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क्या आपके बच्चे को सांस लेने में कठिनाई हो रही है और क्या उसे आजकल भूख नहीं लगती है? हो सकता है, उसे ब्रोंकियोलाइटिस हुआ हो, जो कि 3 से 6 महीने के बीच के बच्चों में बहुत ही आम बीमारी है।
जब फेफड़ों के एयर पैसेज म्यूकस से भर जाते हैं, तो इन्फ्लेमेशन हो जाता है और सांस लेने में और एयर फ्लो रेगुलेशन में रुकावट पैदा होती है। इसके कारण बच्चे को खांसी होती है और उसे सांस लेने में कठिनाई होती है। ब्रोंकियोलाइटिस बच्चों में एक संक्रामक बीमारी होती है
ब्रोंकाइटिस में म्यूकस के ज्यादा बनने से बड़े एयरवेज संक्रमित हो जाते हैं, जिसे फेफड़े खांसी के द्वारा बाहर निकालने की कोशिश करते हैं। वहीं, ब्रोंकियोलाइटिस में इन्फ्लेमेशन के कारण ब्रोंकायोल्स (छोटे एयरवेज) में कंजेशन पैदा हो जाता है, जिससे बच्चों को सांस लेने में तकलीफ होती है।
शिशुओं और बच्चों में एक्यूट ब्रोंकियोलाइटिस, रेस्पिरेटरी सिनसिशल वायरस (आरएसवी) के कारण होता है और जिन बच्चों को पहले से दिल या फेफड़ों की कोई बीमारी होती है, उन्हें ब्रोंकियोलाइटिस की पहचान होने पर तुरंत हॉस्पिटल में भर्ती करना पड़ता है। एक साल से कम उम्र के ज्यादातर छोटे बच्चे, आरएसवी इंफेक्शन का सामना करते हैं। लेकिन केवल 10% बच्चों में ब्रोंकियोलाइटिस की स्थिति पैदा होती है।
ज्यादातर ब्रोंकियोलाइटिस अधिकतम 12 दिनों तक रहता है। हालांकि, खांसी और घरघराहट इस अवधि के बाद भी कुछ हफ्तों तक रह सकती हैं। दूसरे या तीसरे दिन के दौरान, बच्चे को सांस लेने में सबसे अधिक कठिनाई होती है। इसके बाद स्थिति में सुधार होने लगता है।
3 महीने से 6 महीने की उम्र के बीच, बच्चों को ब्रोंकियोलाइटिस होने की संभावना सबसे अधिक होती है। अगर बच्चे प्रीमैच्योर हों या अगर उन्हें अच्छी तरह से ब्रेस्टफीड ना कराया गया हो, तो सिगरेट के धुएं के सीधे संपर्क में आने पर उनमें ब्रोंकियोलाइटिस होने का खतरा बढ़ जाता है। जिन बच्चों का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है या दिल/फेफड़ों की क्रॉनिक बीमारी होती है, उनमें भी ब्रोंकियोलाइटिस होने का खतरा अधिक होता है।
शिशुओं में ब्रोंकियोलाइटिस होने के प्रमुख कारण इस प्रकार हैं:
आप निम्नलिखित लक्षणों पर नजर रखकर ब्रोंकियोलाइटिस से बेबी को बचा सकती हैं और इसका जल्द इलाज कर सकती हैं:
ब्रोंकियोलाइटिस की पहचान आमतौर पर हॉस्पिटल या क्लीनिक में की जाती है। डॉक्टर कॉटन स्वैब की मदद से आपके बेबी के म्यूकस का एक सैंपल लेंगे और स्टेथोस्कोप की मदद से उसकी छाती से उसकी सांसों के पैटर्न को सुनकर ऑब्जर्व करेंगे। यदि बच्चा गंभीर ब्रोंकियोलाइटिस से ग्रस्त हो, तो डॉक्टर निम्नलिखित कदम उठा सकते हैं:
