गर्भावस्था

डिलीवरी के बाद कब्ज होना – कारण और उपचार

यदि आंतों में मल पदार्थ से पानी निकल जाए तो अक्सर पॉटी सूखकर कड़क हो जाती है, जिसे कब्ज कहते हैं। स्टडीज के अनुसार 35 साल से बड़ी उम्र की महिलाओं और ज्यादा बीएमआई वाली महिलाओं में गर्भावस्था के बाद अक्सर कब्ज की समस्या होती है। इस बारे में अधिक जानकारी के लिए यह लेख पूरा पढ़ें। 

डिलीवरी के बाद कब्ज होने के क्या कारण हैं?

  • सिजेरियन सेक्शन की वजह से: सर्जरी के दौरान ऐनेस्थेटिक्स का उपयोग करने से पाचन तंत्र धीमा हो जाता है जिसकी वजह से पॉटी में पानी की कमी होती है।
  • आयरन सप्लीमेंट्स लेने के कारण: डिलीवरी के बाद कई महिलाओं को खून की कमी से एनीमिया होता है और इसलिए शरीर में आयरन की कमी को पूरा करने के लिए महिलाओं को आयरन के सप्लीमेंट्स दिए जाते हैं। आयरन से महिलाओं की आंतों में पैथोजेनिक बैक्टीरिया को पोषण मिलता है जिससे कब्ज की समस्या हो जाती है।
  • असिस्टेड डिलीवरी की वजह से: कुछ मामलों में डिलीवरी में मुश्किल होने पर डॉक्टर फोरसेप्स या वेंटोस जैसे उपकरणों का उपयोग करते हैं। इससे एनल के हिस्से पर अधिक तनाव आता है जिसके परिणामस्वरूप कब्ज की समस्या हो सकती है।
  • दवाओं के कारण: बहुत ज्यादा दवाएं, जैसे मॉर्फिन, वाईकोडिन और पेर्कोसेट लेने से भी पाचन तंत्र धीमा हो जाता है।
  • हॉर्मोन्स के कारण: गर्भावस्था के दौरान शरीर में प्रोजेस्ट्रोन हॉर्मोन्स होने की वजह से भी पाचन धीमा हो जाता है जिससे आपको कब्ज की समस्या हो सकती है।
  • डिहाइड्रेशन के कारण: पानी की कमी से भी कब्ज हो जाता है।
  • डायट में फाइबर कम होने की वजह से: बॉवेल मूवमेंट को स्मूद करने के लिए शरीर में फाइबर की जरूरत होती है। डायट में फाइबर-युक्त खाद्य पदार्थ की कमी होने से भी पाचन तंत्र में समस्याएं हो सकती हैं।
  • प्री-नेटल विटामिन्स लेने की वजह से: ब्रेस्टफीड कराने वाली महिलाएं शरीर में न्यूट्रिशन की मात्रा को बढ़ाने के लिए मल्टी-विटामिन्स लेती हैं। दुर्भाग्य से इनमें ज्यादातर आयरन होता है जिससे कब्ज की समस्या हो सकती है।
  • बवासीर होने की वजह से: सामान्य डिलीवरी के बाद कई महिलाओं को बवासीर की समस्या होती है जिसमें दर्द भी बहुत होता है।
  • एंग्जायटी की वजह से: कई महिलाओं को एंग्जायटी की समस्या होती है जिसकी वजह से भी बॉवेल मूवमेंट धीमा हो जाता है।

क्या पॉटी के दौरान आपको दर्द होता है?

यदि आपको बवासीर है या आपके एनल में क्षति हुई है तो आपको दर्द हो सकता है। हालांकि एनल की क्षति कुछ सप्ताह में ठीक हो सकती है और आने वाले कुछ महीनों में बवासीर की समस्या भी कम हो जाएगी। 

कब्ज को कैसे ठीक करें

कब्ज एक आम समस्या है जिसे आप घर पर ही ठीक कर सकती हैं। इसे ठीक करने के लिए कुछ सामान्य होम रेमेडीज निम्नलिखित हैं, आइए जानें;

होम रेमेडीज

डिलीवरी के बाद कब्ज होना बहुत ज्यादा गंभीर समस्या नहीं है जिसमें आपको मेडिकल की सहायता लेनी पड़े। इसे आप नीचे बताई गई कुछ होम रेमेडीज की मदद से ही ठीक कर सकती हैं, आइए जानें;

