बड़े बच्चे (5-8 वर्ष)

डिप्थीरिया टिटनेस परट्यूसिस (डीटीएपी) वैक्सीन

वैक्सीनेशन बच्चों के हेल्थ केयर प्लान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। यह जानना जरूरी है, कि वैक्सीन एंटीबॉडीज को पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जो कि बच्चे की इम्युनिटी सिस्टम को मजबूत बनाने में और उन्हें खतरनाक वायरस से बचाने में मदद करते हैं। डीटीएपी वैक्सीन उन जरूरी वैक्सीन में से एक है, जो कि सबसे आम तौर पर मिलती है और आपके बच्चे के लिए जरूरी होती है। 

डीटीएपी वैक्सीन क्या है और इसे क्यों रेकमेंड किया जाता है?

डीटीएपी वैक्सीन बच्चों की एक वैक्सीन है, जिसे इंजेक्शन के माध्यम से दिया जाता है और इससे बच्चों में होने वाली तीन अलग-अलग बीमारियों का इलाज किया जाता है – डिप्थीरिया, टिटनेस और परट्यूसिस। परट्यूसिस को आमतौर पर हूपिंग कफ के नाम से जानते हैं। जहाँ किसी भी उम्र का कोई भी व्यक्ति इन तीनों बीमारियों में से किसी की भी गिरफ्त में आ सकता है, वहीं बच्चों को इसका खतरा ज्यादा होता है, क्योंकि उनका इम्युनिटी सिस्टम पूरी तरह से विकसित नहीं होता है। बच्चे इसके खतरे के घेरे में अधिक इसलिए भी होते हैं, क्योंकि डिप्थीरिया और परट्यूसिस काफी संक्रामक होते हैं और दूसरे इन्फेक्टेड बच्चों से यह बहुत आसानी से फैल सकता है। टिटनेस खुले घावों से फैलता है, जो कि बच्चों के खेलकूद के दौरान एक आम बात होती है। 

डीटीएपी वैक्सीन के क्या फायदे होते हैं?

डीटीएपी वैक्सीन का इस्तेमाल एंटीबॉडीज के निर्माण के लिए किया जाता है, जो कि इन तीनों बीमारियों से लड़ते हैं।  ये तीन बीमारियां छोटे बच्चों और बड़ों दोनों के लिए खतरनाक हो सकते हैं। 

  • डिप्थीरिया

डिप्थीरिया एक संक्रामक बैक्टीरियल इंफेक्शन है, जो कि 5 साल तक के बच्चों और 40 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए बहुत ज्यादा खतरनाक है। इस आयु वर्ग के लोगों के बीच इसकी मृत्यु दर 20% है। 

इस बीमारी में गले में बहुत अधिक दर्द, बुखार और अत्यधिक कमजोरी होती है। इस स्थिति में कंठ के पीछे स्लेटी रंग की एक मोटी परत पड़ जाती है, जिससे आपके बच्चे को चोक हो सकता है और उसे सांस लेने में परेशानी हो सकती है। अगर तुरंत इस बीमारी का इलाज न किया जाए, तो बैक्टीरिया कई अंगों में इन्फेक्शन पैदा कर सकता है, जिससे मल्टीपल ऑर्गन फेलियर, हार्ट फेलियर और पैरालिसिस हो सकता है। 

  • टिटनेस

टिटनेस एक संक्रामक बीमारी नहीं है और यह धूल और मिट्टी में मौजूद बैक्टीरिया से होता है। इसके बैक्टीरिया शरीर पर किसी तरह के कटे-छिले घावों के माध्यम से प्रवेश कर जाते हैं। टिटनेस को लॉकजौ के नाम से भी जाना जाता है और इसके कारण मांसपेशियों में गंभीर जकड़न, सीजर और लकवा तक भी हो सकता है। 

टिटनेस के जितने भी मामले दर्ज हुए हैं, उनमें से 10% से अधिक मृत्यु दर देखी गई है। 

  • परट्यूसिस

परट्यूसिस या हूपिंग कफ, बच्चों में होने वाली उन बीमारियों में से एक है, जिसे आज के समय में बच्चों में वैक्सीन के द्वारा दूर रखा जा सकता है। बैक्टीरिया से होने वाली यह बीमारी काफी संक्रामक है और इसमें भयंकर खांसी होती है, जिससे बात करना, खाना-पीना सब असंभव हो जाता है। परट्यूसिस बहुत बिगड़ सकता है और इससे निमोनिया, सीजर, ब्रेन डैमेज जैसी दूसरी समस्याएं और मृत्यु तक का खतरा भी होता है। 

एक साल तक की उम्र के बच्चों के लिए, परट्यूसिस विशेष रूप से खतरनाक होता है, क्योंकि उनका इम्यून सिस्टम पैथोजन और इंफेक्शन से होने वाली समस्याओं के प्रति कमजोर होता है। 

डीटीएपी वैक्सीन शेड्यूल योजना

डॉक्टर सलाह देते हैं, कि बच्चों को यह वैक्सीन 5 खुराक में दी जानी चाहिए, जिसे 6 साल की अवधि में पूरा करना चाहिए। 

रेकमेंडेड आयु

इस वैक्सीन का रेकमेंडेड शेड्यूल है, पहले साल में 3 टीके – 2 महीने, 4 महीने और 6 महीने की आयु में। जिसके बाद और दो शॉट लगाए जाते हैं, जो कि 16 महीने और 4 वर्ष की आयु में लगते हैं। इसके साथ 11-12 वर्ष की उम्र के बीच एक टीडीएपी शॉट भी लगाया जाता है। अगर आप बचपन में डीटीएपी वैक्सीन नहीं लगा पाते हैं, तो आपको वयस्क के तौर पर टीडीएपी नामक वैक्सीन और दो टीडी बूस्टर शॉट को लगाने की सलाह दी जाएगी। टीडी वैक्सीन बूस्टर, टिटनेस और डिप्थीरिया से बचाता है, पर यह परट्यूसिस के लिए काम नहीं करता है। 

