शिशु

छोटे बच्चों को बुखार आना

बच्चे को बुखार आना एक माँ एक लिए सबसे अधिक चिंताजनक बात है। यदि उसे रात में अचानक से बुखार आ जाए तो आप नहीं जानती होंगी कि आपको क्या करना चाहिए। खैर इस समय सबसे ज्यादा जरूरी है कि आप बच्चे को आराम करने में मदद करें और यदि बुखार बहुत तेज व गंभीर है तो डॉक्टर की मदद लें। 

यदि बच्चे के शरीर का टेम्परेचर उसके सामान्य टेम्परेचर से ज्यादा है तो इसका अर्थ है कि उसे बुखार है। बच्चों को इन्फेक्शन की वजह से भी बुखार आ सकता है इसलिए यदि आपके बच्चे का सिर गर्म है तो सबसे पहले आप उसका टेम्परेचर चेक करें। 

छोटे बच्चों में बुखार का तापमान क्या है?

यदि आप हाल ही में माँ बनी हैं या आपके बच्चे को पहली बार बुखार आया है तो आपको यह जानना चाहिए कि बच्चों में बुखार का टेम्परेचर कितना होता है। बच्चे का नॉर्मल टेम्परेचर 97 डिग्री फारेनहाइट से 100.3 डिग्री फारेनहाइट तक होता है (36-38 डिग्री सेल्सियस)। यदि बच्चे के शरीर का टेम्परेचर 100.4 डिग्री फारेनहाइट या इससे ज्यादा है तो इसे बुखार माना जाएगा। 

छोटे बच्चों में बुखार आने के कारण

यदि बच्चे को बुखार है तो इसका यह मतलब है कि उसका इम्यून सिस्टम बीमारी से लड़ रहा है। बुखार खुद में एक बीमारी नहीं होती है, यह आपके बच्चे को हुई बीमारी का एक लक्षण है। बच्चे में तेज बुखार होने के कई कारण हो सकते हैं जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं, आइए जानें;

  • गर्मी में बहुत देर तक बाहर जाने या बच्चे को ज्यादा कपड़े पहनाने से।
  • कुछ वैक्सीन के रिएक्शन से।
  • कान में हुए इन्फेक्शन की वजह से।
  • यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन या यूटीआई की वजह से।
  • निमोनिया की वजह से
  • वायरल इन्फेक्शन, जैसे फ्लू, जुकाम या इंटेस्टाइन में इन्फेक्शन होने से।
  • कुछ गंभीर समस्याएं, जैसे मेनिंजाइटिस या खून में बैक्टीरियल इन्फेक्शन होने से भी बच्चे को बुखार आ सकता है।

छोटे बच्चों में बुखार आने के संकेत और लक्षण

यदि बच्चे को बुखार है तो हो सकता है उसका सिर गर्म हो या ये भी हो सकता है कि उसका सिर गर्म न हो। कभी-कभी सिर गर्म न होने पर भी बच्चे को बुखार हो सकता है। हालांकि आपको इसके कुछ लक्षण दिखाई दे सकते हैं, जैसा बच्चा बहुत रोता या चिड़चिड़ाता है। वायरल बुखार होने के कुछ गंभीर लक्षण निम्नलिखित हैं, आइए जानें;

  • बच्चे को सोने में कठिनाई होगी।
  • बच्चा ठीक से दूध नहीं पिएगा।
  • बच्चा कमजोर या सुस्त दिखेगा।
  • बच्चा कम खेलेगा या अन्य एक्टिविटीज भी कम करेगा।
  • कुछ मामलों में बच्चे को दौरा पड़ सकता है।

छोटे बच्चों में वायरल और बैक्टीरियल बुखार

बच्चे को वायरल या बैक्टीरियल इन्फेक्शन की वजह से भी बुखार आ सकता है। वायरल इन्फेक्शन में कॉमन सर्दी, जुकाम, फ्लू, इंटेस्टाइन में इन्फेक्शन और आदि होता है। यह अक्सर तीन दिनों के भीतर ही ठीक हो जाती है और इसमें कोई भी एंटीबायोटिक्स लेने की जरूरत नहीं है क्योंकि वायरल इन्फेक्शन में एन्टीबॉटिक्स लेने से कोई भी फायदा नहीं होगा। 

