किसी ने कहा है कि जब एक औरत मां बनती है तो उसे अपनी उन शक्तियों के बारे में जानने का मौका मिलता जिससे वो अब तक शायद अनजान थी!
एक मां की जिम्मेदारियां बहुत बड़ी होती है और यह बात एक मां से बेहतर कौन जान सकता है जो अपने बच्चे के लिए अपनी सारी सुख-सुविधाएं त्याग देती है। जब आपके लिए आपके बेबी ही हेल्थ सबसे अहम होती है, तो आप इसके लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हो जाती हैं, ताकि आप उसके लिए हर वो संभव चीज कर सकें जो सही हो। इसलिए, चाहे वह भोजन, नींद, पॉटी या नहाने का शेड्यूल हो, यहाँ तक कि बच्चे को समय पर डकार दिलाना हो, ऐसा कुछ भी नहीं है, जिस पर एक मां का ध्यान न रहता हो। हालांकि, शिशु को अचानक होने वाली डाइजेस्टिव प्रॉब्लम या कोई और समस्या आपको जरूर परेशान कर सकती है। इस आर्टिकल में आपको कुछ टिप्स बताई गई हैं, जिनसे आप अपने नन्हे बेबी में होने वाली डाइजेस्टिव प्रॉब्लम का सामना कर सकती हैं।
नवजात शिशुओं का डाइजेस्टिव सिस्टम बहुत कमजोर होता है, जो समय और बच्चे की ग्रोथ के साथ-साथ स्ट्रांग होने लगता है। भोजन नलिका, जो कि एक वाल्व होता है और ये पेट से खाने को भोजन नली में लौटने से रोकता है, ये अभी भी बच्चों में डेवलप हो रहा होता है, थूक बाहर करना और रिफ्लक्स की समस्या बच्चों में काफी कॉमन होती है। हालांकि यह नई मां के लिए काफी परेशानी का कारण बन सकता है, एक जाना माना फैक्ट यह है कि एसिड रिफ्लक्स 4 से 12 महीने के बीच में खुद ही ठीक हो जाता है। मामला गंभीर होने पर, मेडिकल हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है।
बच्चों में रिफ्लक्स की प्रॉब्लम काफी आम है और इसके बारे में आपको बहुत ज्यादा चिंता नहीं करनी चाहिए। हालांकि, अगर आप रिफ्लक्स डिजीज के नीचे बताए गए लक्षणों को नोटिस करें, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श करें क्योंकि यह बच्चे के रेगुलर फीडिंग को प्रभावित कर सकता है, जिससे उसके शरीर को पर्याप्त न्यूट्रिएंट्स नहीं मिल सकेंगे।
उल्टी की समस्या बड़ों के लिए ही बहुत ज्यादा थकाने वाली होती है और बच्चों के लिए तो और भी ज्यादा समस्या का कारण बनती है। बच्चों में उल्टी की समस्या ज्यादातर वायरल या बैक्टीरियल इन्फेक्शन के कारण होती है। हालांकि इस दौरान आप फीडिंग कराना जारी रख सकती हैं, ताकि शरीर से जो फ्लूइड कम हुआ है उसे रिकवर किया जा सके, तो यहाँ आपको कुछ एक्स्ट्रा चीजें करनी होंगी, ताकि बच्चे को आराम मिल सके।
अपने बच्चे की फीडिंग जारी रखें, लेकिन कम कम मात्रा में और थोड़ी -थोड़ी देर पर फीड कराएं बजाय ज्यादा देर तक फीड कराने के। इससे बच्चा दिन भर हाइड्रेटेड रहेगा। यदि वो फीड नहीं कर रहा है, तो डॉक्टर से बात करें और उसे ओरल रिहाइड्रेशन रेमेडी दें।
अपने डॉक्टर को बुलाएं अगर आप नीचे बताई गई बातों को नोटिस करें –
फीडिंग के दौरान बच्चे काफी सारी हवा भी निगल लेते हैं, जो नेचुरल है और अपने कई बार ऐसा सुना भी होगा। समय और एक्सपर्ट की सलाह के साथ, बच्चों में ये चीज धीरे-धीरे कम होने लगती है। हालांकि, जिस बच्चे ने अभी ठीक से मूवमेंट भी करना न शुरू किया हो, उसमें गैस की परेशानी को सीधे तौर पर खत्म नहीं किया जा सकता है ।
