गर्भावस्था

इलेक्टिव सी-सेक्शन – कारण, तैयारियां और अन्य जानकारी

आप में से कई लोगों ने ऐसी मांओं के बारे में सुना होगा, जो विभिन्न कारणों से सी-सेक्शन का चुनाव करती हैं। कभी-कभी आप या आपका बच्चा स्वास्थ्य संबंधी किसी परेशानी का शिकार हो सकते हैं, जिसके कारण सी-सेक्शन का चुनाव जरूरी हो जाता है। जहां नॉर्मल डिलीवरी और सी-सेक्शन दोनों के फायदे और नुकसान होते हैं, वहीं सबसे अच्छा यह होता है, कि आप इन दोनों के सभी परिणामों को अच्छी तरह से समझें। 

इलेक्टिव या प्लांड सी-सेक्शन क्या है?

जब बच्चे का जन्म सर्जरी के माध्यम से होता है, तब उसे सी-सेक्शन कहा जाता है। पेट और गर्भाशय पर एक चीरा लगाया जाता है और फिर बच्चे को बाहर निकाला जाता है। इलेक्टिव या शेड्यूल्ड सी-सेक्शन उसे कहते हैं, जिसमें मां विभिन्न कारणों से अपने बच्चे को जन्म देने के लिए सर्जरी के तरीके का नियोजित तरीके से चुनाव करती है। इन कारणों में मेडिकल या अन्य कारण भी शामिल हो सकते हैं। 

महिलाएं इलेक्टिव सी-सेक्शन का चुनाव क्यों करती हैं?

इलेक्टिव या प्लांड सी-सेक्शन यानी योजना बनाकर सिजेरियन डिलीवरी चुनने के कई कारण होते हैं। मुख्य रूप से इन्हें दो वर्गों में विभाजित किया गया है – मेडिकल कारण और गैर मेडिकल कारण। 

मेडिकल कारण

प्रेगनेंसी के दौरान कुछ मेडिकल दिक्कतें काफी जल्दी ही दिख जाती हैं, जिनसे मां और डॉक्टर दोनों ही सी-सेक्शन का चुनाव करते हैं। वहीं, अन्य दिक्कतें लेबर के दौरान या उसके ठीक पहले दिख सकती हैं, जिनमें जटिलताओं के खतरों की तुलना में सी-सेक्शन के फायदे  बेहतर नजर आते हैं। 

  • लंबा लेबर: अगर महिला की पहली डिलीवरी के दौरान लेबर 20 घंटों से भी अधिक समय तक जारी रहे या फिर पहले की डिलीवरी के मामले में 14 घंटों से अधिक समय तक जारी रहे, तो इसे इस स्टॉल्ड लेबर कहा जाता है। ऐसे मामले में डॉक्टर आगे के खतरों को कम करने के लिए सी-सेक्शन की सलाह दे सकते हैं।
  • बच्चे की पोजीशन: डिलीवरी के दौरान बच्चे का सिर पहले बाहर आना चाहिए। लेकिन कुछ बच्चे उल्टी दिशा में या ब्रीच पोजीशन में जन्म लेते हैं। ऐसे मामलों में बच्चे के सुरक्षित जन्म के लिए सी-सेक्शन ही सबसे बेहतर विकल्प होता है।
  • बच्चे को खतरा: अगर गर्भस्थ शिशु की ओर जाने वाली ऑक्सीजन सप्लाई बहुत कम हो रही हो, तो डॉक्टर इमरजेंसी सी-सेक्शन की सलाह दे सकते हैं।
  • जन्म दोष: यदि गर्भस्थ शिशु में जन्म दोष देखे गए हों, जैसे दिल की बीमारियां या मस्तिष्क में जरूरत से ज्यादा फ्लूइड होना, तो आपके डॉक्टर जन्म के दौरान किसी ट्रामा को कम करने के लिए सी-सेक्शन की सलाह दे सकते हैं।
  • पहले हो चुके सी-सेक्शन: ज्यादातर मांएं पहले हो चुके सी-सेक्शन के बाद भी दूसरी बार प्राकृतिक रूप से बच्चे को जन्म दे सकती हैं। हालांकि सभी महिलाओं के लिए ऐसा नहीं होता है। आपकी डिलीवरी सामान्य हो सकती है या नहीं इसके बारे में आप अपने डॉक्टर से विचार-विमर्श कर सकती हैं।
  • मां का स्वास्थ्य: अगर मां को जेस्टेशनल डायबिटीज या दिल की बीमारी जैसी कोई क्रोनिक बीमारी हो, तो वेजाइनल बर्थ उसके लिए नुकसानदायक हो सकता है। अगर मां को एचआईवी या जेनिटल हर्पीस या फिर वेजाइनल बर्थ के दौरान बच्चे तक ट्रांसफर होने वाली कोई भी अन्य बीमारी हो, तो डॉक्टर सी-सेक्शन का चुनाव करेंगे।
  • कॉर्ड प्रोलेप्स: जब अम्बिलिकल कॉर्ड बच्चे के बाहर आने से पहले ही बाहर आ जाता है, तो इस स्थिति को कॉर्ड प्रोलैप्स कहा जाता है। ऐसी स्थिति में बच्चे तक जाने वाला ब्लड फ्लो गंभीर रूप से बाधित जाता है, जो कि उसके स्वास्थ्य के लिए बहुत खतरनाक हो सकता है।
  • सीपीडी: सेफालोपेल्विक डिस्प्रापोर्शन तब होता है, जब बच्चे को बाहर धकेलने के लिए मां का पेलविस बहुत छोटा होता है या बर्थ कैनाल के लिए बच्चे का सिर बहुत बड़ा होता है।
  • प्लेसेंटा में समस्याएं: कुछ मामलों में प्लेसेंटा सर्विक्स को पूरी तरह से ढक देता है या गर्भाशय की दीवार से अलग हो जाता है, जिससे बच्चे को मिलने वाली ऑक्सीजन रुक जाती है।
  • एक से ज्यादा बच्चे: एक से अधिक बच्चों के ज्यादातर मामलों में कई तरह की जटिलताएं देखी जाती हैं, जैसे लंबा लेबर या गर्भस्थ शिशु की असामान्य पोजीशन। ऐसे मामलों में डिलीवरी के लिए सी-सेक्शन ही सबसे सुरक्षित तरीका होता है।