बैक्टीरियल इन्फेक्शन, जैसे यूटीआई, बैक्टीरियल निमोनिया, बैक्टीरियल मेनिन्जाइटिस या कान में बैक्टीरियल इन्फेक्शन से बच्चे को बैक्टीरियल बुखार आ सकता है। बैक्टीरियल इन्फेक्शन बार-बार नहीं होता है और इससे बच्चे में गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। बैक्टीरियल इन्फेक्शन के ज्यादातर मामलों में एंटीबायोटिक्स का कोर्स करने की जरूरत होती है। 

छोटे बच्चे का तापमान कैसे चेक करें

सबसे पहले आपको पता होना चाहिए कि बच्चे के शरीर का टेम्परेचर कितना है तभी आप उसके बुखार का इलाज कर पाएंगी और इसके लिए आपको मुख्य रूप से थर्मामीटर की जरूरत होगी। आप बच्चे का टेम्परेचर निम्नलिखित तरीकों से चेक कर सकती हैं, आइए जानें;

  1. टेम्परेचर की ओरल जांच

बच्चे के टेम्परेचर की जांच ऊपरी रूप से करना ही सबसे सही तरीका है पर यदि बच्चा 4 साल या इससे बड़ा है तभी ऐसा करने की सलाह दी जाती है। वरना बुखार जांचने के लिए आप कोई अन्य तरीका भी अपना सकती हैं या किसी ऑक्सिलरी मेथड का उपयोग कर सकती हैं। 

  1. रेक्टल जांच से टेम्परेचर चेक करें

यदि बात शिशु या बहुत छोटे बच्चों की हो तो टेम्परेचर की रेक्टल जांच करना बहुत आसान नहीं है पर अन्य तरीकों की तुलना में इससे बिलकुल सही परिणाम सामने आते हैं। यह सलाह दी जाती है कि थर्मामीटर का रेक्टल उपयोग करने के लिए आपको इसे पूरी तरह से साफ कर लेना चाहिए। इसके लिए पहले आप बच्चे को पेट के बल लिटाएं, थर्मामीटर की टिप पर पेट्रोलियम जेली लगा लें और आराम से उसके रेक्टम में एक इंच तक डालें। थर्मामीटर की बीप आने पर इसे निकाल लें और रीडिंग्स चेक करें। 

  1. आर्मपिट से टेम्परेचर जांचें

आप बच्चे की आर्मपिट से टेम्परेचर चेक करने के लिए बच्चे के ऊपरी कपड़े उतारें, देख लें कि उसका आर्मपिट गीला नहीं होना चाहिए और फिर बीप होने तक थर्मामीटर की टिप को उसकी त्वचा पर लगाएं। रेक्टल जांच की तुलना में इससे सही परिणाम बहुत कम दीखता है पर यह एक आसान तरीका है। 

बच्चों में बुखार से संबंधित कॉम्प्लीकेशंस

बुखार आने से बच्चों में कुछ कॉम्प्लीकेशंस भी हो सकती हैं और उन में से कुछ यहाँ निम्नलिखित हैं, आइए जानें;

फेब्राइल सीजर: बुखार आने से बच्चे को फेब्राइल सीजर हो सकता है। इस समस्या में बच्चे का शरीर कठोर हो जाता है और उसे उल्टी हो सकती है, मुंह से सलाइवा आ सकता है या आँखें भी चढ़ सकती हैं। 

रेकरेन्ट फीवर: कुछ मामलों में बच्चे को तीन से चार दिनों तक बुखार हो सकता है या कुछ समय के बाद कम हो जाता है। यह तब होता है जब बच्चे में इन्फेक्शन पूरी तरह से ठीक न हुआ हो और उसे एक लंबे ट्रीटमेंट की जरूरत हो। 

