बेबी एलर्जी और उनसे निपटने के तरीके

बेबी एलर्जी और उनसे निपटने के तरीके

आज के समय में हमारा सामना अनगिनत बीमारियों से होता रहता है और एलर्जी एक बहुत ही आम बात है। पर हर एलर्जी खतरनाक नहीं होती है। ना केवल बड़े बल्कि नन्हे बच्चे भी एलर्जी के शिकार हो सकते हैं। बच्चों में फूड एलर्जी आमतौर पर सबसे अधिक देखी जाती है। शिशुओं में कई तरह की चीजों से एलर्जी हो सकती है और आपको कई प्रकार की एलर्जी के सबसे आम कारणों के प्रति जागरूक होना और उन्हें संभालने के तरीके की जानकारी होना जरूरी है। 

एलर्जी क्या होती है?

‘एलर्जी’ आमतौर पर इस्तेमाल किया जाने वाला एक शब्द है, जिसके माध्यम से किसी पदार्थ के प्रति होने वाले असामान्य रिएक्शन को दर्शाया जाता है। शरीर कुछ खास पदार्थों के प्रति हाइपरसेंसेटिव हो जाता है। इस ट्रिगर के प्रति शरीर में होने वाला रिएक्शन एलर्जिक रिएक्शन कहलाता है। 

शिशु दूध, अंडे, गेहूं और मछली जैसे कुछ खाद्य पदार्थों के प्रति एलर्जिक हो सकते हैं। एलर्जिक रिएक्शन से उनमें रैश, सांस लेने में कठिनाई और लगातार छींकने जैसे लक्षण दिख सकते हैं। 

बेबी में एलर्जी कितनी आम होती है?

छोटे बच्चे नाजुक होते हैं और उनका इम्यून सिस्टम अभी भी विकसित हो रहा होता है। इसलिए शिशुओं को एलर्जी का खतरा अधिक होता है। बच्चे खाने के साथ-साथ अन्य बाहरी पदार्थों के प्रति भी एलर्जिक हो सकते हैं। 

एलर्जी होने का खतरा किसे होता है?

एलर्जी के किसी एक ट्रिगर को पहचानना कठिन होता है। इसलिए आपके बच्चे को एलर्जी होगी या नहीं यह समझ पाना आसान नहीं है। किसी व्यक्ति को किसी खास पदार्थ के प्रति एलर्जी होने के पीछे आनुवंशिक संबंध हो सकते हैं। अगर परिवार में ऐसा चला आ रहा है, तो उन्हीं चीजों के प्रति आपके बच्चे को एलर्जी होने की संभावना भी अधिक होती है। कभी-कभी इसके पीछे एक ही एलर्जेन (एलर्जी पैदा करने वाला पदार्थ) हो, ऐसा जरूरी नहीं है। बल्कि किसी बिल्कुल नई चीज से भी एलर्जिक रिएक्शन हो सकते हैं। चूंकि शिशु का इम्यून सिस्टम पूरी तरह से विकसित नहीं होता है, ऐसे में उन्हें इनका खतरा अधिक होता है। 

एलर्जी बनाम जुकाम

एलर्जी बनाम जुकाम

अक्सर एलर्जी को आम सर्दी जुकाम समझ लिया जाता है, क्योंकि इसके कुछ लक्षण बिल्कुल एक जैसे होते हैं। बल्कि कुछ लोगों को इन दोनों के बीच के अंतर की जानकारी होती ही नहीं है। 

आम सर्दी-जुकाम एक वायरस से होता है और यह संक्रामक होता है। जब आपको जुकाम होता है, तब शरीर का  इम्यून सिस्टम काउंटर अटैक करता है। जिसके नतीजे के कारण आपको खांसी, जुकाम, बुखार, बदन दर्द, सिर दर्द आदि होते हैं। इसमें कई दिन लग सकते हैं और इसे ठीक करने के लिए आपको कुछ दवाइयां भी लेनी पड़ सकती हैं। 

