शिशुओं में एग एलर्जी की पहचान और इलाज कैसे करें

शिशुओं में एग एलर्जी की पहचान और इलाज कैसे करें

किसी भी दूसरी फूड एलर्जी की तरह ही एग एलर्जी भी तब पैदा होती है, जब आपके बच्चे का इम्यून सिस्टम एग प्रोटीन के प्रति सेंसटिविटी दिखाता है। अंडे खाने के बाद कुछ मिनटों से लेकर एक घंटे के बीच रैश और इन्फ्लेमेशन जैसे लक्षण दिखने लगते हैं। अगर आपको या आपके पति को अंडे से एलर्जी है, तो आपके बच्चे में भी अंडे से एलर्जी होने की संभावना हो सकती है। बच्चे के बड़े होने पर उसका इम्यून सिस्टम डिसेंसिटिव हो सकता है और एग एलर्जी समय के साथ अपने आप ही ठीक हो सकती है। 

एग एलर्जी क्या होती है?

एग एलर्जी दूसरी फूड एलर्जी की तरह ही होती है, जिनके बारे में आपने सुना भी होगा, जैसे कि मशरूम या मूंगफली से होने वाली एलर्जी। जब किसी व्यक्ति को किसी खास खाने के प्रति एलर्जी होती है, तो इससे यह पता चलता है, कि उनका इम्यून सिस्टम खाने में मौजूद किसी खास तत्व को एक खतरे के तौर पर देखता है और उस पर हमला करता है। इसी तरह से एग एलर्जी में आपके बच्चे का अविकसित इम्यून सिस्टम अंडे में मौजूद प्रोटीन को एक आक्रामक पैथोजन के तौर पर देखता है और एंटीबॉडीज पैदा करके उस पर हमला करता है। इम्यूनोग्लोबुलीन ई (आईजीई) नामक ये एंटीबॉडीज शरीर की रक्षा करने के लिए खतरे को न्यूट्रलाइज कर देते हैं। जब शरीर में मौजूद टिशु आईजीई की मौजूदगी को महसूस करते हैं, तो वे हिस्टामाइन रिलीज करते हैं, जो कि बहती हुई नाक, इन्फ्लेमेशन और त्वचा में रैश जैसे जाने-माने एलर्जी सिम्टम्स पैदा करते हैं। बच्चों को अंडे के किसी भी रूप के प्रति एलर्जी हो सकती है, चाहे वह उबले हुए हों, पके हुए हों, कच्चे हों या आधे पके हों। अगर ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली माँ अंडे खाती है, तो भी एलर्जी हो सकती है। 

अंडे के कौन से प्रोटीन से एलर्जी होती है? 

अंडे में कई तरह के प्रोटीन मौजूद होते हैं, जिन से एलर्जी हो सकती है और बच्चों में एग योक की तुलना में अंडे की सफेदी से होने वाली एलर्जी अधिक देखी जाती है। 

  1. एग व्हाइट में मौजूद प्रोटीन
  • ओवल्बुमिन
  • ओवोम्युकोइड 
  • ओवोट्रांस्फेरिन 
  • लिसोजाइम
  1. एग योक में मौजूद प्रोटीन 
  • फोस्विटिन 
  • लिवेटिन 
  • एपोवीटिलीन

शिशुओं को अंडे से एलर्जी का खतरा किन कारणों से हो सकता है? 

कुछ खास फैक्टर्स आपके बच्चे में अंडे से एलर्जी पैदा होने के खतरे को बढ़ा सकते हैं, जो कि नीचे दिए गए हैं: 

  1. आम एलर्जी

अगर आपका बच्चा कई अन्य खाद्य पदार्थों के प्रति सेंसेटिव है और उसमें आम एलर्जिक रिएक्शन दिखते हैं, तो उसमें अंडे से एलर्जी होने की संभावना हो सकती है। जिन बच्चों को नट्स और अनाज से एलर्जी होती है, उनमें भी अंडों से एलर्जी पैदा होने का खतरा अधिक होता है। 

  1. बीमारी

चूंकि एलर्जी इम्यून सिस्टम की एक प्रतिक्रिया होती है, तो हाल ही में हुई किसी गंभीर बीमारी आपके शरीर को अत्यधिक सेंसेटिव बना सकती है। आपका इम्यून सिस्टम किसी बाहरी पदार्थ के लिए हाई अलर्ट पर होता है और वह एग प्रोटीन को खतरा समझने की गलती कर सकता है। इसके कारण आपका इम्यून सिस्टम उस पर हमला कर सकता है और एलर्जी ट्रिगर हो सकती है। 

