गर्भावस्था

डिलीवरी के बाद पेरिनियम में दर्द – कारण और उपचार

आप सोच रही होंगी कि बच्चे के जन्म के दौरान लेबर और डिलीवरी में बहुत ज्यादा दर्द होता है। पर यह भी सच है कि डिलीवरी के बाद भी आपको इतना ही दर्द हो सकता है। जन्म के समय में बच्चे का वजन 2.5 किलोग्राम – 3.5 किलोग्राम तक हो सकता है और इस वजह से पतली सर्विक्स से उसका निकल पाना कठिन होता है, वजायना फट सकती है या पेरिनियल हिस्से में तकलीफ भी हो सकती है। 

डिलीवरी के बाद पेरिनियल दर्द क्या होता है?

महिला के वजायना और एनस के बीच का भाग पेरिनियम है और डिलीवरी के दौरान यह बहुत ज्यादा स्ट्रेच होता है व इस पर दबाव भी पड़ता है। एक महिला को ठीक होने में कितना समय लगता है या उसे कितना दर्द हो रहा है यह उसकी डिलीवरी के प्रकार पर निर्भर करता है। यदि महिला की वजायनल डिलीवरी हुई है और वजायना फटी नहीं है तो उसके पेरिनियल हिस्से में 3-5 सप्ताह तक तकलीफ और दर्द हो सकता है। यदि एपीसीओटोमी होती है तो आपको अगले 6 सप्ताह तक दर्द हो सकता है। सी-सेक्शन करवाने के बाद भी इसमें परेशानियां पैदा होती हैं पर यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपने कितनी देर तक पुश किया था। 

जन्म के बाद वजायनल दर्द को ठीक करने के लिए आप नीचे बताए गए तरीके अपना सकती हैं, आइए जानें;

  • वजायनल हिस्से को साफ रखें: आप प्रभावी क्षेत्र पर पिचकारी वाली बोतल से गुनगुना पानी स्प्रे कर सकती हैं।
  • कोल्ड पैक लगाएं: आप कोल्ड पैक में थोड़ी सी कुचली हुई बर्फ लें और सूजन को कम करने के लिए प्रभावित जगह पर लगाएं। आप डिलीवरी के 24 घंटों के बाद इसका उपयोग कुछ समय के लिए कर सकती हैं।

डिलीवरी के बाद महिलाओं को पेरिनियम हिस्से में पीड़ा क्यों होती है?

सामान्य डिलीवरी या वजाइना से बच्चे का जन्म होने से अक्सर महिलाओं के पेरिनियम में बहुत ज्यादा दर्द होता है क्योंकि डिलीवरी के दौरान बच्चे का सिर निकालने के लिए यह बहुत ज्यादा स्ट्रेच होता है। लेबर के समय में पेरिनियम फट सकता है या बच्चे का सिर बाहर निकालने के लिए इसके बढ़ने पर डॉक्टर टांके लगाने की सलाह भी दे सकते हैं। इस प्रक्रिया को एपीसीओटोमी कहा जाता है और यदि आप इसे करवाती हैं तो इसमें आपको अत्यधिक दर्द व पीड़ा हो सकती है। 

इस बारे में पहले भी चर्चा हुई है कि यदि पेरिनियम बिना फटे या बिना एपीसीओटोमी हुए बच्चे का जन्म पूर्ण हो जाता है तो इसमें बहुत ज्यादा सूजन होती है और यह फट भी सकता है। यह एक सप्ताह में भी ठीक हो सकता है या इसे दोबारा नॉर्मल होने में एक सप्ताह से ज्यादा समय भी लग सकता है। यदि आप एपीसीओटोमी करवाती हैं तो इससे आपके ठीक होने की प्रक्रिया में समय लग सकता है।   

डिलीवरी के बाद पेरिनियल का दर्द ठीक होने में कितना समय लगता है?

