सिजेरियन डिलीवरी के बाद ब्लीडिंग: कारण, लक्षण और उपाय

सिजेरियन डिलीवरी के बाद ब्लीडिंग

डिलीवरी के दौरान और बाद में खून का बहना टाला नहीं जा सकता, और सी-सेक्शन के दौरान तो बिल्कुल भी नहीं। यद्यपि ब्लीडिंग होना नार्मल है लेकिन यह जानना जरूरी है कि यह ब्लीडिंग कितनी होनी चाहिए, कितने दिनों तक होनी चाहिए और कब इसके लिए डॉक्टर से मिलना चाहिए। 

सी-सेक्शन के बाद ब्लीडिंग: क्या यह नार्मल है?

नार्मल डिलीवरी की तरह ही सिजेरियन डिलीवरी के बाद भी थोड़ी ब्लीडिंग होना सामान्य बात है। सी-सेक्शन के बाद होने वाले रक्तस्राव के बारे में आपको नीचे दी गई बातें जानने की आवश्यकता है:

  • सी-सेक्शन होने के बाद पहले कुछ दिनों तक आपको ब्लड क्लॉट्स (खून के थक्के) के साथ भारी ब्लीडिंग होगी। यह रक्तस्राव आपके पीरियड्स से ज्यादा भारी हो सकता है।
  • यह एक तरह का योनि से होने वाला चटक लाल रंग का डिस्चार्ज होता है जिसे लोशिया कहा जाता है।
  • ब्लीडिंग के साथ कुछ क्लॉटिंग भी हो सकती है, जो इस समय के दौरान सामान्य है। 
  • यह डिस्चार्ज 6 हफ्तों तक हो सकता है। इसके बाद यह अधिक पतला हो जाएगा और इसका रंग गुलाबी-हल्का भूरा से पीला-सफेद हो जाएगा। 
  • यह ब्लीडिंग इसलिए होती है क्योंकि शरीर को गर्भाशय में बचे हुए टिश्यूज को बाहर निकालने की आवश्यकता होती है। डिलीवरी का तरीका क्या है, इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता। 

यदि पहले कुछ हफ्तों के बाद ब्लीडिंग कम नहीं होती है, तो आपको डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।

सीजेरियन डिलीवरी के बाद ब्लीडिंग के कारण क्या होते हैं?

1. ब्लड वेसेल्स का टूटना 

सी-सेक्शन के दौरान, लैकरेशन किए जाते हैं, जो रक्तस्राव का कारण बनते हैं। कुछ मामलों में, शिशु को बाहर निकलने के लिए शुरूआती चीरा पर्याप्त नहीं होता है और इसके कारण बच्चे को बाहर निकाले जाने के दौरान आस-पास के टिश्यूज और रक्त वाहिकाएं यानि ब्लड वेसेल्स टूट जाती हैं। कभी-कभी, रक्तस्राव इसलिए होता है क्योंकि प्रक्रिया के दौरान गर्भाशय के आसपास कुछ आर्टरीज (धमनियां) और वेन्स (नसें) को गलती से काट दिया जाता है।

2. गर्भाशय का न सिकुड़ना

गर्भाशय का न सिकुड़ना सी-सेक्शन के बाद ब्लीडिंग का एक और कारण है। यह तब होता है जब बच्चे के जन्म के बाद प्लेसेंटा बाहर निकल जाने के बाद महिला का गर्भाशय सिकुड़ता नहीं है। दरअसल जब योनि मार्ग से प्लेसेंटा को बाहर निकाल दिया जाता है तो गर्भाशय के संकुचन द्वारा ब्लड वेसेल्स बंद हो जाती हैं, जिससे प्लेसेंटा के आसपास के हिस्से में रक्तस्राव रुकता है। जब प्रसव के बाद गर्भाशय सिकुड़ता नहीं है, तो यह खुला रहता है, जिसके परिणामस्वरूप भारी ब्लीडिंग होती है।

3. प्लेसेंटा के अंश

जब प्लेसेंटा के अंश गर्भाशय के अंदर रह जाते हैं तो कुछ महिलाओं को भारी ब्लीडिंग का अनुभव होता है। यह उन महिलाओं में आम है जिनके एक से अधिक सी-सेक्शन हुए हों।

4. प्लेसेंटा का अलग न होना

यह रक्तस्राव का एक सामान्य कारण है। इस मामले में, ब्लीडिंग इसलिए होती है क्योंकि प्लेसेंटा गर्भाशय से गहराई से जुड़ा होने के कारण स्वाभाविक रूप से अलग नहीं होता । जिन महिलाओं को प्लेसेंटा एक्सरेटा होता है, उन्हें भारी रक्तस्त्राव का खतरा होता है क्योंकि डॉक्टर को प्लेसेंटा को हाथ से निकालना पड़ता है।

सिजेरियन के बाद ब्लीडिंग कितने दिनों तक होती है?

