In this Article
एक बच्चे के जन्म के बाद पेडिअट्रिशन से नियमित चेकअप करवाना बहुत जरूरी है। इन विजिट के दौरान डॉक्टर बच्चे की हार्ट बीट को सुनते हैं और किसी तरह की असामान्यता का पता लगाते हैं। हार्ट मर्मर की जांच कुछ सबसे आम जांचों में से एक है। यह नाम हालांकि बहुत चिंताजनक और डरावना लग सकता है, लेकिन हार्ट मर्मर बच्चों में बहुत आम है और ज्यादातर मामलों में यह नुकसानदायक नहीं होता है।
दिल की रेगुलर धड़कन के अलावा, जो एक अतिरिक्त सरसराहट की आवाज आती है, उसे हार्ट मर्मर कहते हैं। जब खून दिल के चार अलग-अलग चेंबर से गुजरता है, तब ओरिकल और वेंट्रीकल एक बहुत ही रिदमिक तरीके से खुलते और बंद होते हैं, जिससे हार्टबीट की टिपिकल आवाज निकलती है।
विभिन्न कारणों से, आपके बच्चे के दिल से मर्मर की एक एक्स्ट्रा आवाज आ सकती है। नियमित चेकअप के दौरान, फर्स्ट लाइन असेसमेंट के एक हिस्से के रूप में, आपके डॉक्टर इसे पहचान सकते हैं। कई बार यह हार्ट मर्मर नुकसानदायक नहीं होता है और किसी गंभीर स्थिति को नहीं दर्शाता है। इस आवाज के पीछे के कारणों को समझने के लिए आमतौर पर अन्य टेस्ट भी किए जाते हैं।
बच्चों में हार्ट मर्मर बहुत आम होता है। बल्कि कई एक्सपर्ट सलाह के अनुसार, 4 से 7 साल की उम्र के बीच के बच्चों में से लगभग 90% बच्चों में हार्ट मर्मर के संकेत देखे जाते हैं। कभी-कभी लगभग 100 में से 1 बच्चे में हार्ट मर्मर उनके दिल की डिफेक्ट का एक संकेत साबित होता है। शिशु के शरीर में किसी असामान्यता को समझने के लिए अधिक सावधानी के साथ हार्ट मर्मर की जांच की जाती है।
बढ़ते बच्चों या वयस्कों की तुलना में, शिशु का दिल बहुत ही तेज गति से धड़कता है। कई बार ‘लब-टुब’ की आवाज के बीच, सेकंड के छोटे से हिस्से में एक अतिरिक्त आवाज भी सुनी जाती है। आमतौर पर मर्मर नुकसान रहित होता है और दिल में खून के प्रवाह की थोड़ी सी बदली हुई आवाज होती है और यह दिल की किसी बड़ी समस्या का संकेत नहीं होता है। वाल्व या ब्लड वेसल में जन्मजात डिफेक्ट के मामले में हार्ट मर्मर और भी तीव्र होता है और यह खून के प्रवाह में असमानता को दर्शाता है।
इनोसेंट मर्मर, नुकसान रहित मर्मर होते हैं, जो कि बच्चों में ज्यादातर देखे जाते हैं। इन बच्चों में आमतौर पर किसी तरह के संकेत नहीं दिखते हैं और ये एक सामान्य एक्टिव और खुशहाल जीवन जीते हैं। इस मामले में मर्मर, खून की किसी खास तरह की प्रवाह की आवाज का एक नतीजा होता है या बनावट की किसी छोटी मोटी भिन्नता के कारण होता है। 0 से लेकर 5 वर्ष की उम्र के बीच, फिजिशियन, हार्टबीट को ध्यान से सुन कर इनोसेंट मर्मर को पहचान सकते हैं। कभी-कभी डॉक्टर किसी जन्मजात डिफेक्ट का पता लगाने के लिए कुछ प्राथमिक टेस्ट प्रिस्क्राइब कर सकते हैं।