  • फलों का जूस लें: स्टडीज के अनुसार कुछ फल, जैसे सेब और नाशपाती में सोर्बिटॉल नामक एक पदार्थ होता है जो कब्ज जैसी समस्याओं को ठीक कर सकता है।
  • पानी पिएं: पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से पॉटी का सूखापन और कड़कपन खत्म हो जाता है।
  • ओट्स खाएं: ओट्स में इन्सॉल्यूब्ल फाइबर होता है जो बॉवेल मूवमेंट को बढ़ाने में मदद करता है।
  • मालिश करवाएं: कब्ज को कम करने के लिए मालिश करना एक नॉन इन्वेसिव तरीका है। पेट के अलग-अलग भाग में मालिश करने से इसकी दीवारें मजबूत होती हैं और साथ ही पॉटी मुलायम हो जाती है।
  • प्राकृतिक लैक्सेटिव लें: बॉवेल मूवमेंट को प्रेरित करने के लिए लैक्सेटिव भी काफी प्रभावी होता है। आप नेचुरल लैक्सेटिव के लिए सूखा आलूबुखारा, अलसी के बीज और नारियल पानी ले सकती हैं।
  • हल्की एक्सरसाइज करें: पाचन क्रिया को तेज करने के लिए आप लगभग 30 मिनट के लिए टहलें। यह  भी भी एक नॉन-इन्वेसिव तरीका है और इससे आपको काफी मदद मिल सकती है।
  • प्रोबायोटिक्स लें: यद्यपि इसके बारे में ज्यादा रिसर्च नहीं की गई है पर ऐसा माना जाता है कि प्रोबायोटिक्स से बॉवेल मूवमेंट में सुधार आ सकता है और पॉटी सॉफ्ट होती है।
  • अदरक की चाय पिएं: थोड़ा बहुत लैक्सेटिव, जैसे अदरक की चाय पीने से भी पाचन व पेट की समस्याएं ठीक होती हैं। हालांकि यदि आपको डायबिटीज है तो आप इसे न पिएं क्योंकि यह पेय पदार्थ डायबिटीज की दवाओं के अब्सॉर्प्शन में प्रभाव डालता है।
  • नींबू पानी लें: एसिड की उच्च मात्रा पाचन तंत्र को ठीक करने में मदद करती है जिससे कब्ज की समस्या खत्म हो सकती है।

पॉटी जाने के कुछ स्टेप्स

यदि आपको कब्ज की समस्या है तो आप निम्नलिखित स्टेप्स फॉलो कर सकती हैं, आइए जानें;

  • स्टेप 1: पॉटी की समस्या को ठीक करने के लिए आप रोजाना थोड़ी देर के लिए टहलें।
  • स्टेप 2: आप एक कप कॉफी भी पी सकती हैं क्योंकि यह नेचुरल लैक्सेटिव की तरह ही काम करती है।
  • स्टेप 3: सही समय का इंतजार करें और जबरदस्ती न जाएं।
  • स्टेप 4: कोशिश करें कि आप पॉटी के लिए इंडियन स्टाइल की टॉयलेट में ही जाएं। यदि आप वेस्टर्न टॉयलेट का उपयोग करती हैं तो अपने पैरों के नीचे एक छोटा स्टूल रखें ताकि पैर हिप्स से थोड़े ऊंचे स्तर पर रहें।
  • स्टेप 5: ज्यादा जोर लगाने के बजाय जिससे एनस फट सकता है, गहरी सांस लें ताकि आपके पेल्विस पर दबाव पड़े।
  • स्टेप 6: पॉटी के दौरान बेहतर महसूस करने के लिए आप स्फिंक्टर की मांसपेशियों को रिलैक्स करने का प्रयास करें।

