शिशु

शिशु के रोने पर आँसू निकलना कब शुरू होता है?

माँ होने के नाते आप हमेशा यही चाहती हैं कि आपका बच्चा हमेशा खुश रहे और सहज महसूस करे, लेकिन आपकी सभी कोशिशें तब नाकाम हो जाती हैं, जब बच्चा बिना किसी कारण रोता है या उसे कोई परेशानी होती है। ऐसा जरूरी नहीं है कि शिशु हमेशा दर्द या किसी परेशानी के कारण ही रो रहा हो, वह कभी-कभी ऐसा सिर्फ आपका ध्यान पाने के लिए कर सकता है। यह भी संभव है कि रोते समय उसके आँसू भी न आएं, लेकिन आपने इस बात पर शायद बहुत गौर न किया हो। यदि आपने बच्चे के रोने के दौरान आँसू न आने वाली बात को नोटिस किया है, तो आप शायद इसे नकली रोना या नखरे दिखाने का संकेत मानेंगी, लेकिन ऐसा हमेशा नहीं होता है। बच्चे के आँसू निकालकर रोने के बारे अधिक जानने के लिए, लेख को आगे पढ़ना जारी रखें।

क्या नवजात शिशुओं के लिए बिना आँसुओं के रोना नॉर्मल है?

हाँ, न्यूबॉर्न बेबी के लिए बिना आँसुओं के रोना बहुत नॉर्मल है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि कभी-कभी, नवजात शिशु के टियर डक्ट पूरी तरह से मैच्योर नहीं हुए होते हैं। इसलिए, उसके आँसू नहीं निकलते हैं। एक बच्चा आमतौर पर आँसुओं के साथ रोना तब शुरू करता है जब उसके टियर डक्ट खुल जाते हैं और ये तब भी होता है जब बच्चा बड़ा हो जाता है।

बच्चे आँसू के साथ रोना कब शुरू करते हैं?

यदि आप अपने बच्चे को बिना आँसू के रोते हुए देखती हैं, तो यह आपको एक माँ के रूप में चिंतित कर सकता है। लेकिन आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है क्योंकि लगभग सभी शिशुओं के साथ ऐसा होता है। शिशु अपने जन्म के दूसरे सप्ताह में आँसुओं के साथ रोना शुरू कर सकता है, जब उसकी टियर डक्ट खुल जाती है। कभी-कभी, बच्चे एक से तीन महीने की उम्र तक आँसू निकलकर नहीं रोते हैं, जिसे नॉर्मल माना जाता है। 

कुछ बच्चे बिना ऑंसुओं के रोते हैं जिसका कारण ये है कि उनकी टियर डक्ट ब्लॉक होती है, हालांकि कुछ बच्चे सेहत की किसी समस्या के कारण रोते हैं। तो, अगर आप ये जानना चाहते हैं कि वे ऐसा कब शुरू करते हैं तो इसका जवाब है कि ऐसा उनके जन्म के कुछ सप्ताह बाद शुरू होता है, लेकिन कुछ शिशुओं में, यह प्रक्रिया थोड़ा अधिक समय ले सकती है। हालांकि, आप इसका पता लगाने के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकती हैं कि कहीं बच्चे को उसके टियर डक्ट में या अन्य कहीं कोई समस्या तो नहीं जिसकी वजह से उसके टियर प्रोडक्शन पर कोई प्रभाव पड़ रहा हो।

आँखों से संबंधित वह समस्या जो बच्चे के टियर प्रोडक्शन को प्रभावित कर सकती है

आँखों से जुड़ी कुछ ऐसी मेडिकल कंडीशन होती हैं जो बच्चे में टियर प्रोडक्शन में बाधा उत्पन्न कर सकती हैं। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं:

1. कंजंक्टिवाइटिस

यह कंडीशन इर्रिटेशन, इन्फेक्शन के कारण या क्लॉग टियर डक्ट की वजह से हो सकती है। इस कंडीशन में, बच्चे की आँखें लाल या सूज सकती हैं, और इस तरह यह स्थिति बच्चे के टियर प्रोडक्शन को प्रभावित कर सकती है। 

