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हम सभी जानते हैं कि पानी पीना हमारी हेल्थ के लिए बहुत जरूरी है, क्योंकि हमारे शरीर का लगभग 70% हिस्सा पानी है। लेकिन हममें से बहुत से लोग ब्रेस्टफीडिंग के दौरान पाने पीने से जुड़ी अहम बातों के बारे में नहीं जानते हैं। ब्रेस्टफीडिंग के दौरान पीने के पानी की आवश्यकता पहले से काफी बढ़ जाती है।
ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली माओं को स्तनपान कराने के दौरान प्यास लगना काफी कॉमन है। नर्सिंग मॉम्स को ब्रेस्टफीडिंग के दौरान एक्स्ट्रा फ्लुइड्स की जरूरत होती है ताकि उनके शरीर में हुई तरल पदार्थ की हानि को रिकवर किया जा सके और साथ ही आगे भी मिल्क प्रोडक्शन जारी रहे। इसलिए, ब्रेस्टफीडिंग के दौरान इस सरल सिद्धांत का पालन करने में ही समझदारी है कि – जैसे ही आपको प्यास लगे, तुरंत पानी पिएंI
बच्चों को ब्रेस्टमिल्क से पूरा पोषण मिलता है। इसका सीधा सा अर्थ है कि माँ के दूध में वे सभी जरूरी न्यूट्रिएंट होते हैं जो एक बच्चे की ग्रोथ और डेवलमेंट के लिए चाहिए होता है। ब्रेस्टमिल्क में लगभग 90% पानी होता है। इसलिए, जब आप ब्रेस्टफीडिंग कर रही होती हैं, तो आपके शरीर के फ्लूइड की ज्यादातर मात्रा दूध के जरिए से बच्चे में चली जाती है। इसलिए, नर्सिंग के दौरान आपकी पानी की आवश्यकता बढ़ जाती है, कम पानी पीने की वजह से कहीं आपको डिहाइड्रेशन न हो जाए, इसलिए आपका पानी पीना ज्यादा जरूरी हो जाता है। कुछ लोगों का कहना है कि बहुत ज्यादा पानी पीने से ब्रेस्ट मिल्क पतला हो सकता है, लेकिन ऐसा कुछ नहीं है। जब तक आप ओवरहाइड्रेट नहीं होती हैं – जब तक पानी ज्यादा मात्रा में पीने से यह मिल्क सप्लाई को बिलकुल भी प्रभावित नहीं करता है।
आपको अपने शरीर द्वारा दिए जाने वाले संकेतों के प्रति सावधान रहना चाहिए। हर इंसान के शरीर की जरूरत मौसम, उसके एक्टिविटी लेवल, उम्र के आधार पर अलग-अलग होती है। बस आपको जब भी प्यास महसूस हो तुरंत जाकर अपनी पानी की बोतल से पानी पिएं। बच्चे को दूध पिलाते समय एक गिलास पानी अपने पास रखें और हर बार जब आप बच्चे को फीडिंग करा लें तो एक गिलास पानी पिएं। औसतन, एक बच्चा दिन में लगभग 8 से 12 बार ब्रेस्टफीडिंग करता है। तो, इस तरह आप एक दिन में कम से कम 8 गिलास पानी का सेवन करेंगी। नर्सिंग के दौरान आपके द्वारा अनुभव किए गए वाटर लॉस को इस तरीके से पूरा किया जा सकता है।
आप अपने शरीर के वजन को 2 से डिवाइड करके अपने पानी की जरूरत को समझें। जैसे मान लें कि अगर आपका वजन 60 किलोग्राम है, तो आपको एक दिन में लगभग 1.8 से 2 लीटर तरल पदार्थ लेने की आवश्यकता होती है। आप अपने यूरिन कलर की जांच करके भी अंदाजा लगा सकती हैं कि आपको ब्रेस्टफीडिंग करते समय अपने पानी के सेवन को कितना बढ़ाना चाहिए। यूरिन कलर से पता चलता है कि आप अच्छी तरह हाइड्रेटेड हैं या नहीं। हल्के पीले रंग का पेशाब यह बताता है कि आप हाइड्रेटेड हैं। यदि पेशाब का रंग गहरा पीला है तो इसका मतलब है कि आपको डिहाइड्रेशन हो सकता है।
हाइड्रेशन और ओवरहाइड्रेशन के कांसेप्ट को समझना जरूरी है। शरीर में एक्स्ट्रा फ्लूइड शरीर में पानी के बैलेंस को बदल सकते हैं जो मिल्क प्रोडक्शन लेवल पर बुरा प्रभाव डाल सकते हैं। वॉटर बैलेंस का सीधा सा मतलब है कि जितना पानी आपके शरीर से निकल रहा है, आप उतनी ही मात्रा में प्राप्त करें। इस प्रकार, सही बैलेंस बनाए रखने के लिए आप कितनी मात्रा में तरल पदार्थों का सेवन कर रही हैं, इस बात पर नजर रखनी चाहिए।
शरीर अपने कुछ संकेतों से यह बता देता है कि आप ब्रेस्टफीडिंग करते समय पर्याप्त पानी नहीं पी रही हैं। यहाँ कुछ संकेत दिए गए हैं जो ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली माओं को ध्यान में रखने चाहिए, वे इस प्रकार हैं:
हम सभी जानते हैं कि पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ का सेवन कितना जरूरी है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आपको इसकी सटीक मात्रा भी बताई जाए कि आपको कितना पानी पीना चाहिए। यहाँ कुछ आपको कुछ टिप्स दिए गए हैं जो ब्रेस्टफीडिंग करते समय माँ को हाइड्रेटेड रहने के लिए पालन करने चाहिए:
ब्रेस्टफीडिंग कराने से माँ और बच्चे के बीच एक खूबसूरत रिश्ता बन जाता है जो दोनों के लिए अच्छा है। अपने बच्चे को नर्सिंग कराते समय पर्याप्त पानी का सेवन करना जरूरी है, ताकि आपको डिहाइड्रेशन न हो और बच्चे को ठीक से दूध मिल सके। ऐसा नहीं है कि आप एकदम से अधिक मात्रा में पानी पीना शुरू कर दें, हर दिन धीरे-धीरे इस प्रक्रिया को आगे बढाएं और पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन करें।
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