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आज के समय में दुनिया भर में प्रदूषण एक बहुत ही आम लेकिन गंभीर समस्या बन गया है। यह समस्या आज से नहीं बल्कि सालों से चलती आ रही है लेकिन अब यह समस्या काफी गंभीर होती जा रही है। ये समस्या न सिर्फ हमारे पर्यावरण को दूषित कर रही है, बल्कि इंसानों को भी इससे काफी नुकसान पहुंच रहा है। खासकर वायु प्रदूषण और जल प्रदूषण से। बच्चों को पर्यावरण प्रदूषण के बारें में जानकारी होना जरूरी है ताकि वे आगे आने वाली समस्या को समझ सके और सावधानी बरत सकें। क्या आप बच्चों के लिए पॉल्यूशन पर निबंध या पैराग्राफ लिखने के आइडियाज खोज रही हैं? तो यहां आपकी खोज पूरी हुई!
स्कूलों में छोटे बच्चों को 100 शब्दों में प्रदूषण पर निबंध लिखने के लिए कहा जाता है, नीचे बताए गए तरीके से आप प्रदूषण पर सबसे आसान 10 लाइन का लेख लिख सकते हैं।
अगर आपके बच्चे को 200 से 300 शब्दों के बीच प्रदूषण पर अनुच्छेद लिखना है तो उन्हें नीचे दिए गए शॉर्ट एस्से से काफी मदद मिल सकती है:
प्रदूषण एक बहुत ही गंभीर मुद्दा है। दुनिया भर में बढ़ते परिवहन, इंडस्ट्री, प्रवासन और कई अन्य कारण हैं जो अधिक प्रदूषण का कारण बनते हैं। इस धरती ने हमें जीने के लिए एक सुंदर वातावरण दिया लेकिन जाने-अनजाने में इंसान अपनी लापरवाही से अपने वातावरण और पर्यावरण को प्रदूषित कर रहा है। हमारे पर्यावरण में अनचाही चीजों की वृद्धि होती जा रही है, जिसके कारण प्रदूषण बढ़ रहा है। इन्ही कणों को प्रदूषक भी कहा जाता है। प्रदूषक ऑटोमोबाइल, इंडस्ट्री के कचरे, जले हुए कचरे से निकलने वाले धुएं, अनुपचारित सीवेज, आदि से निकलने वाली गैसें भी हो सकती हैं। इसका हमारे पर्यावरण पर बुरा प्रभाव पड़ता है। देश और दुनिया में कई प्रकार के प्रदूषण बढ़ते जा रहे हैं, जिनमे से सबसे खतरनाक भूमि, जल, वायु और ध्वनि प्रदूषण है। इतना ही नहीं यह बढ़ती ग्लोबल वार्मिग का भी एक मुख्य कारण है। आज के बच्चों को बचपन से ही प्रदूषण बढ़ाने वाले सभी प्रदूषकों के बारें में जानकरी होनी चाहिए क्योंकि उनका आने वाला भविष्य खतरे में है और अगर हम अभी से सावधानी बरतेंगे तो भविष्य सुधर सकता है।
जैसा कि हमने ऊपर भी बात की है, कि प्रदूषण काफी गंभीर समस्या होती जा रही है और इससे दिन-ब-दिन नई बीमारियां भी जन्म ले रही है, तो प्रदूषण को रोकने के लिए हमें कुछ उपाय करने चाहिए। इस लेख में आपको प्रदूषण की समस्या पर निबंध 400 से 500 शब्दों में मिलेगी। हिंदी में आसान शब्दों में पॉल्यूशन पर एस्से लिखना या बोलना आप यहाँ सीख सकते हैं।
प्रदूषण पर्यावरण में मौजूद वह दूषित पदार्थ है जो हमारे पर्यावरण में बुरे प्रभावों का कारण बनता है। प्रदूषण प्राकृतिक भी हो सकता है जैसे कि ज्वालामुखी का फटना, जंगल में आग लगना आदि। वहीं इंसानों द्वारा भी हमारा पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है जैसे सड़कों पर चलने वाले वाहन, इंडस्ट्री से निकलने वाले रासायनिक पदार्थ, फैक्ट्री से निकलने वाला धुआं आदि। प्रकृति में मौजूद वो दूषित पदार्थ जो हमारे पर्यावरण और वातावरण को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करते है उन्हें प्रदूषण कहते हैं। जैसे-जैसे प्रदूषण बढ़ता है इससे जुड़ी कई तरह की गंभीर समस्याएं उत्पन्न होती हैं। जो की जीवित लोगों के साथ-साथ निर्जीव चीजों को भी नुकसान पहुंचाता है।
मुख्य रूप से प्रदूषण 5 प्रकार के होते है लेकिन आज के समय में यह बढ़कर 8 प्रकार के हो गए हैं, आइए विस्तार में जानते हैं:
