शिशु

छोटे बच्चों में कंठ रोग: कारण, लक्षण और उपचार

नवजात शिशु बहुत नाजुक होते हैं और उन्हें हर तरह की सुरक्षा की जरूरत होती है। माता-पिता के रूप में, हमारी सबसे बड़ी चिंता अपने बच्चे को जर्म, इंफेक्शन और बीमारियों से दूर रखना होता है। हम चाहते हैं कि वह हमेशा खुश, हेल्दी और स्ट्रांग बना रहे। लेकिन, बेबी को सभी बीमारियों से दूर रखना संभव नहीं है, है ना? यहां आपको ऐसी ही एक आम समस्या के बारे में बताया गया जिसका सामना लगभग सभी बच्चों को करना पड़ता है और जो वास्तव में उनके इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में मदद करती है।

यदि आपका छोटा बच्चा बीमार पड़ गया है, तो इन लक्षणों की जांच करें: क्या उसे गंभीर रूप से खांसी आ रही, सांस लेने में भारीपन या सांस लेते समय आवाज आती है? इसके साथ हल्का बुखार भी है। अगर आपको अपने बच्चे में ये लक्षण दिखाई दे रहे हैं, तो संभव है कि उसे क्रुप यानी कंठ रोग हुआ है।

कंठ रोग के बारे में सुनकर पेरेंट्स चिंतित हो सकते हैं, लेकिन यह जानना बहुत जरूरी है कि इसका ट्रीटमेंट मौजूद है खासतौर पर अगर आपको इसके बारे में पहले पता चल जाए तो। भारत में प्रति वर्ष क्रुप की समस्या के लगभग 10 लाख से अधिक मामले सामने आते हैं।

इस बीमारी के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए आगे पढ़ना जारी रखें।

क्रुप क्या है?

क्रुप, जिसे लैरींगोट्राचेओब्रोंकाइटिस के रूप में भी जाना जाता है, एक वायरल इंफेक्शन है जो बच्चे के ऊपरी वायुमार्ग को प्रभावित करता है, जिससे सही से सांस लेने में परेशानी होती है और इसके कारण गंभीर रूप से खांसी आने लगती है। बच्चों में क्रुप की समस्या होने से श्वास नली (विंड पाइप) और वॉइस बॉक्स में सूजन आ जाती है, जिससे उनके लिए सांस लेना मुश्किल हो जाता है। 3 महीने से कम उम्र के शिशुओं में क्रुप की समस्या ज्यादातर सर्दियों में होती है, इसकी पहचान आसानी से की जा सकती है, क्योंकि खांसी बहुत ज्यादा खराब हो जाती है।

आपको इसके कारण, लक्षण और उपचार के बारे में पता होना जरूरी है, क्योंकि 6 महीने से कम उम्र के बच्चों में क्रुप की घटना बहुत आम है। बड़े बच्चों में क्रुप की समस्या अक्सर नहीं होती है, क्योंकि उम्र और फिजिकल डेवलपमेंट के साथ-साथ उनकी श्वास नली का आकार भी बढ़ता जाता है।

क्रुप दो प्रकार का होता है – वायरल और स्पास्मोडिक। वायरल क्रुप ज्यादा कॉमन टाइप का होता है और यह ह्यूमन पैराइनफ्लुएंजा वायरस (एचपीआईवी) नामक वायरस के कारण होता है। स्पास्मोडिक क्रुप एलर्जी या पेट के रिफ्लक्स के कारण होता है।

क्रुप होने के क्या कारण होते हैं?

