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ऐसी कई प्रकार की आंखों की समस्याएं हैं जो शिशु को प्रभावित कर सकती हैं और इंफेक्शन उन में से एक समस्या है। बच्चों की आंख में इंफेक्शन होना आम है। यदि बच्चे की आंख में परत जमती है, यह चिपचिपी हो जाती है या लाल होती है तो यह इंफेक्शन होने के ही लक्षण हैं जो एलर्जी या इरिटेशन से हो सकता है।
शिशुओं में आई इंफेक्शन के कुछ प्रकार निम्नलिखित हैं, आइए जानें;
यदि बच्चे की आईलिड में लाल रंग की फुंसी हो जाती है तो संभव है कि यह स्टाई है।
फुंसी संवेदनशील होती है और इसमें पस भरा रहता है। इसमें बच्चे की आंख से सफेद या पीला डिस्चार्ज भी हो सकता है।
जब बैक्टीरिया आईलिड में मौजूद ऑयल ग्लैंड को इन्फेक्ट करते हैं तो यह समस्या होती है। यह समस्या उतनी गंभीर नहीं है पर ज्यादा बढ़ने से पहले इसका ट्रीटमेंट करना जरूरी है।
एक साफ कपड़े को गुनगुने पानी में भिगोएं और उसे बच्चे की आंखों पर 15 मिनट तक रखें। इसकी गर्माहट से पस खुल जाएगा और जल्दी ही निकल जाएगा। आप इसे दिन में 4 बार दोहराएं। ध्यान रखें कि पस निकलने के बाद बच्चा स्टाई को न कुरेदे। इससे बच्चे को काफी दर्द हो सकता है और उसके हाथ पर बैक्टीरिया आ सकते हैं।
कंजंक्टिवाइटिस एक पतले टिश्यू में सूजन होती है जो आईलिड के अंदर आंख के सफेद भाग में हो जाती है।
यदि बच्चे की आंख का सफेद भाग लाल है तो यह पिंक आई या कंजंक्टिवाइटिस का लक्षण है।
यदि बच्चे को जुकाम होने के साथ-साथ पिंक आई है तो यह वायरस की वजह से होता है।
यदि बच्चे की आंख से पीले रंग का गाढ़ा डिस्चार्ज होता है तो यह बैक्टीरिया से इंफेक्शन होने की वजह से हो सकता है, जैसे स्टेफिलोकोकस, स्ट्रेप्टोकोकस या हीमोफिलस।
यह एक दुर्लभ कारण है पर यदि बच्चे को धुएं, धूल या अन्य एलर्जेन से एलर्जी है और इससे उसकी आंख में सूजन आ जाती है, आंख लाल हो जाती है या पानी आने लगता है तो इसका अर्थ है कि उसे एलर्जिक रिएक्शन हुआ है।
यदि यह वायरल की वजह से हुआ है तो कंजंक्टिवाइटिस अपने आप ही ठीक हो जाता है। पेडिअट्रिशन आपको बच्चे की आंख को साफ रखने के लिए कहेंगे। यदि यह समस्या दो सप्ताह से ज्यादा दिनों तक रहती है तो आप दोबारा डॉक्टर से मिलें।
कलेजियन एक फुंसी या सिस्ट है जो आंख के ऊपरी हिस्से या आईलिड में होता है।
यह शुरुआत में छोटा होता है पर बाद में मटर जितना बड़ा हो जाता है। स्टाई के विपरीत इसमें डिस्चार्ज नहीं होता है और यह संक्रामक होने के साथ-साथ इसमें दर्द भी होता है। हालांकि इससे बच्चे की दृष्टि धुंधली हो सकती है।
कलेजियन आईलिड के निचले या ऊपरी हिस्से में मौजूद ऑयल उत्पन्न करने वाले ग्लैंड में होने वाली क्रोनिक सूजन के कारण होता है।
कलेजियन को हाथ से कभी भी न निकालें। आप इसमें डॉक्टर द्वारा प्रिस्क्राइब किया हुआ ऑइंटमेंट व एंटीबायोटिक का उपयोग करें।
इसे ब्लॉक्ड डक्ट को सॉफ्ट होने में मदद मिलेगी और पस साफ हो जाएगा। प्रभावी जगह पर लगभग 15 मिनट तक गर्म सिकाई करें और इसे दिन भर में 4 बार करें।
