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शिशुओं के लिए पैसिफायर: फायदे, नुकसान और टिप्स

आपका बच्चा भूख लगने के अलावा भी कई कारणों से परेशान हो सकता है। इसलिए बच्चे को शांत करने के लिए अक्सर माएं बेबी पैसिफायर (चुसनी) का उपयोग करती हैं। बच्चे को दी जाने वाली चुसनी का टेस्ट हल्का सा मीठा होता है, जो उसे अच्छा लगता है और इसे देकर उसे शांत किया जाता है। हालांकि, अक्सर इस बात को लेकर कंफ्यूज रहता है कि बच्चे को पैसिफायर कब से देना शुरू करें और कब देना बंद करें। साथ ही बच्चे की हेल्थ को लेकर भी चिंता बनी रहती है, ये सभी सवाल आपके मन में आना बिल्कुल जायज है, जिसके बारे में आगे बताया गया है। यह फैक्ट है कि बेबी पैसिफायर बच्चे और माँ दोनों के जीवन को आसान बनाता है, लेकिन ऐसी कई चीजें हैं जिन्हें लेकर आपको को सावधानी बरतनी चाहिए, तो आइए जानते हैं कि बच्चे के लिए पैसिफायर का उपयोग कब से शुरू किया जा सकता है।

पैसिफायर क्या है?

पैसिफायर, जिसे चुसनी, सूदर, टीदर या बिंकी के रूप में भी जाना जाता है, एक आर्टिफिशियल निप्पल होता है जो रबर, प्लास्टिक या सिलिकॉन से बना होता है। इसे एक हैंडल के द्वारा सपोर्ट किया जाता है, जो अक्सर रैटल की तरह काम करता है। पहले के समय में, बच्चे को शांत करने के लिए चीनी या किसी मीठी चीज को निप्पल पर लगाया जाता था, जो चुसनी या पैसिफायर का काम करता था। जैसा कि नाम से पता चलता है, कि पैसिफायर बच्चे की चिड़चिड़ाहट और रोने को कम करता है।

पैसिफायर से क्या फायदे होते हैं?

पैसिफायर नई माँ के लिए बेहद काम आ सकता है। छोटे बच्चे अक्सर बहुत रोने लगते हैं कई कारणों से चिड़चिड़ाने लगते हैं। ऐसे में उनके लिए पैसिफायर बहुत उपयोगी होता है, क्योंकि यह उन्हें शांत रखने में मदद करता है। हालांकि, आप कितने समय के लिए पैसिफायर का उपयोग कर रही हैं, इसे लेकर बहुत सावधान रहना चाहिए।

यहाँ आपको बेबी पैसिफायर का इस्तेमाल करने के कुछ फायदे बताए गए हैं:

  • सडन इन्फेंट डेथ सिंड्रोम (एसआईडीएस) से बचाव करता है: एसआईडीएस की समस्या किसी भी माँ को डरा सकती है। पैसिफायर का उपयोग करने से इसका खतरा कम होता है। बच्चे के सोते समय या रात में टीदर देने से उसका ब्रेन एक्टिव रहता है और जिससे उसकी सांस नहीं रुकती है।
  • फ्लाइट के दौरान शांत करने में मदद करता है: आपने अक्सर सुना और महसूस किया होगा कि जब आप फ्लाइट से सफर करती हैं तो बच्चा बहुत जोर-जोर रोने लगता है। ऐसा हवा का प्रेशर चेंज होने से बच्चे के कान में दर्द होने के कारण होता है। पैसिफायर की मदद से ईयर प्रेशर स्थिर होता है, जिससे आप और आपके बच्चे को फ्लाइट के दौरान परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता और दूसरे पैसेंजर भी परेशान नहीं होते हैं ।
  • चूसने की चाह को पूरा करता है: कुछ बच्चों को हर चीज चूसने की आदत होती है और सिर्फ ब्रेस्टफीडिंग उनके लिए काफी नहीं होती है। आपके लिए ये संभव भी नहीं है कि आप हर समय ब्रेस्ट फीडिंग कराएं। ऐसे में बेबी पैसिफायर काफी उपयोगी हो सकता है।

पैसिफायर के साइड इफेक्ट्स क्या हैं?

