बुखार या सर्दी-जुकाम होने पर बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराना

बुखार या सर्दी-जुकाम होने पर बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराना

कई माँओं को यह सवाल होता है या फिर उन्हें चिंता होती है कि क्या सर्दी बुखार या बीमारी के दौरान बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराना चाहिए या नहीं? आप और आपके बच्चे की हेल्थ से जुड़ा यह सवाल मन में उठना सही भी है। इस आर्टिकल के जरिए आपको अपने सवालों का जवाब मिल सकता है और ऐसे हालात में आपको क्या करना चाहिए यह भी गाइड किया गया है। जिसमें आपको बताया गया है कि कैसे आप सावधानी बरतते हुए बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग करा सकती हैं ताकि उसे आपसे इन्फेक्शन होने का खतरा कम रहे। 

क्या सर्दी या बुखार में ब्रेस्टफीडिंग कराना सुरक्षित है? 

आमतौर पर, हाँ – सर्दी-जुकाम, बुखार, गले में दर्द, खांसी आदि मामले में आपका बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराना सुरक्षित है। नर्सिंग के दौरान यह कॉमन डिजीज बच्चे में ट्रांसफर नही होती हैं। ऐसा संभव है कि बच्चे के आपके बहुत ज्यादा करीब आने से आपकी बीमारी और बढ़ सकती है। इस तरह के केस में सावधानी बरतना ही बेहतर है, हालांकि आपके शरीर में भी कुछ ऐसे एंटीबॉडी मौजूद होते हैं जो आपके बच्चे को इन्फेक्टेड होने से बचाते हैं।

अगर आपको सर्दी या बुखार है तब भी आपको ब्रेस्टफीडिंग क्यों करानी चाहिए? 

अधिकांश मामलों में, जब आपको सर्दी, बुखार या कोई अन्य इन्फेक्शन होता है, तो ऐसे में आप अपने बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग करा सकती हैं। 

यहाँ आपको कुछ कारण बताए गए हैं कि आप बीमारी के दौरान भी अपने बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराना कैसे जारी रख सकती हैं:

1. जल्द वीनिंग को रोकना

यदि आप बीमारी के कारण बच्चे को दूध पिलाना बंद कर देती हैं, तो आगे हो सकता है कि बच्चा दूध पीने से इनकार कर दे। इसके अलावा ये बच्चे की हेल्थ के लिए और उसकी इम्युनिटी को बनाए रखने के लिए जरूरी होता है। बच्चे को दूध छुड़वा देने से उसकी सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है, खासतौर पर पहले साल के दौरान। 

2. इम्युनिटी बेहतर करता है

ब्रेस्टमिल्क में एंटीबॉडी गुण होते हैं, जो बच्चे की इम्युनिटी को मजबूत करते हैं और कॉमन इन्फेक्शन से बचाते हैं।एंटीबॉडीज के कारण बच्चे को माँ से इन्फेक्शन के ट्रांसमिट होने का खतरा कम हो जाता है। 

3. मास्टाइटिस का रिस्क कम होता है

मास्टिटिस तब होता है, जब बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कम कराया जाता है, जिसकी वजह से ब्रेस्ट में दूध जमा हो जाता है और इससे सूजन व इन्फेक्शन हो जाता है। बीमारी के दौरान भी ब्रेस्टफीडिंग जारी रखने से इसका खतरा कम रहता है और आपके बच्चे के लिए दूध की सप्लाई भी पर्याप्त रहती है।

4. आराम देता है

ब्रेस्टफीडिंग माँ और बच्चे दोनों के लिए ही फायदेमंद है, ब्रेस्टफीडिंग से ऑक्सीटोसिन निकलता है, जिससे माँ को अच्छा महसूस होता और यह उनके स्ट्रेस को भी कम कर देता है। ब्रेस्टफीडिंग से डिप्रेशन भी कम होता है और यह बीमारी के दौरान फिजिकल और इमोशनल हेल्थ के लिए भी अच्छा है।

