चंद्रशेखर आजाद पर निबंध (Essay On Chandra Shekhar Azad In Hindi)

चंद्रशेखर आजाद एक ऐसे क्रांतिकारी थे जिनकी वजह से अंग्रेजों के खिलाफ स्वतंत्रता की लड़ाई के तरीके में आमूलचूल बदलाव आया और वे कई देशवासियों के प्रेरणास्रोत बन गए। आजाद वह महान स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने भारतमाता को गुलामी की बेड़ियों से स्वतंत्र कराने के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। उनका संक्षिप्त जीवन मातृभूमि की स्वतंत्रता के और युवाओं को अपने क्रांतिकारी विचारों से प्रेरित करने के लिए ही रहा। आज भी बच्चों और युवाओं को प्रेरणा देने के लिए चंद्रशेखर आजाद पर निबंध और भाषण लिखे और पढ़े जाते हैं। यह लेख उसी संबंध में विद्यार्थियों की मदद करेगा। यहां हमने चंद्रशेखर आजाद पर 100, 200 और 600 शब्दों में अलग-अलग निबंध दिए हैं जिसमें उनका प्रारंभिक जीवन, क्रांतिकारी के रूप में किए गए कार्य और उनकी विशिष्ट बातों का उल्लेख है। इस लेख को पढ़कर बच्चे चंद्रशेखर आजाद पर एक प्रभावी निबंध जरूर लिख सकेंगे।

चंद्रशेखर आजाद पर 10 लाइन (10 Lines On Chandra Shekhar Azad In Hindi)

अगर आपके बच्चे को स्कूल में 100 शब्दों की सीमा में चंद्रशेखर आजाद पर पैराग्राफ या निबंध लिखने को दिया गया है तो नीचे के 10 वाक्यों में दी गई संक्षिप्त जानकारी से उसे अच्छी मदद मिल सकती है।

  1. चंद्रशेखर आजाद एक प्रसिद्ध क्रांतिकारी थे।
  2. आजाद का जन्म 23 जुलाई 1906 को मध्य प्रदेश के भाबरा गांव में हुआ था।
  3. चंद्रशेखर आजाद का असली नाम ‘चंद्रशेखर तिवारी’ था।
  4. 1921 में गांधीजी के असहयोग आंदोलन के दौरान 15 वर्ष की आयु में आजाद पढ़ाई छोड़कर स्वतंत्रता की लड़ाई में शामिल हो गए।
  5. चंद्रशेखर आजाद ने साथी क्रांतिकारियों के साथ मिलकर 1925 में काकोरी ट्रेन डकैती करके अंग्रेजी हुकूमत को झकझोर दिया था।
  6. आजाद ने शहीद भगत सिंह के साथ सांडर्स हत्याकांड में भी भूमिका निभाई थी।
  7. आजाद एक कुशल निशानेबाज और घुड़सवार थे।
  8. आजाद ने कसम खाई थी कि जीवित रहते हुए वे कभी भी अंग्रेजी सरकार के हाथ नहीं लगेंगे।
  9. 27 फरवरी 1931 को पुलिस के साथ मुठभेड़ के दौरान आजाद इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में खुद को गोली मारकर शहीद हो गए।
  10. चंद्रशेखर आजाद की वीरता और निडरता की कहानियां आज भी भारतीय युवाओं को प्रेरित करती हैं।

चंद्रशेखर आजाद पर निबंध 200-300 शब्दों में (Short Essay On Chandra Shekhar Azad In Hindi In 200-300 Words)

जब बच्चों को किसी भी विषय पर थोड़ा बड़ा निबंध लिखने को दिया जाता है तो जरूरी होता है कि कम शब्दों में सारी जानकारी दी जाए। नीचे हमने चंद्रशेखर आजाद पर 300 शब्दों की सीमा में निबंध का सैंपल दिया है। इसे पढ़कर बच्चा खुद भी एक अच्छा निबंध लेख सकेगा।

चंद्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई, 1906 को मध्य प्रदेश के भाबरा गाँव में हुआ था। उनके माता-पिता का नाम जगरानी देवी व सीताराम तिवारी और आजाद का मूल नाम चंद्रशेखर तिवारी था। संस्कृत भाषा में पारंगत होने के लिए उनके माता-पिता ने उन्हें पढ़ाई के लिए काशी विद्या पीठ भेजा था।

13 अप्रैल 1919 को अमृतसर में जलियांवाला बाग की क्रूर घटना हुई। किशोर उम्र के आजाद पर इस घटना का गहरा असर हुआ और उन्होंने देश की स्वतंत्रता की लड़ाई में शामिल होने की ठान ली। वर्ष 1921 में केवल 15 वर्ष की आयु में आजाद महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन से जुड़ गए और गिरफ्तार हो गए।