माता-पिता के लिए यह समझना महत्वपूर्ण है कि बच्चों में क्रुप क्यों होता है, ताकि इसे रोकने के लिए वो बेहतर तरीके से सावधानी बरत सके।

1. वायरल इंफेक्शन

क्रुप होने की सबसे कॉमन वजह इंफेक्शन है, लेकिन यह एलर्जी, बैक्टीरिया और पेट के रिफ्लेक्स के कारण भी हो सकता है। ऐसे कई वायरस हैं जो क्रुप का कारण बनते हैं, लेकिन सबसे आम वायरस को पैराइनफ्लुएंजा वायरस कहा जाता है। कुछ अन्य वायरस जो क्रुप का कारण बन सकते हैं उनमें रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस (आरएसवी), इन्फ्लूएंजा वायरस, खसरा, एडिनोवायरस और एंटेरोवायरस शामिल हैं।

2. किसी संक्रमित व्यक्ति से संपर्क में आना

बेबी को यह समस्या किसी इन्फेक्टेड बच्चे या बड़े के संपर्क में आने से हो सकती है। चूंकि यह एक रेस्पिरेटरी इंफेक्शन है, इसलिए यह ज्यादातर संक्रामक होता है।

कंठ रोग (क्रुप) होने के आम संकेत और लक्षण

क्रुप की समस्या किसी भी अन्य सर्दी या खांसी की तरह शुरू होती है और इसलिए, शुरुआत में, इसे पहचानना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। हालांकि, जल्द ही, मामूली लगने वाले लक्षण जैसे नाक बंद होना या बहना और बुखार बदलकर ज्यादा गंभीर समस्या के रूप में दिख सकते हैं। क्रुप के सबसे आम संकेत और लक्षणों में शामिल हैं:

  1. नाक बहना
  2. छाती में जमाव
  3. गंभीर रूप से खांसी आना
  4. खांसी, जिसे क्रुप बार्किंग कफ भी कहा जाता है
  5. सूजे हुए लिम्फ नोड्स
  6. आंखें लाल होना
  7. रैशेस
  8. बुखार
  9. स्ट्राइडर (एक ऊंची आवाज, जो बच्चे के सांस लेते समय सुनाई देती है

कॉमन कोल्ड के लक्षण या तो पहले हो सकते हैं या क्रुप के बाद बने रह सकते हैं। ऐसे कुछ संकेत भी होते हैं, जिन्हें देखने के बाद आपको तुरंत डॉक्टर की मदद लेनी चाहिए। ये लक्षण इस प्रकार हैं:

  1. यदि बच्चे का वायुमार्ग बाधित हो जाता है, तो वह चिंतित और परेशान दिखेगा और खेलने या अन्य एक्टिविटी में रुचि नहीं दिखाएगा, वह लगातार हवा पाने की कोशिश करता दिखेगा।
  2. वह न तो सो पाएगा और न ही लेट पाएगा बस लगातार बैठा रहेगा और खांसता रहेगा।
  3. ब्रेस्टबोन के ठीक ऊपर का डेंट हर बार सांस लेने पर सिकुड़ेगा।

क्या क्रुप संक्रामक हो सकता है?

हां, यह हो सकता है। एक बच्चा किसी इन्फेक्टेड बच्चे या बड़े के खांसने पर उसके पास मौजूद होने के कारण हवा के माध्यम से संक्रमित हो सकता है या अगर वो किसी संक्रमित व्यक्ति के सीधे संपर्क में आता है तो सीधे वायरस की चपेट में आसकता है। एक संक्रमित व्यक्ति का सेक्रेशन भी संक्रामक हो सकता है और इसलिए हमेशा एहतियात बरतनी चाहिए । इस बात का भी खयाल रखें कि हर समय बच्चे की साफ-सफाई का ध्यान रखें।

कंठ रोग को ठीक होने में कितना समय लगता है?

यह एक कॉमन सवाल है जो माता-पिता को परेशान करता है। क्रुप आमतौर पर 3 से 7 दिनों तक रहता है, लेकिन गंभीरता के आधार पर ये 2 सप्ताह तक भी चल सकता है। ज्यादातर यह दूसरी या तीसरी रात को अपने चरम पर होता है और इस समय के दौरान आपको पता होना चाहिए कि बच्चे को कैसे शांत करें और उसे कैसे राहत प्रदान करें। कोल्ड और फ्लू के लक्षण बने रहने के कारण यह बच्चे और आपको बहुत थका सकता है। 

क्रुप का निदान कैसे किया जाता है?

