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भारत विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों का देश है, यहां साल भर में कई सारे त्यौहार मनाए जाते हैं जिसमें सभी धर्मों के पर्व शामिल हैं। ऐसे ही भगवान श्री कृष्ण के जन्म का उत्सव सारे भारत में जन्माष्टमी के पर्व के रूप में मनाया जाता है। जन्माष्टमी हिंदुओं के प्रमुख पर्वों में शामिल है। ये पर्व रक्षाबंधन के बाद भाद्रपद महीने में कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। भगवान श्री कृष्ण माता देवकी और वासुदेव के आठवीं संतान थे और उनका जन्म उनके ही मामा कंस की कालकोठरी में हुआ था। इस दिन पूरे देश के मंदिरों में श्री कृष्ण की सुंदर और आकर्षित मूर्तियां और झांकियां सजाई जाती हैं। इस दौरान उनके बाल रूप की पूजा की जाती है। आधी रात को भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव होता है, मंदिरों को खूब सजाया जाता है, लोग भगवान के आगमन का बेसब्री से इंतजार करते हैं और पूरी रात भंडारा किया जाता है। कृष्ण जन्माष्टमी सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अब बड़े उल्लास के मनाई जाने लगी है और बड़ी तादाद में कृष्ण भक्त अपनी आस्था का प्रदर्शन अपने अपने तरीके से करते हैं। यदि आप अपने बच्चे के लिए जन्माष्टमी पर हिंदी में निबंध की तलाश कर रहे हैं तो फिर हमारा सुझाव है आपको यह लेख अंत तक पढ़ना चाहिए। यहां आपको विभिन्न शब्द सीमा में निबंध के सैंपल मिलेंगे जिसकी सहायता से आपका बच्चा खुद एक बेहतरीन निबंध लिख सकेगा।
जन्माष्टमी जैसे पावन पर्व के बारे में 5 लाइन का निबंध पढ़ें, जिसे आप अपने बच्चे को तैयार करा सकते हैं।
जन्माष्टमी से जुड़ी 10 पंक्तियों का निबंध ध्यान से पढ़ें,ये यह बच्चों को जन्माष्टमी पर निबंध लिखने में मदद करेंगी।
श्री कृष्ण के जन्म दिवस के रूप में जन्माष्टमी मनाई जाती है और आपका बच्चा भी इस पर्व का पूरा आनंद लेता है। यदि ऐसे में उसे इसके बारे में एक कम शब्दों वाला निबंध लिखना है तो वह नीचे दिए गए 200 -300 शब्दों की सीमा के अंतर्गत आने वाले निबंध का सहारा ले सकता है।
भारत विविधता का देश है और यहाँ कई तरह के पर्व मनाए जाते हैं। हिन्दू धर्म के कई ऐसे त्योहार हैं जो कि बहुत ही धूम-धाम से मनाए जाते हैं। ऐसे में जन्माष्टमी का भी यहाँ बहुत महत्व है। जन्माष्टमी को भगवान कृष्ण के जन्म दिवस के अवसर के रूप में मनाया जाता है और इसे गोकुलाष्टमी भी कहते हैं। जन्माष्टमी का त्यौहार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। भगवान कृष्ण की भक्ति में लीन भक्तों के लिए ये दिन बेहद खास होता है। ये सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि कई अन्य देशों में बड़े ही जोश के मनाया जाता है। जन्माष्टमी की लोकप्रियता कई देशों में फैली हुई और लोग सनातम धर्म का पालन करते हुए कृष्ण की भक्ति में लीन हो जाते है। जन्माष्टमी के दिन मंदिरों को फूलों से सजाया जाता है, हर तरफ रौशनी रहती है और कृष्ण की बड़ी-बड़ी मूर्तियों की स्थापना कर के उनका श्रृंगार किया जाता है। मंदिर में भक्तों की कतार लगती है और सब उनके जन्म का इंतजार करते हैं और आरती के बाद भोग का आनंद लेते हैं। वहीं जो जन्माष्टमी घरों में मनाई जाती है, उसमें पूरा परिवार मिलकर श्री कृष्ण की सुंदर-सुंदर झांकी सजाता है और बाल गोपाल की मूर्ति रखकर उनकी पूजा करता है। रात 12 बजते ही खीरे के आखिर में मौजूद डंठल को काटकर कृष्ण का जन्म किया जाता है। आरती करके घंटियां और मंजीरे बजाए जाते हैं। बाद में पूरा परिवार मिलकर तैयार किए गए प्रसाद पंजीरी और पंचामृत का आनंद लेता है। इस पर्व को मनाने का उद्देश्य बुरी चीजों से बचना और सही राह पर चलना है। ऐसा माना गया है कि कृष्ण भगवान विष्णु के सबसे शक्तिशाली अवतार थे।
कृष्ण जन्माष्टमी भारत का लोकप्रिय पर्व है। बच्चों के साथ बड़े भी इसका बेसब्री से इंतजार करते हैं। इस दिन भगवान कृष्ण के जन्म का उत्सव मनाया जाता है। इस दिन श्री कृष्ण की मूर्तियों को सजाया जाता है, आरती की जाती है और साथ ही बहुत बड़ा भंडारा किया जाता है। यदि आपको इस पर्व के बारे में विस्तार से जानकारी चाहिए या बड़ा निबंध लिखना चाहते हैं तो नीचे दिए शीर्षकों को ध्यान से पढ़ें।
