शिशु

शिशु का पीछे की ओर रेंगना – क्या ये चिंता का विषय है?

बच्चे का रेंगना या घुटनों के बल चलना यानि क्रॉल करना उसके डेवलपमेंट का एक अहम हिस्सा है और जब आप अपने बच्चे को हाथों और पैरों का सपोर्ट लेकर इधर-उधर क्रॉल करते हुए देखती हैं, तो आपसे ज्यादा कोई भी एक्ससिटेड नहीं होता होगा इस बात को हम जानते हैं! अब आपका बच्चा चीजों को एक्सप्लोर करना शुरू कर देगा, इंडिपेंडेंट होने लगेगा और ये देखकर आप बहुत एन्जॉय करेंगी। लेकिन आपकी ये खुशी चिंता में बदल सकती है, जब आप बच्चे को आगे की ओर क्रॉल करने के बजाय पीछे की ओर क्रॉल करते हुए या एक पैर से क्रॉल करते हुए उसे नोटिस करती हैं। आपका परेशान होना संभव है, लेकिन क्या आपको इस विषय पर चिंता करने की जरूरत है? आइए जानते हैं!

बच्चा कब रेंगना शुरू करता है?

सभी बच्चे अपनी गति से अपने डेवलपमेंट माइलस्टोन पार करते हैं और यही बात बच्चे के जमीन पर घुटनों के बल चलने यानी क्रॉलिंग करने के मामले पर भी लागू होती है! हर शिशु अलग-अलग समय पर क्रॉल करना शुरू करता है। कुछ बच्चे तो तब क्रॉल करना शुरू कर देते हैं जब वे लगभग 7 महीने के होते हैं जबकि हो सकता है बाकी बच्चे एक साल का हो जाने के बाद ये मूवमेंट करना शुरू करें। इसी प्रकार हर बच्चे की क्रॉलिंग स्टाइल भी एक दूसरे से भिन्न हो सकती है। कुछ बच्चे अपने पूरे शरीर से रोलिंग करते हुए इधर-उधर क्रॉल करते हैं । जबकि अन्य बच्चे थोड़ा क्रॉल करते हैं और बैठ जाते हैं फिर थोड़ा क्रॉल करते हैं और फिर से बैठते हैं। इसलिए अगर आप ये सोच रही थी कि बच्चे किसी एक ही स्टाइल में क्रॉल करते हैं तो ऐसा बिलकुल भी नहीं है!

क्या बच्चे का पीछे की ओर रेंगना नॉर्मल है?

अगर आपका बच्चा उल्टा या पीछे की ओर रेंगना शुरू करता है, तो उसके मूव करने का स्टाइल सबसे अलग और यूनिक होगा, इसलिए आपका चिंता करना संभव है, क्योंकि बच्चे का पीछे की तरफ क्रॉल करना कॉमन नहीं होता है। रिलैक्स रहिए क्योंकि ये किसी डिसॉर्डर का संकेत नहीं है। कई बच्चे रेंगने करने का सही तरीका जानने से पहले ऐसा कर सकते हैं और ये बिलकुल ठीक है। बच्चे का आगे की ओर रेंगने की तुलना में पीछे की ओर क्रॉल करना ज्यादा आसान हो जाता है, यही कारण है कि अधिकांश बच्चे पीछे की क्रॉलिंग करने लगते हैं। यदि बच्चे को लगता है कि उसकी बाहें पैरों से ज्यादा मजबूत हैं, तो वह पीछे की ओर चल सकता है। और यह पूरी तरह से नॉर्मल है, आपको चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। समय के साथ, आपका बेबी सही तरीके से क्रॉल करना सीख जाएगा।

बच्चे पीछे की ओर क्यों रेंगते हैं?