क्रुप का निदान करने के लिए फिजिकल टेस्ट किए जाने का तरीका सबसे आम है। डॉक्टर बच्चे की सांस का निरीक्षण करते हैं और बच्चे के गले के साथ-साथ स्टेथोस्कोप का उपयोग कर के उसे चेक करते हैं। किसी अन्य बीमारी या कंडीशन की संभावना होने पर एक्स-रे भी किया जाता है। कभी-कभी, जब क्लिनिक में आना संभव नहीं होता है, तो डॉक्टर सही निदान के लिए, फोन पर ही बच्चे की सांस और खांसी सुनते हैं।

क्रुप का इलाज क्या है?

बच्चों में क्रुप का ट्रीटमेंट कई पैरामीटर पर निर्भर करता है, जैसे कि बच्चे का पूरा स्वास्थ्य, मेडिकल हिस्ट्री, उम्र, बीमारी कितनी सीरियस है, किसी विशेष दवा के प्रति एलर्जी टॉलरेंस कितना है।

यह समझने के लिए कि बच्चों में क्रुप कफ का इलाज कैसे किया जाता है, इसके लिए आपको इसके बारे में पता होना बहुत जरूरी है। यदि इंफेक्शन गंभीर है, तो बच्चे को हॉस्पिटल में भर्ती करना होगा, खासकर यदि आपके बच्चे को हर समय मॉनिटर करने की जरूरत होती है।

चार प्रकार के मेडिकल ट्रीटमेंट होते हैं, जो क्रुप का इलाज करने में मदद करते हैं:

  1. वायुमार्ग को खोलने और हवा के इनफ्लो और आउटफ्लो को बढ़ाने के लिए नेबुलाइजेशन के माध्यम से दवाएं दी जाती हैं।
  2. वायुमार्ग की सूजन को कम करने के लिए इंजेक्शन से दवा दी जाती है ।
  3. सूजन को कम करने के लिए स्टेरॉयड, ओरल या माउथ मेडिसिन दी जाती है।
  4. कुछ मामलों में, ब्रीदिंग ट्यूब बच्चे के विंडपाइप में डाली जाती है।

क्या क्रुप के लक्षणों को कम करने के लिए घरेलू उपचार हैं?

हां! कंठ रोग के ज्यादातर केस को घरेलू उपचार के साथ ही घर पर ट्रीट किया जाता है, यहां आपको कुछ घरेलू उपचार बताए गए हैं जो बच्चों में क्रुप का इलाज करने में मदद करते हैं,जो इस कुछ इस प्रकार हैं:

  1. अपने बच्चे को शांत रखें। रोने से सिर्फ वायुमार्ग की रुकावट में और परेशानी बढ़ेगी जिसके कारण कॉम्प्लिकेशन हो सकते हैं। क्रुप की समस्या से बच्चा डर सकता है और रोने से स्ट्राइडर (हार्श साउंड) की प्रॉब्लम और भी ज्यादा खराब हो सकती है। बच्चे को अपनी गोद में बैठाएं, लोरी गाएं और उसे कुछ पढ़कर सुनाएं, ताकि वो अच्छा महसूस करे और शांत रहे। ऐसी स्थिति में ब्रेस्टफीडिंग कराने से भी बच्चे को शांत कराया जा सकता है।
  2. ह्यूमिडिटी और स्टीम वायु मार्ग को साफ करने और सांस लेने की प्रक्रिया को आसान बनाने में मदद करती है। स्टीम बाथ दें और बच्चे को गोद में लेकर कुछ देर बैठें। अगले 10 से 15 मिनट में बच्चे को काफी राहत महसूस होगी।
  3. कोल्ड मिस्ट ह्यूमिडिफायर या वेपोराइजर इस्तेमाल करें। इससे बच्चे को सांस लेने में आसानी होती है और आपको बच्चे में सुधार भी दिखेगा। आप हॉट वेपोराइजर का भी उपयोग कर सकती हैं, लेकिन बच्चे को इसके बहुत करीब नहीं लाया जाना चाहिए।
  4. बुखार के इलाज के लिए डॉक्टर से सलाह लें।
  5. ज्यादा से ज्यादा फ्लूइड और लिक्विड चीजें दें और उसे रेस्ट करने दें।