डॉक्टर आपसे यह भी पूछ सकते हैं, कि आपका बच्चा खाने के लिए मना कर रहा है या नहीं और ब्रेस्टफीडिंग में कमी के कारण होने वाले डिहाइड्रेशन जैसे संकेतों की जांच करेंगे, जैसे सूखा मुंह और सूखी त्वचा और पेशाब की मात्रा में कमी।
गंभीर ब्रोंकियोलाइटिस के कारण साइनोसिस हो सकता है, जिसे ब्लड सेल में पर्याप्त ऑक्सीजन की कमी के कारण त्वचा की नीली रंगत के रूप में पहचाना जा सकता है। गंभीर ब्रोंकियोलाइटिस होने पर डिहाइड्रेशन के साथ-साथ थकावट भी हो सकती है। अत्यधिक गंभीर मामलों में रेस्पिरेटरी फेलियर हो सकता है, जो कि जानलेवा होता है। अगर आपके बच्चे को ब्रोंकियोलाइटिस के साथ-साथ गंभीर जुकाम भी हो, तो वह निमोनिया के प्रति सेंसिटिव हो सकता है।
इन्फेंट ब्रोंकियोलाइटिस का इलाज करने के विभिन्न तरीके हैं, जो कि नीचे दिए गए हैं:
अगर आपके बच्चे में ब्रोंकियोलाइटिस बहुत गंभीर रूप ले चुका है, तो दवाएं और हॉस्पिटलाइजेशन जरूरी है। आईवी फ्लुइड के साथ-साथ, एक विशेष लिक्विड डाइट आपके बच्चे को दी जाएगी, ताकि डिहाइड्रेशन से बचाव हो सके और लक्षणों से आराम मिल सके। अगर डॉक्टर बच्चे के एक्यूट ब्रोंकाइटिस ब्रोंकियोलाइटिस का संबंध किसी लंग इन्फेक्शन से होने के संकेत देखते हैं, तो वे कुछ एंटीबायोटिक भी प्रिस्क्राइब कर सकते हैं।
एक्यूट ब्रोंकायोलाइटिस से बचने का सबसे बेहतर तरीका है, कुछ आम लक्षणों को पहचान कर, घर पर ही इसके बचाव के लिए इलाज शुरू करना। यहां पर कुछ होम रेमेडीज दी गई हैं, जो कि बच्चों के लिए जादुई रूप से काम करते हैं:
अगर आप सावधानी बरतें और सुरक्षा का ध्यान रखें, तो ब्रोंकायोलाइटिस को जल्दी पहचाना जा सकता है और इससे बचा जा सकता है। शिशुओं और बच्चों में इससे बचाव के तरीके नीचे दिए गए हैं:
अगर आपका बच्चा लगातार खाँस रहा है और उसे सांस लेने में कठिनाई हो रही है, तो आपको तुरंत अपने डॉक्टर को बुलाना चाहिए। अगर आपके बच्चे को उल्टी हो रही है और वह ठीक से खा नहीं पा रहा है और उसकी उम्र एक साल से कम है और वह प्रीमेच्योर है, तो आपको सावधानी के लिए क्लिनिक जाकर तुरंत उसका चेकअप कराना चाहिए। ब्रोंकियोलाइटिस के लिए डेड-गिव-अवे होता है, आपके बच्चे की त्वचा (के साथ-साथ होंठ और नाखूनों) का नीला पड़ जाना और सांस लेने पर उसकी पसलियों का धंस जाना।
हालांकि, ब्रोंकियोलाइटिस की जटिलताओं के लिए कोई विशेष इलाज का विकल्प उपलब्ध नहीं है, इसलिए बच्चे के इलाज के लिए इससे बचाव करना ही सबसे बेहतर है। एक हेल्दी जीवनशैली अपनाएं और अपने और अपने बच्चे के डेली रूटीन में ऊपर दिए गए टिप्स को शामिल करें, ताकि भविष्य में ब्रोंकियोलाइटिस होने से बचाव हो सके।
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