In this Article
- डिलीवरी के बाद इन्फेक्शन होना क्या है?
- यह कितना सामान्य है?
- डिलीवरी के बाद इन्फेक्शन होने का खतरा सबसे ज्यादा किसे होता है?
- डिलीवरी के बाद इन्फेक्शन होने के कारण
- डिलीवरी के बाद इन्फेक्शन होने के लक्षण
- डिलीवरी के बाद महिलाओं को अक्सर कौन सा इन्फेक्शन होता है
- डिलीवरी के बाद इन्फेक्शन का डायग्नोसिस
- बच्चे के जन्म के बाद आपको इन्फेक्शन के बारे में चिंता क्यों होनी चाहिए
- डिलीवरी के बाद इन्फेक्शन का ट्रीटमेंट और मैनेजमेंट
यद्यपि डिलीवरी के बाद महिलाओं को ब्लीडिंग व थकान तो होती है पर इस समय महिला को कुछ ऐसी गंभीर समस्याएं भी हो सकती हैं जिसमें बहुत ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। आप चाहे अपनी जितनी भी देखभाल कर लें पर कभी-कभी आपको इन्फेक्शन हो भी सकता है। डिलीवरी के बाद गर्भाशय में, वजायना और सर्विक्स के आसपास बहुत सारे खुले हुए घाव और चीरे होते हैं। इससे शरीर कमजोर हो जाता है और इन्फेक्शन होने की संभावनाएं भी बढ़ जाती हैं।
डिलीवरी के बाद इन्फेक्शन होना क्या है?
वजायनल डिलीवरी या सिजेरियन और यहाँ तक कि ब्रेस्टफीडिंग के दौरान इन्फेक्शन होने को पोस्टपार्टम इन्फेक्शन या डिलीवरी के बाद के इन्फेक्शन कहते हैं। यह तब होता है जब बच्चे को जन्म देने के बाद महिला के गर्भाशय में या इसके आसपास इन्फेक्शन होने लगता है। डिलीवरी के बाद इन्फेक्शन को प्रसव संबंधी (पुएपेरल) इन्फेक्शन भी कहा जाता है।
यह कितना सामान्य है?
आज के समय में जो महिलाएं नॉर्मल डिलीवरी करवाती हैं, उनमें 2% महिलाओं को डिलीवरी के बाद इन्फेक्शन होता है। यदि बचाव के लिए महिलाओं को एंटीबायोटिक्स नहीं दी गई और डिलीवरी में कठिनाई होती है तो यह दर बढ़कर 10% हो जाता है और सिजेरियन डिलीवरी के मामले में लगभग 50% महिलाओं को डिलीवरी के बाद इन्फेक्शन होता है।
डिलीवरी के बाद इन्फेक्शन होने का खतरा सबसे ज्यादा किसे होता है?