यदि हार्ट मर्मर, इनोसेंट हार्ट मर्मर ना हो, तो सरसराहट की यह आवाज, दिल की किसी डिफेक्ट का संकेत हो सकती है। 100 में से एक बच्चे में होने वाला हार्ट मर्मर, वाल्व या मेजर ब्लड वेसल में होने वाली जन्मजात डिफेक्ट के कारण होता है। यह जन्मजात असामान्यता, खून के प्रवाह की पद्धति को बदल देती है, जिससे विशेष मर्मर की आवाज पैदा होती है। सेप्टम में डिफेक्ट के कारण, वाल्व के अलगाव में क्लोजर में डिफेक्ट या छेद के कारण हार्ट मर्मर हो सकता है। ट्रांसपोस्ड ब्लड वेसल भी हार्ट मर्मर पैदा कर सकते हैं। कभी-कभी यह डिफेक्ट एंडोकार्डाइटिस या रूमेटिक फीवर के कारण भी पैदा हो सकती है और डॉक्टर मर्मर के विश्वसनीय कारणों की पहचान के लिए बच्चे की पूरी जांच करते हैं।
प्रीमैच्योर बच्चों में हार्ट मर्मर होने पर उनमें पेटेंट डक्टस आर्टिरियसस (पीडीए) नामक स्थिति हो सकती है। यह एक ऐसी बीमारी है, जिसमें दो प्रमुख ब्लड वेसल के बीच की ओपनिंग गर्भावस्था के दौरान विकसित नहीं हो पाती है और इससे हार्ट मर्मर होता है और वजन बढ़ने में कमी होती है। कभी-कभी बच्चे में केवल यही एक संकेत दिखता है, जिससे इसकी जांच बहुत ही मुश्किल हो जाती है।
जिन बच्चों को इनोसेंट हार्ट मर्मर होता है, उनमें आमतौर पर कोई लक्षण नहीं दिखते हैं। लेकिन जिन बच्चों में दिल में डिफेक्ट होता है, उनमें अधिक पसीना आना, धीमा विकास और सांस लेने में दिक्कत जैसी समस्याएं देखी जाती हैं। जिन शिशुओं में जन्मजात डिफेक्ट होता है, आमतौर पर फीडिंग के दौरान उनको अधिक पसीना आता है और उन्हें सांस लेने में कठिनाई के संकेत भी दिखते हैं।
स्टेथोस्कोप की मदद से हार्ट मर्मर को सुनकर, इसकी गंभीरता को रिकॉर्ड करना ही इसकी जांच का पहला कदम होता है। इस आवाज को 1 से 6 के बीच स्कोर दिया जाता है और स्कोर के आधार पर आगे की जांच की जाती है। आवाज का प्रकार, मर्मर की टाइमिंग और ऐसी ही अन्य बातें रिकॉर्ड की जाती हैं। कभी-कभी डॉक्टर नियमित चेकअप के दौरान कुछ समय के लिए मर्मर को मॉनिटर करते हैं।
अगर डॉक्टर को किसी छिपी हुई स्थिति का संदेह होता है, तो वे आमतौर पर चेस्ट एक्सरे, ईसीजी या एक इकोकार्डियोग्राम जांच प्रिस्क्राइब करते हैं। इकोकार्डियोग्राम दिल के विभिन्न हिस्सों का एक स्कैन होता है, जो कि उसकी किसी असामान्यता को कैप्चर कर सकता है।
आमतौर पर स्वयं हार्ट मर्मर किसी असामान्य स्थिति का संकेत नहीं देते हैं। हालांकि कुछ मामले दिल में एक वेसेल या वाल्व की समस्या को दर्शाते हैं। कुछ बच्चे जिनमें नीली त्वचा, फीडिंग करने और सांस लेने में कठिनाई जैसे संकेत दिखते हैं, उनमें भी हार्ट मर्मर साइनोटिक हार्ट डिजीज के कारण, ब्लड मिक्सिंग का एक लक्षण हो सकता है। अगर डॉक्टर को किसी असामान्य स्थिति का संदेह होता है, तो आमतौर पर पूरी जांच की जाती है।