खुराक की रेकमेंडेड संख्या

जन्म से लेकर वयस्क होने तक बच्चों के लिए डीटीएपी वैक्सीन की रेकमेंडेड खुराक नीचे दी गई है: 

  • 0-6 वर्ष: डीटीएपी के 5 शॉट
  • 11-12 वर्ष: टीडीएपी का एक शॉट
  • वयस्क के तौर पर: टीडीएपी का एक शॉट और उसके बाद हर 10 साल में बूस्टर खुराक

डीटीएपी और टीडीएपी वैक्सीन के बीच क्या फर्क है?

जहाँ 7 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को डीटीएपी वैक्सीन लगाई जाती है, वही टीडीएपी वैक्सीन का इस्तेमाल वयस्कों के लिए होता है। टीडीएपी वैक्सीन को बूस्टर डोज के नाम से भी जानते हैं, जो कि कई वर्षों में कम हो चुकी इम्युनिटी को बढ़ाता है। 

डीटीएपी वैक्सीन से किसे दूर रहना चाहिए?

डॉक्टर सलाह देते हैं, कि जिन बच्चों में नीचे दी गई मेडिकल समस्याएं होती हैं, उन्हें या तो इस वैक्सीन के लिए रुकना चाहिए या उससे दूर रहना चाहिए: 

  • एलर्जी
  • इम्युनिटी सिस्टम को कमजोर बनाने वाली गंभीर बीमारियां
  • वैक्सीन की पहली खुराक के बाद होने वाला सीजर
  • बार-बार आने वाला बुखार
  • तेज बुखार, जो कि 104 डिग्री या उससे ज्यादा हो
  • अगर पहली खुराक के बाद बच्चा लगातार 3 घंटे या उससे अधिक देर तक रोता रहे

डीटीएपी वैक्सीन के खतरे और साइड इफेक्ट्स

जैसा कि हर वैक्सीन में होता है, डीटीएपी वैक्सीन के भी कुछ साइड इफेक्ट्स होते हैं, जिन पर नजर रखी जानी चाहिए। डीटीएपी वैक्सीन से होने वाला बुखार, इसके सबसे आम साइड इफेक्ट्स में से एक है। इसके अलावा होने वाले कुछ अन्य साइड इफेक्ट्स और खतरे नीचे दिए गए हैं: 

  • भूख न लगना
  • कमजोरी
  • उल्टी
  • चिड़चिड़ापन और लंबे समय तक रोना
  • सीजर

बच्चे को डीटीएपी वैक्सीन की चौथी और पांचवी खुराक देने के बाद, आप उस जगह पर थोड़ी सूजन देख सकते हैं, जिसे पूरी तरह से ठीक होने में 1 हफ्ते तक का समय भी लग सकता है। ये बहुत ही आम साइड इफेक्ट्स हैं और इसमें परेशान होने वाली कोई बात नहीं है। 

इसके कुछ मॉडरेट खतरे भी हो सकते हैं, जो कि आम तो नहीं है, लेकिन आपको उनके बारे में पता होना चाहिए। 

  • 3 घंटे से अधिक समय तक लगातार रोना
  • मिर्गी
  • तेज बुखार

इन साइड इफेक्ट्स में से किसी के दिखने पर, अपने बच्चे के डॉक्टर से तुरंत परामर्श लें और बच्चे का इलाज तुरंत शुरू करें। 

क्या इसके कोई गंभीर रिएक्शन हो सकते हैं?

इसके कुछ गंभीर और दुर्लभ साइड इफेक्ट्स नीचे दिए गए हैं: 

  • कोमा
  • स्थाई ब्रेन डैमेज
  • गंभीर एलर्जिक रिएक्शन, जिससे पैरालिसिस हो जाए

आपको तापमान में होने वाली बढ़ोतरी का ध्यान रखना चाहिए। 105 डिग्री से अधिक बुखार होने से आपके बच्चे के  जीवन को खतरा हो सकता है। बुखार 100 से अधिक हो, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें। मेडिकल प्रोफेशनल बुखार को कम करने में मदद करेंगे और आपके बच्चे के स्वास्थ्य को सही रखेंगे। 

बच्चे को डीटीएपी इंजेक्शन देते समय कौन सी सावधानियां बरतनी चाहिए?

जब आपका बच्चा स्वस्थ होता है, तब उसे डीटीएपी इंजेक्शन देना सबसे सही होता है। बीमार बच्चे को यह वैक्सीन नहीं देनी चाहिए, क्योंकि इससे होने वाले साइड इफेक्ट्स से वह बीमारी की स्थिति में नहीं लड़ पाता है। वहीं स्वस्थ बच्चा इससे निपट सकता है। 

हर पेरेंट अपने बच्चे को सबसे बेस्ट सुरक्षा देना चाहते हैं। कभी-कभी इसके लिए बच्चे को भविष्य में लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए, सुरक्षात्मक मापदंड अपनाने पड़ते हैं। बच्चे को कई तरह की बीमारियों से बचाने के लिए वैक्सीन सबसे बेहतर विकल्प होते हैं। अपने बच्चे के डॉक्टर से बात करें और अपने बच्चे के लिए उचित वैक्सीन के की खुराक और उचित समय के बारे में समझने की कोशिश करें। 

यह भी पढ़ें: 

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पूजा ठाकुर

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