नीचे पैसिफायर इस्तेमाल करने के कुछ साइड इफेक्ट्स बताए गए हैं:

  • कान के इंफेक्शन खतरा बढ़ जाना: पैसिफायर को चूसने से कानों में तरल पदार्थ जमा हो जाता है जिससे बच्चों में कान के इंफेक्शन का खतरा बढ़ सकता है। हालांकि, यह जोखिम उन बच्चों में कम है जो 6 महीने से कम उम्र के हैं।
  • निप्पल कंफ्यूजन: यह एक मेजर इशू है जिसे लेकर ज्यादातर नई माओं को चिंता रहती है। जब किसी बच्चे को पैसिफायर चूसने की आदत होती है, तो उसे ब्रेस्ट चूसने में परेशानी होती है। इसलिए इससे बचने के लिए पहले ब्रेस्टफीडिंग का एक रूटीन बना लें। इसके बाद ही आप बेबी को पैसिफायर देने की शुरुआत करें। यह बात ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है कि एक बार जब बच्चा एक महीने के अंदर ठीक से फीडिंग करना सीख जाता है तो फिर यह कंफ्यूजन बहुत कम होने की संभावना होती है।
  • निर्भर होना: कुछ बच्चे पैसिफायर पर इतने निर्भर होते हैं कि वे इसके बिना शांत नहीं होते हैं। इसलिए बेबी पैसिफायर का उपयोग सीमित ही होना चाहिए।
  • दांतों की समस्याएं हो सकती हैं: दांतों की संरचना खराब हो सकती है और जोर से चूसने की चाह होती है। जो उनकी रेगुलर ग्रोथ को डिस्टर्ब करता है और दांत निकलने पर ज्यादा सुंदर नहीं दिखते हैं।

पैसिफायर का उपयोग करने के टिप्स

रिसर्च से पता चला है कि बच्चे द्वारा इस्तेमाल किए गए बेबी पैसिफायर पर ई-कोलाई के प्रकार के बैक्टीरिया बढ़ सकते हैं। इसलिए नियमित रूप से इसकी साफ सफाई रखना बहुत जरूरी होता है। कुछ टिप्स हैं जिन्हें आपको ध्यान में रखना चाहिए:

क्या करें

  • आप बच्चे को दिन में शांत रखने के लिए कई बार चुसनी देती होंगी। हालांकि, केवल नींद के समय ही इसे बच्चे को शांत कराने के लिए उपयोग करना चाहिए।
  • चुसनी स्टरलाइज करें। आपको नियमित रूप से इसे साफ करना चाहिए। इसके अलावा, एक ही पैसिफायर को बार-बार देने से बचें। इसे हर कुछ दिनों में एक बार चेंज कर दें। अगर चुसनी गिर जाती है, तो हाइजीन बनाए रखने के लिए इसे स्टरलाइज करें। जब इसका उपयोग न करना हो तो इसे जिप लॉक में स्टोर करके रखें।

क्या न करें

  • जब बच्चे को भूख लगी हो तो उसे चुसनी न दें। आपको शिशु की भूख को समझना चाहिए और उसके अनुसार ही फीड कराना चाहिए। चुसनी पर निर्भर रहने से बच्चे की हेल्थ पर भी बुरा असर पड़ता है। इसके साथ ही उसका ब्रेस्टफीडिंग रूटीन भी प्रभावित होता है।
  • ऐसे बच्चे को पैसिफायर बिल्कुल न दें जिसका वजन कम है। यदि किसी बच्चे का जितना वजन होना चाहिए उससे कम है, तो इसका मतलब है कि ठीक से न्यूट्रिएंट्स और पर्याप्त दूध नहीं मिल रहा है। आपको तुरंत, बच्चे के फीडिंग रूटीन पर काम करना चाहिए और इसका ठीक से ट्रैक भी रखना चाहिए।

