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कभी-कभी गर्भावस्था में भ्रूण सही जगह यानी गर्भाशय की दीवार से चिपकने की बजाय फैलोपियन ट्यूब में फंस जाता है, इसे एक्टोपिक प्रेग्नेंसी कहते हैं। इस स्थिति में माँ और बच्चे दोनों की जान को खतरा हो सकता है, इसलिए इसका तुरंत इलाज कराना जरूरी होता है।अगर आपको एक्टोपिक प्रेग्नेंसी की समस्या पहले भी हो चुकी है, तो आपके मन में इस बात की चिंता होना लाजमी है कि क्या अगली बार आप सामान्य तरीके से गर्भवती हो सकती हैं? आइए इस लेख के माध्यम से एक्टोपिक प्रेग्नेंसी के बारे में विस्तार से समझिए और यह भी कि क्या स्थिति के बाद क्या गर्भवती होना मुमकिन है।
अगर किसी महिला ने पहले कभी एक्टोपिक गर्भावस्था का सामना किया है, तब भी वो प्राकृतिक रूप से गर्भवती हो सकती है। अगर एक्टोपिक प्रेग्नेंसी में एक ट्यूब हटा दी जाती है, तो भी दूसरी फैलोपियन ट्यूब की मदद से आप गर्भवती हो सकती है। लेकिन अगर दोनों ट्यूब हटा दी गई हैं, तो ऐसे में सामान्य तरीके से गर्भवती होना मुमकिन नहीं है। ऐसी स्थिति में आप आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) की मदद ले सकती हैं।
अगर आपकी पिछली गर्भावस्था एक्टोपिक थी, तो दोबारा इसके होने की संभावना ज्यादा रहती है। कुछ कारण ऐसे हैं, जो एक्टोपिक गर्भधारण की संभावना को बढ़ा सकते हैं:
अगर आपको पहले से ही गर्भधारण करने में दिक्कत हो रही है, यानी बांझपन की समस्या रही है, तो एक्टोपिक गर्भावस्था की संभावना बढ़ जाती है।
अगर फैलोपियन ट्यूब का आकार सामान्य नहीं है, तो शुक्राणु का गर्भाशय तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है। इससे एक्टोपिक प्रेग्नेंसी होने की संभावना बढ़ जाती है।
उम्र का एक्टोपिक गर्भावस्था से सीधा संबंध है। 35 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं में इसके होने की संभावना ज्यादा रहती हैं।
अगर पहले आपको कभी एक्टोपिक गर्भधारण हो चुका है, तो दोबारा इसके होने की संभावना लगभग 10% तक रहती है।
अगर आपको पहले एक्टोपिक गर्भावस्था की समस्या हो चुकी है, तो दोबारा गर्भवती होने की योजना बनाने से पहले कम से कम तीन महीने का इंतजार करना जरूरी होता है। यह इसलिए ताकि शरीर पूरी तरह से ठीक हो सके। कुछ मामलों में, अगर गर्भावस्था में पहले ज्यादा जटिलताएं रही हैं, तो डॉक्टर आपको और भी ज्यादा समय इंतजार करने की सलाह दे सकते हैं।
तीन महीने इंतजार करने की सलाह इसलिए दी जाती है ताकि डॉक्टर को आपके मासिक धर्म की सही तारीख जिसे मेडिकल भाषा में एलएमपी (लास्ट मेंस्ट्रुअल पीरियड) कहते हैं, पता चल सके। यह तारीख एक्टोपिक गर्भावस्था से बचने में अहम भूमिका निभाती है। आमतौर पर, इस स्थिति के बाद आने वाला पहला पीरियड थोड़ा ज्यादा भारी और दर्द भरा होता है, लेकिन दूसरा पीरियड सामान्य रहता है। अगर आप एक्टोपिक गर्भावस्था के बाद फिर से गर्भवती होने की सोच रही हैं, तो कम से कम 3 महीने का इंतजार जरूर करें ताकि आपका शरीर पूरी तरह से ठीक हो सके।
एक्टोपिक प्रेग्नेंसी को पूरी तरह से रोकने का कोई मुमकिन तरीका नहीं है, लेकिन इसके जोखिम और इससे जुड़ी गंभीर समस्याओं को कम जरूर किया जा सकता है। लेकिन इसका जल्दी पता लगाने, इलाज और स्वस्थ सेहत से मदद मिल सकती है। अगर आप अपने प्रजनन स्वास्थ्य का ध्यान रखेंगी और यौन संचारित रोगों से खुद को बचाकर रखेंगी, तो एक्टोपिक गर्भावस्था की संभावना थोड़ी कम हो सकती हैं। साथ ही समय-समय पर गाइनेकोलॉजिस्ट से मिलें, जरूरी टेस्ट करवाएं और अपनी सेहत का ध्यान रखें। स्वस्थ जीवनशैली से एक्टोपिक गर्भावस्था के जोखिम को कम कर किया जा सकता है। इस समस्या का जल्दी पता लगाने से इसका इलाज जल्दी हो सकता है, जिससे मुश्किलें कम होंगी। ध्यान रखें कि एक्टोपिक गर्भावस्था को पूरी तरह से रोकना मुमकिन नहीं है, लेकिन गर्भावस्था के दौरान और उससे पहले स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर, नियमित चेकअप करवाने और डॉक्टर की सलाह मानने से आप जोखिम कम कर सकती हैं।
