छोटे बच्चों में वार्ट्स (मस्सों) की समस्या से कैसे निपटें

छोटे बच्चों में वार्ट्स (मस्सों) की समस्या से कैसे निपटें

वार्ट्स शब्द के साथ एक बुरा ऐसा एहसास हमेशा जुड़ा होता है। आप चाहती हैं, कि आपके बच्चे की त्वचा बेदाग हो और उसमें कोई खराबी न हो, लेकिन आप जो चाहते हैं, वह हमेशा सच हो जाए, ऐसा जरूरी नहीं है। आप अपने बेबी को सुरक्षित रखने के लिए सब कुछ करती हैं, फिर भी उसे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं या स्किन से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं और अपने बच्चे की खूबसूरत त्वचा पर वार्ट्स यानी मस्से देख कर आप चिंतित हो जाती हैं। लेकिन आपको यह याद रखना चाहिए, कि बच्चों में वार्ट्स आम तो नहीं है पर ये होते हैं। 

वार्ट्स या मस्से क्या है? 

वार्ट्स या मस्से इंसान की त्वचा पर बनने वाले उभार होते हैं। ये एचपीवी (ह्यूमन पैपिलोमा वायरस) नामक एक प्रकार के वायरस के कारण होते हैं। यहां पर गौर करने वाली बात यह है, कि एचपीवी वायरस का एक सिंगल स्ट्रेन नहीं है, बल्कि यह वायरस की एक फैमिली है, जिसमें दर्जनों प्रकार के वायरस होते हैं। जब एचपीवी त्वचा की सतह पर हमला करता है, तब गैर जरूरी सेल्स का बेहद तेज गति से विकास होता है, जिससे वार्ट्स बन जाते हैं। वार्ट्स संक्रामक होते हैं, लेकिन ये केवल सुंदरता को कम करते हैं! इसके अलावा इनसे कोई नुकसान नहीं होता है।

एचपीवी का एक विशेष स्ट्रेन सर्वाइकल कैंसर के कारण के रूप में भी जाना जाता है। हालांकि यह वार्ट्स का विकास करने वाले वायरस से भिन्न होता है। 

वार्ट्स के प्रकार

मस्सों के सबसे आम प्रकार नीचे दिए गए हैं, जो आपके बच्चे को प्रभावित कर सकते हैं: 

1. कॉमन वार्ट्स 

कॉमन वार्ट्स व्यक्ति की उंगलियों और हाथों में देखे जाते हैं। ये छोटे, कठोर और गोलाकार लंप होते हैं। 

कॉमन वार्ट्स 

2. फिलीफॉर्म वार्ट्स 

फिलीफॉर्म वार्ट्स त्वचा से बाहर और दूर निकलते हैं। ये एक दूसरे से चिपके हुए पतले और लंबे वार्ट्स के गुच्छे की तरह दिखते हैं। ये आमतौर पर चेहरे और गर्दन के आसपास दिखते हैं। इन्हें फेशियल वार्ट्स के नाम से भी जाना जाता है। 

3. फ्लैट वार्ट्स 

फ्लैट वार्ट्स आमतौर पर सैकड़ों के समूह में बनते हैं और शरीर के किसी खास हिस्से में फैले होते हैं। ये त्वचा से थोड़े से ही उभरे होते हैं और इनकी सतह चिकनी या हल्की गोलाकार होती है। 

4. प्लांटर वार्ट्स 

ये व्यक्ति के तलवों में बनते हैं। ये एक कठोर लम्प के रूप में बनते हैं, जिस पर काले डॉट्स होते हैं। ये काले डॉट्स ब्लड वेसल्स के क्लॉट होते हैं। 

5. पेरियंगुल वार्ट्स 

ये वार्ट्स हाथों और पैरों के नाखूनों के नीचे और आसपास बनते हैं। इनकी जगह के कारण ये काफी दर्द भरे होते हैं और नाखूनों की सामान्य बढ़त को भी प्रभावित करते हैं। 

छोटे बच्चों में वार्ट्स कितने आम होते हैं और ये कहां बनते हैं? 