अन्य कारण

इसके अलावा, ऐसी कई गैर मेडिकल स्थितियां होती हैं, जिनमें महिला अपनी इच्छा से सी-सेक्शन का चुनाव करती है:

  • मां के लिए वेजाइनल डिलीवरी का असहनीय दर्द चिंता का एक प्रमुख कारण होता है।
  • पहले हो चुके यूटीआई के किसी मामले के कारण वेजाइनल डिलीवरी के बाद पेशाब पर अनियंत्रण की समस्या हो सकती है।
  • अगर पति डिलीवरी के तारीख के दौरान उपस्थित होने वाला न हो, तो महिला अपनी सुविधा के अनुसार सी-सेक्शन प्लान कर सकती है।
  • डिलीवरी की नियत तारीख के दौरान किसी जरूरी कार्यक्रम या फंक्शन का होना।
  • सी-सेक्शन से यह सुनिश्चित हो जाता है, कि उनके बच्चे की डिलीवरी कोई ड्यूटी डॉक्टर नहीं बल्कि उनका अपना डॉक्टर ही करेगा।
  • महिला को इस बात की शर्मिंदगी हो सकती है, कि वेजाइनल डिलीवरी के दौरान लोग उसे बच्चे को जन्म देते हुए देखेंगे।

प्लांड सिजेरियन डिलीवरी के संभावित खतरे

सी-सेक्शन का चुनाव कागज पर होने वाला एक सामान्य फैसला लग सकता है, किंतु वास्तव में सर्जरी से कई तरह के खतरे जुड़े होते हैं, जिनका सामना मां और गर्भस्थ शिशु को करना पड़ सकता है। 

मां के लिए खतरे

  • सी-सेक्शन एक बड़ी सर्जरी होती है, जिसे एनेस्थीसिया के द्वारा ही किया जाना चाहिए।
  • अत्यधिक ब्लीडिंग होना इसकी एक आम जटिलता होती है।
  • सामान्य डिलीवरी की तुलना में सी-सेक्शन के दौरान इन्फेक्शन की संभावना बहुत अधिक होती है।
  • सी-सेक्शन से उबरने का समय नॉर्मल डिलीवरी की तुलना में काफी लंबा होता है। जहां वेजाइनल बर्थ में एक दिन के अंदर ही ज्यादातर महिलाएं दोबारा अपने पैरों पर खड़ी हो जाती हैं, वहीं सी-सेक्शन में ऐसा करने में कई सप्ताह का समय लग जाता है।

