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नवजात बच्चों में कंजंक्टिवाइटिस को मेडिकल भाषा में ‘ऑप्थेल्मिया नियोनटोरम’ भी कहते हैं। यह मुख्य रूप से जन्म के दौरान या तुरंत बाद बच्चे की आँखों में इन्फेक्शन की वजह से होता है। यह बीमारी विकासशील देशों विशेष रूप से एशिया और अफ्रीका में बहुत आम है। इस आर्टिकल में बच्चों को जन्म के तुरंत बाद से कंजंक्टिवाइटिस होने के कारण, ट्रीटमेंट और बचाव के बारे में पूरी जानकारी दी गई है, जानने के लिए आगे पढ़ें।
ऑप्थेल्मिया नियोनाटोरम कंजंक्टिवाइटिस है जो एक महीने से छोटे बच्चों में होती है। कंजंक्टिवाइटिस में इन्फेक्शन की वजह से आंखों के भीतरी सरफेस पर सूजन हो जाती है। नवजात शिशु में यह इन्फेक्शन अक्सर माँ से या जन्म के तुरंत बाद उसके आसपास की गंदगी से होता है। छोटे बच्चों में यह इन्फेक्शन होना बहुत आम है और यदि समय पर इसकी पहचान हो जाती है तो इसे ठीक किया जा सकता है। हालांकि गंभीर मामलों में इसकी वजह से आँखों की रौशनी भी जा सकती।
जन्म के तुरंत बाद कंजंक्टिवाइटिस होने के कारणों को इंफेक्शियस और नॉन-इंफेक्शियस प्रकारों में बांटा गया है। इंफेक्शियस कई प्रकार के इन्फेक्शन से होता है और नॉन-इंफेक्शियस या एसेप्टिक किसी केमिकल के संपर्क में आने से होता है, इसके बारे में जानने के लिए आगे पढ़ें;
इनफेक्शियस ऑन बैक्टीरियल और वायरल इन्फेक्शन से भी हो सकता है। डिलीवरी के दौरान बर्थ कैनाल में जाते समय बच्चे को माँ से इंफेक्शन हो सकता है। यदि बच्चा फेस प्रेजेंटेशन (चेहरा पहले या बच्चे की ठोड़ी ऊपर की ओर) है तो इससे इन्फेक्शन होने की संभावनाएं अधिक हैं। कुछ दुर्लभ मामलों में बच्चे को मेम्ब्रेन फटने के दौरान इन्फेक्टेड एमनियोटिक फ्लूइड से भी इन्फेक्शन हो सकता है। यह इन्फेक्शन निम्नलिखित प्रकार के होते हैं, आइए जानें;
बच्चों में गोनोरियल इन्फेक्शन को फैलने से रोकने के लिए प्रोफाइलेक्टिक सिल्वर नाइट्रेट का उपयोग किया जाता है। सिल्वर नाइट्रेट से नवजात शिशु की आंखों के ऊपरी सरफेस में इरिटेशन होती है और इससे गंभीर रूप से कंजंक्टिवाइटिस हो सकता है। क्लोरम्फेनिकोल, एरिथ्रोमाइसिन और नियोमाइसिन सिल्वर नाइट्रेट के सुरक्षित विकल्प हैं और ज्यादातर डॉक्टर हानिकारक केमिकल का उपयोग कम करते हैं।
यदि जन्म के तुरंत बाद बच्चे को कंजंक्टिवाइटिस हो जाता है तो पहले महीने में निम्नलिखित लक्षण दिखाई दे सकते हैं, आइए जानें;
यदि बच्चे को गोनोरियल इन्फेक्शन है तो उसमें जन्म के बाद यह लक्षण दिखाई देने लगेंगे और यदि बच्चे को क्लामेडियल इन्फेक्शन है तो यह लक्षण दिखाई देने में 5 दिन से 28 दिन तक भी लग सकते हैं।
यदि बच्चे में कंजंक्टिवाइटिस के लक्षण दिखाई देने लगते हैं तो डॉक्टर डायग्नोसिस के लिए कुछ स्क्रीनिंग टेस्ट बताते हैं जो निम्नलिखित है, आइए जानें;
एंटीबायोटिक की मदद से अक्सर इन्फेक्शन कम होता है और इससे संबंधित कॉम्प्लिकेशंस की संभावनाएं भी कम हो जाती हैं। हालांकि सही उपचार न होने की वजह से बच्चे में कुछ कॉम्प्लिकेशंस हो सकती हैं, जैसे;
सिस्टम से संबंधित कुछ कॉम्प्लिकेशन हो सकती हैं, जैसे ओटाइटिस, न्यूमॉनिटिस, फैरिंगियल और रेक्टल कोलोनाइजेशन, मेनिन्जाइटिस, अर्थिराइटिस इत्यादि।
यहाँ पर बताए हुए ट्रीटमेंट से कंजंक्टिवाइटिस का इन्फेक्शन कम और इसके लक्षणों को ठीक करने में मदद करते हैं, जानने के लिए आगे पढ़ें;
नवजात शिशु में कंजंक्टिवाइटिस की समस्या का बचाव निम्नलिखित तरीकों से किया जा सकता है, आइए जानें;
दुनिया भर में अब जन्म के तुरंत बाद बच्चों को कंजंक्टिवाइटिस होने की समस्या बहुत कम हो गई है पर कुछ डेवलपिंग देशों में इसकी सामान्य जानकारी और मेडिकल उपचारों के बारे में बताया जाता है। समय से इलाज कराने से नवजात शिशु में कंजंक्टिवाइटिस की समस्या पूरी तरह से ठीक हो सकती है और इससे दृष्टि के लिए खतरा होना बहुत दुर्लभ है।
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