वहीं दूसरी ओर जब शरीर का इम्यून सिस्टम अधिक सेंसिटिव होता है, तब एलर्जी होती है। आपका शरीर आमतौर पर नुकसान रहित चीजों को बाहरी वस्तु समझ लेता है और उन पर हमला करने लगता है। इससे रैश या छींकने जैसे एलर्जिक रिएक्शन हो सकते हैं। दूध, सोया, मछली, पोलें, गेहूं, नट्स और धूल आदि कुछ आम एलर्जेन हैं। आम सर्दी-जुकाम के विपरीत एलर्जी जल्दी नहीं जाती हैं और ये बार-बार आती रहती हैं। ये संक्रामक नहीं हैं। 

कुछ संकेत जिनसे आप यह समझ सकती हैं कि आपके बच्चे को एलर्जी हुई है जुकाम नहीं

अगर आपका बच्चा लंबे समय तक चिड़चिड़ा रहता है और उसकी नाक बंद रहती है, तो हो सकता है कि बच्चे को किसी चीज से एलर्जी हुई हो। एक एलर्जिक रिएक्शन तुरंत दिखता है, वहीं जुकाम देर से दिखता है। अगर आप यह महसूस करती हैं, कि आपका बच्चा नाक बंद होने के कारण या शरीर पर रैश होने के कारण सो नहीं पा रहा है, तो बहुत अधिक संभावना है, कि उसे जुकाम नहीं बल्कि एलर्जी हुई हो। 

बच्चों को एलर्जी कैसे होती है?

ज्यादातर एलर्जी अनुवांशिक होती हैं और परिवार के लोगों में आम होती हैं। ऐसी एलर्जी ज्यादातर खाने से संबंधित होती हैं। बच्चे को पालतू जानवरों, माइट्स और पोलेन से भी एलर्जी हो सकती है। एक बच्चे को जीवन में कभी भी और कहीं से भी एलर्जी हो सकती है। 

बच्चों में एलर्जी की पहचान

आमतौर पर एलर्जिक रिएक्शन एलर्जी के संपर्क में आने के बाद तुरंत नजर आते हैं। इसका सबसे पहला लक्षण होता है, बहुत सारी छींके आना, बंद नाक और आंखों से पानी निकलना। हर बार एलर्जेन के संपर्क में आने पर बच्चे में ऐसे लक्षण दिखते हैं। 

अलग-अलग एलर्जी के लिए कई तरह के टेस्ट होते हैं। लेकिन इसे जानने का सबसे अच्छा तरीका होता है, इस पर ध्यान देना और एलर्जी को पहचानना। 

छोटे और बड़े बच्चों में एलर्जी सबसे अधिक क्यों देखी जाती है?

शिशुओं और बच्चों में एलर्जी सबसे अधिक क्यों देखी जाती है, इसका कोई विशेष कारण नहीं है। बढ़ते हुए प्रदूषण के कारण हम घर के बाहर के प्रदूषण के खतरे में अधिक होते हैं। आमतौर पर ऐसा माना जाता है, कि घर के अंदर साफ माहौल और नुकसान रहित कीटाणुओं से कम संपर्क होने से एलर्जी की घटनाएं बढ़ती हैं। क्योंकि बच्चे के शरीर को ऐसे वातावरण के प्रति डिफेंस मेकैनिज्म तैयार करने का मौका नहीं मिल पाता है। कभी-कभार बच्चों का सामना गंदगी से भी होना चाहिए। जरूरत से ज्यादा सुरक्षित रखने से बच्चों को फायदे से ज्यादा नुकसान हो सकता है। 

एलर्जिक रिएक्शन क्या है और इस दौरान क्या होता है?

