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6 महीने की उम्र तक बच्चे की वृद्धि और विकास के लिए पूरा न्यूट्रिशन माँ के दूध से ही मिलता है। यह न्यूट्रिशन बच्चे के लिए तब भी फायदेमंद होता है जन बच्चा सॉलिड फूड खाने लगता है। इसलिए एक बच्चे के संपूर्ण विकास के लिए ब्रेस्टमिल्क बहुत जरूरी है। हालांकि कभी-कभी आपको ब्रेस्टमिल्क के प्रवाह में बदलाव दिखता होगा और यह कई कारणों से होता है। यदि आप जानना चाहती हैं कि कौन सी चीजों से ब्रेस्टमिल्क की आपूर्ति में प्रभाव पड़ता है तो आप यह आर्टिकल पूरा पढ़ें।
ऐसी कई चीजें हैं जिनसे माँ के दूध की आपूर्ति में प्रभाव पड़ता है और आपके लिए उन सभी चीजों के बारे में जानना बहुत जरूरी है। यदि आप सोचती हैं कि कौन सी चीजें ब्रेस्टमिल्क की आपूर्ति को कम करती हैं, आइए जानें;
हेल्दी होने से शरीर के सभी अंगों का फंक्शन ठीक से होता है। हालांकि यदि आप अनहेल्दी हैं तो शरीर के फंक्शन में कई बदलाव भी आए होंगे। यही चीज ब्रेस्टमिल्क के साथ भी होती है जिसका अर्थ है कि यदि आप शारीरिक रूप से हेल्दी हैं तो इससे ब्रेस्टमिल्क की आपूर्ति में प्रभाव पड़ता है। शारीरिक स्वास्थ्य की वजह से भी ब्रेस्टमिल्क की आपूर्ति में प्रभाव पड़ता है, आइए जानें;
यदि आप दोबारा गर्भवती होती हैं तो इससे भी ब्रेस्टमिल्क की आपूर्ति कम होती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि शरीर गर्भवस्था व लेबर के लिए तैयारी करता है व शरीर में हॉर्मोनल बदलावों से ब्रेस्टमिल्क की आपूर्ति में असर पड़ता है। यदि बच्चा 24 सप्ताह या इससे छोटा है तो आप उसे फॉर्मूला मिल्क दे सकती हैं पर यदि बच्चा इससे बड़ा है तो आप उसे फॉर्मूला मिल्क के साथ सॉलिड फूड भी देना शुरू कर दें।
स्ट्रेस भी एक मुख्य कारण है जिससे ब्रेस्टमिल्क में असर पड़ता है। इसलिए यदि आपको शारीरिक, भावनात्मक या मानसिक स्ट्रेस है तो इससे ब्रेस्टमिल्क की आपूर्ति में प्रभाव पड़ता है। मानसिक स्ट्रेस कम करने के लिए आप अपने परिवार, दोस्त या डॉक्टर से बात करें। किसी भी प्रकार का शारीरिक स्ट्रेस को ठीक करना जरूरी है ताकि दूध की आपूर्ति बढ़ सके।
हाल ही माँ बनने की वजह से आपका स्वास्थ्य पूरी तरह से ठीक नहीं हुआ होगा और आपको बच्चे की भी चिंता होगी। हालांकि यदि आप अपनी समस्याओं को नजरअंदाज करती हैं तो इससे ब्रेस्टमिल्क के बहाव में कमी आ सकती है। यदि स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं की वजह से ब्रेस्टमिल्क की आपूर्ति में कमी आती है तो आपको इसके लिए डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
हमारे शरीर को बहुत ज्यादा आराम और नींद की जरूरत होती है व इन दोनों चीजों की कमी से शरीर का फंक्शन अच्छी तरह से नहीं होता है। बच्चे के जन्म के बाद से कुछ महीनों तक उसकी जरूरतें पूरी करना कठिन हो सकता है जिससे थकान होती है। डिलीवरी के बाद थकान होने से भी ब्रेस्टमिल्क की आपूर्ति में कमी आती है।