2. ब्लॉक टियर डक्ट या डैक्रियोस्टेनोसिस

ब्लॉक टियर डक्ट के कारण भी आँसुओं का बनना मुश्किल हो जाता है। ऐसा तब होता है जब आँसू बहाने में मदद करने वाला पैसेज ब्लॉक हो जाता है। जिसकी वजह से आँखों में पानी नजर आता है, लेकिन कोई आँसू दिखाई नहीं देते हैं।

3. लेजी आई

यह एक ऐसी समस्या है जिसके कारण बच्चे में दृष्टि संबंधी परेशानियां पैदा हो सकती हैं। इसके ट्रीटमेंट में आई ड्रॉप या पैचिंग का उपयोग करके मजबूत दृष्टि वाली आँख को कमजोर दृष्टि वाली आँख से एडजस्ट किया जाता है। यह कंडीशन आपके बच्चे के आँसुओं को भी प्रभावित करती है।

4. स्ट्रबिस्मुस या क्रॉस आइज

कभी-कभी, आँख की मांसपेशियों का खराब कंट्रोल या दूरदर्शिता के कारण, बच्चों में टियर प्रोडक्शन प्रभावित हो जाता है। जब बच्चा बड़ा होता है, तो यह कंडीशन अपने आप ही बेहतर हो जाती है।

5. मोतियाबिंद

मोतियाबिंद बच्चों को भी प्रभावित कर सकता है। यह समस्या कभी-कभी जन्म के समय भी मौजूद हो सकती है, या जन्म के बाद भी विकसित हो सकती है। केस कुछ भी हो मगर इस समस्या को खत्म करने के लिए सर्जरी की जरूरत होती है। हालांकि, एक मोतियाबिंद आपके बच्चे के टियर प्रोडक्शन को भी प्रभावित कर सकता है।

6. रेटिनोब्लास्टोमा

यह एक तरह का कैंसर है जो रेटिना को प्रभावित करता है। इस कंडीशन में, पुतलियों पर रोशनी पड़ने पर रेटिना गुलाबी या सफेद दिखाई देता है। इस तरह के केस में आपको अन्य लक्षण जैसे दृष्टि संबंधी समस्याएं,  आँखों का लाल पड़ना और दर्द होना शामिल है। यह कंडीशन बच्चों में टियर प्रोडक्शन को भी प्रभावित कर सकती है। 

7. ग्लूकोमा

बच्चे के जन्म के समय कभी-कभी ग्लूकोमा मौजूद हो सकता है और कुछ मामलों में ये जन्म के बाद भी विकसित हो सकता है। इस स्थिति में लाइट सेंसेटिविटी, आँखों में धुंधलापन, जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं, जिसके कारण बच्चे के आँसुओं को बनने में भी समस्या पैदा हो सकती है। यदि आप अपने शिशु में इस तरह के किसी भी लक्षण को नोटिस करें, तो आपको एक बार मेडिकल हेल्प लेनी चाहिए, क्योंकि ये गंभीर कॉम्प्लिकेशन को जन्म दे सकते हैं, जैसे कि ऑप्टिक नर्व में डैमेज और दृष्टि खत्म हो जाना।

8. डिहाइड्रेशन

बच्चों में अक्सर डिहाइड्रेशन हो जाता है, पानी की कमी से उनके टियर डक्ट भी ड्राई हो जाते हैं। इसलिए उन्हें  सही से ब्रेस्टफीडिंग करानी चाहिए, ताकि बच्चा हाइड्रेटेड रहे।

बच्चों का आँसुओं से न रोना काफी कॉमन है, जब तक कि कुछ दिन, हफ्ते बीत नहीं जाते या फिर उनके टियर डक्ट जब तक मैच्योर नहीं हो जाते हैं, तब तक वे आँसू निकालकर रोना शुरू नहीं करते हैं। हालांकि, अगर आप बच्चे में ऊपर बताई गई किसी भी कंडीशन को नोटिस करें, जो बच्चे के टियर प्रोडक्शन से संबंधित है, तो आपको तुरंत आँखों के डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

यह भी पढ़ें:

बच्चों का आँखें रगड़ना – कारण और बचाव
शिशुओं और बच्चों में कंजंक्टिवाइटिस (पिंक आई)
शिशुओं का रोना – कारण और शांत कराने के टिप्स

समर नक़वी

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