  1. वंशानुगत प्रीडिस्पोजिशन

अगर एक या दोनों ही पेरेंट्स को अंडे से एलर्जी है, तो बच्चे को भी इसकी संभावना अधिक होती है। अगर आपके परिवार में अंडे से एलर्जी का इतिहास रहा है, तो बच्चे में इसकी संभावना 40% तक बढ़ जाती है। 

शिशुओं में अंडे से एलर्जी के संकेत और लक्षण क्या होते हैं? 

  1. त्वचा पर रैश: बच्चे में एग एलर्जी के रैश सबसे अधिक देखे जाते हैं, जिसमें हाइव्स, सूजन और त्वचा की फ्लशिंग शामिल हैं। यह आगे चलकर बिगड़ सकता है और एग्जिमा में बदल सकता है। 
  2. मुँह की सूजन: यह शुरुआती लक्षणों में से एक हो सकता है। होंठ, जीभ या कंठ के पीछे के हिस्से में सूजन हो सकती है और वे लाल हो सकते हैं।
  3. आँखों का लाल होना: बेबी की आँखों में खुजली और सूजन के साथ पानी आ सकता है। 
  4. बंद नाक: नाक से पानी जैसा डिस्चार्ज हो सकता है और इसके साथ ही खुजली और रेडनेस भी दिख सकती है। 
  5. कंठ में सूजन: गला लाल हो सकता है और उसमें सूजन आ सकती है, जिसके कारण सांस लेने में और निगलने में दिक्कतें आ सकती हैं। 
  6. पेट का दर्द: बच्चे को डायरिया के साथ पेट में दर्द हो सकता है। 
  7. मतली और उल्टी: बच्चों में अंडे से एलर्जी में उल्टियां भी देखी जाती है और इसके साथ ही दूध पीने के दौरान तकलीफ भी होती है। 
  8. सांस लेने में दिक्कत: गले या छाती में सूजन के कारण सांस लेने में तकलीफ हो सकती है, इससे आगे चलकर अस्थमा भी हो सकता है। 
  9. कमजोर पल्स: इससे चक्कर और बेहोशी हो सकती है। 
  10. बेचैनी: बच्चा अचानक बेचैन दिख सकता है और उसके बाद बेहोश भी हो सकता है। 
  11. बुखार: ऊपर दिए गए लक्षणों के साथ शरीर का तापमान भी बढ़ सकता है। 
  12. एनाफायलैक्टिक शॉक: एनाफायलैक्सिस एक ऐसी स्थिति है, जो कि अत्यधिक एलर्जिक रिएक्शन के कारण हो सकती है और जान के लिए खतरा भी हो सकता है। इसकी पहचान नीचे दिए गए लक्षणों से की जाती है: 
  • मांसपेशियों में क्रैम्प जिससे पेट में बेहद दर्द हो सकता है। 
  • कंठ और उसके आसपास की मांसपेशियों में सूजन और इन्फ्लेमेशन, जो कि हवा के रास्ते में रुकावट पैदा करके सांस लेने में तकलीफ पैदा करती हैं। 
  • दिल की तेज धड़कन के बाद ब्लड प्रेशर में अचानक आने वाली गिरावट। इससे दिमाग में जाने वाले खून का बहाव कम हो जाता है, जिससे बेहोशी हो सकती है। 

शिशुओं में एग एलर्जी की पहचान कैसे करें

इसकी पहचान की शुरुआत बच्चे के भोजन और एलर्जी और दूसरी बीमारियों के इतिहास के विश्लेषण के साथ की जाती है। इसमें निम्नलिखित प्रक्रियाएं शामिल होती हैं: 

  1. खान-पान में सुधार

डॉक्टर बच्चे के भोजन में से सभी संदेहास्पद खाद्य पदार्थों (एलर्जेन) को चुनते हैं, जिनसे एलर्जी हो सकती है और आपसे उन खाद्य पदार्थों से बचने के लिए कहते हैं। उसके बाद बच्चे पर एलर्जिक रिएक्शन देखने के लिए आप एक समय पर केवल एक एलर्जेन को दोबारा बच्चे के भोजन में शामिल करें। 