वायु प्रदूषण को दुनिया का सबसे खतरानक और हानिकारक प्रदूषण माना जाता है, इसका मुख्य कारण वाहनों और कारखानों से निकलने वाला धुआं है। इन दूषित धुएं के कारण लोगों को सांस लेने में भी तकलीफ होती है और कई तरह की सांस की बिमारियों का भी कारण बनता है।
घरों और उद्योगों के निकलने वाला कचरा ज्यादातर नदी में जाता है, जिसके कारण नदी का पानी दूषित हो जाता है और यही दूषित पानी लोगों के घरों में इस्तेमाल होता है। इस पानी के इस्तेमाल से कई तरह की बीमारियां उत्पन्न हो सकती हैं और पानी में रह रहे जीव-जंतुओं को भी हानि पहुँचता है।
भूमि प्रदूषण कई कारण हो सकते है जैसे – कचरे को सही तरीके से न फेंकना, कृषि उद्योग में हानिकारक रसायनों का उपयोग आदि। इन्ही हानिकारक रसायनों के कारण मच्छर, मख्खियां और छोटे कीड़े उत्पन्न होते हैं जो कि इंसानों और अन्य जीवों के लिए कई बीमारी पैदा करते हैं।
ध्वनि प्रदूषण, इंसानों की कई गतिविधियों जैसे लाउडस्पीकर में गाना बजाना, घोषणाएं करना, गाड़ियों के हॉर्न, एक व्यस्त बाजार, आदि कारणों से होता है।
किसी क्षेत्र में आवश्यकता से अधिक लाइटों और बल्बों का इस्तेमाल करने से प्रकाश प्रदूषण होता है, जो प्राकृतिक वातावरण में हस्तक्षेप करने के लिए काफी बड़ा कारण है। जरूरत से ज्यादा प्रकाश का इस्तेमाल इस तरह के प्रदूषण को बढ़ावा देता है, जिससे समस्याएं बढ़ने लगती हैं।
रेडियोएक्टिव प्रदूषण तब होता है जब हमारे वातावरण में रेडियोएक्टिव पदार्थों की मौजूदगी ज्यादा हो जाती है। यह किसी न्यूक्लियर हथियार का परिक्षण करते वक्त हो सकता है या इसका अधिक मात्रा में इस्तेमाल करने से भी यह हानिकारक साबित होता है। माइनिंग से भी इसका खतरा बढ़ता है।
कई सारे कारखाने हैं जो पानी को कूलैंट के रूप में इस्तेमाल करती हैं जो कि थर्मल प्रदूषण का मुख्य कारण है। जिसकी वजह से पानी में रहने वाले जीवों को बहुत नुकसान पहुंचता है, क्योंकि पानी में अचानक से तापमान का बदलाव होता है और ऑक्सीजन की भी कमी हो जाती है।
दृश्य प्रदूषण का तात्पर्य उन चीजों से है जो मनुष्यों द्वारा बनाया गया है, जिसके कारण हम प्रकृति का खूबसूरत दृश्य नहीं देख पाते हैं। आसपास बड़े-बड़े डस्टबिन, एंटीना, बिजली के तार, बड़ी -बड़ी बिल्डिंग, होर्डिंग आदि कई सारी चीजें है जो हमारी दृष्टि को खूबसूरत नजारा देखने से रोकती हैं और उन्हें प्रभावित करती हैं, उसे दृस्य प्रदूषण कहते हैं।
वैसे तो प्रकृति को नुकसान पहुंचाने वाले बहुत से कारण हैं, उनमें कुछ ऐसे कारण है जो कि समय के साथ भारत में बढ़ते प्रदूषण का कारण बनते जा रहे हैं।
किसी दूषित पदार्थ या पदार्थों का हमारे पर्यावरण में मौजूदगी के कारण होता है, उसे प्रदूषण कहते हैं। यहाँ नीचे हम प्रदूषण के स्रोत यानि प्रदूषक के बारे चर्चा करेंगे जो हमारे पर्यावरण में सॉलिड, लिक्विड या गैस के रूप में हो सकते हैं। आइए जानते हैं:
दुर्भाग्य से प्रदूषण के बारे में सिर्फ बुरे तथ्य ही हैं, आइए जानते हैं।
यहां प्रदूषण से जुड़े ऐसे कई सवाल के जवाब दिए गए हैं, जिसे हम सभी को जानना चाहिए।
भारत का सबसे अधिक प्रदूषित राज्य मुंबई है और सबसे कम प्रदूषित राज्य इम्फाल जो मणिपुर में आता है।
ज्यूरिक, स्विट्जरलैंड दुनिया के सबसे कम प्रदूषित देशों में आता है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) पर्यावरण और वन मंत्रालय के अंतर्गत आता है।
बच्चे हमारे समाज का भविष्य हैं और उन्हें प्रदूषण से होनी वाली समस्या के बारे में पता होना चाहिए ताकि वे भविष्य को बचाने में मिलजुल कर हिस्सा लेंगे।
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