जब हमारा संपर्क किसी एलर्जेन से होता है, तो हमारा शरीर इन एलर्जेन से लड़ने के लिए एंटीबॉडीज रिलीज करता है और ये एंटीबॉडीज हिस्टामाइनस कहलाते हैं। इन हिस्टामाइनस के कारण ब्लड वेसल में सूजन आ जाती है। जिसके कारण रैश, बंद नाक, छींक और आंखों में खुजली जैसे लक्षण दिखते हैं और सांस लेने में कठिनाई होने लगती है। आश्चर्य की बात यह है, कि एक प्रकार का हिस्टामाइन केवल एक ही प्रकार की एलर्जी पर हमला करता है। उदाहरण के लिए किसी को अंडे से एलर्जी हो सकती है, लेकिन हो सकता है कि उसे मूंगफली से एलर्जी न हो। 

छोटे बच्चों को होने वाली आम एलर्जी 

बच्चों में देखी जाने वाली कुछ आम एलर्जी इस प्रकार हैं: 

  • खाने से एलर्जी
  • दूध से एलर्जी
  • स्किन एलर्जी
  • पालतू जानवरों की रूसी से एलर्जी
  • डस्ट माइट
  • पॉलेन एलर्जी
  • मोल्ड से एलर्जी

1. खाने से एलर्जी

बच्चों में फूड एलर्जी सबसे अधिक देखी जाती हैं। रिसर्च दर्शाते हैं, कि लगभग 4% शिशु और बच्चे फूड एलर्जी से जूझते हैं। अंडे, गेहूं, नट्स, चॉकलेट और मछली जैसे खाद्य पदार्थों से बच्चों में फूड एलर्जी हो सकती है। 

लक्षण

इसके सबसे आम लक्षण इस प्रकार हैं:

  •  बंद नाक
  •  पेट फूलना 
  •  आंखों में खुजली या सूजन
  •  पेट में दर्द
  •  डायरिया

जटिलताएं

बच्चों में फूड एलर्जी होने पर बहुत कठिनाई हो जाती है, क्योंकि वे अपने असुविधा को व्यक्त नहीं कर पाते हैं। हालांकि पिछले सेक्शन में बताए गए लक्षण नुकसान रहित दिखते हैं। पर कुछ मामलों में ब्लड वेसल की सूजन के कारण जीभ मोटी हो सकती है। इस सूजन के कारण एयर पैसेज ब्लॉक हो सकता है और बच्चे को सांस लेने में कठिनाई हो सकती है (एनाफायलैक्टिक शॉक)। 

इलाज

एलर्जी पैदा करने वाले एलर्जेन से दूर रहना ही एलर्जी का इलाज है। हो सकता है कि यह समाधान प्रैक्टिकल न हो। डॉक्टर एंटीहिस्टामाइन जैसे दवाएं प्रिस्क्राइब करते हैं। कुछ फूड एलर्जी बच्चे के बड़े होने पर अपने आप चली जाती हैं। 

बचाव 

एलर्जी पैदा करने वाले खाद्य पदार्थों से दूर रहना ही सबसे अच्छा है। अगर आपके बच्चे में एलर्जी के लक्षण दिख रहे हैं, तो बेहतर है कि भविष्य में उसे उन पदार्थों से दूर रखा जाए।

मां का दूध पीने वाले कुछ बच्चों को मां के दूध से एलर्जी हो सकती है। इसकी अधिक संभावना इसलिए है, क्योंकि मां के आहार में गाय का दूध शामिल होता है और ऐसे में जब बच्चे को मां के दूध के बजाय फार्मूला दूध दिया जाता है, तो वह अपने आप ठीक हो जाता है। ब्रेस्टफीडिंग करने वाले बच्चों में दूध से होने वाली एलर्जी के लक्षणों में उल्टी, डायरिया, पेट में दर्द, बंद नाक और वजन का न बढ़ना शामिल हैं।आपके बच्चे की मिल्क एलर्जी केवल शुरुआती वर्षों में हो सकती है और उसके बड़े होने पर यह अपने आप ठीक भी हो सकती है। 

कुछ बच्चों को अंडे से एलर्जी होती है लड़कियों की तुलना में लड़कों में ऐसा अधिक देखा जाता है। ऐसे मामलों में कुछ वर्षों के लिए उन्हें अंडे देने से बचें। 2 वर्षों के अंतराल के बाद उनके भोजन में अंडे को शामिल करने की कोशिश करें और देखें कि उन्हें एलर्जी होती है या नहीं। 

