In this Article
बड़ों से ज्यादा बच्चों में गेहूँ से एलर्जी होना आम है पर अच्छी बात यह है कि ज्यादातर बच्चों में समय के साथ यह समस्या कम हो जाती है। जब शरीर का इम्यून सिस्टम एब्नॉर्मल तरीके से गेहूँ में मौजूद प्रोटीन से रिएक्ट करता है तब व्हीट एलर्जी होती है और यह हानिकारक भी है। शरीर में मौजूद एंटीबॉडीज के कारण यह एलर्जिक रिएक्शन होता है।
यदि आप बच्चे को गेहूँ से बनी कोई चीज खिलाती हैं और उसमें कुछ अजीब से लक्षण दिखाई दें, जैसे गले में खराश, सांस लेने में समस्या या बुखार तो इसका यही अर्थ है कि बच्चे को गेहूँ से एलर्जी हुई है। आप बच्चे की डायट में गेहूँ से बनी चीजें न शामिल करें ताकि ये सभी लक्षण कम हो सकें। बच्चों में गेहूँ से एलर्जी होने के कारण लक्षण और बचने के उपाय जानने के लिए आगे पढ़ें।
गेहूँ में चार प्रकार के प्रोटीन होते हैं, जैसे एल्ब्यूमिन, ग्लूटेन, ग्लैडिन और ग्लोब्युलिन। ये प्रोटीन आपकी डायट को पूरा करते हैं। पर कभी-कभी ये प्रोटीन्स इम्यून सिस्टम के लिए हानिकारक होते हैं। इसलिए इसके परिणामस्वरूप इम्यून सिस्टम में कुछ एंटीबॉडीज उत्पन्न होते हैं जो प्रोटीन इंट्रूजन से लड़ते हैं। इसके अलावा केमिकल्स से भी एलर्जी हो सकती है, जैसे यदि सिस्टम में हिस्टामाइन रिलीज होते हैं। स्टडीज के अनुसार ग्लूटेन नामक प्रोटीन व्हीट एलर्जिक रिएक्शन का प्रमुख कारण है।
सेलिएक डिजीज होने पर भी गेहूँ से एलर्जी होने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। तो आप इन दोनों में अंतर कैसे पता करें, आइए जानते हैं;
यदि बच्चों में गेहूँ से एलर्जी होने के लक्षणों की बात की जाए तो सभी को यह पता होना चाहिए कि हर बच्चे में इसके लक्षण अलग होते हैं। आपके बच्चे का शरीर अन्य बच्चों से अलग रिएक्ट करता है। बच्चों में व्हीट एलर्जी होने के कुछ लक्षण यहाँ बताए गए हैं, आइए जानें;
हे फीवर के माइल्ड लक्षण के परिणामस्वरूप राइनोरिया, आँखों में पानी और छींक आ सकती है। ये समस्याएं आम जुकाम जैसी ही होती हैं।
गेहूँ से एलर्जी होने पर कभी-कभी लंग्स या गले में सूजन हो जाती है जिसके परिणामस्वरूप सांस लेने में समस्याएं होते हैं और इससे चोकिंग होती है।
एक्जिमा एक ऐसी समस्या है जिसमें शरीर में कीड़े काटने से बहुत ज्यादा खुजली होती है। यदि बच्चे को गेहूँ से एलर्जी है तो एक्जिमा की समस्या बढ़ सकती है।
इस समस्या में त्वचा पर सूजन के साथ लाल स्पॉट्स पड़ जाते हैं जो 6 से 12 घंटों में ठीक हो जाते हैं। बच्चा जैसे ही गेहूँ से बनी चीजें खाएगा वैसे ही हाइव्स की समस्या बढ़ जाएगी और इसकी तेजी पर एलर्जी की गंभीरता निर्भर करती है।
कई मामलों में गेहूँ से एलर्जी होने पर गले में कुछ अटकने जैसा लगता है। यदि ऐसा हुआ है तो सूजन बढ़ जाती है और इसके परिणामस्वरूप गले में इरिटेशन होती है व मालन्यूट्रीशन हो जाता है।
इस बारे में पहले भी चर्चा हुई है कि गेहूँ से एलर्जी होने के परिणामस्वरूप सांस लेने में कठिनाई होती है। सांस की कमी या खांसी से अस्थमा की समस्या बढ़ सकती है।
