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सी-सेक्शन डिलीवरी के बाद हो सकता है कि महिला के पैरों में अक्सर दर्द होता हो और यह कभी-कभी असहनीय हो सकता है। उन्हें रोजमर्रा के काम करने में भी तकलीफ हो सकती है। यदि हाल ही में आपकी डिलीवरी सी-सेक्शन के द्वारा हुई है और आपको भी पैर-दर्द हो रहा है, तो आपको इसके कारणों को जानना चाहिए। पता करें कि सिजेरियन के बाद पैर-दर्द क्यों होता है और इसके लिए आपको क्या करना चाहिए।
नॉर्मल डिलीवरी यानी योनि द्वारा बच्चे को जन्म देने का तरीका सबसे अच्छा माना जाता है। हालांकि, कभी-कभी, कुछ हेल्थ कॉम्प्लीकेशन्स की वजह से या व्यक्तिगत पसंद के कारण, कुछ महिलाओं की सिजेरियन डिलीवरी (सी-सेक्शन) हो सकती है। इस प्रकार सी-सेक्शन से डिलीवरी कराने के कुछ साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं, जैसे कि पैर या घुटनों में दर्द। सी-सेक्शन में पैर-दर्द होने की संभावित स्थितियां नीचे बताई गई हैं:
एपिड्यूरल देने की स्थिति के कारण सी-सेक्शन के बाद नर्व इंजुरी हो सकती है। यदि सी-सेक्शन करने से पहले महिला की वजाइनल डिलीवरी करवाने की कोशिश की जाती है, तो लिथोटॉमी पोजिशन से नर्व को चोट पहुँच सकती है। हालांकि, अधिकांश महिलाएं कुछ ही दिनों में इस साइड इफेक्ट से उबर सकती हैं।
कभी-कभी सीजेरियन डिलीवरी पहले से तय नहीं होती है, और डॉक्टर कॉम्प्लीकेशन्स का अनुमान लगने पर इसका सुझाव दे सकते हैं। ऐसी परिस्थितियों में, आपने पहले से ही कुछ समय के लिए अलग-अलग लेबर पोजिशन्स जैसे कि स्क्वाटिंग, क्राउचिंग, घुटने मोड़ना या अपने घुटनों को पकड़ने की कोशिश की होगी। लंबे समय तक इन लेबर पोजिशन्स में रहने से मांसपेशियों में थकान हो सकती है। सी-सेक्शन के बाद पैर-दर्द का एक अन्य कारण सी-सेक्शन के दौरान दिए जाने वाले इंट्रावेनस फ्लूड का संचय हो सकता है। आपके पैरों में तरल पदार्थों के जमा होने का सबसे स्पष्ट लक्षण यह है कि वे भारी और सूजे हुए दिखाई देते हैं। यह भारीपन पैरों में दर्द का कारण बनता है। आमतौर पर ये तरल पदार्थ कुछ दिनों के बाद कम हो जाते हैं। हालांकि, यदि यह सूजन और दर्द कम नहीं होता है, तो आपको डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
कम्पार्टमेंट सिंड्रोम सी-सेक्शन के बाद अत्यधिक दर्द और परेशानी का कारण हो सकता है। इससे आपके पैरों में सूजन हो सकती है, जिससे मांसपेशियों में खून पहुँचने में बाधा आ सकती है, और पैरों में नंबनेस यानी सुन्न होना, कड़कपन और दर्द हो सकता है। यदि डिलीवरी के दौरान आपका बहुत अधिक खून बहने के कारण या यदि आप लो ब्लडप्रेशर से पीड़ित हों, और डॉक्टर ने लेबर तेज करने के लिए किसी दवा का उपयोग किया हो तो आपको कम्पार्टमेंट सिंड्रोम होने की संभावना ज्यादा हो सकती है। यदि समस्या गंभीर हो जाती है, तो पैरों से कुछ प्रेशर कम करने के लिए सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है ताकि सामान्य ब्लड फ्लो को बनाए रखा जा सके।
डीवीटी या डीप वेन थ्रॉम्बोसिस एक ऐसी समस्या है जो आपके शरीर की गहरी नसों में होती है। इस समस्या का खतरा तब तक रहता है जब तक कि आप अपनी पोस्टपार्टम अवधि, जो कि डिलीवरी के बाद 6 से 8 सप्ताह तक होती है, उससे उबर नहीं जातीं। डीप वेन थ्रॉम्बोसिस में पैरों में एक क्लॉट (खून का थक्का) हो जाता है, जिससे तेज दर्द, सूजन, रेडनेस आदि हो सकती है। यह दर्द पैर की पिंडलियों से घुटने, जांघ और यहाँ तक कि रीढ़ की हड्डी तक जा सकता है। कभी-कभी हल्का बुखार भी आ सकता है। हालांकि ऐसा बेहद कम महिलाओं में होता है, लेकिन यह समस्या जीवन के लिए घातक हो सकती है। सबसे आम कॉम्प्लीकेशन्स में से एक पल्मोनरी एम्बोलिज्म है, जो तब हो सकती है जब ब्लड क्लॉट फेफड़ों में गंभीर बाधा और घातक कॉम्प्लीकेशन्स का कारण बनता है।
यदि सी-सेक्शन के बाद आपको पैर-दर्द होता है, तो आप इसके उपाय के लिए नीचे बताए गए टिप्स पर ध्यान दे सकती हैं।
जहाँ पैर-दर्द के कुछ मामलों से चिंता करने या टेंशन करने की आवश्यकता नहीं है, वहीं कुछ ऐसी स्थितियाँ हो सकती हैं जो जीवन के लिए खतरा पैदा कर सकती हैं। इसलिए, जैसे ही आप सी-सेक्शन के बाद किसी भी पैर में दर्द या ऐंठन का अनुभव करती हैं, तो आपको नीचे दी गई बातों पर अमल करना चाहिए:
यह जरूरी नहीं है कि सभी महिलाओं को सी-सेक्शन डिलीवरी के बाद पैर-दर्द का अनुभव हो। फिर भी, यदि आप किसी भी पैर में दर्द का अनुभव करती हैं, तो आपको तुरंत ध्यान देना चाहिए और जल्द से जल्द अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए।
स्रोत और संदर्भ:
स्रोत १
स्रोत २
स्रोत ३
स्रोत ४
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