यह विभिन्न महिलाओं में अलग-अलग तरीके से ठीक होता है। इसमें घाव जितना ज्यादा गहरा होगा इसकी रिकवरी भी उतनी ही देरी से होगी। यदि घाव पहली डिग्री का है तो इसका मतलब है कि इसमें आपकी मांसपेशियों से ज्यादा त्वचा शामिल है और आपको टांके लगवाने की जरूरत नहीं है। फर्स्ट डिग्री घाव कम असुविधाओं के लिए जाना जाता है और यह जल्दी ठीक भी हो जाता है। 

यदि आपका घाव दूसरी डिग्री का है तो इसमें मांसपेशियां और त्वचा, दोनों ही शामिल होती हैं। इसमें आपको टांके लगवाने की जरूरत पड़ती है और इसे ठीक होने में कुछ सप्ताह लग सकते हैं। जब तक टांके सूखते हैं तब तक कुछ महिलाओं को इसमें दर्द होता है और अन्य महिलाओं में इसे ठीक होने में महीनों भी लग सकते हैं। 

यदि आपका घाव तीसरी या चौथी डिग्री का है तो इसमें ज्यादा टांके लगाने की जरूरत पड़ती है और इसमें एक महीने से ज्यादा दिनों तक दर्द होता है। इन चीरों का अनुभव किसी को भी हो सकता है पर यदि आपकी एपीसीओटोमी हुई थी तो इसकी संभावना बढ़ जाती है। बच्चे का जन्म होने के बाद कुछ दिनों तक आपको पेशाब या पॉटी जाने में कठिनाई हो सकती है। इसमें आपको लूज मोशन या गैस की समस्या भी हो सकती है जो कई महीनों तक रहती है। 

डिलीवरी के बाद पेरिनियल के दर्द को कैसे ठीक करें?

  • इस दौरान आप अपनी देखभाल कैसे कर सकती हैं इस बारे में डॉक्टर या हेल्थकेयर प्रोवाइडर आपको पूरी जानकारी देंगे। ट्रीटमेंट मैकेनिज्म डिलीवरी के बाद पेरिनियम के दर्द से राहत के लिए केंद्रित होता है।
  • बच्चे के जन्म के तुरंत बाद आपके पेरिनियम के ऊपर आइस पैक लगाने की जरूरत होती है। यह आपकी सबसे पहली आवश्यकता है जिसे नर्स पूरा करती है। यह उपचार असुविधाओं के साथ-साथ सूजन को भी कम करता है। इसे ठीक करने के लिए अगले 12 दिनों के बाद तक आप रोजाना सिंगल आइस पैक लगाएं।
  • आपका यह दर्द एसिटामिनोफेन या इबुप्रोफिन से कम हो सकता है। यदि आप बच्चे को दूध पिलाती हैं तो आपके लिए एस्पिरिन न लेना ही बेहतर है। यदि आपको अचानक से घाव हो जाता है तो आप दर्द के लिए डॉक्टर द्वारा प्रिस्क्राइब की हुई दवाई लें।
  • दिन में कई बार सैनिटरी पैड बदलें।
  • यदि आपके पेरिनियम में बहुत ज्यादा पीड़ा या सूजन है तो आप एक जगह पर देर तक न बैठें।
  • पेरिनियम में गुनगुना पानी स्प्रे करने के लिए हॉस्पिटल में अक्सर पिचकारी वाली बोतल दी जाती है। इस बोतल से आपके घाव में सौम्य प्रभाव पड़ता है और एक बार त्वचा से संपर्क में आने के बाद घाव में ज्यादा जलन नहीं होती है।
  • जितना ज्यादा हो सके अपने घाव को खुला रहने दें।
  • इसके उपचार के लिए आप बाथ-टब में बैठकर गुनगुने पानी से सिकाई करें। डिलीवरी के लगभग 24 घंटों के बाद नहाते समय आप इसमें पोटैशियम परमैंगनेट भी मिला सकती हैं। इस तरीके से नहाने के लिए एक गहरे बेसिन में गुनगुना पानी भरें और इसे टॉयलेट सीट पर रख दें। इसका फायदा यह है कि आपको टब में हर बार पानी भरने या कुछ भी करने की जरूरत नहीं है और आप आराम से दिन में कई बार गुनगुने पानी से अपने पेरिनियल क्षेत्र की सिकाई कर सकती हैं। ज्यादातर हॉस्पिटल में इस तरह का टब होता है और यदि आप चाहें तो इसे अपने घर में भी लगवा सकती हैं। यह ज्यादातर दवाइयों के स्टोर में भी होता है।
  • इस दौरान आप आसान चीजें ही करें और बहुत ज्यादा काम का बोझ न लें। आपकी ज्यादा से ज्यादा एनर्जी सिर्फ बच्चे की देखभाल और जल्दी रिकवरी में लगनी चाहिए।
  • यदि आपका घाव बहुत ज्यादा गहरा है तो आप ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थ लें और आपकी डायट में पर्याप्त रफेज भी होना चाहिए ताकि आपको कब्ज की समस्या न हो।
  • आप एनिमा के साथ-साथ रेक्टल ट्रीटमेंट करवाने से भी बचें (इसमें महिलाओं की बॉवल क्लीनजिंग या कब्ज की समस्या को ठीक करने के लिए इंजेक्शन से फ्लूइड दिया जाता है)।
  • यदि आपको लगता है कि कुछ सप्ताह में दर्द कम नहीं हो रहा है तो आप इसके लिए प्रोफेशनल की मदद लें।

