In this Article
- प्रसव के बाद मासिक धर्म कब शुरू हो सकता है
- प्रसव के बाद पहली बार मासिक धर्म के दौरान क्या अपेक्षा करें
- स्तनपान कराने वाली महिलाओं को मासिक धर्म जल्दी क्यों नहीं होता है
- प्रसव के बाद मासिक धर्म में बदलाव कैसे होता है
- प्रसव के बाद आपके पहले मासिक धर्म की अवधि कितनी लंबी होती है
- कैसे पता चलेगा कि कोई समस्या है
- प्रसव के बाद मासिक धर्म से संबंधित मिथक
गर्भावस्था के दौरान एक गर्भवती महिला को 9 महीनों तक मासिक धर्म यानि पीरियड नहीं होता है, यह गर्भावस्था के कई फायदों में से एक है। गर्भावस्था में आपको लंबे समय के लिए हर महीने होने वाली इस माहवारी से छुट्टी मिल जाती है। हालांकि इसके बाद एक बार जब शिशु का जन्म हो जाता है तो आपको किसी भी समय मासिक धर्म शुरू होने की संभावना होती है। हर महिला की शारीरिक संरचना और परिस्थितियां अलग-अलग होती हैं इसलिए मासिक धर्म वापस आने का कोई भी स्पष्ट समय नहीं होता है। इस लेख में गर्भावस्था के बाद मासिक धर्म के बारे में वे सभी जानकारियां दी गई हैं जिन्हें आपको जानने की आवश्यकता है।
प्रसव के बाद मासिक धर्म कब शुरू हो सकता है
सामान्य प्रसव के बाद अक्सर महिलाएं इस बात से चिंतित रहती हैं कि उनका मासिक धर्म कब से शुरू होगा? यदि आप शिशु को स्तनपान नहीं करवाती हैं तो अधिकांश मामलों में मासिक धर्म चक्र प्रसव के 6-8 सप्ताह बाद शुरू हो सकता है। यदि आप शिशु को स्तनपान करवाती हैं तो आपका मासिक धर्म तब तक शुरू नहीं होगा जब तक आप स्तनपान बंद नहीं कर देती। यहाँ स्तनपान से तात्पर्य है कि आपका शिशु सिर्फ माँ के दूध पर ही निर्भर है। कुछ महिलाओं में प्रसव के कुछ महीनों के बाद मासिक धर्म शुरू हो जाता है, चाहे वे शिशु को स्तनपान करवाएं या न करवाएं।
प्रसव के बाद पहली बार मासिक धर्म के दौरान क्या अपेक्षा करें
प्रसव के बाद योनि स्राव और रक्तस्राव एक आम बात है। आपने चाहे सिजेरियन करवाया हो या आपका सामान्य प्रसव हो, प्रसव के बाद आपको योनि से थोड़ा सा द्रव स्राव और रक्तस्राव का अनुभव होगा। यह गर्भाशय में अतिरिक्त परत या जमे हुए रक्त के कारण होता है। शुरूआती चरणों में आप अत्यधिक रक्तस्राव या रक्त के थक्कों का अनुभव भी कर सकती हैं। हालांकि कुछ सप्ताह के बाद आपको योनि से द्रव स्राव का अनुभव भी होगा जिसे ‘लोकिया’ कहा जाता है। यह द्रव स्राव गाढ़ा, सफेद या लाल रंग का भी हो सकता है। आपको इस स्राव का अनुभव लगभग 6 सप्ताह तक हो सकता है और यदि आप शिशु को स्तनपान करवा रही हैं तो प्रसव के बाद मासिक धर्म की अपेक्षा लगभग इस दौरान कर सकती हैं।
स्तनपान कराने वाली महिलाओं को मासिक धर्म जल्दी क्यों नहीं होता है
कई महिलाओं को प्रसव के बाद शिशु को स्तनपान करवाते समय मासिक धर्म हॉर्मोन में बदलाव के कारण नहीं होता है। प्रोलैक्टिन नामक हॉर्मोन जो माँ के दूध की आपूर्ति करने में मदद करता है, यह हॉर्मोन अक्सर उन महिलाओं में पाया जाता है जो शिशु को स्तनपान करवाती हैं। दूध की आपूर्ति को पूरा करने वाले हॉर्मोन की उत्तेजना से प्रजनन हॉर्मोन पर दबाव पड़ता है। इसलिए हॉर्मोन की कमी के कारण डिंब निषेचन के लिए मुक्त नहीं होते हैं। डिंब के बिना मासिक धर्म का होना संभव नहीं है और यही कारण है कि स्तनपान करवाने वाली मांओं को जल्दी मासिक धर्म नहीं होता है।
प्रसव के बाद मासिक धर्म में बदलाव कैसे होता है
प्रसव के बाद आप अपने मासिक धर्म चक्र में कुछ बदलाव महसूस कर सकती हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि प्रसव के बाद आपका शरीर मासिक धर्म के लिए खुद को तैयार करता है। इस दौरान आप निम्नलिखित कुछ लक्षणों का अनुभव कर सकती हैं;
