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यदि आपका बच्चा है तो आपको उसके सोने से लेकर खाने तक सब चीजों की चिंता होगी। कुछ लोग मानते हैं कि बच्चे को पीठ या पेट के बल सुलाना चाहिए और अन्य लोगों का कहना है कि उसे करवट से भी सुलाया जा सकता है। इस आर्टिकल में हमने बच्चे के सोने की पोजीशन से संबंधित सभी सवालों के जवाब दिए हैं और साथ ही यह भी बताया है कि बच्चे को करवट से क्यों नहीं सोना चाहिए, जानने के लिए आगे पढ़ें।
एसआईडीएस या सदन डेथ सिंड्रोम का मतलब है एक साल के अंदर ही बच्चे की अचानक मृत्यु हो जाना। यह समस्या अक्सर सोते समय बच्चे को किसी समस्या से होती है इसलिए बच्चे को सुरक्षित पैटर्न में सुलाना बहुत जरूरी है। एसआईडीएस मुख्य रूप से बच्चे के सोते समय भी होती है। इसलिए बच्चे का सही पोजीशन में सोना बहुत जरूरी है।
क्या बच्चा करवट से सो सकता है? नहीं बच्चे को करवट से सुलाना सुरक्षित नहीं है क्योंकि इससे उसे स्वास्थ्य संबंधी कई हानियां हो सकती हैं, जैसे;
इस समस्या में बच्चा जिस भी तरफ सिर करके सोता है उस तरफ रंग लाल या गुलाबी में बदल जाता है जबकि दूसरी तरफ कोई भी प्रभाव नहीं पड़ता है। बच्चे के शरीर के बीचों बीच में ऊपर से नीचे तक एक स्पष्ट लाइन बन जाती है जिससे उसका एक तरफ का रंग अलग दिखाई देता है। यह तभी होता है जब बच्चा एक ही पोजीशन में कई घंटों तक सोता रहता है। यद्यपि इस बात का ध्यान रखें कि यह एक गंभीर समस्या का संकेत जैसा दिखाई देता है पर इससे बच्चे को कोई भी हानि नहीं होती है। यह कोई गंभीर समस्या नहीं है और बच्चे की पोजीशन बदलते ही रंग भी गायब होने लगता है। ऐसा माना जाता है कि बच्चे की इमैच्युर ब्लड वेसल में खून के बहाव पर ग्रेविटेशनल फोर्स का प्रभाव पड़ता है जिससे रेड ब्लड सेल्स त्वचा के बिलकुल पास आ जाते हैं।
ट्रीटमेंट
इस समस्या के लिए किसी भी ट्रीटमेंट की जरूरत नहीं है क्योंकि बच्चे की पोजीशन बदलते ही रंग कुछ देर में ही फीके पड़ जाते हैं।
छोटी उम्र में बच्चे का सिर सॉफ्ट व नाजुक होते है। इससे उसका दिमाग बढ़ता और विकसित होता है और सिर भी बड़ा होता है। यदि बच्चे के सिर में दबाव पड़ता है तो इससे उसका सिर चपटा या कॉनकेव शेप का हो सकता है या यहाँ तक कि भीतर की तरफ भी धस सकता है। यह तभी होगा जब बच्चे को लगातार एक ही पोजीशन में सुलाया जाता है जिसमें उसके सिर पर एक ही तरफ से दबाव पड़ता है। सिर का शेप खराब होने से दिमाग बढ़ना बंद कर देता है और इसके परिणामस्वरूप दिमाग का विकास रुक जाता है।
ट्रीटमेंट
इस समस्या को ठीक करने के लिए बेबी हेल्मेट नामक ब्रेसेस का उपयोग किया जाता है। यह सिर्फ सर्टिफाइड मैन्युफैक्चरर या हॉस्पिटल द्वारा बनाए जाते हैं जिससे बच्चे के सिर की पोजीशन को ठीक करने में मदद मिलती है।
टॉर्टिकॉलिस अक्सर बच्चे में स्टर्नोक्लेडोमैस्टॉइड मसल्स की कमी से उसकी गर्दन गलत तरीके से मुड़ने से होता है और यह मसल्स बच्चे के सिर के पिछले हिस्से को हंसली से जोड़ती है। चूंकि बच्चे की मसल्स अब भी नाजुक है और बढ़ रही हैं इसलिए बार-बार करवट से सोने या सिर घुमाने से भी इन मसल्स पर प्रभाव पड़ता है या यह कम हो जाती हैं।
ट्रीटमेंट
बच्चे की मांसपेशियों में जकड़न को फिजिकल थेरेपी या रिकवरी हार्नेस पहनने से ठीक किया जा सकता है। हार्नेस को शरीर में लपेटा जाता है और इसमें गर्दन के लिए सॉफ्ट पैड्स होते हैं। यह पैड्स गर्दन को विपरीत दिशा में धकेलते हैं जिससे यह गर्दन नॉर्मल पोजीशन में आ जाती है।