गेहूँ से एलर्जी होने पर पेट में दर्द, सूजन, मतली या डायरिया होने के अलावा ये सभी समस्याएं एक साथ भी हो सकती हैं।
यह गेहूँ से एलर्जी का एक गंभीर व दुर्लभ लक्षण है। ऐनाफिलैक्टिक रिएक्शन से सीधे सांस लेने में दिक्क्त होती है और इससे शरीर को शॉक लगता है।
यद्यपि यह बड़ों में आम है पर बच्चे भी सोते समय सीटी की आवाज निकालते हैं। यह अक्सर गेहूँ से एलर्जी होने पर सांस लेने की समस्या होने से होता है।
गेहूँ से एलर्जी होने पर होठों में सूजन होने लगती है। ऐसी सूजन में अक्सर खुजली भी होती है जिससे यह ज्यादा बढ़ जाती है।
यदि बच्चे को गेहूँ से एलर्जी है तो आप उसे लगातार ब्रेस्टफीडिंग कराती रहें ताकि उसे न्यूट्रिशन की कमी न हो। ब्रेस्टफीडिंग कराने से बच्चे को व्हीट एलर्जी होने की संभावना बहुत कम है। ब्रेस्टफीडिंग से बच्चे की इम्युनिटी बढ़ने के फायदे होते हैं। बच्चा जितना ज्यादा माँ का दूध पिएगा, उसे उतनी ही कम एलर्जी होगी।
यदि बच्चे को अक्सर एलर्जी होती रहती है तो भी ब्रेस्टफीडिंग करने के कारण वह उन इन्फेक्शन से शुरूआती दिनों में लड़ सकता है।
यदि डायग्नोसिस में बच्चे को गेंहूँ से एलर्जी होने का पता चला है तो आपको उसे गेहूँ की कोई भी चीज नहीं खिलानी चाहिए। इसका यह मतलब है कि बच्चे के लिए कोई भी चीज या सीरियल खरीदते समय पूरी सावधानी बरतें। सुपर मार्केट से कोई भी सामान उठाने से पहले उसका लेबल अच्छी तरह से पढ़ लें। बच्चे को ब्रेड, सॉस, एम्मर, केक, बिस्कुट, सूजी और यहाँ तक कि बल्गर व्हीट भी न दें।
इसके अलावा आप बच्चे की डायट में पोटैटो फ्लोर, चावल का आटा, बाजरा, ओट्स और सोया का आटा शामिल करें। इन चीजों का सिर्फ स्वाद ही अच्छा नहीं होता है बल्कि यह गेहूँ जितना ही न्यूट्रिशन प्रदान करते हैं।
यदि बच्चे को गेहूँ से एलर्जी हुई है तो बेशक आपको डॉक्टर से बच्चे की डायट के बारे में जानकारी लेनी चाहिए। इसके अलावा आप निम्नलिखित तरीकों का उपयोग भी कर सकती हैं, आइए जानें;
शुरूआती दिनों में शिशु बहुत नाजुक होते हैं और उन्हें बहुत जल्दी इन्फेक्शन हो जाता है इसलिए ऐसे समय पर संभाल पाना कठिन है। यदि बच्चे को गेहूँ से एलर्जी हुई है तो आप उसकी डायट पर ध्यान दें ताकि इस बात का खयाल रखा जाए कि बच्चे को गेहूँ से बनी चीजें नहीं खिलाई जा रही हैं।
यह भी पढ़ें:
बच्चों को दूध से एलर्जी होना
बच्चों को खाने से एलर्जी होना
शिशुओं में एग एलर्जी की पहचान और इलाज कैसे करें
हिंदी वह भाषा है जो हमारे देश में सबसे ज्यादा बोली जाती है। बच्चे की…
बच्चों को गिनती सिखाने के बाद सबसे पहले हम उन्हें गिनतियों को कैसे जोड़ा और…
गर्भवती होना आसान नहीं होता और यदि कोई महिला गर्भावस्था के दौरान मिर्गी की बीमारी…
गणित के पाठ्यक्रम में गुणा की समझ बच्चों को गुणनफल को तेजी से याद रखने…
गणित की बुनियाद को मजबूत बनाने के लिए पहाड़े सीखना बेहद जरूरी है। खासकर बच्चों…
10 का पहाड़ा बच्चों के लिए गणित के सबसे आसान और महत्वपूर्ण पहाड़ों में से…