डिलीवरी के बाद कब्ज में आराम के लिए एक्सरसाइज

  • टहलना: रोजाना लगभग 30 मिनट के लिए सिर्फ टहलने से भी कब्ज की समस्या कम हो सकती है।
  • मार्जरी आसन (कैट एंड काऊ पोज): यह एक्सरसाइज पेट की मांसपेशियों को फायदे पहुँचाने में मदद करती है। इसे करने के लिए पहले आप अपने हाथों व घुटनों को जमीन के बल रखें। अब अपनी पीठ को नीचे की ओर करते हुए एक आर्क बनाएं और पेट को हल्का सा जमीन की तरफ करें। यह काऊ पोज है। इसके बाद आप पीठ के आर्क को ऊपर की ओर करते हुए अपने सिर व हिप्स को जमीन की तरफ ले जाएं। इसे कैट पोज कहते हैं। आप इस पोज को 5 बार दोहरा सकती हैं।
  • पवन मुक्तासन (विंड रिलीविंग पोज): यह एक्सरसाइज आंतों में फंसी गैस को निकालने में मदद करती है। इसे करने के लिए आप जमीन पर पीठ के बल सीधे लेट जाएं और फिर दोनों हाथों से अपने एक पैर को इस प्रकार पकड़ें कि आपकी जांघ रिब केज को छुए। आप इस पोज में लगभग 90 सेकंड्स तक रहें और फिर दूसरे पैर से भी इसे दोहराएं।
  • उत्तानासन (एक्सटेंडेड पपी पोज): यह एक्सरसाइज करने से पेट की मांसपेशियां स्ट्रेच होती हैं जिससे क्रैंप्स कम होने में मदद मिलती है। इसे करने के लिए पहले आप अपना सिर व दोनों हाथ जमीन पर रखें। फिर अपने दोनों हाथों को आराम से स्ट्रेच करें और साथ ही सिर व चेस्ट को धीरे-धीरे जमीन की ओर लाएं।
  • त्रिकोणासन (ट्राइएंगल पोज): इस एक्सरसाइज में शरीर को मोड़ने (ट्विस्ट करने) से पाचन जूस एक्टिवेट होते हैं और बॉवेल मूवमेंट ठीक होता है। इसे करने के लिए पहले आप अपने पैरों को 3 फीट तक इस प्रकार से फैलाएं कि आपके पैर और हिप्स ट्राईएंगल के आकार में हों। अब आप अपने दाहिने हाथ से दाहिने पैर की एड़ी को छूने का प्रयास करें और इसके साथ-साथ अपने बाएं हाथ को ऊपर उठाएं। आप इस पोजीशन को लगभग 30 सेकंड तक होल्ड करें और फिर दूसरी तरफ से भी इसे दोहराएं।
  • पश्चिमोत्तानासन (फॉरवर्ड बेंड पोज): यह एक्सरसाइज करने से पेट पर दबाव पड़ता है और बॉवेल मूवमेंट की समस्या ठीक होती है। जमीन पर दोनों पैरों को एकदम सीधे फैलाकर बैठ जाएं। दोनों पैरों के बीच में दूरी न हो और जितना संभव हो पैरों को सीधे रखें। इसके साथ ही गर्दन, सिर और रीढ़ की हड्डी को भी सीधा रखें। इसके बाद अपनी दोनों हथेलियों को दोनों घुटनों पर रखें। अब अपने सिर और धड़ को धीरे से आगे की ओर झुकाएं और अपने घुटनों को बिना मोड़े हाथों की उंगलियों से पैरों की उंगलियों को छूने की कोशिश करें। इसके बाद गहरी सांस लें और धीरे से सांस छोड़ें। अपने सिर और माथे को दोनों घुटनों से छूने की कोशिश करें। बांहों को झुकाएं और कोहनी से जमीन को छूने की कोशिश करें। सांस को पूरी तरह छोड़ दें और इसी पोजीशन में कुछ देर तक बनी रहें। कुछ सेकेंड के बाद वापस पहली वाली मुद्रा में आ जाएं।

कब्ज में आराम के लिए लैक्सेटिव

चूंकि इस समय आप दवाओं का सेवन कर रही होंगी इसलिए डायरेक्ट मेडिकल स्टोर से लैक्सेटिव लेने के बजाय पहले इस बारे में डॉक्टर से सलाह जरूर लें। आप नेचुरल लैक्सेटिव का उपयोग कर सकती हैं, जैसे कैस्टर ऑयल या कोकोनट ऑयल।

डिलीवरी के बाद कब्ज की समस्या कितने समय तक रहती है?

सिजेरियन या सामान्य डिलीवरी के बाद कब्ज होना एक आम बात है पर यह गंभीर समस्या नहीं है क्योंकि इसे कुछ दिनों में ही ठीक किया जा सकता है। 

डॉक्टर से कब मिलें?

यदि पॉटी करते समय आपको ब्लीडिंग होती है या कब्ज की समस्या तीन सप्ताह से ज्यादा दिनों तक रहती है तो आपको डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। 

यह ध्यान रखना बहुत जरूरी है कि सिजेरियन डिलीवरी के बाद कब्ज होना एक आम समस्या है और इसे अपनी डायट व लाइफस्टाइल में बदलाव करके ठीक किया जा सकता है। कब्ज की समस्या को ठीक करने के लिए नियमित रूप से रफेज और तरल पदार्थ का सेवन करती रहें। 

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सुरक्षा कटियार

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