वर्ष 1922 में ‘चौरी चौरा’ की घटना के बाद गांधीजी के असहयोग आंदोलन वापस लेने पर आजाद को अंग्रेजों की खिलाफत के लिए कांग्रेस पार्टी का तरीका पसंद नहीं आया। जल्द ही वे रामप्रसाद बिस्मिल और शचीन्द्रनाथ सान्याल जैसे क्रांतिकारियों के संपर्क में आकर ‘हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन’ से जुड़ गए। इसके बाद वह काकोरी ट्रेन डकैती, असेम्बली बम कांड और भगत सिंह के साथ अंग्रेज अधिकारी सांडर्स की हत्या जैसे कई अभियानों में शामिल रहे। बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान और भगत सिंह जैसे साथियों के शहीद होने और जेल जाने के बाद भी आजाद अपने उद्देश्य के लिए लड़ते रहे। उन्होंने प्रण लिया था कि जीते जी वे कभी अंग्रेजों के हाथ नहीं आएंगे।

27 फरवरी 1931 को आजाद इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में अपने एक साथी से मिलने पहुंचे थे। इसकी खबर पुलिस को लग गई और उसने पार्क को चारों ओर से घेरकर आजाद पर हमला कर दिया। काफी देर तक पुलिस से लड़ने के बाद अपनी पिस्तौल की अंतिम गोली खुद को मारकर आजाद मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिए बलिदान हो गए।

चंद्रशेखर आजाद पर निबंध 400-600 शब्दों में (Essay on Chandra Shekhar Azad in Hindi 400-600 Words)

एक बड़ा और विस्तृत निबंध लिखने के लिए कुछ बातें ध्यान में रखनी चाहिए। निबंध को विभिन्न शीर्षकों का उपयोग करते हुए लिखना चाहिए। निबंध का विषय अगर कोई व्यक्ति है तो उसके जीवन के अलग-अलग पहलुओं और महत्वपूर्ण घटनाओं को तथ्यों के साथ पेश करना चाहिए। यहां चंद्रशेखर आजाद पर एक बड़ा निबंध दिया गया है। इसे पढ़ने से आपके बच्चे को अपने शब्दों में एक प्रेरक और प्रभावशाली निबंध लिखने में मदद मिलेगी।

प्रस्तावना (Introduction)

भारत को स्वतंत्रता दिलाने में कई महापुरुषों का योगदान रहा है। अंग्रेजी हुकूमत को उखाड़ फेंकने के लिए देश के सैकड़ों क्रांतिकारियों ने अपने जीवन का बलिदान दिया है। इन्हीं में से एक थे महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद। स्कूली शिक्षा के दौरान ही भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाले आजाद एक वीर, निडर और बगावती तेवर वाले क्रांतिकारी के रूप में प्रसिद्ध थे।

चंद्रशेखर आजाद का बचपन और शिक्षा (Childhood And Education of Chandra Shekhar Azad)

चंद्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई, 1906 को मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले के भाबरा गाँव में हुआ था। उनके पिता का नाम पंडित सीताराम तिवारी और माता का नाम जगरानी देवी था। आजाद का वास्तविक नाम चंद्रशेखर तिवारी था। आजाद की शुरुआती शिक्षा घर पर ही हुई। आजाद की माताजी चाहती थीं कि उनका पुत्र संस्कृत भाषा का विद्वान बने इसलिए उन्हें तत्कालीन बनारस (वाराणसी) के काशी विद्यापीठ में पढ़ने के लिए भेजा गया।

चंद्रशेखर तिवारी से चंद्रशेखर आजाद बनने की कहानी (The story of Chandra Shekhar Tiwari becoming Chandra Shekhar Azad)

1921 में महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के विरुद्ध असहयोग आंदोलन शुरू किया। ब्रिटिश हुकूमत की निरंकुशता और अमृतसर के जलियांवाला बाग कांड जैसी घटनाओं ने किशोर उम्र के चंद्रशेखर को झकझोर दिया था और इसलिए वह असहयोग आंदोलन में शामिल हुए और गिरफ्तार हो गए। जब उन्हें मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया तो उन्होंने अपना नाम ‘आजाद’, पिता का नाम ‘स्वतंत्रता’ और अपना घर ‘जेल’ बताया। केवल 15 वर्ष की आयु के कारण वह जेल जाने से बच गए लेकिन उनके जवाब से बौखलाए मजिस्ट्रेट ने उन्हें 15 कोड़ों की सजा सुनाई। पीठ पर कोड़े खाते हुए भी वह भारतमाता की जय के नारे लगाते रहे। इस घटना के बाद उनका नाम चंद्रशेखर आजाद पड़ गया।

क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद (Revolutionary Chandra Shekhar Azad)

वर्ष 1922 में ‘चौरी चौरा’ में लोगों के हिंसक विरोध की घटना के बाद गांधीजी ने असहयोग आंदोलन वापस ले लिया। आजाद को अंग्रेजों की खिलाफत के लिए कांग्रेस पार्टी का यह नरम तरीका पसंद नहीं आया और उन्होंने अपनी राह बदल दी। इसके बाद वे क्रांतिकारियों के संगठन हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (एचआरए) से जुड़ गए और रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाकुल्ला खान और भगत सिंह के संपर्क में आ गए। यहां से आजाद के निडर स्वभाव और उग्र विचारों को एक नई दिशा मिली। उन्होंने सरकारी संपत्तियों पर डाका डालकर क्रांति के लिए धन इकट्ठा करना शुरू कर दिया।

