स्तनपान के लिए शतावरी – क्या इससे दूध की आपूर्ति बढ़ती है?

ब्रेस्टफीडिंग के लिए शतावरी

स्तनपान कराने वाली माँ को न्युट्रिशयस खाना खाने की आवश्यकता होती है ताकि उसका शरीर अपने शिशु को दूध पिलाने के लिए पर्याप्त दूध बना सके। ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली कुछ माएं हेल्दी खाने के बावजूद पर्याप्त मात्रा में दूध का उत्पादन करने में सक्षम नहीं हो पाती हैं। ऐसे मामलों में, एक गैलेक्टगॉग देने की सलाह दी जाती है। एक गैलेक्टगॉग नर्सिंग माओं में ब्रेस्टमिल्क के उत्पादन को बढ़ा सकता है। इस आर्टिकल में, हम शतावरी नामक हर्ब और इसके गैलेक्टागॉग गुणों के बारे में बताएंगे। अधिक जानने के लिए पढ़ें।

शतावरी क्या है?

शतावरी को वाइल्ड ऐस्पैरागस भी कहा जाता है। इसका वानस्पतिक नाम एस्पैरागस रसमोसस है, और यह हर्ब भारतीय उपमहाद्वीप में मूल रूप से पाई जाती है। भारत में, यह ज्यादातर हिमालय के भागों में मिलती है और अपने औषधीय गुणों के लिए प्रसिद्ध है। जड़ी-बूटियों का उपयोग आयुर्वेदिक डॉक्टरों द्वारा सेहत से जुड़ी कई समस्याओं को ठीक करने के लिए सदियों से किया जाता रहा है। इसमें हीलिंग और गैलेक्टागॉग गुण होते हैं जो इसे ब्रेस्टफीड कराने वाली माओं में दूध के उत्पादन को बढ़ाने के लिए एक रेकमेंडेड हर्ब बनाते हैं।

आइए एक नजर डालते हैं कि शतावरी स्तनपान कराने वाली माओं में लैक्टेशन बढ़ाने के लिए कैसे काम आती है।

शतावरी में मिलने वाले घटक

शतावरी में बायोफ्लेवोनॉइड्स होते हैं जो एंटीऑक्सिडेंट गुणों वाले प्लांट कंपाउंड होते हैं। यह शरीर में फ्री रेडिकल्स से लड़ सकती है जो उम्र बढ़ाने और कोशिका को नुकसान पहुँचाने का काम करते हैं। इस जड़ी-बूटी में हाइड्रोजेनेट्स भी होते हैं जो महिलाओं की प्रजनन प्रणाली के लिए फायदेमंद होते हैं। शतावरी में जिंक, मैंगनीज, सेलेनियम, पोटेशियम, कॉपर, कोबाल्ट, कैल्शियम, और मैग्नीशियम जैसे मिनरल्स होते हैं जो हमारे शरीर के लिए आवश्यक हैं। इस जड़ी बूटी में विटामिन ए और विटामिन बी, और आवश्यक फैटी एसिड भी होते हैं।

शतावरी ब्रेस्ट में दूध कैसे बढ़ाती है?

शतावरी एक प्रसिद्ध गैलेक्टागॉग है। यह कोर्टिकोइड और प्रोलैक्टिन के उत्पादन को बढ़ाता है, जो स्तनपान कराने वाली माँ के दूध की क्वालिटी और मात्रा में सुधार करता है। शतावरी स्टेरॉयड हार्मोन के रिलीज को भी प्रोत्साहित करती है जो दूध बनने में सुधार करता है और स्तनों का वजन भी बढ़ाता है। स्तनपान के लिए शतावरी इस प्रकार बहुत फायदेमंद है।

तो, क्या सेहत के लिए शतावरी का फायदा सिर्फ इतना ही है कि यह लैक्टेशन में सुधार करती है? वास्तव में ऐसा नहीं है, अधिक जानने के लिए पढ़ें।

ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली माओं के लिए शतावरी के अन्य फायदे

ब्रेस्टमिल्क उत्पादन के लिए शतावरी लेने की सलाह आयुर्वेदिक डॉक्टरों द्वारा दी जाती है। हालांकि, इसके कई अन्य स्वास्थ्य लाभ हैं, और इनमें से कुछ में शामिल हैं:

  • इसके एंटीऑक्सीडेंट गुण नर्सिंग मां के समग्र स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और उम्र बढ़ने और सेलुलर डैमेज से लड़ने में मदद करते हैं।
  • शतावरी इम्युनिटी में सुधार करती है और शरीर को इन्फेक्शन से लड़ने में मदद करती है।
  • शतावरी डाइजेस्टिव सिस्टम के लिए अच्छी होती है। यह डायरिया, पाचन तंत्र की सूजन और हार्टबर्न से राहत दे सकती है।
  • शतावरी में एंटीडिप्रेसेंट कंपाउंड भी होते हैं। इस प्रकार, यह पोस्टपार्टम डिप्रेशन से बचा सकती है जो अक्सर ब्रेस्टफीड कराने वाली माओं को प्रभावित करता है।

यदि आप यह सोच रही हैं कि आप शतावरी की कितनी मात्रा ले सकती हैं तो आपको नीचे आपको इसकी जानकारी मिल सकेगी।

शतावरी की रेकमेंडेड खुराक

हालांकि सेहत के लिए शतावरी के कई फायदे हैं, लेकिन बिना किसी विशेषज्ञ की सलाह के इसका सेवन नहीं करना चाहिए। डॉक्टर इसे आपकी डाइट में शामिल करने से पहले स्थिति का निदान करेंगे और उसके अनुसार इसे लेने की सलाह देंगे।