पैसिफायर खरीदते समय क्या देखना चाहिए

पैसिफायर बहुत सारे शेप और साइज में आते हैं। जिसमें निप्पल साइज भी अलग अलग होता है, आप एक्सपेरिमेंट करके देख सकती हैं कि आपके बच्चे को क्या सूट करता है। पैसिफायर दो तरह के मटेरियल में आते हैं – लेटेक्स और सिलिकॉन। लेटेक्स सॉफ्ट और ज्यादा लचीला होता है। यह आसानी से बच्चे के मुंह में एडजस्ट हो जाता है, हालांकि यह ज्यादा देर टिकता नहीं है। दूसरा है, सिलिकॉन जो हार्ड होता है, लेकिन लंबे समय तक इस्तेमाल किया जा सकता है। कुछ पैसिफायर में कवर पर एक फ्लैप होता है, जो इसे इस्तेमाल के बाद चुसनी कवर करने में हेल्प करता है और जब बेबी को इसे देना हो तो फ्लैप हटाया जा सकता है। आपको ऐसी चुसनी लेने से बचना चाहिए जिसके साथ हार्ड सब्सटेंस वाली चीजें अटैच हों। क्योंकि बच्चा इसे गलती से अपने मुंह में डाल सकता है जिससे चोकिंग की समस्या हो सकती है।

क्या बच्चे के दांतों के लिए पैसिफायर सुरक्षित हैं?

हाँ, लेकिन आपको ये दो बातें अपने ध्यान में रखना चाहिए।

  1. चुसनी में कोई भी मीठा पदार्थ न डालें। इससे बच्चे को कैविटी हो सकती है या आगे चल कर कैविटी प्रॉब्लम होने का खतरा बढ़ जाता है।
  2. लंबे समय तक इसका इस्तेमाल करने से जब बच्चा बड़ा हो जाता है तब उसे डेंटल प्रॉब्लम हो सकती है। यदि आपका बच्चा 3 साल की उम्र में भी चुसनी का आदी है, तो आपको अब इसे रोक देना चाहिए। अगर बच्चा 3 साल की उम्र से अधिक समय तक पैसिफायर का उपयोग करता है, तो ऑर्थोडॉन्टिक समस्याएं जैसे टेढ़े मेढ़े दाँत निकल सकते हैं।

क्या पैसिफायर ब्रेस्टफीडिंग को प्रभावित करता है?

इस बात का कोई जवाब नहीं है कि पैसिफायर ब्रेस्टफीडिंग को प्रभावित करता है या नहीं। यह पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करता है कि आप ब्रेस्टफीडिंग साइकिल को कैसे हैंडल करती हैं। आपको यह सलाह दी जाती है कि जब तक फीडिंग साइकिल तय न हो जाए, बच्चे को चुसनी की आदत न डालें। एक बार जब बच्चा एक से दो महीने के अंदर अपना रूटीन डेवलप कर लेता है, तो उसके बाद उसे चुसनी देने में कोई इशू नहीं है। यदि आप बच्चे को भूख लगने पर फीडिंग में देर करती हैं या पैसिफायर का उपयोग करती हैं, तो फीडिंग साइकिल प्रभावित होगी।

बेबी के मुंह से पैसिफायर कब निकालें

यहाँ ऐसे कुछ सवाल हैं जो माएं पैसिफायर के बारे अक्सर जानना चाहती हैं:

  1. पैसिफायर का इस्तेमाल कब बंद करें?
  2. पैसिफायर का इस्तेमाल कैसे बंद करें?

यहाँ आपकी परेशानियों के कुछ क्विक सॉल्यूशन दिए गए हैं। ज्यादातर बच्चे 1 वर्ष का होने जाने के बाद धीरे-धीरे खुद ही इसका उपयोग करना बंद कर देते हैं, लेकिन कुछ बच्चे लंबे समय के लिए इसका उपयोग जारी रखते हैं। एक बार जब बच्चा थोड़ा बड़ा हो जाता है, तो आप उसे यह देना बंद कर दें। अगर बच्चा पैसिफायर पर ही निर्भर रहता है तो उसे छुड़ाना एक मुश्किल काम हो सकता है।

निष्कर्ष: नवजात शिशुओं को संभालते हुए नई माएं हर चीज को लेकर जल्दी चिंतित हो जाती हैं और घबरा जाती हैं। हम इस चीज को बेहतर रूप से समझ सकते हैं। हालांकि, ठीक से जानकारी होने पर, अपने बच्चे को हैंडल करना और उसे शांत कराना आसान हो जाता है। पैसिफायर का उपयोग करते समय ऊपर बताई गई गाइडलाइन को ध्यान में रखें, ताकि आपका बच्चा कम्फर्टेबल और हेल्दी रहे।

समर नक़वी

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