कुछ खाद्य पदार्थों से भी ब्रेस्टमिल्क में प्रभाव पड़ता है। यहाँ खाद्य पदार्थों और डायट से संबंधित कुछ फैक्टर्स बताए गए हैं, जिसे ब्रेस्टमिल्क की आपूर्ति में प्रभाव पड़ता है, आइए जानें;
यदि आप पर्याप्त पानी नहीं पीती हैं तो इससे दूध की आपूर्ति में प्रभाव पड़ता है। कम पानी पीने से सिर्फ दूध की आपूर्ति में ही प्रभाव नहीं पड़ता है बल्कि डिहाइड्रेशन भी होता है जिससे दूध पिलाने वाली महिलाओं को समस्याएं भी हो सकती हैं।
गर्भवती महिलाओं को न्यूट्रिशनल और बैलेंस्ड डायट का ही सेवन करना चाहिए और इन्हीं चीजों की आवश्यकता बच्चे के जन्म के बाद होती है। एक ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली माँ को प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फैट्स, विटामिन, मिनरल और फाइबर से भरपूर डायट की जरूरत होती है। इससे सिर्फ माँ के शरीर की ही देखभाल नहीं होती है बल्कि बच्चे को भी पूरा न्यूट्रिशन मिलता है। बैलेंस्ड डायट का सेवन करने और बहुत सारा पानी पीने से ब्रेस्टमिल्क की आपूर्ति बढ़ती है।
संयमित मात्रा में कोई भी चीज लेने से हानि नहीं होती है और यदि चीजों का उपयोग बहुत ज्यादा किया जाता है तो समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं। यही हर्ब्स और मसालों के लिए भी होता है। संयमित मात्रा में इन चीजों का उपयोग करना ठीक है पर यदि बहुत ज्यादा में इसका उपयोग किया जाए तो इससे ब्रेस्टमिल्क पर असर पड़ता है। कुछ हर्ब्स और मसाले है जिससे ब्रेस्टमिल्क की आपूर्ति पर असर पड़ता है, जैसे पार्सले, मिंट, ऑरेगैनो आदि। वहीं दूसरी तरफ अदरक, लहसुन का उपयोग करने से ब्रेस्टमिल्क की आपूर्ति बढ़ती है।
गर्भावस्था और ब्रेस्टफीडिंग के दौरान कई दवाइयां ली जा सकती हैं। हालांकि कुछ दवाइयां ऐसी भी हैं जो ब्रेस्टमिल्क के प्रवाह में उल्टा असर कर सकती हैं। इसलिए यह बहुत जरूरी है कि कोई भी प्रिस्क्राइब दवा लेने से पहले आपको डॉक्टर से बात करनी चाहिए। यहाँ कुछ दवाओं के बारे में बताया गया है जिससे ब्रेस्टमिल्क की आपूर्ति में प्रभाव पड़ सकता है, आइए जानें;
यदि आप गर्भनिरोधक गोलियां ले रही हैं तो इसे भी दूध की आपूर्ति कम हो जाती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि गर्भनिरोधक गोलियों में एस्ट्रोजन होता है, यह एक ऐसा हॉर्मोन है जिससे ब्रेस्टमिल्क की आपूर्ति कम हो जाती है। यदि गर्भनिरोधक गोलियों से दूध की आपूर्ति में प्रभाव पड़ता है तो आप डॉक्टर से चर्चा करें। वे आपको गर्भनिरोधक के अन्य विकल्पों का उपयोग करने की सलाह दे सकते हैं, जैसे कॉन्डम्स, डायफ्राम्स आदि। जिससे दूध की आपूर्ति में कोई भी प्रभाव नहीं पड़ेगा।