यदि आपके बच्चे की खांसी दिन के समय ठीक हो जाती है और रात में वापस से शुरू हो जाती है, तो आपको डॉक्टर के पास जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त, किसी भी घरेलू उपचार को करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।

क्या क्रुप से बचा जा सकता है?

क्रुप के लिए फिलहाल कोई टीकाकरण मौजूद नहीं है। हालांकि, दूषित वस्तुओं के संपर्क में आने से बचने और संक्रमित व्यक्ति के छींकने और खांसने के दौरान संपर्क में आने से बचना चाहिए, ताकि आप इस समस्या से अपने बच्चे को दूर रखें। साथ ही बच्चे के हाइजीन का हर समय खयाल रखें, खासकर फ्लू या कॉमन कोल्ड होने  वाले के मौसम के दौरान।

डॉक्टर से कब परामर्श करें?

यदि आप चिंतित हैं कि घरेलू उपचार के बाद भी आपके बच्चे में क्रुप की समस्या को लेकर कोई सुधार नहीं हो रहा है, तो आपको डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। इसके अतिरिक्त, यदि आप नोटिस करती हैं कि बच्चा बिलकुल बेदम हो रहा है या पीला पड़ रहा है, तो उसे तुरंत इमरजेंसी रूम में ले जाएं।

क्रुप का इलाज घर पर किया जा सकता है, लेकिन आपको अपने बच्चे को इंफेक्शन से बचाने के लिए सावधानी बरतनी चाहिए।इससे प्रभावित हो जाने पर बच्चे असहज महसूस करते हैं, इसलिए सुनिश्चित करें कि वे हेल्दी रहें और आप हर समय उन्हें मॉनिटर करती रहे।

यह भी पढ़ें:

शिशुओं में साइनस की समस्या
शिशुओं में रोसियोला (सिक्स्थ डिजीज)
शिशुओं में हाथ, पैर और मुंह की बीमारी

समर नक़वी

Recent Posts

मेरी पसंदीदा जगह पर निबंध (Essay On My Favourite Place In Hindi)

हर किसी के जीवन में एक ऐसी जगह होती है जो शांति, खुशी और अपनापन…

6 hours ago

मुझे अपने परिवार से प्यार है पर निबंध ( Essay On I Love My Family In Hindi)

परिवार किसी के लिए भी सबसे अनमोल होता है। यही वह पहली जगह है जहाँ…

6 hours ago

बस की यात्रा पर निबंध (Essay On Journey By Bus In Hindi)

बच्चों के लिए निबंध लिखना बहुत मजेदार और सीखने वाला काम है। यह उन्हें अपनी…

7 hours ago

एपीजे अब्दुल कलाम पर निबंध (APJ Abdul Kalam Essay In Hindi)

ऐसी शख्सियत बहुत कम होती है जिनके होने से देश को उन पर गर्व हो,…

2 days ago

गाय पर निबंध (Essay On Cow In Hindi)

निबंध लेखन किसी भी भाषा को सीखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। इससे…

2 days ago

मेरे पिता पर निबंध (Essay on My Father in Hindi)

माँ अगर परिवार का दिल है तो पिता उस दिल की धड़कन होते हैं। पिता…

2 days ago