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बच्चों के विकास के दौरान आपको अनगिनत चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। बच्चे को कई बार बुखार, एलर्जी और इन्फेक्शन से जूझना पड़ता है। इनमें से कुछ इंफेक्शन अत्यधिक संक्रामक हो सकते हैं, जिनमें से एक है रिंगवर्म यानी दाद। आपके बच्चे का विकास स्वस्थ और प्रसन्न तरीके से हो, इसके लिए ऐसी बीमारियों का इलाज किया जाना बहुत जरूरी है। इस लेख में हम इन्हें पहचानने के तरीके, इनके इलाज और इनसे बचाव के बारे में बता रहे हैं।
रिंगवर्म एक तरह का फंगल इंफेक्शन है, जो कि बहुत ज्यादा संक्रामक होता है। इसके नाम पर मत जाइए, इसका संबंध किसी तरह के वर्म से नहीं है। इस फंगल इंफेक्शन के कारण आपके बच्चे के शरीर पर होने वाले रैश की आकृति के कारण इसे रिंगवर्म का नाम दिया गया है। बच्चों में रिंगवर्म इन्फेक्शन आम होते हैं। इस बीमारी में बहुत ज्यादा खुजली और झुंझलाहट होती है। इसे तीनिया कॉरपोरिस के नाम से भी जाना जाता है और इसे बच्चों में सबसे ज्यादा पाया जाता है। यह आपके बच्चे के शरीर में सिर से लेकर पैर तक किसी भी हिस्से में हो सकता है।
रिंगवर्म एक बहुत ही आम इंफेक्शन है, जो कि स्कूल जाने वाले बच्चों में अधिक देखा जाता है। नवजात शिशुओं और छोटे बच्चों में यह बीमारी बहुत दुर्लभ होती है। रिंगवर्म से प्रभावित होने वाले अधिकतर बच्चे 2 से 10 साल की आयु के होते हैं।
शिशुओं और बच्चों में रिंगवर्म कई कारणों से हो सकता है, जिनमें से कुछ नीचे दिए गए हैं:
अगर आपका बच्चा कुत्ते या बिल्ली जैसे किसी पालतू जानवर के संपर्क में है, जो कि इस इंफेक्शन से ग्रस्त है, तो यह आपके बच्चे को भी हो सकता है।
अगर आपका बच्चा किसी ऐसी सतह पर मौजूद इंफेक्शन के संपर्क में रहे, तो उसे रिंगवर्म का खतरा हो सकता है।
रिंगवर्म संक्रामक होता है। अगर आपका बच्चा, ऐसे लोगों के संपर्क में आए जिन्हें पहले से यह बीमारी है, तो उसे भी यह संक्रमण हो सकता है।
नोट: रिंगवर्म छूने से फैलता है। अगर आपके बच्चे को रिंगवर्म है, तो इलाज के दौरान उसे क्वॉरंटाइन में रखें, ताकि यह दूसरे बच्चों में न फैले।
किसी भी तरह के इंफेक्शन से लड़ने के सबसे जरूरी हिस्सों में से एक है, इंफेक्शन को समझना और उसे पहचानना। इसके लिए, हमें सबसे पहले उस इंफेक्शन के लक्षणों को समझना चाहिए। रिंगवर्म को समझने के लिए, हमारा यह समझना बहुत जरूरी है, कि इसके लक्षण क्या होते हैं और वे कैसे बनते हैं।
रिंगवर्म में बहुत ही अलग तरह के रैशेज बन जाते हैं, शारीरिक जांच और मेडिकल हिस्ट्री के द्वारा डॉक्टर इसकी पहचान करते हैं। अगर फिर भी जांच को लेकर किसी तरह की दुविधा हो, तो डॉक्टर प्रभावित जगह से त्वचा की खुरचन लेकर पोटैशियम हाइड्रोक्साइड प्रिपरेशन और उसके बाद माइक्रोस्कोपिक एग्जामिनेशन नामक बेड साइड टेस्ट कर सकते हैं।
अगर इसका इलाज नहीं किया जाए, तो रिंगवर्म नीचे दी गई समस्याएं पैदा कर सकता है:
इसकी पहचान और इलाज के लिए एक डर्मेटोलॉजिस्ट से परामर्श लेना जरूरी है। ओवर द काउंटर एंटी फंगल क्रीम का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। ओवर द अकाउंट क्रीम के इस्तेमाल से रिंगवर्म का इलाज अपर्याप्त हो सकता है और वह बार-बार हो सकता है।
याद रखें, शिशुओं के लिए दाद की दवा, उसकी स्थिति पर आधारित होती है। एक जैसी स्थिति होने के बावजूद इस दवा को दूसरों के साथ या दूसरे बच्चों के साथ शेयर न करें। इनमें से किसी भी इलाज को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर से यह दवा लगाने के तरीके के बारे में बात करें और किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए, इसके बारे में भी बात करें।
रिंगवर्म के लिए घरेलू दवाओं का इस्तेमाल प्रिसक्रिप्शन की दवाओं का एक विकल्प हो सकता है। इस सलाह पर काफी जोर दिया जाता है। हालांकि बच्चों में रिंगवर्म के लिए प्राकृतिक दवाओं और घरेलू दवाओं, जैसे इलाज के प्राकृतिक तरीकों के बारे में अपने डॉक्टर से बात करें। यहाँ पर कुछ घरेलू दवाएं दी गई हैं, जो आपको रिंगवर्म से लड़ने में मदद करेंगे:
ट्री ट्री ऑयल त्वचा की अनगिनत समस्याओं में अपने फायदे के लिए जाना जाता है। इसमें ऐसे गुण होते हैं, जिन्हें रिंगवर्म से लड़ने में मददगार माना जाता है। इसका इस्तेमाल कैसे करें और कितना करें, इसके बारे में सावधानी बरतें। टी ट्री एसेंशियल ऑयल के इस्तेमाल से पहले किसी डर्मेटोलॉजिस्ट से सलाह अवश्य लें।
एप्पल साइडर विनेगर जरूरी प्रोबायोटिक और एसिड से भरा होता है, जो कि मानव शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। ऐसा माना जाता है, कि रुई के फाहे पर इसे डालकर मरहम की तरह चकत्तों को धीरे-धीरे साफ करने से रिंगवर्म और दूसरे फंगल इंफेक्शन से लड़ने में मदद मिलती है।
आपके बच्चे को रिंगवर्म इनफेक्शन न हो, इसके लिए यहाँ पर कुछ टिप्स दिए गए हैं, जिन्हें आप आजमा सकते हैं:
हालांकि रिंगवर्म का इन्फेक्शन बहुत ज्यादा संक्रामक होता है, लेकिन कुछ सावधानियां बरत कर आप अपने बच्चे को कंफर्टेबल रख सकते हैं। परिवार के अन्य सदस्यों और दूसरे बच्चों तक यह संक्रमण न फैले, इस बात का ध्यान रखना जरूरी है। इस इंफेक्शन को लेकर अगर आपको किसी भी तरह की चिंता हो रही हो, तो पेडिअट्रिशन से बात करें।
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