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आपका बच्चा भूख लगने के अलावा भी कई कारणों से परेशान हो सकता है। इसलिए बच्चे को शांत करने के लिए अक्सर माएं बेबी पैसिफायर (चुसनी) का उपयोग करती हैं। बच्चे को दी जाने वाली चुसनी का टेस्ट हल्का सा मीठा होता है, जो उसे अच्छा लगता है और इसे देकर उसे शांत किया जाता है। हालांकि, अक्सर इस बात को लेकर कंफ्यूज रहता है कि बच्चे को पैसिफायर कब से देना शुरू करें और कब देना बंद करें। साथ ही बच्चे की हेल्थ को लेकर भी चिंता बनी रहती है, ये सभी सवाल आपके मन में आना बिल्कुल जायज है, जिसके बारे में आगे बताया गया है। यह फैक्ट है कि बेबी पैसिफायर बच्चे और माँ दोनों के जीवन को आसान बनाता है, लेकिन ऐसी कई चीजें हैं जिन्हें लेकर आपको को सावधानी बरतनी चाहिए, तो आइए जानते हैं कि बच्चे के लिए पैसिफायर का उपयोग कब से शुरू किया जा सकता है।
पैसिफायर, जिसे चुसनी, सूदर, टीदर या बिंकी के रूप में भी जाना जाता है, एक आर्टिफिशियल निप्पल होता है जो रबर, प्लास्टिक या सिलिकॉन से बना होता है। इसे एक हैंडल के द्वारा सपोर्ट किया जाता है, जो अक्सर रैटल की तरह काम करता है। पहले के समय में, बच्चे को शांत करने के लिए चीनी या किसी मीठी चीज को निप्पल पर लगाया जाता था, जो चुसनी या पैसिफायर का काम करता था। जैसा कि नाम से पता चलता है, कि पैसिफायर बच्चे की चिड़चिड़ाहट और रोने को कम करता है।
पैसिफायर नई माँ के लिए बेहद काम आ सकता है। छोटे बच्चे अक्सर बहुत रोने लगते हैं कई कारणों से चिड़चिड़ाने लगते हैं। ऐसे में उनके लिए पैसिफायर बहुत उपयोगी होता है, क्योंकि यह उन्हें शांत रखने में मदद करता है। हालांकि, आप कितने समय के लिए पैसिफायर का उपयोग कर रही हैं, इसे लेकर बहुत सावधान रहना चाहिए।
यहाँ आपको बेबी पैसिफायर का इस्तेमाल करने के कुछ फायदे बताए गए हैं:
नीचे पैसिफायर इस्तेमाल करने के कुछ साइड इफेक्ट्स बताए गए हैं:
रिसर्च से पता चला है कि बच्चे द्वारा इस्तेमाल किए गए बेबी पैसिफायर पर ई-कोलाई के प्रकार के बैक्टीरिया बढ़ सकते हैं। इसलिए नियमित रूप से इसकी साफ सफाई रखना बहुत जरूरी होता है। कुछ टिप्स हैं जिन्हें आपको ध्यान में रखना चाहिए:
पैसिफायर बहुत सारे शेप और साइज में आते हैं। जिसमें निप्पल साइज भी अलग अलग होता है, आप एक्सपेरिमेंट करके देख सकती हैं कि आपके बच्चे को क्या सूट करता है। पैसिफायर दो तरह के मटेरियल में आते हैं – लेटेक्स और सिलिकॉन। लेटेक्स सॉफ्ट और ज्यादा लचीला होता है। यह आसानी से बच्चे के मुंह में एडजस्ट हो जाता है, हालांकि यह ज्यादा देर टिकता नहीं है। दूसरा है, सिलिकॉन जो हार्ड होता है, लेकिन लंबे समय तक इस्तेमाल किया जा सकता है। कुछ पैसिफायर में कवर पर एक फ्लैप होता है, जो इसे इस्तेमाल के बाद चुसनी कवर करने में हेल्प करता है और जब बेबी को इसे देना हो तो फ्लैप हटाया जा सकता है। आपको ऐसी चुसनी लेने से बचना चाहिए जिसके साथ हार्ड सब्सटेंस वाली चीजें अटैच हों। क्योंकि बच्चा इसे गलती से अपने मुंह में डाल सकता है जिससे चोकिंग की समस्या हो सकती है।
हाँ, लेकिन आपको ये दो बातें अपने ध्यान में रखना चाहिए।
इस बात का कोई जवाब नहीं है कि पैसिफायर ब्रेस्टफीडिंग को प्रभावित करता है या नहीं। यह पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करता है कि आप ब्रेस्टफीडिंग साइकिल को कैसे हैंडल करती हैं। आपको यह सलाह दी जाती है कि जब तक फीडिंग साइकिल तय न हो जाए, बच्चे को चुसनी की आदत न डालें। एक बार जब बच्चा एक से दो महीने के अंदर अपना रूटीन डेवलप कर लेता है, तो उसके बाद उसे चुसनी देने में कोई इशू नहीं है। यदि आप बच्चे को भूख लगने पर फीडिंग में देर करती हैं या पैसिफायर का उपयोग करती हैं, तो फीडिंग साइकिल प्रभावित होगी।
यहाँ ऐसे कुछ सवाल हैं जो माएं पैसिफायर के बारे अक्सर जानना चाहती हैं:
यहाँ आपकी परेशानियों के कुछ क्विक सॉल्यूशन दिए गए हैं। ज्यादातर बच्चे 1 वर्ष का होने जाने के बाद धीरे-धीरे खुद ही इसका उपयोग करना बंद कर देते हैं, लेकिन कुछ बच्चे लंबे समय के लिए इसका उपयोग जारी रखते हैं। एक बार जब बच्चा थोड़ा बड़ा हो जाता है, तो आप उसे यह देना बंद कर दें। अगर बच्चा पैसिफायर पर ही निर्भर रहता है तो उसे छुड़ाना एक मुश्किल काम हो सकता है।
निष्कर्ष: नवजात शिशुओं को संभालते हुए नई माएं हर चीज को लेकर जल्दी चिंतित हो जाती हैं और घबरा जाती हैं। हम इस चीज को बेहतर रूप से समझ सकते हैं। हालांकि, ठीक से जानकारी होने पर, अपने बच्चे को हैंडल करना और उसे शांत कराना आसान हो जाता है। पैसिफायर का उपयोग करते समय ऊपर बताई गई गाइडलाइन को ध्यान में रखें, ताकि आपका बच्चा कम्फर्टेबल और हेल्दी रहे।
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