भारत जिसे त्योहारों की भूमि कहा जाता है, यहाँ कई तरह के त्योहार मनाए जाते हैं। हर राज्य के त्योहारों का अपना एक अलग महत्व होता है। पोंगल भी विभिन्न त्योहारों में से मनाया जाने वाला एक प्रसिद्ध त्योहार है। यह तमिलनाडु राज्य का एक महत्वपूर्ण त्योहार है लेकिन इसे भारत के अन्य राज्यों में भी धूमधाम से मनाया जाता है। पोंगल को मुख्य रूप से किसानों का त्योहार है, जिसे चार दिनों तक मनाया जाता है। इस चार दिन के पर्व में कृषि देवताओं को पूजा जाता है क्योंकि किसानों का मानना है कि उनकी अच्छी फसल के पीछे देवताओं का आशीर्वाद होता है। पोंगल शब्द का सामान्य अर्थ पूर्णता से जुड़ा हुआ है। फसलों के काटने की खुशी में यह त्योहार हर साल 14 या 15 जनवरी से शुरू हो जाता है। इस दौरान बैलों के बीच आयोजियत होने वाली लड़ाई पूरे देश में काफी लोकप्रिय है और इसे देखने कई राज्यों से लोग आते हैं । इस त्योहार की पूजा गोवर्धन पूजा के समान होती है, लेकिन धार्मिक विविधता होने की वजह से इन्हे अलग-अलग नाम से जाना जाता है। इस निबंध की मदद से बच्चों को पोंगल त्योहार के महत्व का ज्ञान होगा और साथ ही उन्हें इसके ऊपर एस्से लिखने में भी आसानी होगी।

पोंगल पर 10 लाइन (10 Lines On Pongal In Hindi)

पोंगल पर संक्षेप में निबंध पढ़ने के लिए नीचे दिए गए 10 लाइन का आसान लेख पढ़ें।

  1. पोंगल दक्षिण भारत में मनाया जाने वाला एक लोकप्रिय त्योहार है।
  2. यह मुख्य रूप से तमिलनाडु में मनाया जाने वाला त्योहार है।
  3. इस त्योहार को फसलों के कटने की खुशी में जनवरी में मनाया जाता है।
  4. यह किसानों का त्योहार पूरे 4 दिनों तक चलता है।
  5. इसमें किसान बेहतर फसल और अच्छे जीवन के लिए सूर्य भगवान की पूजा-अर्चना करते हैं।
  6. इस दिन सूर्य देव को प्रसाद के रूप में गुड़ और चावल चढ़ाते हैं।
  7. पोंगल से दक्षिण भारत में नए साल का आगमन होता है।
  8. इस दिन चावल से बनने वाले पकवान बनाए जाते हैं।
  9. इस दिन तमिलनाडु के सभी सरकारी संस्थानों और विद्यालय में छुट्टी रहती है।
  10. इस त्योहार को बड़े ही उत्साह के साथ धूमधाम से मनाया जाता है।

पोंगल पर निबंध 200-300 शब्दों में (Short Essay On Pongal In Hindi In 200-300 Words)

यदि स्कूल में आपके बच्चे को 200-300 शब्दों में पोंगल के पर्व पर हिंदी में निबंध लिखने को कहा गया है, तो उनके लिए पोंगल पर पर लिखा छोटा निबंध काफी मदद कर सकता है।

पोंगल तमिलनाडू का एक बहुत ही पुराना और लोकप्रिय त्योहार है, जिसे किसानों का त्योहार भी कहा जाता है। पोंगल शब्द को तमिल भाषा से लिया गया है जिसका अर्थ उफान या उबलना होता है। यह त्योहार तमिलनाडु ही नहीं बल्कि दक्षिण भारत के अन्य राज्यों में भी बहुत ही धूमधाम और हर्षोलास से मनाया जाता है। इस त्योहार को मनाए जाने के पीछे का कारण फसल की कटाई होता है, जो की लगभग चार दिनों तक चलता है। इसकी शुरुआत हर 14 या 15 जनवरी से हो जाती है। दक्षिण भारत में इसी दिन से नए साल का आगमन भी होता है। इस चार दिवसीय त्योहार के प्रत्येक दिन का अपना अलग महत्व होता है। यह चार दिनों का त्योहार उन सभी देवताओं को समर्पित होता है जो कृषि से जुड़े होते हैं। इस त्योहार में सूर्य भगवान की पूजा की जाती है और उन्हें भोग लगाया जाता है। इस दिन जो प्रसाद सूर्य भगवान को भोग लगाने के लिए बनाया जाता है उसे ही पोंगल कहते हैं। इस त्योहार का पुराणों में भी जिक्र किया गया है और कुछ पौराणिक कहानियां पोंगल त्योहार के साथ जुड़ी भी हुई है। दक्षिण भारत में इस त्योहार को मनाने का अलग उत्साह और खुशी होती है।