5. हाइड्रेट रखता है

ब्रेस्टफीडिंग आपके बच्चे को हाइड्रेटेड रखने के लिए बहुत जरूरी है और अगर वो थोड़ा बहुत बीमार हो जाते हैं तो उस दौरान हाइड्रेशन की जरूरत होती है। जब बीमार माँ ज्यादा से ज्यादा खुद को हाइड्रेटेड रखती है तो अपने बच्चे को भी हाइड्रेटेड रख पाती है। 

6. ब्रेस्टमिल्क सप्लाई को बनाए रखता है

बीमारी के दौरान ब्रेस्टफीडिंग न कराने से दूध की सप्लाई कम हो जाती है। यह आपके बच्चे के लिए चैलेंजिंग हो सकता है, क्योंकि आपके ठीक होते-होते दूध की सप्लाई कम हो सकती है, जिसकी वजह से आपको उसे फॉर्मूला दूध देना पड़ सकता है। 

7. डायजेस्टिव न्यूट्रिएंट

ब्रेस्टफीडिंग से न्यूट्रिएंट आराम से डायजेस्ट हो जाते हैं जो दूध और खाने में मौजूद होते हैं। ब्रेस्टफीडिंग से ये न्यूट्रिएंट आसानी से अब्सॉर्ब हो जाते हैं। 

बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराने से कब बचें? 

वैसे आपको बीमार होने के बावजूद भी ब्रेस्टफीडिंग जारी रखना चाहिए। ऐसी कुछ कंडीशन हैं जिसमें डॉक्टर आपको ब्रेस्टफीडिंग के लिए मना करते हैं। जिनमें एचआईवी, सेप्टिसीमिया और एचएलटीवी – 1 जैसी बीमारियां शामिल हैं। ये सभी ऐसी बीमारियां हैं जो सीधे बच्चे को उसकी माँ से ब्रेस्टमिल्क के जरिए ट्रांसफर हो जाता है। 

यहाँ तक कि फूड पॉइजनिंग के मामले में, ब्रेस्टफीडिंग जारी रखना जरूरी है। जब तक गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट (जैसे उल्टी या दस्त) के लक्षण दिखाई दे रहे हैं, तब तक इन्फेक्शन के फैलने का खतरा नहीं होता है। यदि फूड पॉइजनिंग सेप्टीसीमिया की ओर बढ़ती है, तो बैक्टीरिया ब्लडफ्लो में पारित हो जाता है, तो ऐसे में ब्रेस्टफीडिंग से बचना चाहिए। हालांकि यह बहुत दुर्लभ स्थिति में होता है। फूड पॉइजनिंग को लेकर आप अपने डॉक्टर से बात करें। 

क्या ब्रेस्टफीडिंग के दौरान दवा लेना सुरक्षित है? 

कभी-कभी स्तनपान करते समय दवाएं लेना सुरक्षित होता है – जैसे कि पेरासिटामोल और आइबुप्रोफेन – हालांकि इसे लेने से पहले भी अपने डॉक्टर से बात करें। आप ओवर-द-काउंटर दवाएं लेने से बचें और एंटीबायोटिक्स लेते समय सावधानी बरतें। अगर आपको एंटीबायोटिक दी जा रही है तो अपने डॉक्टर से इसके लिए स्पेसिफिक गाइडेंस प्राप्त करें। 

ज्यादातर बीमारी बिना दवा लिए ठीक हो जाती है, तो जितना ज्यादा हो सके दवा लेने से परहेज करें। लेकिन अगर मेडिसिन ले रही हैं तो ध्यान रखें कि वो आपके लिए सेफ हो और यह भी चेक करें कि यह दवा लंबे समय के लिए असरदार है या कुछ समय के लिए ही काम करती है। जो माएं ब्रेस्टफीडिंग कराती हैं, उन्हें शार्ट एक्टिंग दवा लेना चाहिए। ये ज्यादा इफेक्टिव होती हैं और इसके साइड इफेक्ट्स भी कम होते हैं।

क्या आपके बच्चे पर दवाओं के कोई साइड इफेक्ट्स भी होते हैं? 

