी के कारण भी सिर में दर्द हो सकता है। जब माँएं ब्रेस्टफीडिंग करा रही हों, तो वे पहले से ही बहुत सारा फ्लुईड खो रही होती हैं। ऐसे में उनकी इंटेनसिटी काफी बढ़ जाती है।
इलाज
नियमित हेल्दी खाना और तरल पदार्थों का पर्याप्त सेवन करने से निश्चित रूप से राहत मिलती है। लेकिन अगर यह संक्रमण गंभीर है और आपको मेडिकल अटेंशन की जरूरत है, तो आपको तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
हम पहले ही ऊपर यह बता चुके हैं, कि ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिलाओं को खुद से कोई भी दवा लेने से बचना चाहिए। लेकिन कुछ गंभीर मामलों में उनके डॉक्टर सुरक्षित दवाएं दे सकते हैं। कुछ सुरक्षित और असुरक्षित दवाएं नीचे दी गई हैं। कृपया इस बात का ध्यान रखें, कि ये तथ्य केवल आपकी जानकारी के लिए हैं और किसी भी परिस्थिति में आपको ब्रेस्टफीडिंग के दौरान डॉक्टर के परामर्श के बिना, कोई दवा नहीं लेना चाहिए, क्योंकि इससे आपके बच्चे के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंच सकता है।
बच्चे को किसी भी तरह के नुकसान से बचाने के लिए, इस बात का ध्यान रखना बहुत जरूरी है, कि ब्रेस्टफीडिंग के दौरान सिरदर्द के लिए सुरक्षित दवा लेनी चाहिए। दूध पिलाने वाली महिलाओं को लेक्टेशन सिरदर्द से राहत पाने के लिए, दवाओं के सेवन से पहले डॉक्टर से परामर्श लेना अनिवार्य है। लेकिन आप घरेलू दवाओं का इस्तेमाल कर सकती हैं, जो कि काफी सुरक्षित होते हैं।
ब्रेस्ट फीडिंग कराने वाली माँएं अगर ओरल मेडिकेशन से बचना चाहती हैं, तो हल्के सिर दर्द को ठीक करने के लिए कुछ घरेलू दवाओं को आजमा सकती हैं।
आप में से कुछ लोग यह सोच रहे होंगे, कि क्या ब्रेस्टफीडिंग के दौरान सिरदर्द से बचने का कोई तरीका है। इसके बारे में जानने के लिए आगे पढ़ें।
ब्रेस्टफीडिंग के दौरान सिरदर्द से बचने के कई तरीके होते हैं। लेकिन इसके लिए ब्रेस्टफीडिंग के दौरान होने वाले सिरदर्द के संभव कारणों का पता लगाना जरूरी है। अगर आप संभावित ट्रिगर्स को ध्यान में रखते हैं, तो इससे बचने के लिए उचित कदम उठाए जा सकते हैं। लेकिन अगर इसके बावजूद ब्रेस्टफीडिंग के दौरान आपको गंभीर सिरदर्द का अनुभव होता रहता है, तो आप एक डॉक्टर या न्यूरोलॉजिस्ट के परामर्श पर सुरक्षित पेनकिलर का चुनाव कर सकते हैं।
अगर मां को सिरदर्द लगातार परेशान करता रहता है, तो उसके लिए ब्रेस्टफीडिंग कराना काफी चुनौती भरा हो जाता है। ब्रेस्टफीडिंग के दौरान होने वाले सिरदर्द को ठीक करने के लिए दवाओं का सहारा लेना पहला विकल्प नहीं होना चाहिए, क्योंकि इसका असर ब्रेस्टमिल्क के माध्यम से बच्चे को भी हो सकता है। स्तनपान कराने वाली माँ को सिरदर्द से छुटकारा पाने के लिए दवाओं के बजाय घरेलू नुस्खों को आजमाना चाहिए। किसी भी तरह की दवा के सेवन के समय अत्यधिक सावधानी बरतनी चाहिए और डॉक्टर के परामर्श के बिना कोई भी दवा नहीं लेनी चाहिए।
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