असिम्पटोमैटिक बुखार: कभी-कभी बच्चों में बुखार के नाक बहने, उल्टी, खांसी या डायरिया जैसे लक्षण नहीं दिखते हैं। इसमें बुखार का सही कारण नहीं पता लगता है। ऐसा बुखार होने पर आप अपने बच्चे की जांच कराएं और इसका सही कारण समझें। 

बुखार का ट्रीटमेंट

बुखार तब होता है जब इम्यून सिस्टम विभिन्न वायरस या बैक्टीरिया से लड़ता है। बुखार वाइट ब्लड सेल्स बनाने में मदद करता है जो प्राकृतिक रूप से इन्फेक्शन से लड़ने में मदद करते हैं। यदि हीट की वजह से टेम्परेचर बहुत ज्यादा है तो आप बच्चे के अतिरिक्त कपड़े निकाल दें और उसे एक ठंडी जगह पर सुलाएं। हालांकि यदि बच्चे को अन्य कारणों की वजह से बुखार आया है तो आपको डॉक्टर से संपर्क करने की जरूरत है। वास्तव में यदि 3 महीने से कम आयु के बच्चे को बुखार आता है तो आप तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। इससे संबंधित मदद के लिए डॉक्टर ही आपकी मदद कर सकते हैं। 

दवाएं

बच्चे का बुखार कम करने के लिए डॉक्टर इब्यूप्रोफेन या एसिटामिनोफेन प्रिस्क्राइब कर सकते हैं (6 महीने से कम आयु के बच्चे को इब्यूप्रोफेन देने की सलाह नहीं दी जाती है)। हालांकि बच्चे को कोई भी दवा देने के लिए आपको सावधानी बरतनी चाहिए। निम्नलिखित टिप्स से आपका यह काम भी आसान हो जाएगा, आइए जानें;

दवा देने के टिप्स

  • बच्चे के वजन के अनुसार ही उसे दवाई नाप कर दें।
  • बच्चे को प्रिस्क्राइब की हुई से अधिक दवा न दें।
  • अपने बच्चे को एस्पिरिन न दें क्योंकि इससे उसे अन्य समस्याएं हो सकती हैं, जैसे रेये’स सिंड्रोम।
  • आप बच्चे को सीधे मेडिकल से दवा खरीद कर भी न दें। यदि जरूरत हो तो पहले डॉक्टर से संपर्क करें।

स्पंज बाथ

यदि बच्चे को बहुत तेज बुखार है तो इसे कम करने के लिए आप बच्चे को स्पंज बाथ कराएं। बुखार कम करने का यह एक प्रभावी तरीका है। आप बच्चे को गुनगुने पानी से भी स्पंज बाथ या स्नान करा सकती हैं। इस बात का ध्यान रखें कि आप सिर्फ गुनगुना या सादा पानी का ही उपयोग करें और ठंडे पानी का उपयोग न करें। आप बच्चे के शरीर में अल्कोहल लगाकर उसे स्पंज बाथ न कराएं। अल्कोहल अक्सर शरीर में अब्सॉर्ब हो जाता है और बच्चे के खून में भी जा सकता है। इससे शरीर का तापमान तुरंत कम हो जाएगा पर बाद में फिर बढ़ सकता है। 

बच्चों में बुखार के लिए होम रेमेडीज

बच्चों की कई समस्याओं को खत्म करने के लिए होम रेमेडीज का उपयोग करना चाहिए क्योंकि इससे कम से कम साइड-इफेक्ट्स होते हैं और बच्चे का इम्यून सिस्टम मजबूत होता है।

बच्चों में बुखार के लिए कुछ होम रेमेडीज निम्नलिखित हैं, आइए जानें;

बच्चों को कम कपड़े पहनाएं: बुखार में सबसे पहले आप बच्चे को कम कपड़े पहनाएं। कम कपड़े पहनाने से शारीरिक हीट कम होती है। यदि बच्चा कांप रहा है तो उसे एक हल्का ब्लैंकेट ओढ़ा दें। 

घर के अंदर रहें: बच्चे को धूप में बहुत ज्यादा न ले जाएं। यह सलाह दी जाती है कि बुखार होने पर बच्चे को घर में ही रखें। 

पंखा चला दें: बच्चे का शरीर का टेम्परेचर कम करने के लिए आप हल्की स्पीड में पंखा चला दें। 