आजाद इस दौरान काकोरी ट्रेन डकैती, असेम्बली बम कांड, लाला लाजपत राय की हत्या का बदला लेने के लिए अंग्रेज अधिकारी सांडर्स की हत्या और वायसराय की ट्रेन उड़ाने जैसे कई अभियानों में शामिल रहे। हालांकि एक-एक करके आजाद के कई साथी पुलिस ने पकड़कर जेल में डाल दिए। वहीं बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान और भगत सिंह सहित राजगुरु व सुखदेव को फांसी की सजा सुना दी गई। अपने साथियों के शहीद होने और जेल जाने के बाद भी आजाद अपने उद्देश्य के लिए लड़ते रहे। वे कभी पुलिस के हाथ नहीं लगे। अपनी निर्भीक प्रवृत्ति के चलते उन्होंने प्रण कर लिया था कि जीवित रहते हुए वह कभी अंग्रेजों के हाथ नहीं आएंगे और हमेशा आजाद ही रहेंगे।

चंद्रशेखर आजाद की मृत्यु

27 फरवरी 1931 को इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में आजाद अपने एक दोस्त से मिलने के लिए पहुंचे थे। यह खबर किसी ने पुलिस को दे दी जिसने पार्क को चारों तरफ से घेरकर गोलीबारी शुरू कर दी। मुठभेड़ के दौरान आजाद ने अपने दोस्त को सुरक्षित बाहर भागने में मदद की और एक पेड़ की आड़ लेकर बैठ गए। लगातार गोलीबारी के बाद अंततः उन्होंने हमेशा आजाद रहने और कभी भी जीवित न पकड़े जाने की अपनी प्रतिज्ञा को निभाते हुए, अपनी बंदूक की आखिरी गोली खुद को मार ली और देश के लिए बलिदान हो गए।

निष्कर्ष (Conclusion)

चंद्रशेखर आजाद एक असाधारण क्रांतिकारी थे। उनका खौफ ऐसा था कि मृत्यु के बाद भी काफी समय तक पुलिस उनके शरीर के करीब आने से डरती रही। ऐसा साहसी जीवन जीने वाले और स्वतंत्रता के लिए अमूल्य योगदान देने वाले आजाद आज भी देशवासियों के हृदय में जीवित हैं और युवाओं के प्रेरणास्रोत हैं।

चंद्रशेखर आजाद के बारे में रोचक तथ्य (Interesting Facts About Chandra Shekhar Azad in Hindi)

  1. चंद्रशेखर आजाद का बचपन मध्य प्रदेश के आदिवासी और भील बच्चों के साथ बीता था जिसकी वजह से उन्होंने कम उम्र में ही निशानेबाजी के गुर सीख लिए थे।
  2. जब भगत सिंह और राजगुरु ने अंग्रेज अधिकारी सांडर्स की हत्या की तब उनका पीछा करने वाले सांडर्स के अंगरक्षक को आजाद ने गोली से उड़ा दिया था।
  3. क्रांतिकारियों की धरपकड़ के दौरान चंद्रशेखर आजाद ओरछा के जंगलों में पंडित हरिशंकर ब्रह्मचारी के नाम से छुपकर रहते थे।
  4. रामप्रसाद बिस्मिल और अशफाक उल्ला खान की शहादत के बाद आजाद ने भगत सिंह और अन्य क्रांतिकारियों के साथ गुप्त रूप से एचआरए का पुनर्गठन किया और इसका नाम बदलकर हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (एचएसआरए) कर दिया।
  5. एचएसआरए में जारी किए गए पर्चों पर हस्ताक्षर करते समय वह अक्सर अपना छद्म नाम ‘बलराज’ इस्तेमाल करते थे।

चंद्रशेखर आजाद के इस निबंध से हमें क्या सीख मिलती है? (What Will Your Child Learn From Chandra Shekhar Azad Essay?)

चंद्रशेखर आजाद का व्यक्तित्व भारत के लोगों के लिए हमेशा प्रेरणादायक रहा है। वह एक महान स्वतंत्रता सेनानी और बलिदानी क्रांतिकारी थे। उनके साहस और निर्भीकता के किस्से आज लगभग 100 सालों के बाद भी देशवासियों को प्रेरणा देते हैं। उनके निबंध से बच्चों को देशभक्ति, निष्ठा, आत्मसम्मान और निडरता की सीख मिलेगी।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. चंद्रशेखर आजाद कहां शहीद हुए?

चंद्रशेखर आजाद इलाहाबाद (प्रयागराज) के अल्फ्रेड पार्क में शहीद हुए।

2. चंद्रशेखर आजाद जब शहीद हुए तब उनकी उम्र क्या थी?

चंद्रशेखर आजाद जब शहीद हुए तब उनकी उम्र मात्र 24 वर्ष थी।

3. चंद्रशेखर आजाद का पूरा नाम क्या था?

चंद्रशेखर आजाद का पूरा नाम चंद्रशेखर सीताराम तिवारी था।

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