शतावरी का सेवन विभिन्न रूपों में किया जा सकता है। आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले शतावरी के दो मुख्य रूप कैप्सूल और पाउडर हैं।

1. कैप्सूल

आयुर्वेदिक डॉक्टरों द्वारा स्तनपान के लिए शतावरी कैप्सूल दी जाती है। कैप्सूल के लिए आमतौर पर निर्धारित खुराक एक दिन में 500 से 1000 मिलीग्राम शतावरी अर्क होता है। 

2. पाउडर

ब्रेस्ट मिल्क के लिए डॉक्टर अक्सर शतावरी कल्प के पाउडर के रूप की सलाह देते हैं। इसकी जो खुराक रोज ली जा सकती है वह है 3-6 ग्राम। इसे शहद डालकर गर्म दूध या पानी के साथ लिया जा सकता है।

पाउडर और कैप्सूल में बेहतर क्या है?

यह माना जाता है कि शतावरी हर्ब को चखने से इसकी एक्टिविटी बढ़ जाती है और यह शरीर में बेहतर तरीके से रिएक्ट होती है। इसलिए, जड़ी बूटी का पाउडर रूप पसंद किया जाता है। पाउडर रूप कैप्सूल से भी सस्ता भी होता है।

ऐसा कह सकते हैं कि कई महिलाओं को कैप्सूल का सेवन करना आसान लगता है, खासकर इसलिए क्योंकि उन्हें शतावरी का कड़वा स्वाद पसंद नहीं होता है। पाउडर के रूप में स्वाद कड़वा होता है, और कड़वाहट को कम करने के लिए आपको शहद मिलाने की आवश्यकता होती है।

नीचे कुछ और तरीके दिए गए हैं जिनसे आप शतावरी के पाउडर का सेवन कर सकती हैं।

क्या शतावरी के सेवन का कोई और तरीका है?

ये टिप्स आपको शतावरी का सेवन करने और सेहत के लिए इसके फायदे पाने में मदद करेंगे।

  • हर्बल पेस्ट या जैम: शतावरी पेस्ट या जैम के रूप में मिलती है, जिससे इसका स्वाद बेहतर होता है और इसे खाने में आसानी होती है।
  • घी: औषधीय घी बनाने के लिए शतावरी को मक्खन के साथ उबाला जा सकता है। स्तनपान कराने वाली माएं अपने दूध के उत्पादन को बढ़ाने के लिए यह घी खा सकती हैं।
  • चूर्ण: चूर्ण मिनरल्स और पाउडर की गई जड़ी बूटियों का एक आयुर्वेदिक मिश्रण होता है। शतवारी भी चूर्ण के रूप में मिलती है।

एक सवाल जो बार-बार आपके दिमाग में आ सकता है, वह यह है कि क्या एक इस हर्ब के साइड इफेक्ट्स होते हैं। तो इसका जवाब है हाँ, शतावरी के साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं।

क्या ब्रेस्टफीडिंग के दौरान शतावरी लेने के कोई साइड इफेक्ट्स होते हैं?

शोध में पाया गया है कि शतावरी ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली माओं और उनके बच्चों, दोनों के लिए पूरी तरह से सुरक्षित है। यह माँ या बच्चे पर कोई उल्टा प्रभाव नहीं डालती है। हालांकि, लंबे समय तक इसे इस्तेमाल करने के लिए अपने गायनेकोलॉजिस्ट से परामर्श करना बेहतर है।

हालांकि शतावरी लेने के संबंध में आपको सावधानी जरूर बरतनी चाहिए।

शतावरी का सेवन करने से पहले बरती जाने वाली सावधानियां 

शतावरी के सेवन से पहले ब्रेस्टफीड कराने वाली माओं को कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए, जो इस प्रकार हैं –

  • यदि आपको शतावरी से एलर्जी है, तो इसके सेवन से बचना बेहतर है। एलर्जी के लक्षणों में त्वचा पर रैशेज और सांस लेने की समस्या शामिल है।
  • शतावरी एक मूत्रवर्धक पदार्थ है और इसके कारण आपको बार-बार टॉयलेट जाना पड़ सकता है। यदि आप पहले से ही कोई मूत्रवर्धक ले रही हैं, तो आपको इस जड़ी बूटी से दूर रहना चाहिए।
  • यह हर्ब प्रकृति में भारी और तैलीय होती है। यह शरीर में कफ को बढ़ाती है। यदि आपको छाती में जकड़न आदि की समस्या रहती है, तो शतावरी लेने से बचें।
  • चूंकि इस जड़ी बूटी में प्लांट एस्ट्रोजेन होता है, यह उन महिलाओं को प्रभावित कर सकता है जिन्हें एस्ट्रोजेन सेंसिटिविटी है। यह वजन बढ़ाने और स्तनों में वृद्धि या दर्द का कारण बन सकता है।

शतावरी एक हर्बल सप्लीमेंट है जो महिलाओं के लिए अच्छी होती है, विशेष रूप से स्तनपान कराने वाली माओं के लिए। हालांकि, असरकारक परिणाम पाने के लिए इसे कुछ हफ्तों तक नियमित रूप से लेने की आवश्यकता होती है। हालांकि जड़ी बूटी स्वाभाविक रूप से उपलब्ध है, और सुलभ है, लेकिन इसका सेवन करने से पहले आपको अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।

स्रोत:

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