यदि कजेलियन वॉर्म कंप्रेस से भी ठीक नहीं होता है तो डॉक्टर से संपर्क करें। इसे ठीक करने के लिए बच्चे को इंजेक्शन लगाने या सर्जरी की आवश्यकता पड़ सकती है।
यदि बच्चे की आंख लाल है या सूजन के कारण बंद हो गई है तो यह पेरिऑर्बिटल या ऑर्बिटल सेल्युलाइटिस की वजह से हो सकता है।
इसमें बुखार, नाक बहना और कंजंक्टिवाइटिस, मलेज और ऑक्युलर मूवमेंट में बिगाड़ शामिल हैं।
यह एक गंभीर इंफेक्शन है जो आंख में हानिकारक बैक्टीरिया जाने से होता है। यह एक या दोनों आंखों पर प्रभाव डाल सकता है।
यह इंफेक्शन होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। वे बच्चे की आंख की जांच करेंगे, ब्लड टेस्ट करेंगे और एक्स रे करने के बाद इंफेक्शन को साफ करने के लिए ऑइंटमेंट व इंजेक्शन प्रिस्क्राइब करेंगे। यह अक्सर दो दिन में ठीक हो जाता है पर आप डॉक्टर के बताने तक बच्चे को एंटीबायोटिक दें।
यदि बच्चे की आईलिड के ऊपर सूजन है, पानी आता है, ये लाल हो जाती हैं और इनमें इरिटेशन भी होती है तो ये समस्याएं ब्लेफेराइटिस की वजह से होती हैं।
यदि इंफेक्शन ब्लेफेराइटिस की वजह से हुआ है तो पलकें गिरना शुरू हो जाएंगी।
पलकों में बहुत ज्यादा ऑयल होने या बैक्टीरियल इंफेक्शन होने की वजह से ब्लेफेराइटिस की समस्या होती है। इससे दृष्टि पर प्रभाव नहीं पड़ता है पर यदि समय पर इलाज न किया गया तो इसके बाद बच्चे को स्टाई, कलाइजन या कंजंक्टिवाइटिस हो सकता है।
इसकी पुष्टि करने के लिए डॉक्टर से मिलें। इसके बाद आप बच्चे की आंख को साफ करने के लिए सेलाइन वॉटर या बेबी शैम्पू का उपयोग करें और साथ ही आंख में एंटीबायोटिक ड्रॉप डालें और वॉर्म कंप्रेस का उपयोग करें।
नाम के अनुसार ही यह तब होता है जब फ्लूइड आने की वजह से डक्ट ब्लॉक हो जाते हैं और उनमें सूजन आ जाती है।
यदि बच्चे की आंख से चिपचिपा डिस्चार्ज होता है और उसकी पलकें चिपकने लगती हैं व आंख बंद हो जाती है तो यह ब्लॉक टियर डक्ट की वजह से होता है।
गर्भ में बच्चे के टियर डक्ट के साथ टिश्यू भी डिसॉल्व हो जाता है और सिर्फ उसका स्थाई भाग रह जाता है। यदि ऐसा न हो तो टिश्यू बचा रहता है और डक्ट को ब्लॉक कर देता है।
अक्सर डक्ट का ब्लॉकेज अपने आप ही खुलता है और समय के साथ डिस्चार्ज खत्म हो जाता है। आप गुनगुने पानी में कपड़ा गीला करके बच्चे की आंखों से डिस्चार्ज साफ करें। यदि 12 से 18 महीने का होने के बाद भी बच्चे को यह समस्या होती है तो डॉक्टर से मिलें क्योंकि उसे सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है।
बच्चों की आंख में इंफेक्शन के लिए कुछ प्रभावी होम रेमेडीज निम्नलिखित हैं, आइए जानें;
बच्चे की इन्फेक्टेड आंख को छूने से पहले हाथ धोना व सैनिटाइज करना बहुत जरूरी है।
ऊपर बताए हुए घरेलू उपचार बहुत प्रभावी हैं पर फिर भी बच्चे की आंख में इंफेक्शन होने पर आप पेडिअट्रिशन से सलाह जरूर लें। ऐसी समस्या होने पर बच्चे को अन्य बच्चों से दूर रखें।
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