एक्टोपिक प्रेगनेंसी के बाद गर्भवती होना असंभव नहीं है। क्या आप जानना चाहती हैं कि एक्टोपिक गर्भावस्था के बाद जल्दी गर्भधारण कैसे हो सकता है? तो आपको नीचे कुछ सुझाव दिए गए हैं, जिनकी मदद से आप एक बार फिर माँ बन सकती हैं:
एक्टोपिक गर्भावस्था आपके लिए मानसिक और शारीरिक रूप से तनावपूर्ण हो सकती है, इसलिए यह जरूरी है कि पहले आप अपनी इस सच्चाई को स्वीकार करें। खुद की देखभाल सबसे जरूरी है। इसके लिए काउंसलर की मदद लें। अपने परिवार के सदस्यों को बताएं कि आप कैसा महसूस कर रही हैं ताकि वे आपको बेहतर समझ सकें और इस मुश्किल घड़ी में आपका साथ दे सकें। तनाव को कम करने के लिए मेडिटेशन करें या धीरे धीरे टहलने जाएं और अपने अगले गर्भधारण के लिए संतुलित और पौष्टिक आहार लें।
एक्टोपिक प्रेगनेंसी के कारण फैलोपियन ट्यूब को भी काफी हद तक नुकसान पहुंचता है, जिससे घाव हो सकता। मेथोट्रेक्सेट, जो शुरुआत में पोस्ट-ट्रीटमेंट ब्लीडिंग के लिए दिया जाता है, वो शरीर में कुछ समय तक मौजूद रहता है और अगर गर्भधारण बहुत जल्दी होता है, तो यह भविष्य के गर्भधारण के लिए जोखिम पैदा कर सकता है। इसके अलावा, एक चोटिल फैलोपियन ट्यूब गर्भधारण की प्रक्रिया को अधिक मुश्किल बना सकती है व एक और एक्टोपिक गर्भावस्था की संभावना बढ़ा सकती है। इसलिए, दो से तीन मासिक धर्म आने का इंतजार करें और आपके शरीर को प्राकृतिक रूप से दोबारा प्रजनन के लिए तैयार होने दें।
यदि फैलोपियन ट्यूब गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गई है, तो भविष्य के लिए आपको आईवीएफ का सहारा लेना पड़ सकता है। एक्टोपिक प्रेगनेंसी का इतिहास रखने वाली 328 महिलाओं पर किए गए एक अध्ययन में, जिन्होंने फिर से गर्भवती होने की कोशिश की, लगभग 65% ने 5 महीने बाद गर्भधारण किया, और कुछ 1 वर्ष में सामान्य रूप से गर्भधारण करने में सफल रहीं, इसलिए आप ज्यादा चिंता न करें।
यदि आपकी उम्र 36 वर्ष से कम है और 12 महीने तक लगातार कोशिश करने के बाद भी आप गर्भधारण में सफल नहीं हो पा रही हैं तभी प्रजनन विशेषज्ञ की मदद लें। हालांकि, यदि आपने पहले एक्टोपिक प्रेगनेंसी का अनुभव किया है और पहले नौ महीनों में गर्भधारण नहीं कर पाईं, तो एक स्त्री रोग विशेषज्ञ से संपर्क करना उचित होगा। यदि फैलोपियन ट्यूब में कोई रुकावट नहीं आ रही है, तो आप 12 से 15 महीने तक गर्भधारण के लिए कोशिश कर सकती हैं, फिर प्रजनन विशेषज्ञ से परामर्श करने पर विचार करें। यदि आप 38 वर्ष या उससे अधिक उम्र की हैं, तो विशेषज्ञ से परामर्श करने में देरी न करें।
हां,ऐसा हो सकता है, एक्टोपिक प्रेगनेंसी के बाद जुड़वां होने की संभावना कम है, लेकिन असंभव नहीं है। यह कई कारकों पर निर्भर करता है। यदि आपके परिवार में जुड़वां बच्चों को जन्म देने का इतिहास रहा है। इसके अलावा, यदि आपने आईवीएफ की मदद से गर्भधारण किया है तब भी जुड़वां बच्चे होने की संभावना बढ़ जाती हैं।
यदि आपने एक्टोपिक गर्भावस्था का अनुभव किया है, तो आगे भी इसका खतरा होता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप एक स्वस्थ गर्भधारण नहीं कर सकती हैं। आप एक्टोपिक प्रेगनेंसी के बाद एक सामान्य प्रसव के जरिए बच्चे को जन्म दे सकती हैं।
जैसा कि पिछले प्रश्न में आपको बताया गया है, पहले एक्टोपिक गर्भधारण के बाद दूसरे एक्टोपिक गर्भधारण की संभावना हो सकती है।
गर्भावस्था एक महिला के लिए बहुत ही खास अनुभव है, लेकिन इसके साथ कई तरह की चुनौतियां भी आती हैं। एक्टोपिक गर्भावस्था एक ऐसी स्थिति है, जिसे हल्के में नहीं लेना चाहिए क्योंकि इससे माँ और बच्चे दोनों की जान को खतरा होता है। इसलिए अगर कोई भी दिक्कत महसूस हो या कोई लक्षण दिखें, तो तुरंत अपने गाइनेकोलॉजिस्ट से संपर्क करें। अपनी और अपने बच्चे की सुरक्षा के लिए समय-समय पर चेकअप कराएं और डॉक्टर की सलाह को अपनाएं। याद रखें, सही समय पर सही कदम उठाना सुरक्षित और स्वस्थ गर्भावस्था के लिए बहुत जरूरी है।
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