हिन्दू धर्म में जन्माष्टमी का दिन हिंदुओं के लिए बहुत ही खास है। इस दिन मथुरा में माँ देवकी ने भगवान कृष्ण को कंस की कालकोठरी में जन्म दिया था लेकिन उनका पालन-पोषण गोकुल में माता यशोदा ने किया था। भगवद गीता में लिखा है कि ‘जब-जब धर्म की हानि होगी और अधर्म बढ़ेगा, तब-तब मै जन्म लूंगा’। ऐसा हमेशा से होता आया है, जब-जब राक्षसों ने मानव जाती पर कहर ढाया है, तब-तब भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें उनके प्रकोप से बचाया है। यह पर्व हमें यह दर्शाता है कि मन में जागे बुरे कर्मों और विचारों को खत्म कर देना चाहिए और सत्य के मार्ग पर चलना चाहिए। जन्माष्टमी एक बेहद पावन अवसर है। हिंदुओं की मान्यता अनुसार इस दिन सच्चे मन से पूजा करने से लंबी उम्र और सुखी जीवन हासिल होता है। कृष्ण भगवान थे लेकिन उन्होंने कारागार में जन्म लिया था और संसार के सभी कष्टों को सहकर मनुष्यों को एक बेहतरीन सीख दी थी कि जीवन में किसी भी परिस्थिति में हार नहीं माननी चाहिए बल्कि उसका सामना करना चाहिए।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व न सिर्फ भारत में बल्कि कई देशों में बड़े ही हर्षोल्लास से मनाया जाता है। इस दिन देश-विदेश में विभिन्न जगहों पर कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है और लोग भगवान श्री कृष्ण की भक्ति में लीन हो जाते हैं। इस पर्व का इतिहास 5000 वर्ष पहले द्वापरयुग से जुड़ा हुआ है। उस समय मथुरा में राजा कंस का राज था और वह वहां के लोगों पर बेहद अत्याचार करता था। जब ये अत्याचार अधिक बढ़ गया तो भगवान विष्णु अपने आठवें अवतार के रूप में कृष्ण बनकर पृथ्वी पर आए। कंस की चहेरी बहन देवकी के विवाह के समय आकाशवाणी हुई कि देवकी का आठवां पुत्र ही कंस का अंत करेगा। इसके बाद कंस ने देवकी और उसके पति वसुदेव को कारागार में डाल दिया और एक-एक करके उनके 6 पुत्रों की हत्या कर दी। लेकिन विधि लिखित के अनुसार कृष्ण ने भाद्रपद कृष्ण अष्टमी की मध्यरात्रि को देवकी व वसुदेव के पुत्र रूप में कारागार में ही जन्म लिया। उनके जन्म के समय में बहुत तेज बारिश हो रही थी, चारों तरफ घना अंधकार छाया हुआ था। श्री कृष्ण के जन्म लेते ही वासुदेव की बेड़ियां और कारागार के दरवाजे खुद ही खुल गए और पहरेदार गहरी नींद में सो गए। वसुदेव ने कृष्ण को तूफानी वर्षा में यमुना नदी पार करके अपने मित्र और ब्रज के मुखिया नंद के घर पहुंचा दिया। कृष्ण का पालन-पोषण माँ यशोदा ने किया। 16 वर्ष की आयु में कृष्ण ने कंस का वध किया और मथुरा वासियों को उसके अत्याचारों से राहत दिलाई।
जन्माष्टमी के समय देश में हर जगह पर धूम होती है और इसे बड़े ही उल्लास के साथ मनाया जाता है। घरों, स्कूल, कॉलेज और देश के सभी मंदिरों में ये पर्व मनाया जाता है। इस दौरान कई जगह दही हांडी की प्रतियोगिता रखी जाती है। हांड़ी में दही भरा जाता है और ऊपर तार पर लटका दिया जाता है। लोग मानव पिरामिड बनाकर हांड़ी फोड़ते हैं। कभी-कभी इसे आँख पर पट्टी बांधकर भी फोड़ा जाता है। एक जगह मटकी को रख दिया जाता है और इसमें हिस्सा लेने वाले प्रतियोगी की आंख पर पट्टी बांधकर उसे हाथ में एक डंडा दिया जाता है। यदि उसने एक बार में मटकी को फोड़ दिया तो उसे विजेता घोषित किया जाता है। मंदिरों में जन्माष्टमी पर विशेष आयोजन होता है खासकर कृष्ण मंदिरों को विशेष रूप से सजाया जाता है। क्योंकि कृष्ण का जन्म आधी रात में हुआ था इसलिए आधी रात को मंदिरों और घरों में झूले पालखी सजाकर बाल गोपाल को झूला झुलाया जाता है। उनकी पूजा कर उन्हें माखन मिश्री, पंचामृत, पंजीरी आदि का भोग लगाया जाता है और यही प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।
स्कूल में जन्माष्टमी मनाने के आसान तरीके हैं जिनसे बच्चों का मनोरंजन भी होता है और वे पर्व का महत्व भी समझते हैं।
साल 2024 में 26 अगस्त को जन्माष्टमी मनाई जाएगी।
श्री कृष्ण का जन्म मथुरा के राजा कंस के कारागार में हुआ था।
कंस ने आकाशवाणी सुनी थी कि उसकी बहन देवकी का आठवां पुत्र उसका अंत करेगा और कृष्ण देवकी-वसुदेव की आठवीं संतान थे।
आपका बच्चा इस निबंध के माध्यम से अपने देश के अहम पर्व जन्माष्टमी और इससे जुड़ी पौराणिक कथाओं के बारे में जानेगा और जब त्यौहार आएगा तब वो बेहतर रूप से इसका अर्थ समझेगा कि हम जन्माष्टमी क्यों मनाते हैं और इसके पीछे का क्या महत्व है। इतना ही नहीं वह इस लेख की मदद से अपनी क्षमता के अनुसार एक अच्छा निबंध भी लिख सकेगा।
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