2. बेबी स्किन एलर्जी

बेबी स्किन एलर्जी

औसतन लगभग 10% बच्चों को स्किन एलर्जी होती है। इसमें से एग्जिमा सबसे आम होता है, जिसे एटॉपिक डर्मेटाइटिस के नाम से भी जानते हैं। अन्य स्किन एलर्जी इस प्रकार हैं: 

  • सीबोरिया
  • डर्मेटाइटिस
  • घमौरियां

एक्जिमा त्वचा की एक प्रकार की बीमारी है, जिसमें शरीर पर सूखे लाल धब्बे हो जाते हैं। इन धब्बों से पस निकलता है और इनमें जलन भी हो सकती है। सूखने के बाद इनमें पपड़ीदार परत बन जाती है। 

लक्षण

ये लाल धब्बे ज्यादातर एड़ियों, कलाइयों और गर्दन पर बनते हैं। 

जटिलताएं

अगर एक्जिमा का इलाज न किया जाए, तो यह काफी दर्दनाक हो सकता है और यह समस्या जीवन भर रह सकती है। 

इलाज

एक्जिमा का इलाज एक स्टेरॉयड ट्रॉपिकल क्रीम (हाइड्रोकॉर्टिसोन) के द्वारा किया जाता है। 

बचाव 

निम्नलिखित रूटीन के द्वारा एक्जिमा को आसानी से मैनेज किया जा सकता है:

  •  एलर्जेन और स्किन इरिटेंट से दूर रहना
  •  एक नियमित स्किन केयर रूटीन को फॉलो करना
  •  बच्चे के एलर्जी रैश को बहुत अधिक घिसने या खुजलाने से बचना
  •  तनाव से बचना 

3. नेसल एलर्जी

नेसल एलर्जी

नेसल एलर्जी या रेस्पिरेटरी एलर्जी गंभीर होते हैं और इनमें तुरंत इलाज की जरूरत होती है। यह एलर्जी अक्सर आम सर्दी जुकाम जैसी दिखती है। लेकिन फर्क यह होता है, कि जुकाम ऊपरी रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट को प्रभावित करता है, वहीं नेसल एलर्जी निचले रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट को प्रभावित करता है। 

लक्षण

रेस्पिरेटरी एलर्जी एयरवेज और नेसल पैसेज को प्रभावित करती है। जिससे खांसी और घरघराहट पैदा होती है। सांस लेने में कठिनाई और छाती में कसावट इसके अन्य लक्षण हैं। 

जटिलताएं

व्हीजिंग या अस्थमा एक गंभीर स्थिति है, क्योंकि ऐसे में बच्चे को सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। इसलिए बच्चे को तुरंत डॉक्टर के पास लेकर जाना जरूरी है। नेसल एलर्जी का इलाज न करने से भविष्य में फेफड़ों से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं। 

इलाज

इस एलर्जी को ठीक करने के लिए एंटी इन्फ्लेमेटरी दवाइयां या इनहेल्ड स्टेरॉयड दिए जाते हैं। इससे नेसल पैसेज में सूजन को कम करने में मदद मिलती है। 

बचाव 

रेस्पिरेटरी एलर्जी से बचाव का सबसे अच्छा तरीका यह है, कि उन खास एलर्जेन से दूर रहा जाए। यहां पर नेसल एलर्जी से बचाव के कुछ आम तरीके दिए गए हैं: 

  • डस्ट माइट प्रूफ गद्दों और तकियों का इस्तेमाल
  • घर पर धूम्रपान से बचाव 
  • बच्चे के कमरे में कारपेट का इस्तेमाल न करना
  • घर के अंदर पालतू जानवर न रखना

4. मौसमी एलर्जी

सीजनल एलर्जी को ‘हे फीवर’ भी कहा जाता है। पोलेन और मोल्ड जैसे हवा में घूमने वाले एलर्जेन के द्वारा इनसे संपर्क होता है। आमतौर पर नुकसान रहित पोलेन और मोल्ड को बाहरी वस्तु समझकर जब शरीर इनसे लड़ने के लिए हिस्टामाइन रिलीज करता है, तब यह देखी जाती है। 