कुछ दवाओं की वजह से दूध की आपूर्ति कम हो सकती है। इसलिए यह बहुत जरूरी है कि कोई भी प्रिस्क्रिप्शन लेने से पहले आप इस बारे में डॉक्टर से चर्चा करें। इसके अलावा आप किसी भी समस्या को कम करने के लिए ओवर द काउंटर दवा भी न लें क्योंकि इससे भी दूध की आपूर्ति कम को सकती है।
कई बार लेबर और डिलीवरी की दवा लेने से दूध की आपूर्ति कम हो सकती है। हालांकि यह लेबर और डिलीवरी के दौरान दी जाने वाली कुछ प्रकार की पेनकिलर या एनेस्थीसिया की वजह से होता है और इन्हें एक या दो दिन के बाद से नहीं लेना चाहिए।
यद्यपि बच्चे को दूध पिलाने वाली माँ को अपनी लाइफस्टाइल को ठीक रखना चाहिए पर इसका मतलब यह नहीं है कि वह अपनी हर पसंदीदा चीज को पूरी तरह से छोड़ दे। हालांकि बच्चे को हानि पहुँचाने वाली आदतों में थोड़ा बहुत बदलाव लाया जा सकता है। लाइफस्टाइल की निम्नलिखित कुछ चीजों से ब्रेस्टमिल्क की आपूर्ति कम हो सकती है, आइए जानें;
अल्कोहल से सिर्फ दूध की आपूर्ति में ही प्रभाव नहीं पड़ता है बल्कि यह ब्रेस्टमिल्क में भी जा सकता है और इससे दूध का स्वाद बदल जाता है। यह आपके खून में भी मिल सकता है जिससे कॉम्प्लीकेशंस बढ़ सकती हैं। यद्यपि ब्रेस्टफीडिंग के दौरान अल्कोहल नहीं पीना चाहिए पर कभी-कभी थोड़ा बहुत अल्कोहल पीन से दूध की आपूर्ति में कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
दूध की आपूर्ति के लिए स्मोकिंग भी उतनी ही खतरनाक है। यदि आप स्मोकिंग करती हैं तो गर्भावस्था के दौरान व बच्चे को दूध पिलाते समय यह करना छोड़ दें। स्मोकिंग ऑक्सीटोसिन हॉर्मोन्स को प्रभावित करती है जो रिफ्लक्स होने का कारण है। यह बदलाव दूध की आपूर्ति को प्रभावित कर सकते हैं।
आप संयमित मात्रा में चाय, कॉफी, एरेटेड ड्रिंक या चॉकलेट ले सकती हैं पर इन चीजों को बहुत ज्यादा मात्रा में खाने से ब्रेस्टमिल्क का प्रवाह कम हो सकता है। इन सभी चीजों में कैफीन होता है और इसे बहुत ज्यादा खाने से डिहाइड्रेशन होता है जिसकी वजह से ब्रेस्टमिल्क की आपूर्ति कम हो जाती है। इसके अलावा यदि आप बहुत ज्यादा मात्रा में कैफीन लेती हैं तो यह आपके खून में भी जा सकता है। इससे बच्चे को इरिटेशन हो सकती है या यह बच्चे की नींद खराब सकता है जिससे बेचैनी होती है।
यदि आपको लगता है कि ब्रेस्टमिल्क की आपूर्ति ऊपर बताए गए किसी भी कारण से कम हो रही है तो आपको खुद में बदलाव करना बहुत जरूरी है। हालांकि यदि आप अपनी समस्याएं मैनेज नहीं कर पा रही हैं तो डॉक्टर से सलाह जरूर लें। यदि फिर भी बच्चे की जरूरतें पूरी नहीं हो पा रही हैं तो डॉक्टर बच्चे को फॉर्मूला मिल्क देने की सलाह दे सकते हैं या यदि बच्चा 6 महीने से बड़ा है तो बच्चे को सॉलिड फूड देने की सलाह भी दी जा सकती है।
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