बच्चे के लिए खतरे

  • कुछ दुर्लभ मामलों में बच्चा गंभीर रेस्पिरेटरी समस्या के साथ जन्म ले सकता है। आमतौर पर यह तब देखा जाता है, जब सी-सेक्शन की प्लानिंग 39 सप्ताह से पहले हो जाती है, जो कि ड्यू डेट की गलत गणना के कारण होता है।
  • कुछ डॉक्टरों का कहना है, कि रिकवरी के दौरान मां और बच्चे को अलग रखा जाता है, जिससे इन दोनों के बीच का संबंध प्रभावित हो सकता है। लेकिन इस बात के समर्थन में पर्याप्त स्टडीज नहीं की गई हैं।

इलेक्टिव सिजेरियन सेक्शन बनाम नॉर्मल डिलीवरी

सी-सेक्शन और वेजाइनल बर्थ दोनों के ही कई फायदे और नुकसान होते हैं। 

नॉर्मल डिलीवरी: फायदे

  • अस्पताल में कम समय तक रहना पड़ता है।
  • जटिलताओं की संभावना कम होती है।
  • मां तुरंत बच्चे को दूध पिला सकती है।
  • बच्चे को रेस्पिरेटरी समस्याओं का खतरा कम होता है।

नॉर्मल डिलीवरी: नुकसान

  • योनि से जन्म के कुछ मामलों में टियरिंग होती है यानी योनि के पास का हिस्सा फट जाता है, जिसमें टांकों की जरूरत पड़ सकती है।
  • मल-मूत्र पर अनियंत्रण की संभावना बहुत अधिक होती है।
  • वेजाइना और मलद्वार के बीच दर्द जो कि लंबे समय तक रह सकता है।

सी सेक्शन: फायदे

  • जन्म का समय पहले से तय होता है, जिसमें डिलीवरी की तैयारी के लिए समय भी मिल जाता है।
  • लंबे लेबर की संभावना नहीं होती है।
  • बर्थ कैनाल में घाव का कोई खतरा नहीं होता है।

सी-सेक्शन: नुकसान

  • पूरी तरह से ठीक होने में बहुत लंबा समय लगता है।
  • जटिलताओं की संभावना बहुत अधिक होती है।
  • बाद में सामान्य डिलीवरी की संभावना बहुत कम हो जाती है।
  • बच्चे में अस्थमा या सांस की अन्य समस्याओं का खतरा अधिक होता है।
  • बच्चे के मृत जन्म की संभावना बहुत अधिक होती है।

डिलीवरी से जुड़ा लेबर पेन

अगर आप सामान्य डिलीवरी के लेबर के साथ होने वाले दर्द को लेकर चिंतित हैं, तो आपको इससे इसके बारे में अपने ओबी/गायनेकोलॉजिस्ट से बात करनी चाहिए। वे आपको पेन मैनेजमेंट के विभिन्न तरीकों के बारे में बता पाएंगे, जिनमें एपिड्यूरल भी शामिल है। आप हॉस्पिटल के स्टाफ को भी कह सकती हैं, कि वे आपको जितनी जल्दी हो सके सुरक्षित समय देख कर दर्द निवारक दे दें। 

आप सी-सेक्शन से गुजर चुकी किसी महिला से भी बात कर सकती हैं और सर्जरी के बाद रिकवरी के दर्द के बारे में जानकारी ले सकते हैं। 

नॉर्मल डिलीवरी के दौरान टियरिंग

आप जितना सोचती हैं, उससे कहीं कम महिलाएं सामान्य प्रसव के दौरान वेजाइनल टियरिंग से गुजरती हैं। ज्यादातर महिलाएं किसी न किसी तरह की टियरिंग का अनुभव करती हैं, आमतौर पर यह काफी छोटा होता है, जो कि या तो खुद ठीक हो जाता है या फिर कुछ टांकों के साथ इसे ठीक किया जा सकता है। नेचुरल बर्थ के द्वारा बच्चे को जन्म देने वाली 97% से ज्यादा महिलाएं वेजाइनल टियरिंग का सामना करती हैं, जो कि बिल्कुल अच्छी तरह से ठीक हो जाती हैं। अगर आपको अभी भी इसे लेकर चिंता हो रही है, तो आप एक ऐसे ओबी/गायनेकोलॉजिस्ट को चुनें जो फोरसेप का इस्तेमाल नहीं करते हैं या एपीसीओटोमी को कट नहीं करते हैं, जिससे वेजाइनल टियरिंग की संभावना बढ़ती है। 

प्लांड सी-सेक्शन की तैयारी कैसे करें?