यह देखा गया है कि गैस की परेशानी तब कम होने लगती है जब बच्चा लगभग 3-4 महीने का हो जाता है या वह खुद ही करवट लेने लगता है। यह डेवलपमेंट बच्चे की नेचुरली मदद करता है और गैस की समस्या को दूर करता है। अगर आप नीचे बताई टिप्स को फॉलो करें तब भी बच्चे को काफी हेल्प मिलेगी:
अगर सभी उपचार आजमाने के बावजूद भी बच्चे को असहज महसूस होता है, तो उसे डॉक्टर के पास ले जाएं।
डायरिया काफी खतरनाक और बच्चों में होने वाली गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल डिसऑर्डर में से एक है। इससे बच्चे को बार-बार लूज मोशन हो सकते हैं, जिससे जल्दी ही गंभीर रूप से डिहाइड्रेशन की समस्या होने लगती है और इसके लिए तुरंत मेडिकल हेल्प लेनी चाहिए। रोटावायरस इस बीमारी के होने की सबसे आम वजह है और इसलिए, बच्चे के शुरुआती महीनों में ही उसका टीकाकरण कराने की सलाह दी जाती है।
ध्यान रखें कि बच्चा हमेशा हाइड्रेटेड रहे और उसे थोड़े-थोड़े समय पर फॉर्मूला मिल्क या ब्रेस्ट मिल्क देती रहें। बच्चे को तब तक के लिए सॉलिड फूड न दें जब तक उसका पेट ठीक नहीं हो जाता है।
यदि कुछ दिनों के बाद भी दस्त बंद नहीं होता है, तो आपको दवा के लिए डॉक्टर से परामर्श करना होगा। हालांकि, अगर आपको बच्चे में निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं, तो बिना इंतजार किए तुरंत डॉक्टर से मिलें:
कोलिक वो टर्म है जिसमें बच्चा बहुत चिड़चिड़ा हो जाता है। आम धारणा के विपरीत, इसका कोई ठोस सबूत नहीं है कि कोलिक पेट की गैस या अपच से संबंधित है। मेडिकली देखा जाए, तो जो बच्चे सप्ताह में तीन बार या उससे ज्यादा 3 या 4 घंटे तक रोते हैं, खासतौर पर शाम के समय में, उन्हें कोलिक की समस्या होती है।
यदि आपको लगता है कि 3 महीने की उम्र के बाद भी आपके बच्चे की यह समस्या दूर नहीं हो रही है, तो बेहतर है कि डॉक्टर से मिलें और उनसे पूछें कि आप इस परेशानी को दूर करने के लिए क्या कर सकती हैं।
बेबी के शुरूआती स्टेज में कठोर मल तब होता है जब डाइजेस्टिव सिस्टम न्यूट्रिएंट्स को अब्सॉर्ब करने का काम कर रहा होता है और बाकी का वेस्ट निकल जाता है। बच्चे में अपच की समस्या तब और खराब हो सकती है जब आप उसे सॉलिड फूड देना शुरू करती हैं।
कब्ज का इलाज करने की आपको तब जरूरत पड़ सकती है जब आप नीचे दी गई किसी भी स्थिति को नोटिस करें:
कभी-कभी कुछ बच्चे जेनेटिक अब्नोर्मलिटी के साथ पैदा होते हैं, जिसके लिए मेडिकल हेल्प की या सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है।
हालांकि ये अब्नोर्मलिटी बहुत ही दुर्लभ है, अगर बच्चे को पाचन की ऐसी समस्याएं हो रही हैं जिन्हें समझना मुश्किल है, तो चेकअप कराएं।
इन सभी जानकारियों के बावजूद भी कभी-कभी बच्चे को अचानक से कोई समस्या होने लगती है, तो आप खुद को इसके लिए तैयार कर लें। मां होने नाते आपकी सभी परेशानी एक पल में दूर हो जाती है जब आप अपने बच्चे को हंसते हुए देखती हैं। हमें उम्मीद है कि इस लेख से आपको काफी मदद मिली होगी जिससे आप शिशुओं में होने वाली कॉमन डाइजेस्टिव समस्याओं को समझ सकें और उनका सामना कर सकें।
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