वार्ट्स शिशुओं में आम नहीं होते हैं। चूंकि ये संक्रामक होते हैं, इसलिए स्कूल जाने वाले बच्चों में अधिक देखे जाते हैं, क्योंकि वे दूसरे बच्चों के संपर्क में आते हैं। अगर आपके शिशु को वार्ट्स हो जाता है, तो यह एचपीवी के संपर्क में आने से होता है, आमतौर पर, किसी ऐसे व्यक्ति से जिसे पहले से वार्ट्स हो। 

वार्ट्स ज्यादातर पैर की उंगलियों, घुटनों और हाथों में देखे जाते हैं। हालांकि ये इनके अलावा अन्य जगहों पर भी हो सकते हैं। पैरों के तलवे और चेहरा भी आम तौर पर प्रभावित होते हैं। 

छोटे बच्चों में वार्ट्स कितने आम होते हैं और ये कहां बनते हैं? 

छोटे बच्चों में वार्ट्स के क्या कारण होते हैं? 

मस्से हालांकि गंभीर रूप से खतरनाक नहीं होते हैं, लेकिन ये संक्रामक तो हैं। लगातार संपर्क और कटी फटी त्वचा एचपीवी वायरस के फैलाव को तेज कर देती है। शिशुओं में वार्ट्स के फैलाव के कुछ कारण इस प्रकार हैं: 

  • अगर परिवार के किसी सदस्य या घर में किसी को वार्ट्स हो, तो आपके बच्चे में भी इसके होने की संभावना बढ़ जाती है। फर्नीचर, बर्तन आदि जैसी कुछ चीजें या जगह जो कि वार्ट्स से संक्रमित व्यक्ति के द्वारा लगातार त्वचा के संपर्क में आती हैं, उन्हें छूने से यह फैल सकता है। 
  • जो बच्चे अपनी उंगलियों या नाखूनों को चबाते हैं, उन्हें भी आसानी से वार्ट्स हो सकता है। चबाई हुई उंगलियों के आसपास एपिडर्मिस कटी-फटी और नमी युक्त हो, तो वायरस को पनपने में मदद मिलती है। 
  • अगर मां को जेनिटल वार्ट्स हो, तो डिलीवरी के दौरान यह बच्चे तक भी फैल सकता है (सी सेक्शन डिलीवरी के मामलों में इससे बचाव होता है)। 
  • यदि आपके बच्चे को पहले से वार्ट्स है और वह लगातार उसे हिलाता-डुलाता या छेड़ता है, तो यह शरीर के दूसरे हिस्सों में भी हो सकता है। 

छोटे बच्चों में वार्ट्स के लक्षण

डॉक्टर फूलगोभी जैसे दिखने वाले बंप को ढूंढने की सलाह देते हैं। यानि, फूलगोभी जैसी खुरदरी, ऊंची-नीची, फूली हुई सतह। अगर आप अपने बच्चे की त्वचा पर ऐसा टेक्सचर देखती हैं, जो कि अपने आसपास की त्वचा से थोड़ी सी ऊंची हो, तो यह वार्ट हो सकता है। 

चेहरे और गर्दन पर होने वाले वार्ट्स, अन्य जगहों के वार्ट्स की तुलना में समतल होते हैं। तलवों पर होने वाले प्लांटर वार्ट्स समतल दिख सकते हैं, विशेषकर अगर आपके बेबी ने चलना शुरू कर दिया हो तो। ऐसे हिस्सों में आपको ब्लैक डॉट्स की तलाश करनी चाहिए। 

वार्ट्स की पहचान कैसे होती है? 

उनकी बनावट के आधार पर, विशेषकर डॉक्टर आसानी से वार्ट्स को पहचान सकते हैं। वार्ट्स की पहचान के लिए किसी तरह के टेस्ट या अन्य प्रक्रिया की जरूरत नहीं होती है। 

छोटे बच्चों में वार्ट्स का इलाज कैसे होता है?