लक्षण

इसके कुछ लक्षण इस प्रकार हैं: 

  •  बच्चे की आंखों में एलर्जी, जैसे आंखों में खुजली होना
  •  जकड़न
  •  बहती हुई नाक या बंद नाक
  •  कानों में खुजली
  •  कंठ में खुजली

जटिलताएं

हालांकि मौसमी एलर्जी खतरनाक नहीं होती है, पर इनसे जीवन कठिन जरूर हो जाता है। अगर इनका इलाज न किया जाए, तो ये लंबी चलने वाली समस्या बन सकते हैं, जैसे अस्थमा, साइनस और कान के संक्रमण। बच्चे की आंखों में एलर्जी होने से वे चिड़चिड़े और बेचैन हो जाते हैं।
इलाज

हे फीवर में एलर्जेन से बचाव के अलावा कुछ दवाओं की भी जरूरत होती है, जैसे कि एंटीहिस्टामाइन और नेसल डीकन्जेस्टेंट युक्त कुछ आम एलर्जी की दवाएं। 

बचाव 

यहां पर इससे सुरक्षा के लिए कुछ मापदंड दिए गए हैं:

  •  इम्युनोथेरेपी
  •  सेलाइन वॉटर से नेसल पैसेज को साफ करना
  •  पोलेन और मोल्ड वाली जगहों से दूर रहना
  •  एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल

5. पालतू जानवरों से एलर्जी

पालतू जानवरों से एलर्जी

जब बच्चा पेट डेंडर (स्किन फ्लेक्स) लार, पेशाब या मल के बीच सांस लेता है, तब पेट एलर्जी हो सकती है। जानवर के बाल अधिक एलर्जिक नहीं होते हैं, लेकिन इसमें बहुत सारे पॉलेन और धूल हो सकते हैं। 

लक्षण

इसके कुछ मुख्य लक्षण इस प्रकार हैं:

  •  आंखों से पानी आना
  •  बहती हुई नाक
  •  छींके आना
  •  घरघराहट

जटिलताएं

इस एलर्जी के कोई गंभीर लक्षण या जटिलताएं नहीं होते हैं। लेकिन यह बच्चे के लिए बहुत ही असुविधाजनक हो सकता है। 

इलाज 

इसके इलाज में इम्युनोथेरेपी, नेसल स्प्रे और ब्रोंकोडाइलेटर शामिल हैं। 

बचाव 

  •  पालतू जानवर से दूरी सबसे अच्छी है, खासकर घर के अंदर
  •  पालतू जानवरों को गले लगाने या चूमने से बचाव
  •  नियमित सफाई
  •  एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल
  •  पालतू जानवरों को नियमित रूप से नहलाना

6. इंडोर एलर्जी

इंडोर एलर्जी में धूल, मोल्ड और पालतू जानवरों के कारण होने वाली एलर्जी शामिल हैं। 

लक्षण

खांसी और सांस लेने में कठिनाई इसके प्रमुख लक्षण हैं। 

जटिलताएं

हालांकि इसकी कोई गंभीर जटिलता नहीं होती है, लेकिन अत्यधिक खांसी या सांस लेने में कठिनाई से बहुत परेशानी हो सकती है। 

इलाज 

इसके इलाज में नेसल स्प्रे और इम्यूनोथेरेपी शामिल हैं। 

बचाव 

अपने आसपास के माहौल को साफ रखने और संभव हो तो पालतू जानवरों से दूर रहने की सलाह दी जाती है। 

ज्यादातर एलर्जी का इलाज केवल तभी संभव है, जब एलर्जी के कारण की पहचान हो सके। बच्चे के एलर्जिक रिएक्शन का सबसे अच्छा इलाज है, एलर्जी पैदा करने वाले पदार्थों से बचाव या उन्हें हटाना। हालांकि ज्यादातर एलर्जी खतरनाक नहीं होती हैं, लेकिन इनसे बच्चे को काफी कठिनाई हो सकती है। इसलिए बेहतर है, कि जितनी जल्दी हो सके उनका इलाज किया जाए। 

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