छठ पूजा खासकर महिलाओं के लिए विशेष क्यों है?

छठ पूजा खासकर महिलाओं के लिए विशेष क्यों है?

छठ पूजा, भारतीय संस्कृति का एक अद्वितीय पर्व है, खासकर महिलाओं के लिए। यह पर्व न सिर्फ आस्था और विश्वास का प्रतीक है, बल्कि इसमें माताओं और बहनों की महत्वपूर्ण भूमिका भी होती है। व्रत करने वाली महिलाएं पूरे परिवार की खुशहाली और समृद्धि की कामना के लिए कठिन तपस्या करती हैं, जिसमें बिना पानी के 36 घंटे का उपवास भी शामिल है। सूर्य देवता और छठी मैया की आराधना कर वे अपने परिवार के स्वास्थ्य और कल्याण की प्रार्थना करती हैं।

इस साल 2024 में छठ पूजा की शुरुआत 5 नवंबर को होगी और यह 9 नवंबर तक चलेगी। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी यानी छठ का दिन इस त्यौहार का विशेष दिन होता है।  हिन्दू धर्म में, खासकर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में दिवाली, होली और दशहरा की तरह ही इस पर्व को भी एक बड़ा और मुख्य त्योहार माना जाता है।

हम जानते हैं कि ‘छठ’ का अर्थ ‘षष्ठी’ यानी अंक ‘6’ है। और इस विशेष समय को पवित्रता के साथ मनाने के 6 और अन्य कारण भी हैं। आइए जानते हैं।

महिलाओं के लिए छठ पूजा की 6 सबसे खास बातें और उनका महत्व 

1. पवित्र स्नान – जो है पूजा की शुरुआत

‘नहाय-खाय’ जिसका अर्थ है नहाने के बाद ही खाना। इस दिन घर के सभी खासकर महिलाएं पवित्र स्नान करती है, कुछ लोग तो आज के दिन नदी भी जाकर स्नान करते हैं। परिवार में सभी महिआएं ‘नहाए-खाए’ की प्रथा को पूरी निष्ठा से पूरा करती हैं और उसके बाद सभी मिलकर पूरे घर के लिए सात्विक भोजन बनाती हैं और हाँ यह कहने की जरूरत नहीं है कि महिलाएं इस उत्सव में मुख्य भूमिका निभाती हैं।

2. मुख्य पूजा – एक संतोषजनक और फलदायक पूजा

मुख्य पूजा - एक संतोषजनक और फलदायक पूजा

छठ पूजा के दिन सूर्य भगवान की पूजा की जाती है जिन्होंने हमारा जीवन प्रदान किया है। इसलिए मांएं जिन्होंने हमें जन्म दिया है वे इस व्रत को रखती हैं और इस दिन पूजा करती हैं। प्रकृति के सबसे शक्तिशाली देव को नमन करना और अपनी पारंपरिक प्रथाओं को पूरा करना वास्तविक रूप से संतुष्टि प्रदान करता है। 

3. निर्जला व्रत–  जो बिल्कुल आसान नहीं है

हिन्दू धर्म में छठ पूजा का व्रत एक सबसे मुश्किल व्रत माना जाता है, इसे निभाना बिलकुल भी आसान नहीं है। इसमें लगातार 36 घंटे का निर्जला व्रत रहता है और व्रत और पानी में खड़े होकर सूर्य भगवान की पूजा करने जैसी प्रथाओं का अनुसरण किया जाता है। विश्वास करें, कठिन व्रत व पूजा को पूर्ण करना भी एक बड़ी उपलब्धि ही है। यह व्रत महिलाओं के सहनशक्ति की एक परीक्षा है और वे इसपर छठी मैया की कृपा से खरी उतरती हैं। 

4. स्वादिष्ट व सात्विक प्रसाद – ठेकुआ, खीर, लौकी-भात

छठ पूजा में महिलाएं स्वादिष्ट आलू भात या लौकी-भात पकाती हैं। इसका स्वाद अलौकिक लगता है – पूजा के दिन इस पारंपरिक व लजीज स्वाद जैसा कुछ भी नहीं है, है न? इस दिन मांएं ठेकुआ भी बनाती हैं, यह एक सूखी मिठाई है जिसे गेहूँ, व और घी से पकाई जाती है और साथ ही इस दिन गुड़ की खीर भी बनती है जिसमें चावल, दूध और गुड़ डाला जाता है। 

5. मिट्टी का चूल्हा – जो घर में लाता है एकजुटता

खाना पकाना छठ पूजा का सबसे बेहतरीन भाग है क्योंकि इस दिन सभी महिलाएं मिट्टी के चूल्हे पर, आम के लकड़ी को जलाकर खाना तैयार करती हैं। इसकी वजह से भोजन का स्वाद बिलकुल अलग और दिव्य होता है – विश्वास करें, दिव्य यानि ऐसा स्वाद जो कभी चखा ही न हो। इसके साथ ही यहाँ पर खाना पकाने के बारे में बहुत सारी बातें होती हैं, हँसी-ठिठोली की जाती है और महिलाएं पूरे मन व प्रेम के साथ खाना पकाती हैं जिससे संबंधों में मिठास और प्रेम बढ़ता है। 

6. दूर-दूर से परिवारों का जुटना – त्योहार की असली खुशी

छठ पूजा के दिन परिवार के सभी लोग साथ होते हैं और संबंधों में एक नई ताजगी आती है। इस दिन बेटे, बेटियां, भाई-बहन और सभी कजिन घर में आते हैं और पूरे परिवार के बीच मनोरंजक बातें होती हैं व खुशियों का माहौल रहता है। यह कहना आवश्यक नहीं है कि इस दिन महिलाएं ज्यादा खुश रहती हैं। 

इस साल आप भी छठ पूजा करें और त्योहारों की खुशियों का आनंद लें। विशेष माँ के लिए बच्चों को इस त्योहार का आनंद लेने दें।

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