शिशुओं में वार्ट्स के इलाज के लिए नीचे दिए गए कुछ तरीकों को आजमाया जा सकता है। 

1. सैलिसिलिक एसिड-बेस्ड ओवर द काउंटर दवा

ओटीसी सॉल्यूशन लगाने से पहले उस जगह को पानी से धोएं और एक नेल फाइल या प्युमिक स्टोन की मदद से हल्के हाथों से उसे खुर्चें, ताकि त्वचा की सबसे ऊपरी सतह हट जाए। इससे दवा प्रभावित जगह तक पहुंच पाती है। ओटीसी सॉल्यूशन को काम करने में लंबा समय लगता है। इसमें अक्सर कई सप्ताह तक का समय लग जाता है। 

2. फ्रेऑन या प्रोपेन-बेस्ड ओवर द काउंटर दवा

ये दवाएं वार्ट्स को फ्रीज करके काम करती हैं। इससे वार्ट्स का निर्माण करने वाले स्किन सेल्स का तेज विकास रूक जाता है। वार्ट्स के इलाज के लिए सैलिसिलिक एसिड सॉल्यूशन की तुलना में यह तरीका तेज होता है। 

3. टेप 

बच्चे के वार्ट्स के लिए प्रभावित जगह पर डक्ट टेप चिपकाना एक सरल घरेलू उपाय होता है। यह एचपीवी को फैलने से रोकता है। साथ ही 5-6 दिनों में वार्ट्स के ऊपरी क्षेत्र को सुखाता भी है। टेप को बदलने के दौरान प्रभावित जगह को साफ करें, एक्सफोलिएट करें और यह सुनिश्चित करें, कि टेप लगाने से पहले यह जगह अच्छी तरह से सूख चुकी हो। 

बेबी वार्ट्स से कैसे बचा जा सकता है? 

त्वचा संबंधी विभिन्न प्रकार की अन्य बीमारियों की तरह ही, वार्ट्स से बचाव के लिए सही हाइजीन पहला और सबसे महत्वपूर्ण तत्व है। अगर घर के किसी व्यक्ति या नियमित रूप से घर पर आने वाले किसी व्यक्ति को वार्ट्स हों, तो आपको यह ध्यान रखना चाहिए, कि बच्चे को छूने से पहले वे अपने हाथों को अच्छी तरह से साफ करें। साथ ही ऐसे व्यक्ति जिन सतहों पर नियमित रूप से हाथ लगाते हैं, उन्हें बच्चे के संपर्क में आने से रोकें। तौलिए शेयर करने से बचें। वार्ट्स मेडिकल रूप से कोई हानि नहीं पहुंचाते हैं और यदि इसका इलाज न किया जाए, तो भी यह स्थिति आमतौर पर लगभग 2 वर्षों में ठीक हो जाती है। 

डॉक्टर से परामर्श कब लें? 

किसी अन्य स्थिति को वार्ट्स समझ लेना एक बड़ा खतरा हो सकता है। यदि आपके बच्चे का मस्सा हर दिन बढ़ रहा है या इससे उसे कोई तकलीफ हो रही है, तो हो सकता है, कि वह आम वार्ट न हो, बल्कि यह स्थिति पूरी तरह से कुछ और हो। ऐसे में आपको अपने डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए। वार्ट्स के साथ अन्य खतरा होता है उनके रप्चर या संक्रमित होने का। संक्रमण की पहचान रंग, सूजन में बदलाव और तरल पदार्थ के बहाव आदि से की जाती है। बच्चों में जेनिटल वार्ट्स (जेनिटल या मलद्वार में होने वाले वार्ट्स) वास्तव में सेक्स संबंधी हो सकते हैं। ये जन्म के दौरान संक्रमित मां से फैल सकते हैं। ऐसी स्थिति में बच्चे के 2-3 साल की उम्र तक खुद प्रकट न होने और वयस्क होने पर जेनिटल कैंसर का रूप लेने का खतरा हो सकता है। इसलिए ऐसी स्थितियों में आपको मेडिकल मदद लेनी चाहिए। 

नए माता-पिता के लिए वार्ट्स चिंता का एक कारण हो सकता है, पर असल में यह हानिकारक नहीं होता है। इसलिए इसके लिए चिंता करने की कोई जरूरत नहीं होती है। बच्चे की इम्युनिटी विकसित हो रही होती है, इसलिए उनमें मैच्योर व्यक्ति की तुलना में वार्ट्स होने का खतरा अधिक होता है। 

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