नुकसान रहित हार्ट मर्मर आमतौर पर उम्र के साथ ठीक हो जाते हैं और उनमें किसी विशेष इलाज की जरूरत नहीं होती है। वहीं वाल्व में छेद या गलत क्लोजर जैसे जन्मजात डिफेक्ट के मामलों में भी उनके खुद ठीक हो जाने का एक अच्छा मौका होता है। कुछ दवाएं दिल की सामान्य फंक्शनिंग को सपोर्ट देने के लिए दी जाती हैं। बच्चों पर उनके जीवन की क्वालिटी को बेहतर बनाने के लिए सर्जरी करना बहुत ही दुर्लभ है। जब बच्चा किसी विशेष उम्र तक बड़ा हो जाता है, तो फेल्योर के खतरे को कम करने के लिए, कुछ नाजुक करेक्टिव सर्जरी की जाती हैं। जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता जाता है, पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजिस्ट से नियमित चेकअप कराना जरूरी है, ताकि दिल की फंक्शनिंग को मॉनिटर किया जा सके।
प्राकृतिक रूप से बच्चों का हार्ट रेट बढ़ते बच्चों और वयस्कों की तुलना में तेज होता है, जो कि 130 बीट प्रति मिनट तक जा सकता है। जब वे रोते हैं या जब उन्हें बुखार होता है, तब उनकी हार्टबीट तेज हो जाती है। कुछ डीकन्जेस्टेंट और अस्थमा की दवाओं से भी हार्टबीट का रेट बढ़ जाता है। अगर बच्चे का हार्ट रेट तेज है और वह किसी तरह की तकलीफ में दिख रहा है, तो आपको तुरंत डॉक्टर को कॉल करने की सलाह दी जाती है।
पाउंडिंग या एक हार्टबीट का स्किप हो जाना, हृदय की फंक्शनिंग में एक मोमेंट्री फ्लकचुएशन हो सकता है। अगर लंबे समय तक बच्चे में असामान्यता के कोई संकेत नजर आ रहे हैं, तो आपको जितनी जल्दी हो सके अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
नवजात शिशु में हार्ट मर्मर एक आम जांच होती है, जो कि रेगुलर मेडिकल चेकअप के दौरान दिखती है। समय के साथ इनमें से ज्यादातर मामले अपने आप ठीक हो जाते हैं और इनसे कोई नुकसान नहीं होता है। यदि आपके बच्चे को हार्ट मर्मर है, तो आपको उसके लिए क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए, इसके बारे में पेडिअट्रिशन से बात करें। इससे उसके जीवन की क्वालिटी बेहतर हो सकती है और किसी गंभीर स्थिति से बचाव भी संभव हो सकता है।
यह भी पढ़ें:
शिशुओं और बच्चों में सेरेब्रल पाल्सी
शिशुओं और बच्चों के लिए नेबुलाइजेशन
शिशुओं और बच्चों में सिस्टिक फाइब्रोसिस
हिंदी वह भाषा है जो हमारे देश में सबसे ज्यादा बोली जाती है। बच्चे की…
बच्चों को गिनती सिखाने के बाद सबसे पहले हम उन्हें गिनतियों को कैसे जोड़ा और…
गर्भवती होना आसान नहीं होता और यदि कोई महिला गर्भावस्था के दौरान मिर्गी की बीमारी…
गणित के पाठ्यक्रम में गुणा की समझ बच्चों को गुणनफल को तेजी से याद रखने…
गणित की बुनियाद को मजबूत बनाने के लिए पहाड़े सीखना बेहद जरूरी है। खासकर बच्चों…
10 का पहाड़ा बच्चों के लिए गणित के सबसे आसान और महत्वपूर्ण पहाड़ों में से…