बच्चों पर कुछ दवाओं का साइड इफेक्ट होता है। दोनों ही तरह से, चाहे उन्हें डायरेक्टली दिया जाए या माँ के दूध के जरिए उनके शरीर में ट्रांसफर हो। ये साइड इफेक्ट्स निर्भर करते हैं दवाओं पर, और इस बात पर कि कैसे आपका बच्चा उस दवा की खुराक ले रहा है। आपको कोई भी दवा लेने से पहले अपने डॉक्टर से पूछना चाहिए, जो आपको लगता है कि बच्चे को नुकसान पहुँचा सकती है।

क्या आपको अपने डॉक्टर को बताना चाहिए कि आप बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग करा रही हैं? 

हाँ, अगर आप बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग करा रही हैं तो अपने डॉक्टर को यह बात बताएं। हालांकि बीमारी के दौरान बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराना सेफ है, कुछ दवाएं जो डॉक्टर द्वारा लिखी जाती हैं वो ब्रेस्टमिल्क के जरिए बच्चे को नुकसान पहुँचा सकती है, इसलिए डॉक्टर को ब्रेस्टफीडिंग के बारे में जरूर बताएं, खासकर जब बात बीमारी के ट्रीटमेंट के लिए हो।

सर्दी-बुखार के लिए दूध पिलाने वाली माँओं के लिए आसान घरेलू उपचार 

सर्दी या बुखार के साथ ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली माँओं के लिए यहाँ कुछ आसान घरेलू उपचार बताए गए हैं:

  • नमक के पानी से या सेब के सिरके से गरारा करने से खांसी और गले के दर्द से राहत मिलती है।
  • जिंक ग्लूकोनेट लोज़ेंग का उपयोग करें, हालांकि बहुत ज्यादा मात्रा में न करें, क्योंकि ये शरीर में अन्य मिनरल के अब्सॉर्प्शन में रुकावट पैदा कर सकते हैं।
  • इस बात का ध्यान रखें कि आपको भरपूर आराम मिलता है। 
  • देर से असर करने वाली दवाओं के बजाय जल्द असर करने वाली दवाओं का उपयोग करें। 
  • नाक में जमाव होने पर नाक के लिए स्प्रे इस्तेमाल करें।
  • कच्चा, पकाया हुआ या सप्लीमेंट के तौर पर लहसुन का सेवन करें।
  • इसीनेशिया, जैसी चाय अक्सर ब्रेस्टफीड कराने वाली माँओं के लिए एक प्रभावी सप्लीमेंट होती है, क्योंकि यह नर्सिंग के दौरान सुरक्षित मानी जाती है। काली चाय या गुनगुना नींबू पानी भी काफी फायदेमंद होता है और इसका कोई साइड-इफेक्ट भी नहीं होता है। 
  • गले में दर्द और खांसी के लक्षणों को दूर करने में मदद करने के लिए एल्म की छाल का सेवन किया जा सकता है।
  • मेथी की चाय पीने से कुछ राहत मिलती है। सीने में जमाव और खांसी के लक्षण से आराम मिलता है। 
  • हॉट बाथ लें और जितना संभव हो सके उतना साफ रहने का प्रयास करें। 
  • अपने भोजन पर कैनेई मिर्च का छिड़काव करें, या अपने पानी या पेय में थोड़ी मात्रा (एक चम्मच से कम) डालकर इसका सेवन करें। 
  • युकेलिप्टस या पेपरमिंट जैसे एसेंशियल ऑयल लें और इसे कॉटन बॉल की मदद से नाक वाले हिस्से के पास लगाएं। इससे गहरी सांस लेने में मदद मिलती है। 
  • एक्स्ट्रा विटामिन सी – चाहे खाद्य पदार्थ, सप्लीमेंट या जूस के जरिए यह आप तक पहुँचे, यह नर्सिंग कराने वाले शरीर के लिए बहुत अच्छा है। 
  • ध्यान रखें कि हाइड्रेटेड रहने के लिए बहुत सारा पानी पिएं।