सिजेरियन डिलीवरी के बाद, रक्तस्राव लगभग 6 सप्ताह तक जारी रहता है। सी-सेक्शन के बाद ब्लीडिंग होने के कई कारण हो सकते हैं। यहाँ तक कि अगर इसके साथ क्लॉटिंग भी होती है, तो भी ब्लीडिंग चिंता का कारण नहीं है। हालांकि, यह याद रखना चाहिए कि सी-सेक्शन के दौरान महिला को बहुत ज्यादा खून खोना पड़ सकता है, और प्रक्रिया के बाद भारी रक्तस्राव जीवन के लिए घातक हो सकता है। इसलिए, इंटर्नल ब्लीडिंग यानि अंदरूनी रक्तस्राव के संकेतों पर निगरानी रखना महत्वपूर्ण है।

अंदरूनी ब्लीडिंग के आम लक्षण

  • तेज हार्टबीट और सांस लेने में तकलीफ

दिल की धड़कन का तेज होना और सांसें फूलना आंतरिक रक्तस्राव का संकेत हैं।

  • ढीला गर्भाशय

सी-सेक्शन के बाद, यदि गर्भाशय अपना आकर खो देता है और ढीला या पिलपिला हो जाता है, तो आंतरिक रक्तस्राव हो सकता है।

  • कमजोरी और गंभीर एंग्जायटी

अंदरूनी ब्लीडिंग का अनुभव करने वाली बहुत सी महिलाएं कमजोरी और गंभीर एंग्जायटी की शिकायत कर सकती हैं।

  • पीला चेहरा और ठंडा शरीर

आंतरिक रक्तस्राव से महिला का चेहरा पीला पड़ सकता है और उसके हाथ और पैर ठंडे हो सकते हैं।

  • योनि से भारी रक्तस्राव

यदि शुरुआती कुछ हफ्तों के बाद भी आपकी ब्लीडिंग जारी रहती है, तो यह अंदरूनी रक्तस्राव के कारण हो सकती है।

  • पेशाब में कमी

यदि किडनी तक खून कम पहुँचता है, तो यह पेशाब के बनने को प्रभावित करता है। इस प्रकार, कम पेशाब होना आंतरिक रक्तस्राव का संकेत हो सकता है

कितनी ब्लीडिंग होने पर डॉक्टर को दिखाएं

यदि आपको रक्तस्राव बंद होने के बाद फिर से भारी तरीके से शुरू हो जाता है और इसका रंग भी लाल हो जाता है, तो यह ज्यादा श्रम करने के कारण हो सकता है। हालांकि, अगर कुछ दिनों तक आराम करने के बाद भी यह जारी रहता है, तो यह किसी कॉम्प्लीकेशन के कारण हो सकता है।

आपको अपने डॉक्टर से तुरंत परामर्श लेना चाहिए, यदि:

  • आपको हर घंटे या उससे भी कम समय में पैड बदलना पड़ता हो
  • क्लॉटिंग जारी हो
  • आपको चक्कर या मिचली आती हो
  • आपका पल्स रेट 100 से ज्यादा है और आपको घबराहट हो रही हो
  • होम बीपी यंत्र में आपका ब्लड प्रेशर 100 सिस्टोलिक से कम हो

सी-सेक्शन के बाद ब्लीडिंग को कैसे मैनेज करें

सी-सेक्शन को भारी ब्लीडिंग को मैनेज करने के सरल तरीके हैं:

1. पैड का उपयोग करें – टैम्पोन का नहीं

  • शुरूआती हफ्तों में जब ब्लीडिंग बहुत भारी हो तो बेबी डायपर जैसे मोटे पैड इस्तेमाल करने चाहिए। 
  • टैम्पोन बैक्टीरियल इन्फेक्शन का कारण बन सकते हैं, इसलिए उनका इस्तेमाल बिल्कुल न करें।
  • पैड से भी ब्लीडिंग की मात्रा का अनुमान लगाने में मदद मिलती है।

2. पुराने कपड़े पहनें

इस समय के दौरान, आपको ऐसी पुरानी पैंटी और कपड़ों का उपयोग करना चाहिए जिन्हें बाद में फेंका जा सके। भारी ब्लीडिंग के कारण कपड़ों पर दाग लग सकते हैं, जिन्हें निकालना मुश्किल होता है।