जब सांस लेने की नली में टॉरशन बन जाता है तब बच्चे को सांस लेने में दिक्कत होती है। कभी-कभी गले में फंसने वाला खाना खिलाने से यह ट्रैकिया में भर जाता है और जिससे चोकिंग होने का खतरा भी रहता है। बच्चे जब अपनी करवट पर सोते हैं तो उनका पेट के बल पलटने की संभावना ज्यादा होती है और यह एसआईडीएस के खतरे को भी बढ़ाता है।
ट्रीटमेंट
इसका कोई भी इलाज नहीं है पर बचाव के लिए आप बच्चे को करवट से न सुलाएं।
यह सिर्फ बच्चे की सुविधा के लिए ही नहीं है बल्कि उसकी सेफ्टी भी बहुत जरूरी है। आप बच्चे को सही पोजीशन बताकर उसे पीठ के बल सोने की आदत डालें। इस प्रकार से शुरूआती आयु में आप उसे पीठ के बल सोना सिखा सकती हैं। यदि बच्चा इस पोजिशन में कंफर्टेबल नहीं है तो भी इस प्रकार से वह पीठ के बल सोना सीख जाएगा।
बच्चे को सुलाते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें, आइए जानें;
यह बहुत आसान तरीका है जिससे बच्चा करवट से नहीं सोएगा। इस बात का ध्यान रखें कि आप बच्चे को क्रिब या क्रैडल में पीठ के बल ही लिटाएं। इस पोजीशन से बच्चे को अपर रेस्पिरेटरी में इन्फेक्शन होने का खतरा कम होता है।
कई क्रिब या बेड ऐसे भी हैं जिससे बच्चे को किसी भी तरह से फायदा नहीं होता है। जिनमें तकिया और क्रिब बंपर भी शामिल है जो बच्चे की सोने की पोजीशन को नकारात्मक तरीके से प्रभावित करता है।
ज्यादातर स्लीपिंग पोजिशनर या वेजेस का डिजाइन ऐसा होता है जिसकी वजह से बच्चा करवट से सोता है जो उसके लिए बिलकुल भी सही पोजीसन नहीं है। यदि पोजिशनर से बच्चे को पीठ के बल सोने में मदद मिलती है तो इससे भी इससे बचना चाहिए क्योंकि यह प्रमाणित हुआ है कि इसमें सोने की ऐसी पोजीशन भी बन जाती है जिससे बच्चे का दम घुट सकता है।
स्वैडलिंग से बच्चे के चारों तरफ सिलेंडर शेप बन जाता है जिसकी वजह से वह सोते समय आसानी सर लुढ़क सकता है। इसलिए इस बात का ध्यान रखें कि आप स्वैडलिंग कम से कम करें क्योंकि यह एसआईडीएस का खतरा बढ़ाता है।
बच्चों में फ्लैटहेड्स के खतरे को कम करने के लिए आप उसके सिर को दूसरी तरफ रखकर सुलाएं। जब बच्चा पीठ के बल सोता है तो आप उसके सिर को दाईं और बाईं तरफ शिफ्ट करती रहें।
पहले साल में जरूरी है कि बच्चे को पीठ के बल ही सुलाएं और जब उसका ओएसोफेगस, ट्रैकिया और ब्रीदिंग मेकैनिज्म पूरी तरह से विकसित होने के बाद ही उसे करवट से सुलाना सेफ है।
12 महीने से कम उम्र के बच्चों के लिए करवट से सोना सुरक्षित नहीं है और इससे उसे हानि हो सकती है। एक साल के बाद ही बच्चे की मसल्स और आंतरिक अंग मजबूत होना शुरू हो जाती हैं उसके बाद ही उनमें चोकिंग का खतरा कम हो जाता है। इसलिए पहले साल में बच्चे को पेट के बल और करवट से नहीं सुलाना चाहिए।
नवजात शिशुओं को करवट से नहीं सुलाना चाहिए और जब वह सोता है तो आप उस पर पूरी नजर रखें क्योंकि वह लुढ़क भी सकता है। 3 महीने के बच्चे को भी करवट से सुलाना सही नहीं है। 6 महीने की आयु में बच्चे की मसल्स पूरी तरह से मजबूत होती हैं जिसकी वजह से वह पेट के बल लेट सकता है। जब बच्चा खुद से लुढ़कने लगता है तो इसका मतलब है कि बच्चे में चोकिंग होने की संभावना कम है। हालांकि यह 6 महीने से कम उम्र के बच्चे के लिए नहीं होना चाहिए।
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