पर्याप्त हाइड्रेट रखें: इस बात कर ध्यान रखें कि आप बच्चे को खूब सारा तरल पदार्थ दें ताकि वह हाइड्रेटेड रहे। 

बच्चे को गुनगुने पानी से नहलाएं: आप बच्चे को गुनगुने पानी से नहला सकती हैं क्योंकि इससे उसके शरीर का टेम्परेचर कम होगा। 

सिर पर पट्टी रखें: आप एक साफ कपड़े को भिगोकर बच्चे के सिर में रखें। इससे भी उसके शरीर का टेम्परेचर कम होगा। 

डॉक्टर से कब मिलें

यदि बच्चे को बहुत तेज बुखार होता है तो आपको डॉक्टर के पास जाने की जरूरत है। यदि आपको बुखार के निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं तो डॉक्टर से संपर्क करना बिलकुल भी न भूलें। वे कौन से लक्षण हैं, आइए जानें;

  • यदि बच्चा 3 महीने या उससे भी छोटा है और उसे 100.4 डिग्री फारेनहाइट  से ज्यादा तेज बुखार है।
  • यदि बच्चा तीन महीने से ज्यादा बड़ा है और बीमार लगता है और उसे 24 घंटे से ज्यादा समय तक तेज बुखार रहता है।
  • यदि बच्चा 3 से 6 महीने तक का है और उसे 101 डिग्री फारेनहाइट या उससे तेज बुखार है। बच्चे में बुखार के साथ अन्य लक्षण भी दिखते हैं तो आप डॉक्टर से जरूर मिलें।
  • यदि बच्चे का डायपर कम गीला होता है तो भी आप डॉक्टर से मिलें।
  • यदि बच्चे को सांस लेने में तकलीफ होती है।
  • यदि बच्चे के शरीर में धब्बे या रैशेज होते हैं।

ज्यादातर मामलों में बच्चों को बुखार आने से कोई भी कॉम्प्लिकेशन नहीं होती है और यह वायरल या बैक्टीरियल इन्फेक्शन की वजह से होता है। हालांकि, बच्चे को बुखार आने का कोई हो पर यदि यह जल्दी ठीक नहीं होता है तो इसका उपचार करना जरूरी है। यह सलाह दी जाती है कि यदि बच्चे को किसी भी तरह का बुखार होता है तो आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। समय से उपचार करने से बच्चे को कोई भी गंभीर समस्या नहीं होगी। 

यह भी पढ़ें:

बच्चों को वैक्सीन लगाने के बाद बुखार आना
बच्चों के पेट में कीड़े – कारण, लक्षण व उपचार
बच्चों के सीने में कफ जमना – कारण, लक्षण और घरेलू उपचार

सुरक्षा कटियार

Recent Posts

जादुई हथौड़े की कहानी | Magical Hammer Story In Hindi

ये कहानी एक लोहार और जादुई हथौड़े की है। इसमें ये बताया गया है कि…

1 week ago

श्री कृष्ण और अरिष्टासुर वध की कहानी l The Story Of Shri Krishna And Arishtasura Vadh In Hindi

भगवान कृष्ण ने जन्म के बाद ही अपने अवतार के चमत्कार दिखाने शुरू कर दिए…

1 week ago

शेर और भालू की कहानी | Lion And Bear Story In Hindi

शेर और भालू की ये एक बहुत ही मजेदार कहानी है। इसमें बताया गया है…

1 week ago

भूखा राजा और गरीब किसान की कहानी | The Hungry King And Poor Farmer Story In Hindi

भूखा राजा और गरीब किसान की इस कहानी में बताया गया कि कैसे एक राजा…

1 week ago

मातृ दिवस पर भाषण (Mother’s Day Speech in Hindi)

मदर्स डे वो दिन है जो हर बच्चे के लिए खास होता है। यह आपको…

1 week ago

मोगली की कहानी | Mowgli Story In Hindi

मोगली की कहानी सालों से बच्चों के बीच काफी लोकप्रिय रही है। सभी ने इस…

1 week ago