कई डॉक्टर बच्चे के क्रॉल करने पर फोकस करते हैं। यह वह स्टेज है जब बच्चा इस बात से अवगत होने लगता है कि उसके अंग कैसे कार्य करते हैं और कोआर्डिनेशन के साथ उनका उपयोग कैसे किया जाता है। क्रॉलिंग बच्चे के मोटर कौशल के मजबूत होने का संकेत है जिसे सही तरीके से डेवलप किया जा सकता है। लेकिन यह उतना सिंपल नहीं है जितना लगता है, क्योंकि शिशु इसे समझने के लिए अपना समय लेता है और इसके रिजल्ट के रूप में हो सकता है कि वह पीछे की ओर क्रॉलिंग शुरू कर दे। यहाँ आपको कुछ संभावित कारण बताए गए हैं, जिसकी वजह से बच्चे अक्सर पीछे की ओर क्रॉलिंग करना शुरू कर देते हैं:

  • जैसे-जैसे बेबी बढ़ता है, आप उसे अपनी बाहों का उपयोग करते हुए देखेंगी जिससे अब वो खुद को सपोर्ट करना शुरू करता है। अपने हाथों पर डिपेंड होने के कारण वह क्रॉलिंग के लिए ज्यादातर अपने हाथों का उपयोग करता हैहाथों की इस स्ट्रेंथ के कारण बच्चा पुश करने के बजाय पुल करने लगता है, जिसकी वजह से वह पीछे की ओर मूव करने लगता है।
  • कई माएं अपने शिशु को पेट के बल लिटा देती हैं ताकि वह अपने हाथों की मदद से खुद को ऊपर उठाएं साथ ही इससे वह अपनी गर्दन को बैलेंस करना भी सीखता है। यह बच्चे के ऊपरी शरीर को ताकत प्रदान करता है। बच्चे के रेंगने में उसका ऊपरी शरीर अहम भूमिका निभाता है और इसलिए शुरूआती रेंगना आमतौर पर पैरों के बजाय ऊपरी शरीर पर डिपेंड होने लगता है।
  • चूंकि सारी ताकत मुख्य रूप से शरीर के ऊपरी भाग पर फोकस होती है, इसलिए आपके बच्चे को क्रॉलिंग के मैकेनिक्स को समझने में अभी थोड़ा वक्त लग सकता है जिसमें वो अपने पैरों की मदद से शरीर को आगे की ओर बढ़ाना सीखता है। पीछे की और मूव करना भी अच्छा ही है अगर बच्चा जहाँ जाना चाहता है वहाँ पहुँचने में सक्षम हो जाए। लेकिन जल्द ही जब उसके पैर मजबूत होने लगेंगे तो वह खुद ही आगे की ओर क्रॉलिंग करना शुरू कर देगा।

अपने बच्चे को आगे की ओर क्रॉल करने में कैसे मदद करें

ज्यादातर बच्चे खुद से ही आगे की ओर क्रॉलिंग करना सीख जाते हैं या कभी-कभी वे सीधे चलना ही शुरू कर देते हैं। लेकिन अगर आप अपने बच्चे को क्रॉलिंग का सही तरीका सीखने में मदद करना चाहती हैं, तो कुछ ऐसे इनडायरेक्ट तरीके हैं जिन्हें आप आजमा सकती हैं।

1. इसे एक खेल में बदल दें

बच्चे के साथ समय बिताएं, पकड़ने और भागने वाला गेम खेलें। जब आपको पकड़ने के लिए बच्चा तेजी से क्रॉल करता है तो अपने पैरों का भी इस्तेमाल करता है और आगे की ओर बढ़ने का प्रयास करता है।

2. सही तरीके से एक्सरसाइज

मसल्स मेमोरी में बच्चे ज्यादा काम करते हैं। यही कारण है कि, एक बार जब वे पीछे की ओर क्रॉल करना सीखते हैं, तो ऐसा करना जारी रखते हैं। इसलिए, हर बार जब आप अपने बच्चे को जमीन पर रखती हैं, तो क्रॉल करने का सही तरीका सिखाने के लिए उसके हाथों और पैरों का सही उपयोग करना सिखाएं।

3. टमी टाइम

क्या आपको वो एक्सरसाइज याद है जिसे आप बच्चे को उसके शुरुआती महीनों में कराती थीं? उन्हीं एक्सरसाइज को फिर से दोहराएं, ताकि आप बच्चे को उसके हाथों और पैरों का इस्तेमाल सही तरीके से करना बता सकें, साथ ही वो अपनी बॉडी को सही से सपोर्ट कर सके। 

4. खिलौनों का उपयोग

आवाज करने वाले खिलौनों की ओर बच्चे का ध्यान आकर्षित करें। अगर आवाज करने वाला खिलौना न भी हो तो कोई ऐसा खिलौना लें, जो बच्चे का ध्यान अपनी ओर खींचे, साथ ही बच्चा उसे पकड़ने के लिए क्रॉल करने का प्रयास करे।