  1. स्किन प्रिक टेस्ट

डॉक्टर एलर्जेन के एक्सट्रैक्ट की एक छोटी सी बूंद लेते हैं और फिर त्वचा में एलर्जेन की थोड़ी मात्रा को इंट्रोड्यूस करने के लिए त्वचा को सौम्यता से प्रिक करते हैं। अगर 20 मिनट के अंदर उस क्षेत्र में लाल चकत्ता हो जाता है, तो इससे एलर्जी कंफर्म हो जाती है। 

  1. खून की जांच

आरएएसटी (रेडियोएलर्जोसोरबेंट्स टेस्ट) और ईएलआईएसए (एंजाइम-लिंक्ड इम्यूनोजॉर्बेंट एसे) जैसे टेस्ट करके एलर्जी से संबंधित एंटीबॉडीज का पता लगाया जाता है। 

शिशु में अंडे से एलर्जिक रिएक्शन दिखने पर क्या कोई कॉम्प्लीकेशंस हो सकते हैं? 

अंडे और दूसरी एलर्जी की स्थिति में कुछ खास कॉम्प्लीकेशंस हो सकते हैं। आपके बच्चे में ये समस्याएं हो भी सकती हैं और नहीं भी हो सकती हैं, लेकिन उनमें नीचे दिए गए लक्षण दिख सकते हैं: 

  • फर, पॉलेन, धूल और डस्ट माइट्स के प्रति एलर्जिक रिएक्शन
  • दूध, मछली, मूंगफली और सोया जैसे दूसरे प्रोटीन रिच खाद्य पदार्थों के प्रति एलर्जी
  • लॉन्ग टर्म अस्थमा या सांस की कमी
  • स्किन हाइव्स के गंभीर स्वरूप के रूप में एग्जिमा या अटोपिक डर्मेटाइटिस का विकास

शिशुओं में एलर्जी का इलाज कैसे किया जाए? 

एलर्जी का इलाज रिएक्शन की गंभीरता पर निर्भर करता है। इलाज के कोर्स में लक्षणों के खात्मे पर ध्यान दिया जाता है, जो कि जान के लिए खतरा हो सकते हैं। इसके लिए दो तरह के इलाज हैं, जो कि नीचे दिए गए हैं: 

  1. दवाएं

नाक बहना, सूजन और रैशेस जैसे हल्के लक्षणों के इलाज के लिए एंटीहिस्टामाइन का इस्तेमाल किया जाता है। एनाफायलैक्सिस की स्थिति में एपीनेफ्राइन दिया जाता है, जिसे एड्रेनालाईन भी कहते हैं। एपीनेफ्राइन खुद लगाने वाले इंजेक्शन के रूप में भी उपलब्ध होते हैं, जो कि ऑटोइंजेक्टर के साथ आते हैं। इसे निश्चित फोर्स के साथ त्वचा में दबाने से एपीनेफ्राइन की एक खुराक ली जा सकती है। 

  1. खान-पान में बदलाव

आपको अपने बच्चे के भोजन से अंडों और अंडे युक्त खाद्य पदार्थों को निकालने की सलाह दी जा सकती है। अगर आप ब्रेस्टफीडिंग करा रही हैं, तो आपको भी अंडे और अंडे युक्त भोजन का सेवन बंद करना पड़ सकता है। 

फूड आइटम्स जिनमें अंडे होते हैं

अंडों के सीधे सेवन को छोड़ने के साथ-साथ आपको वैसे खाद्य पदार्थ भी छोड़ने पड़ेंगे, जिनमें एग योक या एग वाइट से मिलने वाले एग डेरिइवेटिव्स मौजूद होते हैं। 

एग डेरिइवेटिव्स

  • अंडे का पाउडर
  • ग्लोबुलिन 
  • एल्ब्यूमिन
  • लिसोजाइम
  • लिवेटिन 
  • ओवोग्लोबुलिन 
  • ओवल्बुमीन 
  • ओवोम्युकोइड 
  • ओवोट्रांस्फेरिन 
  • ओवोविटेला 
  • सिम्प्लेस्से 
  • सिलीकी अल्ब्युमिनेट 
  • ओवोविटेलीन 
  • विटेलीन

खाद्य पदार्थ जिनमें अंडे हो सकते हैं: 