3. नियमित रूप से पैड बदलें

  • काफी संख्या में मैटरनिटी पैड लाकर रखें क्योंकि आपको डिलीवरी के बाद इनकी बहुत आवश्यकता होगी।
  • अच्छी क्वालिटी वाले मैटरनिटी पैड का उपयोग किया जाना चाहिए। इसकी जगह फोल्ड करके कपड़े का इस्तेमाल कतई नहीं करना चाहिए।
  • 12 पैड के 3 पैक पर्याप्त हो सकते हैं। शुरुआत में, आपको प्रत्येक घंटे में और बाद में हर 3-4 घंटे में पैड बदलना पड़ेगा।
  • हर बार पैड बदलने पर हाथों को अच्छी तरह धोना और कीटाणुरहित करना जरूरी है।

4. आराम करें

शुरुआती हफ्तों भारी ब्लीडिंग के कारण आपको बेड रेस्ट यानि पूरी तरह आराम करने की सलाह दी जाती है।

  • आपको किसी भी कठिन शारीरिक श्रम वाली एक्टिविटी से बचना चाहिए क्योंकि यह आपके ठीक होने की प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है और ब्लीडिंग को बढ़ा सकता है।
  • चूंकि शरीर बदलाव का समय बिताकर वापस पहले वाली स्थिति में आ रहा है, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि आप इस प्रक्रिया में सहयोग करें।

5. घर पर किसी की मदद लें 

घर पर सहयोग के लिए आप अपने परिवार के सदस्यों से मदद मांग सकती हैं या नौकर रख सकती हैं।

उपचार के विकल्प

यदि सी-सेक्शन के बाद काफी समय बाद भी भारी रक्तस्राव होता है, तो आपको अपने डॉक्टर से परामर्श करने की आवश्यकता है। इसका उपचार, ब्लीडिंग के कारण पर, यह जिस स्तर पर यह शुरू हुआ था, और इसकी गंभीरता पर निर्भर करेगा। इसलिए, अपने डॉक्टर को पूरी मेडिकल हिस्ट्री बताना महत्वपूर्ण है।

यदि आपका गर्भाशय प्रसव के बाद संकुचित शुरू नहीं हुआ है, तो आपके डॉक्टर आपको संकुचन को प्रोत्साहित करने के लिए दवा दे सकते हैं। यदि ब्लीडिंग बंद नहीं होती है, तो आपको कुछ अतिरिक्त सर्जरी करवानी पड़ सकती है। कुछ मामलों में, रक्त की हानि को रोकने के लिए हिस्टेरेक्टोमी की जाती है।

सी-सेक्शन के बाद ब्लीडिंग के बारे में ध्यान रखने वाली बातें

सिजेरियन डिलीवरी के बाद ब्लीडिंग के बारे में कुछ बातें आपको ध्यान में रखनी चाहिए। हमने ब्लीडिंग को कैसे मैनेज किया जाए और इसके अलावा क्या हो सकता है, इसके लिए कुछ टिप्स दिए हैं।

1. स्तनपान से मदद मिल सकती है 

स्तनपान सी-सेक्शन के बाद ब्लीडिंग को कम करने में मदद कर सकता है, क्योंकि स्तनपान कराने पर गर्भाशय की मांसपेशियां और ब्लड वेसेल्स सिकुड़ जाती हैं। इसलिए, हार्मोन ऑक्सीटोसिन निकलने के कारण खून कम हो जाता है। 

2. बहुत ज्यादा शारीरिक गतिविधियां/श्रम न करें 

शारीरिक श्रम और तेज गतिविधि सी-सेक्शन के बाद ब्लीडिंग को बढ़ा सकती है। इसलिए, किसी भी तरह का शारीरिक काम न करें, जैसे कठिन एक्सरसाइज, भारी वस्तुओं को उठाना आदि और जल्दी ठीक होने के लिए भरपूर आराम करें।

3. दर्द से राहत पाएं

आप इस समय के दौरान दर्दनाक संकुचन का अनुभव कर सकती हैं। फिर भी अपने डॉक्टर की सलाह के बिना कोई भी दवा लेने से बचें। दर्द से राहत के लिए अपने पेट पर गर्म सिकाई करें। यदि दर्द फिर भी बना रहे तो डॉक्टर से परामर्श करें जो आपको संकुचन के कारण होने वाले दर्द को मैनेज करने के तरीके के बारे में बता सकता है।

डिलीवरी के बाद पर्याप्त देखभाल महत्वपूर्ण है, न केवल यह सुनिश्चित करने के लिए कि आप जल्द से जल्द सामान्य जीवन में वापस आ जाएं, बल्कि इसलिए भी कि आपके शिशु को आपके जीवन के पहले कुछ महीनों में आपकी देखभाल और पूर्ण ध्यान की आवश्यकता होती है। इसके अनुसार अपनी दिनचर्या रखें तो बेवजह काम करने से बचें और यदि आपको सेहत से जुड़े कोई भी अलग लक्षण दिखाई दें, तो डॉक्टर से मिलें। 

संसाधन और संदर्भ:

स्रोत १
स्रोत २

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