- पहले की तुलना में अब आपके मासिक धर्म में अधिक दर्द होगा।
- गर्भावस्था के बाद मासिक धर्म में पहले से अधिक रक्तस्राव हो सकता है।
- सामान्य मासिक धर्म की तुलना में प्रसव के बाद आपको कम रक्तस्राव भी हो सकता है।
- इस दौरान पहले से अधिक या कम ऐंठन हो सकती है।
- प्रसव के बाद मासिक धर्म रक्त में थक्के दिखाई दे सकते हैं।
- इस अवधि में मासिक धर्म चक्र अनियमित हो सकता है।
प्रसव के बाद अत्यधिक रक्तस्राव गर्भाशय की परतों में वृद्धि के कारण होता है। प्रसव के बाद गर्भाशय में जमी परतों के हटने से मासिक धर्म के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव हो सकता है। दुर्लभ मामलों में, प्रसव के बाद एडेनोमायोसिस या थायराइड से रक्तस्राव बढ़ सकता है।
दूसरी ओर, जो महिलाएं गर्भावस्था से पहले एंडोमेट्रियोसिस से ग्रसित होती हैं, उन्हें प्रसव के बाद हल्के रक्त प्रवाह का अनुभव हो सकता है। कुछ अन्य दुर्लभ स्वास्थ्य समस्याएं हैं, जैसे कि एशरमन सिंड्रोम या शीहन सिंड्रोम, जिसके कारण भी प्रसव के बाद हल्का रक्तस्राव हो सकता है।
प्रसव के बाद आपके पहले मासिक धर्म की अवधि कितनी लंबी होती है
प्रसव के बाद आपके पहले मासिक धर्म की अवधि पाँच से सात दिनों तक हो सकती है, जिसकी आदत आपको पहले से ही होगी। हालांकि, कुछ महिलाओं को प्रसव के बाद दो से तीन सप्ताह तक योनि से रक्तस्राव का अनुभव हो सकता है। यदि आपको तीन सप्ताह से अधिक रक्तस्राव का अनुभव होता है तो डॉक्टर से सलाह लें।
कैसे पता चलेगा कि कोई समस्या है
यदि आपको निम्नलिखित लक्षणों में से किसी का भी अनुभव होता है, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें;
- यदि आपको बुखार है।
- आप हर घंटे सेनेटरी पैड बदलती हैं।
- एक सप्ताह से अधिक समय से लगातार रक्तस्राव हो रहा है।
- आपको अचानक गंभीर दर्द शुरू हो जाता है।
- बदबूदार स्राव होता है।
- रक्त के बड़े थक्के दिखाई देते हैं।
- पेशाब करते समय दर्द होता है।
- सांस लेने में समस्या होती है।
- सिर में तेज दर्द होता है।
ऊपर दिए हुए सभी लक्षण स्वास्थ्य समस्याओं, जैसे संक्रमण, रीटेन्ड प्लेसेंटा या ट्यूबल प्रेगनेंसी का कारण भी हो सकते हैं।
प्रसव के बाद मासिक धर्म से संबंधित मिथक
प्रसव के बाद मासिक धर्म या पीरियड से संबंधित कई गलत धारणाएं हैं। इन में से कुछ निम्नलिखित दी गई हैं, आइए जानते हैं;
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कई महिलाओं का मानना है कि प्रसव के ठीक बाद योनि से खून बहना शिशु को जन्म देने के बाद की पहली माहवारी होती है। इस प्रकार से रक्तस्राव होना माहवारी की पहली अवधि नहीं होती है बल्कि यह प्रसवोत्तर रक्तस्राव होता है जिसमें प्रसव के बाद शरीर से अतिरिक्त तरल पदार्थ, ऊतक और रक्त बाहर निकलता है। प्रसवोत्तर रक्तस्राव 4 से 6 सप्ताह तक जारी रह सकता है और बाद में आपका शरीर पहले मासिक धर्म के लिए तैयार हो जाता है।
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यह भी माना जाता है कि स्तनपान गर्भनिरोधक का एक प्राकृतिक तरीका है और जब तक आप स्तनपान करवाएंगी तब तक आप गर्भवती नहीं हो सकती हैं। हालांकि यह पूर्ण सत्य नहीं है, इसमें लगभग 60 प्रतिशत मिथक है और इस बात की 40 प्रतिशत संभावना होती है कि स्तनपान के बावजूद महिला गर्भधारण कर ले ।
गर्भावस्था के दौरान अनेक शारीरिक परिवर्तन होते हैं और इस प्रकार आपके शरीर को पुनः सामान्य मासिक धर्म चक्र शुरू करने में कुछ समय लग सकता है। हालांकि, यदि आप अपनी मासिक धर्म में कुछ भी अजीब अनुभव करती हैं तो किसी भी जटिलता से बचने के लिए डॉक्टर से परामर्श करना बेहतर है।
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