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ये कहानी एक ऐसे राजा की है, जिसकी बुद्धिमानी के चर्चे उसके राज्य के अलावा बाकी अन्य राज्यों में भी थे। राजा की प्रजा उन्हें बेहद होशियार मानती थी। राजा की बुद्धिमत्ता की वजह से पड़ोसी राज्यों के राजा, रानियां, राजकुमारी आदि सब उनसे जलते थे और उनकी होशियारी को परखने के लिए अलग-अलग तरीके से उनकी परीक्षाएं लेते थे। लेकिन राजा हर परीक्षा में सफल रहते, कैसे? ये जाने के लिए इस मजेदार कहानी को आगे तक पढ़ें और अपने बच्चों को भी सुनाएं।
बहुत पहले की बात है, एक नगर हुआ करता था जहां के राजा बहुत बुद्धिमान थे। उनकी बुद्धि और चतुरता के चर्चे हर जगह फैले हुए थे। राजा हर किसी को सोच समझकर ही कुछ बोलते थे और कभी भी आरोपी की बातों को सुने बिना कोई फैसला नहीं सुनाते थे। राजा की बुद्धिमानी के चर्चे हर जगह मशहूर थे, आसपास के राज्य के राजा, रानियां व राजकुमारी आदि उनसे ईर्ष्या करते थे।
इसी जलन की वजह से कई राज्यों के राजा, रानियों और राजकुमारियों ने राजा की बुद्धिमानी की परीक्षाएं लेने के लिए अलग-अलग तरकीब निकालते थे। लेकिन हर बार राजा दूसरे शासकों द्वारा ली गई परीक्षा में सफल होते थे और खुद को चतुर और बुद्धिमान साबित कर देते थे।
एक दिन राजा की बुद्धिमत्ता परखने के लिए एक राजकुमारी आई। उसके हाथ में दो फूलों की माला थी। उन दोनों मालाओं में एक असली थी और दूसरी नकली। उन दोनों माला को देखकर कोई नहीं बता सकता था कि असली कौन है और नकली कौन। राजकुमारी ने दोनों मालाओं को राजा के सामने रखा और कहा, ‘हे राजा! अगर आप इतने बुद्धिमान हैं, तो ये बताएं इनमे से असली फूलों की माला कौन सी है।’
राजदरबार में बैठे सभी लोग हैरान हो गए, क्योंकि उन्हें भी असली और नकली फूलों की माला पहचान में नहीं आ रही थी। सभी ये सोचने लगे कि आखिर राजा कैसे असली माला पहचानेगें।
राजा को भी दोनों माला देखकर हैरानी हुई। लेकिन उसके दिमाग में एक तरकीब सूजी। उन्होंने तुरंत अपने सेवक से बोला, ‘बगीचे की खिड़कियां खोल दो।’ सेवक ने जैसे ही खिड़कियां खोली, तो बाहर फूलों पर बैठी मधुमक्खियां उड़कर अंदर आने लगी। राजा कुछ देर मधुक्खियों को देखते रहें फिर जैसे ही एक मधुमक्खी फूल की माला पर बैठी, वैसे ही राजा ने असली फूल की माला को पहचान लिया और बोला अब मैं बता सकता हूं कि असली माला कौन सी है।
राजा ने उसी समय असली फूलों की माला की तरफ इशारा किया, जिसपर मक्खी बैठी थी। राजा की इस बुद्धिमत्ता को देखकर दरबार में मौजूद सभी लोग उनकी प्रशंसा करने लगे और कहने लगे कि हर राज्य में आप जैसा बुद्धिमान राजा जरूर होना चाहिए। राजकुमारी भी राजा की इस होशियारी को देखकर बहुत प्रसन्न हुई और राजा की तारीफ में दरबार में कुछ शब्द बोलें और फिर अपने राज्य के लिए चल पड़ी।
बुद्धिमान राजा की कहानी से हमें ये सीख मिलती है कि यदि आप हर सवाल या किसी मुसीबत के वक्त अपनी बुद्धि का प्रयोग करें तो आप हर सवाल का जवाब भी ढूंढ सकते हैं और साथ में मुश्किल से मुश्किल मुसीबत हल भी कर सकते हैं।
यह कहानी नैतिक कहानियों के अंतर्गत आती है जिसमें हमें एक अच्छी शिक्षा मिलती है कि सोच समझकर हर बात का हल निकाला जा सकता है।
बुद्धिमान राजा की कहानी की नैतिकता ये है कि आप इतने बुद्धिमान और होशियार बनो की सिर्फ आपके अपने नहीं बल्कि आसपास के लोग भी उसकी चर्चा करें। जैसे राजा की चर्चा उनके राज्य के अलावा अन्य राज्यों में भी हो रही थी।
मुसीबत में हमें हमेशा अपनी बुद्धि का सही उपयोग करना चाहिए। क्योंकि इससे आपको अपनी समस्या को हल करने का निवारण मिल सकता है। साथ ही जल्दबाजी में आप किसी गलत फैसले पर नहीं पहुंचेंगे।
इस कहानी में हमें ये बताया गया है कि कैसे व्यक्ति को मुसीबत या किसी परीक्षा के समय अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करना चाहिए। ऐसा करने से मुसीबत हल नहीं होगी लेकिन उसे हल करने का तरीका जरूर मिल जाएगा। इसलिए हर व्यक्ति को सही समय में अपनी बुद्धिमानी और होशियारी जरूर इस्तेमाल करनी चाहिए।
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