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आमतौर पर बच्चों में दांत निकलने की शुरुआत जन्म के बाद पहले वर्ष के दौरान होती है। अक्सर जब बच्चे 6 से 8 महीने के होते हैं, तब उनका पहला दांत आता है। पर, कभी-कभी कुछ बच्चे एक या दो दांतों के साथ जन्म लेते हैं, जिन्हें नेटल टीथ कहा जाता है। हालांकि ऐसा होना असामान्य नहीं है, पर यह दुर्लभ जरूर होता है।
बच्चे के जन्म के समय उसके मुंह में जो दांत होते हैं, उन्हें नेटल टीथ कहा जाता है। ये मुख्य रूप से बच्चे के दूध के दांत होते हैं, जो कि समय से पहले उग आते हैं। इसे कंजेनिटल टीथ, फीटल टीथ और प्रीकोशियस डेंटिशन भी कहा जाता है। आमतौर पर ये दांत अच्छी तरह से बने हुए नहीं होते हैं और ये या तो छोटे, कोण जैसे या फिर सामान्य, रेगुलर आकार के हो सकते हैं। ये या तो सफेद हो सकते हैं या फिर भूरे-पीले जैसे हो सकते हैं।
जन्म के समय बच्चे के मुंह में दांत होना एक बहुत ही दुर्लभ घटना है। यह लगभग प्रत्येक 2000 से 3000 बच्चों में से किसी एक बच्चे में होती है। बल्कि, नेटल टीथ के साथ जन्म लेने वाले बच्चों की संख्या, बच्चों में नियोनेटल टीथ (जन्म के बाद पहले महीने के दौरान आने वाले दांत) आने की संख्या से अधिक होती है। इसका अनुपात लगभग 3:1 होता है।
नेटल टीथ चार प्रकार के होते हैं, जो कि नीचे दिए गए हैं:
कुछ बच्चे निचले मसूढ़े पर केवल एक दांत के साथ जन्म ले सकते हैं। लेकिन बच्चे 2 या उससे अधिक दांतों के साथ भी जन्म ले सकते हैं, जो कि ऊपर या नीचे के मसूढों पर हो सकते हैं। हालांकि ऐसी घटनाएं और भी दुर्लभ हैं। जन्म के समय नेटल टीथ के तौर पर मोलर दांत की उपस्थिति की घटना 100 में से एक से भी कम मामलों में देखी जाती है।
शिशुओं में नेटल टीथ के आने की घटना को आमतौर पर किसी मेडिकल बीमारी से नहीं जोड़ा गया है। हालांकि इसका कोई सटीक कारण भी ज्ञात नहीं है, पर कुछ मामलों में शिशु के दांत के साथ जन्म लेने की घटना हॉलर्मैन स्ट्राइफ सिंड्रोम, एलिस-वान क्रिवल्ड सिंड्रोम, सोतो सिंड्रोम, पीयर रोबिन सिंड्रोम जैसी कुछ खास बीमारियों के कारण हो सकती है।
कभी-कभी क्लेफ्ट लिप या डेंटिन (दांत के एक हिस्से का इनेमल के नीचे स्थित होना) जैसे दोषों के साथ जन्म लेने वाले शिशुओं में नेटल टीथ के साथ जन्म लेने के घटना संभवतः बढ़ सकती है। इसके अलावा प्रेगनेंसी के दौरान पोषण की कमी, ट्रॉमा, मां का टॉक्सिन के संपर्क में आना, कोई इंफेक्शन जैसी बातें भी बच्चों में जन्म के समय दांत का कारण बन सकती हैं। पेरेंट्स और भाई-बहन भी नेटल टीथ के साथ जन्मे हों, तो ऐसे में नवजात शिशु में भी नेटल टीथ होने की संभावना बहुत बढ़ जाती है।
स्टडीज दर्शाती हैं, कि बच्चे का दांत के साथ जन्म लेना एक आम घटना नहीं है। कुछ आंकड़े यह दर्शाते हैं, कि नेटल टीथ लगभग 6000 बच्चों में से 1 बच्चे में देखा जाता है। वहीं अन्य आंकड़े दर्शाते हैं, कि लगभग 2700 बच्चों में से 1 बच्चे में ऐसी स्थिति देखी जाती है। इसकी वास्तविक संख्या इन्हीं आंकड़ों के बीच कहीं स्थित हो सकती है। हालांकि इसमें बच्चे के जेंडर की भूमिका विवादास्पद है, पर नेटल टीथ लड़कों की तुलना में लड़कियों में अधिक देखा जाता है। बच्चों में नेटल टीथ आमतौर पर इस प्रकार होता है:
ज्यादातर डॉक्टर बच्चे के जन्म के बाद नेटल टीथ को निकालने की सलाह देते हैं, क्योंकि इससे कुछ खास जटिलताएं जुड़ी होती हैं, जो कि नीचे दी गई हैं:
जन्म के साथ बच्चे के मुंह में दांत हो, तो ब्रेस्टफीडिंग के दौरान जटिलता हो सकती है। मां को बच्चे को दूध पिलाने में दर्द हो सकता है, क्योंकि बच्चे के काटने की संभावना होती है। हालांकि नेटल टीथ के साथ जन्मे बच्चे को न काटने के लिए ट्रेन किया जा सकता है, पर ऐसा करने में समय लग सकता है। अगर ऐसा नहीं हो पाता है, तो मां दर्द और तकलीफ से राहत पाने के लिए ब्रेस्ट पंप या बोतल फीडिंग का चुनाव कर सकती है। ऐसे में ब्रेस्ट फीड कराने वाली मां को घाव होने की संभावना भी होती है, क्योंकि मां के ब्रेस्ट की नाजुक त्वचा पर नुकीले नेटल दांतों से लगातार घर्षण होता रहता है।
यदि नेटल टीथ नुकीला हो और वह मुलायम त्वचा से लगातार रगड़ खाता रहे, तो ऐसे में बच्चे के निचले होंठ के अंदरूनी हिस्से पर या बच्चे की जीभ के अंदर अल्सर होने की संभावना हो सकती है। ऐसी स्थिति को रिगा-फेडे सिंड्रोम कहते हैं। इसके इलाज में बच्चे के नुकीले दांतो के किनारों को घिसना या दांत पर सुरक्षात्मक कवर लगाना शामिल है।
नेटल टीथ ठीक तरह से बने नहीं होते हैं और इनमें जड़ जैसी कोई भी चीज नहीं के बराबर होती है। और इसलिए ये ढीले होते हैं, जिसके कारण अगर वे गिर जाते हैं, तो बच्चे का दम घुटने का कारण भी बन सकते हैं।
ज्यादातर बच्चों में दांत आने की शुरुआत 6 से 8 महीनों के बीच होती है। पर, जब बच्चे के जन्म के बाद पहले महीने में ही दांत आने शुरू हो जाएं, तो इन्हें नियोनेटल टीथ कहा जाता है। कभी-कभी बच्चों का विकास जल्दी होता है और उनमें दांत आने के संकेत बहुत जल्दी दिख सकते हैं। जल्द टीदिंग 2 से 3 महीने की उम्र में शुरू हो सकती है।
न्यू नेटल दांत को स्वच्छ रखना बहुत जरूरी है। आप एक साफ-गीले कपड़े से सौम्यता से इसे पोंछ कर नियोनेटल दांत को साफ रख सकती हैं। साथ ही बच्चे की जीभ और मसूड़ों को नियमित रूप से चेक करती रहें, ताकि किसी तरह के अल्सर या चोट के संकेत का पता चल सके।
नेटल टीथ की जांच करने पर अगर डॉक्टर को यह महसूस होता है कि दांत ढीले हैं, तो वे उसे निकालने की सलाह दे सकते हैं या फिर ब्रेस्टफीडिंग के दौरान मां और बच्चे को चोट लगने से बचाने के लिए दांत के किनारों को समतल कर सकते हैं। अगर आपके बच्चे के मुंह में अल्सर हो जाता है, तो उसे मेडिकल उपचार की जरूरत पड़ सकती है।
जन्म के समय अगर बच्चे के मुंह में दांत हों, तो इसके लिए आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है। अपनी चिंताओं के विषय में डॉक्टर से परामर्श लेना और समय पर इलाज के लिए गाइडेंस लेना सबसे अच्छा आईडिया है।
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