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प्रेगनेंसी की तीसरी तिमाही आपके लिए के मिक्स्ड इमोशन से भरी हो सकती है। एक तरह जहाँ आप बच्चे के आने से एक्साइटेड होंगी दूसरी तरह बच्चे की हेल्थ को लेकर चिंतित भी हो होंगी, आपको अजीब अजीब से खयाल आने लगेंगे जैसे अगर आखिरी समय में कुछ गलत हो गया तो? क्या सारी चीजें प्लान के अनुसार हो पाएंगी? ऐसे में कार्डियोटोकोग्राफी एक ऐसी तकनीक है जो आपके डर को कुछ हद तक दूर करने में मदद कर सकती है।
कार्डियोटोकोग्राफी एक ऐसी तकनीक है जिसका उपयोग गर्भाशय में होने वाले संकुचन पर नजर रखने के साथ-साथ फीटस के दिल की धड़कन चेक करने के लिए उपयोग किया जाता है। आप इसके नाम से ही इसके काम का पता लगा सकती हैं – कार्डियो (दिल) टोको (गर्भाशय में होने वाला संकुचन) और ग्राफ (रिकॉर्डिंग)। गर्भावस्था के दौरान सीटीजी टेस्ट आमतौर पर तीसरे तिमाही के दौरान और साथ ही लेबर के समय किया जाता है। इस टेस्ट का सही उपयोग करने से यह बच्चे में ऑक्सीजन की कमी के कारण होने वाली मृत्यु से रोकने में मदद करता है।
सीटीजी टेस्ट कराना जरूरी नहीं होता खासकर जिन प्रेगनेंसी में रिस्क ज्यादा नहीं होता है। हालांकि, कुछ ऐसी मेडिकल कंडीशन हैं जहाँ बच्चे को खतरा हो सकता है, जैसे:
सीटीजी साउंड वेव आपके बच्चे की हार्टबीट का पता लगाने और उसे मॉनिटर करने में मदद करता है। अल्ट्रासाउंड के रूप में साउंडवेव का उपयोग कई मेडिकल उद्देश्यों से किया जाता है, जैसे सॉलिड गालस्टोन या ब्लड क्लॉट का पता लगाने के लिए किया जाता है। जब अल्ट्रासाउंड को एक दिशा में टारगेट किया जाता है, तो यह फ्लूइड और सॉफ्ट टिश्यू की मदद से फ्रीली मूव करता है। हालांकि, यह किसी भी सॉलिड ऑब्जेक्ट से टकराता है तो यह वापस बाउंस करता है और यह चीज रिकॉर्डिंग डिवाइस पर दिखाई देती है। इसकी मदद से डॉक्टर यह पता लगा पाते हैं कि शरीर के अंदर क्या है। इसके अलावा, यह डेंसिटी के बीच भी अंतर कर सकता है (मतलब यह हड्डियों, मांसपेशियों और शरीर के अन्य भागों के बीच अंतर को बता सकता है)। सीटीजी, अल्ट्रासाउंड में डॉपलर की मदद से मूविंग ऑब्जेक्ट को भी स्टडी किया जा सकता है। यह बच्चे की हार्टबीट का काफी हद तक सही पता लगाने में सक्षम होता है।
बच्चे का हार्ट रेट एवरेज से ज्यादा होता है, हर मिनट में उसकी हार्टबीट 110-160 के बीच होती है। इस रेंज से बहुत ज्यादा होना या कम होना बच्चे में किसी हेल्थ प्रॉब्लम की ओर इशारा करता है। सीटीजी, संकुचन के दौरान होने वाली किसी भी समस्या का पता लगाने में मदद करता है। इस समय हार्टबीट का एक सेट पैटर्न होता है और इसमें किसी विशेष प्रकार का बदलाव होना खतरे का संकेत हो सकता है। यदि आपके डॉक्टर को समस्या गंभीर लगती है, जो आपकी प्रेगनेंसी के लिए खतरा बन सकती है, तो डॉक्टर ऐसे हालातों में इमरजेंसी सी सेक्शन या असिस्टेड डिलीवरी कर सकते हैं।
सीटीजी के दो मुख्य फायदे हैं जिसकी वजह से यह प्रसिद्ध है, नॉन आयनाइजिंग गुण और इसकी नॉन-इनवेसिव नेचर। एक्स रे की तरह अल्ट्रासाउंड में आयनाइजिंग रेडिएशन शरीर के अंदर नहीं जाती हैं। इसका मतलब है कि यह आप और आपके बच्चे के लिए कोई जेनेटिक डैमेज का खतरा पैदा नहीं करता है। नॉन-इनवेसिव का मतलब है कि इस प्रक्रिया के दौरान शरीर के अंदर किसी इंस्ट्रुमेंट को नहीं डाला जाता है।
हालांकि, सीटीजी प्रक्रिया में कुछ कमियां भी पाई जाती हैं जैसे:
प्रेगनेंसी में सीटीजी मॉनिटरिंग के दौरान, किसी भी समस्या का पता लगाने के लिए बच्चे की हार्टबीट की लगातार जाँच की जाती है। मशीन के साथ एक प्रिंटर होता है, जिससे आप बच्चे की हार्ट रेट को खुद देख सकती हैं। नीचे आपको एक टेबल दी गई हैं आपको इसके रेंज के बारे में बताता है।
रीडिंग | हार्ट बीट प्रति मिनट |
सेफ | 110-160 |
वार्निंग | 100-109 या 161-180 |
थ्रेटनिंग | 100 से कम और 180 से ज्यादा |
हालांकि, इन रीडिंग के आधार पर हमेशा इमरजेंसी सिजेरियन या असिस्टेड डिलीवरी करने के लिए नहीं कहा जाता है। आपका डॉक्टर आमतौर पर फीटस के एक बायोफिजिकल प्रोफाइल के साथ फॉलो अप लेते रहेंगे।
इस बात पर ध्यान दें कि अगर पहली बार में रीडिंग सटीक नहीं आती है, तो चिंतित न हों। इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे कि आपका बच्चा टेस्ट के दौरान सो रहा होता है। ऐसे मामलों में या तो बच्चे को जगाया जाता है या फिर उसके जागने का इंतजार किया जाता है और उसके टेस्ट किया जाता है। हालांकि, कुछ ऐसे भी मामले हो सकते हैं जो आपके डॉक्टर को अलर्ट करते हैं कि आपकी प्रेगनेंसी में कुछ समस्या आ रह है। ऐसे हालातों में इमरजेंसी प्रक्रिया की जा सकती है ताकि आपके बच्चे की जान बचाई जा सके।
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