5. प्रलोभन दें

अगर शिशु बेहद भूखा है तो ऐसा करने से बचें। लेकिन उसके फीडिंग टाइम से पहले या उसके बिस्कुट खाने से पहले, आप उसके सामने इसे रख सकती हैं और खुद से लेने के लिए कह सकती हैं। जब बच्चा पीछे की ओर क्रॉल करेगा तो उसे अपनी लिमिटेशन का एहसास होगा और इस प्रकार वो आगे की ओर बढ़ने की कोशिश करेगा।

6. रुकावट और धक्का

जब बच्चा क्रॉल कर रहा हो तो उसके रास्ते में न आएं। हालांकि, आप बच्चे को पकड़ने के लिए उसके पैरों को पीछे से पकड़ें। ऐसे में जब बच्चा क्रॉल करेगा तो वह आगे की तरफ बढ़ेगा और जब वह ऐसा करेगा तो खुद हैरान हो जाएगा। इससे वो बार बार ऐसा करने लगेगा और आगे की ओर बढ़ेगा।

7. बच्चे को देखने और सीखने दें

बच्चे अपने पेरेंट्स को देखकर बहुत कुछ सीखते हैं। यदि आपका बेबी सीधा बैठा है और अपने खिलौनों के साथ खेल रहा है, तो आप उसके सामने क्रॉलिंग करने लगें। शिशु को आगे और पीछे दोनों तरह से क्रॉल करके दिखाएं, इससे उसे पता चलेगा कि क्रॉल करने का सिर्फ एक ही तरीका नहीं है। 

घुटनों के बल चलना सीखना बच्चों के लिए आसान बात नहीं है। जब आप अपने बेबी को आगे की ओर क्रॉल करवाने की कोशिश करती हैं, तो इसके दौरान उसके रास्ते में कई रुकावटें आ सकती है, जिससे वो रोने लगता है और चिड़चिड़ा जाता है और इस प्रकार उसे ये पूरी प्रक्रिया फिर से सीखनी पड़ती है। अगर आपका शिशु इसके लिए तैयार नहीं है तो उसके साथ जबरदस्ती न करें और उसे खुद ही क्रॉलिंग की प्रक्रिया सीखने दें। 

यह भी पढ़ें:

बच्चे के चलना शुरू करने के संकेत
शिशु का घुटनों के बल चलना – एक विकासात्मक उपलब्धि
बच्चे को चलना कैसे सिखाएं – उपलब्धियां, सुझाव और गतिविधियाँ

समर नक़वी

Recent Posts

अच्छी आदतों पर निबंध (Essay On Good Habits in Hindi)

छोटे बच्चों के लिए निबंध लिखना एक बहुत उपयोगी काम है। इससे बच्चों में सोचने…

3 hours ago

कक्षा 1 के बच्चों के लिए मेरा प्रिय मित्र पर निबंध (My Best Friend Essay For Class 1 in Hindi)

बच्चों के लिए निबंध लिखना बहुत उपयोगी होता है क्योंकि इससे वे अपने विचारों को…

6 hours ago

मेरा प्रिय खेल पर निबंध (Essay On My Favourite Game In Hindi)

खेल हमारे जीवन में बहुत अहम भूमिका निभाते हैं। ये न सिर्फ मनोरंजन का साधन…

2 days ago

पुस्तकों के महत्व पर निबंध (Essay On Importance Of Books In Hindi)

पुस्तकें सीखने, जानने, समझने और आत्मविश्वास बढ़ाने का सबसे आदर्श पर्याय मानी जाती हैं। ये…

3 days ago

कक्षा 2 के बच्चों के लिए मेरी माँ पर निबंध (My Mother Essay For Class 2 in Hindi)

बच्चों के लिए निबंध लिखना एक बहुत ही मजेदार और सीखने वाली गतिविधि होती है।…

3 days ago

कक्षा 1 के बच्चों के लिए मेरा परिचय पर निबंध (Essay On Myself For Class 1 In Hindi )

निबंध लेखन बच्चों के लिए एक महत्वपूर्ण एक्टिविटी होती है। इससे बच्चों की रचनात्मक लेखन…

4 days ago