डॉक्टर से कब मिलें

डिलीवरी के बाद अक्सर महिलाओं के पेरिनियल क्षेत्र में बहुत ज्यादा दर्द होता है और हॉर्मोन्स में उतार-चढ़ाव होने की वजह से इस समय आप बहुत ज्यादा भावनात्मक भी हो जाती होंगी। इसमें आपकी मदद सिर्फ एक काउंसलर ही कर सकती है। यदि आपको यह महसूस होता है कि आपके और बच्चे के स्वास्थ्य से संबंधित चीजें सही नहीं हैं तो इसके लिए तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

डिलीवरी के बाद अगर आपको निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं तो तुरंत डॉक्टर से मिलें। वे कौन से लक्षण हैं, आइए जानें;

  • यदि वजायना से किसी भी प्रकार का डिस्चार्ज होता है और साथ ही दुर्गंध भी आती है।
  • यदि आपका सिर चकराता है या बेहोशी आती है।
  • यदि पेशाब करते समय आपको कठिनाई होती है और दर्द भी होता है।
  • यदि थोड़ी-थोड़ी देर में आपको उल्टी होती है।
  • यदि आपके ब्रेस्ट बहुत ज्यादा मुलायम और सूजे हुए हैं और छूने से लाल हो जाते हैं।
  • यदि आपके पैरों में बहुत दर्द होता है, इनमें सूजन आती है या ये लाल हो जाते हैं।

ऊपर बताए हुए लक्षणों के अनुसार यदि आपको कोई भी समस्या होती है तो डॉक्टर ही आपका इलाज कर सकते हैं क्योंकि आपको इन्फेक्शन होने की संभावना है। 

बच्चे के जन्म की प्रक्रिया में बहुत ज्यादा दर्द होता है। बच्चे को बाहर निकालते समय महिला का एनस यानि गुदा फटने की संभावनाएं होती हैं और उसे बवासीर भी हो सकता है। यह बहुत ज्यादा तकलीफदेह होता है और इसमें बहुत अधिक दर्द भी होता है। पर अच्छी देखभाल करने और हाइजीन रखने से समय के साथ पेरिनियल दर्द भी जल्दी ही ठीक हो जाता है। 

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सिजेरियन के घाव में इन्फेक्शन

सुरक्षा कटियार

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