पोंगल पर निबंध 400-600 शब्दों में (Essay on Pongal in Hindi in 400-600 Words)

प्रस्तावना

भारत में सभी त्योहार पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाए जाते हैं। हर राज्य के अलग-अलग त्योहार होते हैं और पोंगल भी तमिलनाडु का एक मुख्य त्योहार है, जो कि बड़ी खुशी के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार फसलों के तैयार होने की खुशी में मनाया जाता है और इस दिन सभी किसान बहुत ही खुश और संपन्न महसूस करते हैं। पोंगल तमिल हिंदुओं का त्योहार है। इस पर्व को जनवरी महीने के बीच मनाया जाता है, जो की लगातार 4 दिनों तक चलता है।

पोंगल कैसे मनाया जाता है? (How is Pongal Celebrated?)

पोंगल किसानों का महत्वपूर्ण त्योहार है जिसे दक्षिण भारत में बड़े धूम से मनाते हैं। इस त्योहार को एक दिन नहीं बल्कि चार दिन तक मनाया जाता है। यह चार दिन भोगी पोंगल, सूर्य पोंगल, मट्टू पोंगल व कानुम पोंगल हैं, जिसमेंं अलग-अलग देवताओं को पूजा जाता है। इस त्योहार को हिन्दू धर्म के प्रमुख्य त्योहारों में से एक माना जाता है। इस दिन लोग सूर्य देव को बेहतर फसल के लिए धन्यवाद करते और उनकी पूजा करते हैं। इसमें सूर्य भगवान को गुड़ और चावल उबालकर प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है और इसी प्रसाद को पोंगल कहते हैं। इस दिन दक्षिण भारत के लोग नए साल की शुरुआत करते है और नए कपड़े पहनकर भगवान की पूजा करते हैं ताकि आगे भी उनके जीवन में खुशियां बरकरार रहे।

पोंगल के चार दिवसीय त्योहार में क्या होता है (What Happens In Pongal Four Days Festival)

पोंगल को चार दिनों तक मनाया जाता है –

भोगी पोंगल – यह पोंगल का पहला दिन होता है, इस दिन बारिश के देवता इंद्र देव की पूजा की जाती है क्योंकि माना जाता है कि उनके बिना फसल अच्छी नहीं हो सकती। इस दिन लोग अपने घरों के पुराने कपड़े, कूड़ा आदि जलाते हैं।

सूर्य पोंगल – यह पोंगल का दूसरा दिन है, जिसमें सूर्य देव की पूजा होती है। इनका फसल की पैदावार में अहम भूमिका होती है। इस दिन चावल और गुड़ की खीर बनाकर सूर्य देवता को भोग लगाया जाता है।

मट्टु पोंगल – तीसरे दिन खेत में इस्तेमाल होने वाले जानवरों की पूजा की जाती है। इस दिन बैल, गाय आदि को नहलाया जाता है और तिलक लगाकर तैयार किया जाता है। उनके गले में फूलों की माला पहनाकर उन्हें अच्छे पकवान खिलाए जाते है।

कन्नुम पोंगल – यह पोंगल का चौथा दिन होता है जिसमें कन्या पूजन होता है। लोग अपने घर के मुख्य दरवाजे पर रंगोली बनाते हैं और घर को आम और नारियल के पत्तों से सजाया जाता है।

पोंगल का महत्व (Importance Of Pongal)

पोंगल एक प्रसिद्ध दक्षिण भारतीय त्योहार है जिसे बेहतर फसल की खुशी में मनाया जाता है। यह त्योहार हर साल 14 जनवरी से 17 जनवरी तक मनाया जाता है। यह तमिलनाडु के लोगों का प्रमुख त्योहार है, जिसके लिए वह साल भर इंतजार करते हैं। इस दिन लोग भगवान को चावल की खिचड़ी बनाकर भोग लगाते हैं और घर के आंगन को सजाते हैं। सभी नए नए कपड़ें पहनते और भगवान की पूजा-अर्चना में लीन हो जाते हैं। इस त्योहार का मजा लेते हुए किसान खूब नाचते और गाते हैं।