यदि महिला की सिजेरियन डिलीवरी हुई थी, प्रीमैच्योर मेम्ब्रेन में क्षति हुई थी, लंबे समय तक बच्चे को आंतरिक रूप से मॉनिटर किया गया था और या महिला को एनीमिया है तो इन स्थितियों में इन्फेक्शन बहुत जल्दी होता है।
डिलीवरी के बाद इन्फेक्शन होने के कारण
- यदि बच्चे के सिर को बाहर निकालने में परेशानी हो रही तो तो महिला की वजायना में ऊपर की ओर छोटा सा कट लगाया जाता है तो इसे एपिसियोटॉमी कहा जाता है। यदि इस घाव में इन्फेक्शन हो जाता है तो इसे भी डिलीवरी के बाद का इन्फेक्शन या पोस्टपार्टम इन्फेक्शन ही कहते हैं।
- यदि लेबर बहुत देर तक चलता है और डॉक्टर अस्वच्छ रूप से वजायना की जांच बार-बार करते हैं तो महिला को डिलीवरी के बाद इन्फेक्शन हो सकता है।
- यदि बच्चे के जन्म के बाद प्लेसेंटा बाहर नहीं आता है और लगभग 30 मिनट तक गर्भाशय में ही रहता है तो डॉक्टर खुद से प्लेसेंटा को निकालते हैं। इस प्रकार प्लेसेंटा निकालने से भी महिला को डिलीवरी के बाद इन्फेक्शन हो जाता है।
- पेल्विक के अन्य अंगों में इन्फेक्शन, जैसे ओवरी में इन्फेक्शन पोस्टपार्टम इन्फेक्शन का कारण हो सकता है।
- कभी-कभी वजायनल सैनिटरी पैड से भी महिलाओं को इन्फेक्शन हो सकता है।
डिलीवरी के बाद इन्फेक्शन होने के लक्षण
जब महिला हॉस्पिटल में होती है तब डिलीवरी के बाद इन्फेक्शन होने के लक्षण हमेशा दिखाई दे ऐसा जरूरी नहीं है। ये लक्षण डिलीवरी के बाद 10 दिनों तक कभी भी दिख सकते हैं। डिलीवरी के बाद इन्फेक्शन होने के लक्षण निम्नलिखित हैं, आइए जानें;
- बुखार आना
- डिस्चार्ज में दुर्गंध आना
- संक्रमित जगह पर संवेदनशीलता व दर्द होना
- बहुत ज्यादा ब्लीडिंग होना
- पेशाब या पॉटी करने में समस्या होना
डिलीवरी के बाद महिलाओं को अक्सर कौन सा इन्फेक्शन होता है
डिलीवरी के बाद महिला को निम्नलिखित सामान्य इन्फेक्शन हो सकते हैं, आइए जानें;
- डिलीवरी के बाद ब्लीडिंग होना: यदि प्लेसेंटा को निकाल देने के बाद गर्भाशय अपने आप पहले जैसी अवस्था में नहीं जा पाता है या यदि गर्भाशय, वजायना और सर्विक्स में बहुत सारे चीरे या घाव हैं तो इससे इन्फेक्शन होता है।
- यूटराइन इन्फेक्शन होना: डिलीवरी के दौरान यदि एमनियोटिक थैली में कोई भी इन्फेक्शन हो जाता है तो इससे यूटराइन इन्फेक्शन होता है। यदि गर्भाशय में प्लेसेंटा के कुछ टुकड़े रह जाते हैं तो भी महिला को यूटराइन इन्फेक्शन हो सकता है।
- सिजेरियन के घाव में इन्फेक्शन होना: डिलीवरी के बाद सिजेरियन के घाव में इन्फेक्शन हो सकता है। यदि आपको चीरे की जगह सूजन, रेडनेस या डिस्चार्ज का अनुभव हो रहा है तो जल्दी से जल्दी इसकी जांच करवाएं।
- पेरिनियल दर्द होना: रेक्टम और वजायना के बीच की जगह को पेरिनियम कहते हैं। इस क्षेत्र में दर्द होना बहुत आम है पर यदि डिलीवरी के दौरान यहाँ के टिश्यू में क्षति होती है या ये स्ट्रेच हो जाते हैं तो आपको सूजन या दर्द हो सकता है।
- वजायना से बहुत ज्यादा डिस्चार्ज होना: डिलीवरी के बाद कुछ सप्ताह तक महिला को वजायनल डिस्चार्ज होता है। इस डिस्चार्ज में प्लेसेंटा के बचे हुए टुकड़े और खून निकलता है। इसमें पहले ब्लड क्लॉट होता है पर बाद में यह पिंक हो जाता है और अंत में सफेद होने के बाद धीरे-धीरे अपने आप ही बंद हो जाता है। यदि दो सप्ताह के बाद तक भी डिस्चार्ज में खून आने के साथ दुर्गंध भी आती है तो आप तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