  • आइसक्रीम
  • पुडिंग और कस्टर्ड
  • केक, पेस्ट्री, ब्रेड, रस्क जैसे बेक किए हुए उत्पाद
  • मेयो और सलाद की ड्रेसिंग
  • पास्ता
  • फ्राईड मीट पर ड्रेसिंग

अंडे के हेल्दी विकल्प

अंडों के कुछ हेल्दी विकल्पों में शामिल हैं,

  • जब बच्चा 6 महीने का हो जाता है, तो पोल्ट्री का मीट अंडों का एक अच्छा विकल्प है। इसमें डाइटरी प्रोटीन और मिनरल अच्छी मात्रा में होते हैं, जो कि बच्चे के अच्छे विकास में मदद करते हैं। शुरुआत में इन्हें प्यूरी के रूप में दिया जा सकता है और जब बच्चा चबाने में सक्षम हो जाता है, तो इसे सॉलिड नगेट के रूप में दिया जा सकता है। 
  • जो लोग लेक्टोज इनटॉलरेंट और अंडों के प्रति एलर्जिक हैं, उनके लिए सोया मिल्क इसका एक बेहतरीन विकल्प है। 
  • दालें प्रोटीन का अच्छा शाकाहारी स्रोत हैं। 
  • नट्स और पत्तेदार सब्जियां विटामिन और मिनरल के अच्छे स्रोत हैं। 

शिशुओं में एलर्जी से बचाव के टिप्स

अगर आप अपने बच्चे को अंडे की एलर्जी से बचाना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको नीचे दिए गए टिप्स को याद रखना चाहिए: 

  • उनके जीवन के शुरुआती समय में ही उनके भोजन में अंडे शामिल करें। ऐसा माना जाता है, कि बच्चों में शुरुआत में ही खाद्य पदार्थों से परिचय करवा देने से उन्हें उनसे एलर्जी पैदा होने की संभावना कम हो जाती है। यह प्रक्रिया इम्यून सिस्टम को खाद्य पदार्थ के प्रति डिसेन्सीटाइज कर देती है और समय के साथ वह इन प्रोटींस को खतरे के रूप में नहीं देखता है। 
  • ब्रेस्टफीडिंग के साथ बच्चे को एग प्रोटीन के प्रति डिसेन्सीटाइज करना बच्चे में टॉलरेंस का निर्माण करने का एक अच्छा तरीका है। चूंकि ब्रेस्टमिल्क बच्चे के इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है, माँएं ब्रेस्टफीडिंग से एग एलर्जी के खतरे को कम करने के लिए ट्रायल एंड एरर के रूप में अंडे युक्त खाद्य पदार्थ ले सकती हैं। 
  • इम्यूनो थेरेपी एक ऐसा इलाज है, जिसमें बच्चे को कुछ समय तक थोड़े अंडे की इंक्रीमेंटल खुराक दी जाती है, ताकि इम्यून सिस्टम को डिसेन्सीटाइज करने में मदद मिल सके। 

आम वैक्सीन जिनसे आपके बच्चे का संपर्क एग प्रोटीन से हो सकता है

कुछ वैक्सीनेशन को बनाने की प्रक्रिया के दौरान एग वाइट या एग यलो का इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि मॉडर्न वैक्सीन प्रोडक्शन में इसका इस्तेमाल लगभग समाप्त हो चुका है, फिर भी इनमें से कुछ में अंडे हो सकते हैं: 

  • इनफ्लुएंजा वैक्सीन: इस वैक्सीन के आधुनिक स्वरूप में अंडों का इस्तेमाल कम से कम किया जाता है।  इसलिए अगर आपके बच्चे को अंडे से हल्का रिएक्शन है, तो आप उसे यह वैक्सीन दे सकते हैं। 
  • येलो फीवर और टाइफस वैक्सीन में एग प्रोटीन की अच्छी मात्रा होती है। इसे एग एलर्जी वाले बच्चों को नहीं दिया जाना चाहिए। 
  • मीजल्स-मम्प्स-रूबेला (एमएमआर) वैक्सीन एग एलर्जी वाले शिशुओं के लिए भी सुरक्षित होती है। 

दवाओं के साथ एग एलर्जी का इलाज सुरक्षित रूप से किया जा सकता है और बच्चों के बड़े होने तक आमतौर पर यह अपने आप ही ठीक हो जाती है। 

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