पोंगल त्योहार का खास आकर्षण (Main Attractions Of Pongal Festivals)

पोंगल दक्षिण भारत में हर्षोल्लास से मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है, अन्य त्योहारों की तरह इस दिन भी लोग अपने घरों को सजाते हैं। इस त्योहार में सबसे ज्यादा आकर्षित करने वाली प्रथा बैलों के बीच होने वाली लड़ाई होती है जिसे जल्लीकट्टू के नाम से जाना जाता है। इस पर्व पर बड़ी मात्रा में बैलों की लड़ाई का आयोजन कराया जाता है, लोग इस आयोजन में भाग लेने के लिए अपने-अपने बैलों को साल भर तैयार करते हैं। लोग इस दिन आपस में भाईचारा दिखाते हुए एक-दूसरे को बेहतर साल की शुभकामनाएं देते हैं तथा रात में एक साथ खाना भी खाते हैं। इस दिन मुख्य रूप से किसान फसल तथा जीवन में रोशनी भरने के लिए सूर्य भगवान के प्रति आभार प्रकट करते हैं।

निष्कर्ष

पोंगल देश के किसानों की खुशी को दर्शाता है। इस त्योहार को पके हुए फसलों की खुशी के रूप में मनाया जाता है, जिसमेंं सूर्य भगवान को भोग अर्पित करके अच्छी फसल के लिए धन्यवाद किया जाता है। यह त्योहार तमिलनाडु का बेहद प्रसिद्ध त्योहार है, जिसे दक्षिण भारत के कई राज्यों में उत्साह के साथ मनाते हैं। यह त्योहार सदियों से चला आ रहा है, क्योंकि पौराणिक कथाओं में भी इसका वर्णन किया गया है।

पोंगल के बारे में रोचक तथ्य (Interesting Facts About Pongal In Hindi)

  1. पोंगल सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि मलेशिया, दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका आदि देशों में भी मनाया जाता है।
  2. पोंगल के दौरान आकर्षित करने वाली बैलों की लड़ाई को जल्लीकट्टू नाम से जाना जाता है।
  3. यह वह समय है जब नए चीजों के स्वागत के प्रतीक के रूप में सभी पुराने कपड़े, गंदगी आदि जला दिए जाते हैं।
  4. पोंगल में परिवार के सदस्य सुबह सूर्योदय से पहले उठते हैं और तेल से नहाने के बाद कुमकुम और विभूति लगाते हैं।
  5. पोंगल में मिट्टी और ईंटों से एक चूल्हा बनाते हैं और इसी में प्रसाद को तैयार किया जाता है।

पोंगल के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs About Pongal)

1. पोंगल के चार दिन कौन से हैं?

पोंगल के चार दिन भोगी, सूर्य, मट्टू और कन्नुम पोंगल हैं।

2. पोंगल को और किस नाम से जाना जाता है?

पोंगल को पंजाब में ‘लोहड़ी’ के नाम से जाना जाता है और विदेशों में जहाँ तमिल लोग बसे हुए हैं वहां इसे ‘थाई पोंगल’ के नाम से जाना जाता है।

3. पोंगल पर्व के दौरान मटके के मुंह पर क्या बांधा जाता है?

पोंगल मनाते समय मटके के मुंह पर साबुत हल्दी बांधा जाता है।

पोंगल के इस निबंध से हमें क्या सीख मिलती है?? (What Will Your Child Learn from the Pongal Essay?)

भारत, विविधता का देश है और यहाँ के कई रंग और रूप आप सभी को देखने को मिलते है। वैसे ही यहाँ के त्योहारों को भी अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। पोंगल दक्षिण भारत का प्रचलित त्योहार है, जिससे धूम से मनाते हैं। पोंगल के इस निबंध के आपके बच्चे को देश के अलग-अलग राज्यों के त्योहारों की जानकारी हासिल होगी और साथ ही वह उनके रीति-रिवाज एवं महत्वता को समझ पाएगा। इतना ही नहीं ये निबंध उसे पोंगल पर एस्से लिखने में भी मदद करेगा।

समर नक़वी

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