डिलीवरी के बाद इन्फेक्शन का डायग्नोसिस
शारीरिक जांच के परिणाम पर ही उचित रूप से डायग्नोसिस किया जा सकता है। कभी-कभी जब महिला को सिर्फ बुखार होता है और कोई भी लक्षण नहीं दिखाई देते हैं तब भी डॉक्टर डायग्नोसिस कर सकते हैं। अक्सर डॉक्टर महिला के पेशाब का सैंपल लेते हैं और समस्याओं का पता लगाने के लिए उसमें मौजूद बैक्टीरिया की जांच करते हैं।
बच्चे के जन्म के बाद आपको इन्फेक्शन के बारे में चिंता क्यों होनी चाहिए
यदि महिला में इन्फेक्शन का पता नहीं लगाया जाता है या इसका इलाज नहीं किया जाता है तो इससे ब्लड क्लॉटिंग होती है या किडनी में इन्फेक्शन हो जाता है जिसकी वजह से किडनी की समस्याएं होती हैं और खून में इन्फेक्शन होने की वजह से महिला को सेप्सिस हो सकता है। यद्यपि ज्यादातर इन्फेक्शन का इलाज किया जा सकता है और इसमें सबसे बड़ी समस्या यह है कि इसके इलाज के दौरान महिला अपने बच्चे की देखभाल नहीं कर पाती है या उसके साथ बॉन्डिंग नहीं बना पाती है। यदि आपको थोड़ी सी भी शंका है कि कुछ ठीक नहीं है तो आप तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
डिलीवरी के बाद इन्फेक्शन का ट्रीटमेंट और मैनेजमेंट
डिलीवरी के बाद इन्फेक्शन के ट्रीटमेंट के बारे में नीचे दिया गया है, आइए जानें;
- सामान्य ट्रीटमेंट:
इसके लिए सामान्य ट्रीटमेंट है कि आप पूर्ण आराम करें, तरल पदार्थ पिएं, बैलेंस्ड डायट का सेवन करें और दवाएं लें। यदि आपको ब्रेस्ट में इफेक्शन हुआ है तो यह एक गंभीर समस्या है। इसमें महिला का इन्फेक्शन बच्चे तक भी पहुँच सकता है इसलिए यदि महिला बच्चे को दूध नहीं पिलाती है तो बेहतर होगा। ब्रेस्ट इन्फेक्शन को बढ़ने से रोकने के लिए आप दूध के लिए ब्रेस्ट पंप का उपयोग करें।
- लोकल ट्रीटमेंट:
एपिसियोटॉमी के मामले में डॉक्टर आपके टांके निकालेंगे ताकि घाव का मवाद या पस सूख सके।
कभी-कभी महिला के गर्भाशय में कुछ टिश्यू रह जाते हैं जिससे जन्म के बाद गर्भाशय में इन्फेक्शन हो जाता है। गर्भाशय से इन टिश्यू को बहुत आराम से निकाला जाना चाहिए। यदि गर्भाशय बहुत नाजुक है तो टिश्यू निकालने से पहले महिला को कुछ दिनों तक एंटीबायोटिक्स देना चाहिए।
महिलाओं को साफ वजायनल पैड का उपयोग करना चाहिए और रोजाना बदलना भी चाहिए।
डिलीवरी के बाद घाव की देखभाल कैसे करनी चाहिए इस बारे में आप पूरी जानकारी लें क्योंकि इसकी देखभाल करने से ही इन्फेक्शन होने की संभावनाएं कम हो सकती हैं। डिलीवरी के बाद ब्लीडिंग होने को रोकने के लिए आप टेम्पॉन का उपयोग न करें क्योंकि इसे वजायना के अंदर डालना पड़ता है और यदि यह इन्फेक्टेड है तो इससे आपकी वजायना में इन्फेक्शन हो सकता है। यदि आपको बुखार होता है तो सबसे पहले डॉक्टर से मिलें और उन्हें अपनी तकलीफों के बारे में बताएं। इस तरह से आप डिलीवरी की गंभीर समस्याओं या सामान्य दर्द के अनुभवों को कम कर सकती हैं।
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