एक इलेक्टिव सी-सेक्शन की प्लानिंग करने से आपका तनाव काफी कम हो जाएगा और आप जल्दी डिस्चार्ज भी हो पाएंगी। प्लांड सी-सेक्शन की तारीख से एक दिन पहले आपके चुने हुए हॉस्पिटल में आपका अपॉइंटमेंट जरूर होगा।

सर्जरी से एक दिन पहले

  • आपके डॉक्टर आपको सर्जरी की प्रक्रिया कुछ इस तरह से समझाएंगे, कि आप पूरी प्रक्रिया को अच्छी तरह से समझ जाएंगे।
  • आप कार्बोहाइड्रेट से भरपूर भरपेट खाना खा सकती हैं।
  • आपका अंतिम खाना रात के 10:00 बजे होना चाहिए, जिसके बाद आपको दवाएं दी जाएंगी।

कुछ डॉक्टर आपको शेड्यूल्ड सी-सेक्शन के एक दिन पहले हॉस्पिटल में एडमिट होने को कहेंगे। इससे ब्लड टेस्ट जैसे सभी रूटीन काम समय पर हो पाएंगे। 

सर्जरी का दिन

  • शेड्यूल्ड सर्जरी से पहले 8 घंटों तक आपको कुछ भी नहीं खाना है, इसका मतलब है बिस्किट या चॉकलेट भी नहीं।
  • सर्जरी से 2 घंटे पहले तक आपको पानी नहीं पीना है।
  • सर्जरी से 2 घंटे पहले आपको अपनी दवाइयां लेने को और पानी पीने को कहा जाएगा।
  • एक एनेस्थेटिस्ट आपको वार्ड में चेक करेंगे, ताकि जरूरी खुराक का निर्धारण हो सके।

सर्जरी के बाद

  • रिकवरी एरिया में आपको कुछ खाने और पीने के लिए दिया जाएगा, जहां आप कम से कम 1 घंटे के लिए रहेंगी।
  • कुछ घंटों के बाद आपका यूरिनरी कैथेटर निकाला जाएगा।
  • वार्ड में लौटने के बाद लगभग 6 घंटों के अंदर आपको मूवमेंट के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इससे आप जल्दी ठीक हो पाएंगी।
  • दर्द की दवाएं दी जाएंगी और दिखाया जाएगा कि इसे कैसे लेना है।

याद रखने वाली बातें

हॉस्पिटल में आरामदायक रूप से रहने के लिए और जल्दी ठीक होने के लिए आपको अपने साथ कुछ चीजें जरूर रखनी चाहिए। इस काम के लिए आप या आपका साथी ही जिम्मेदार हो सकते हैं: 

  • एक सेट गर्म कपड़े बहुत जरूरी हैं, क्योंकि इससे सर्जरी के बाद होने वाले इन्फेक्शन की संभावना कम हो जाती है। इसमें गरम स्लिपर्स भी शामिल हैं।
  • मेटरनिटी पैड्स हॉस्पिटल फार्मेसी से लिए जा सकते हैं, लेकिन इसके लिए पहले से तैयारी होना बेहतर है, क्योंकि फार्मेसी में स्टॉक कभी भी खत्म हो सकता है।
  • अगर आप बोतल से दूध पिलाने का चुनाव कर रही हैं, तो बच्चे के लिए फार्मूला रखना जरूरी है। इसके बारे में अपने डॉक्टर से बात करें और एक ऐसा ब्रांड चुनें, जो आपके बच्चे के लिए सबसे अच्छा हो।
  • अपने बच्चे को गर्म रखने के लिए बेबी क्लॉथ रखें।
  • बच्चे के लिए आपको नैपी भी साथ रखनी चाहिए, क्योंकि कुछ फार्मेसी में ये नहीं मिलती हैं।

इलेक्टिव सी-सेक्शन के कई फायदे और नुकसान होते हैं और अपने डॉक्टर के साथ विभिन्न विकल्पों के बारे में चर्चा करने के बाद आपको एक जिम्मेदार निर्णय लेना चाहिए। आपको न केवल अपने स्वास्थ्य के लिए, बल्कि बच्चे के स्वास्थ्य के लिए भी फायदे और खतरों के बीच तुलना करनी चाहिए। उन महिलाओं से बात करें, जो वेजाइनल बर्थ के द्वारा बच्चों को जन्म दे चुकी हैं। साथ ही उन मांओं से भी बात करें, जो सी-सेक्शन करवा हैं और सही निर्णय लेने के लिए उनसे सवाल पूछें। आपके डॉक्टर उन मांओं से संपर्क करने में आपकी मदद कर पाएंगे, जो कि अपने अनुभव आपके साथ बांट सकें। 

यह भी पढ़ें: 

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पूजा ठाकुर

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