सावधानी बरते जाने के लिए कुछ टिप्स

यहाँ आपको सावधानी बरतने के लिए कुछ टिप्स दिए गए हैं, जो बच्चे को माँ के जरिए बीमारी पारित करने से बचा सकते हैं, तो आइए जानते हैं:

  • अपने बच्चे का पेसीफायर या चम्मच उसे देने से पहले अपने मुँह में न डालें, इससे जर्म्स बच्चे में ट्रांसमिट हो सकते हैं।
  • बच्चे को अपने आमने-सामने संपर्क में न आने दें, क्योंकि इससे ही इन्फेक्शन सबसे तेज फैलता है। जब बच्चा करीब हो तो खांसने या छींकने से बचें।
  • हमेशा अपनी नाक को ढकें या खांसते या छींकते समय एक टिश्यू का उपयोग करें, चाहे आप कहीं भी हों। ये जर्म्स बच्चों में आसानी से फैल जाते हैं।
  • हाइड्रेटेड रहने और ब्रेस्टमिल्क की अच्छी सप्लाई बनाए रखने के लिए बीमार होने पर पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ पीना सुनिश्चित करें। यह आपके बच्चे को आपके दूध के माध्यम से हाइड्रेटेड रखने में भी मदद करेगा।
  • बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराने से पहले जितनी बार हो सके अपने हाथों को अच्छे से धोएं, सैनिटाइजर भी अच्छा ऑप्शन है।
  • जितना संभव हो सके अपने बच्चे से एक सुरक्षित दूरी बनाए रखने की कोशिश करें। यदि आप ऐसा करती हैं, तो ऐसे कपड़ों की प्रोटेक्टिव लेयर रखें कि ज्यादा स्किन टच न रहे और अपने हाथ धोएं।
  • यदि संभव हो तो आप ब्रेस्ट पंप का भी उपयोग कर सकती हैं। यह जर्म्स फैलने से रोकता है।
  • जहाँ रात में आप और आपका बच्चा कमरे में सो रहा हो वहाँ एक ह्यूमिडिफायर रखें। इससे जर्म्स्स फैलने का जोखिम कम हो जाता है।
  • जब आप अपने बच्चे के पास हों, जैसे कि ब्रेस्टफीडिंग के दौरान तो एयर मास्क पहनें। यह जर्म्स्स फैलने की संभावना को कम करता है।

ऐसा लगता है कि बुखार, सर्दी से संबंधित बीमारियों के दौरान ब्रेस्टफीडिंग कराना एक चिंता का विषय हो सकता है, जबकि ऐसा नही है। खतरा तब होता जब आप और आपके बच्चों के करीब आने से बैक्टीरिया ट्रांसमिट होने का खतरा होता है। आपके बीमार होने पर भी ब्रेस्टफीडिंग जारी रखने के कई कारण हैं, क्योंकि लगातार ब्रेस्टफीडिंग की कमी माँ और बच्चे दोनों के लिए खराब हो सकती है, खासकर बच्चे के पहले वर्ष के दौरान। बीमार होने पर आपको कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आपका बच्चा आपके जरिए बीमार न हो। आप इस लेख में बताए गए घरेलू उपचारों का भी उपयोग करें। लेकिन यह साफ है कि कॉमन डिजीज के दौरान ब्रेस्टफीडिंग से कोई खतरा नहीं होता है। अगर फिर भी आपको चिंता हो रही है तो आपको अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। 

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