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कुतुब मीनार निबंध लेखन के लिए एक ऐसा विषय है जिसे लिखने के बारे में शायद ही कोई बच्चा मना कर सके। लेकिन यदि इसके बावजूद आपको लगता है कि इसके बारे में आप बिना मदद के नहीं लिख सकते हैं तो इसके लिए हमने छोटे बच्चों के लिए 10 लाइन, उससे बड़े बच्चों के लिए 300 शब्दों में और उनसे भी बड़े बच्चे जो क्लास 3 में पढ़ते हों, के लिए 500 शब्दों में निबंध का सैंपल दिया है जो आपकी इस विषय में निबंध लेखन में सहायता कर सकता है। इसके बारे में पूरी तरह से जानने के लिए हमारे आज के आर्टिकल को अंत तक पढ़ना न भूलें।
यदि आपका बच्चा अभी क्लास 1 में ही पढ़ता है और उसे बिलकुल आसान शब्दों में कुतुब मीनार पर 10 लाइन लिखनी हैं तो इसके लिए आप परेशान न हों। हमने आपके बच्चे के लिए के लिए कुतुब मीनार के बारे में 10 पंक्ति बेहद सरल शब्दों में लिखी हैं, इसे जरूर पढ़ें।
कुतुब मीनार भारतीय और इस्लामी वास्तुकला का एक जीता जागता उदाहरण है। इसलिए देश और विदेश सब जगह से पर्यटक इसे देखने के लिए आते हैं। यदि 200 से 300 शब्दों के बारे में इसका वर्णन करना हो या इस पर निबंध लिखना हो तो चलिए हम बताते हैं कि इतने कम शब्दों में इसके बारे में क्या और कैसे लिखें।
हमारे भारत के इतिहास में कई ऐसी इमारतों और मंदिरों आदि का निर्माण हुआ जो उस समय की वास्तुकला और उस समय के रहन सहन आदि को बताती है। इन्हीं में से एक है कुतुब मीनार जो 12-13वीं सदी की उत्कृष्ट इमारत है। उस समय भारत में इस्लामिक शासन बढ़ रहा था और दिल्ली के पहले सुल्तान ने ही इस इमारत की बुनियाद रखी।
कुतुब मीनार दिल्ली के महरौली में स्थित है जिसका निर्माण कार्य 1199 में शुरू हुआ। इस इमारत को बनाने की शुरुआत कुतुबुद्दीन ऐबक ने की थी जो गुलाम वंश का शासक था और जिसने दिल्ली सल्तनत की नींव रखी थी। लेकिन इमारत का कुछ हिस्सा बनकर तैयार हुआ था और कुतुबुद्दीन की मृत्यु हो गई। उसके बाद उसके दामाद इल्तुतमिश ने इस इमारत को पूरा कराया और बाद में फिरोज शाह तुगलक ने इसमें कुछ और निर्माण कार्य कराया। इस इमारत को बनाने में बलुआ पत्थर का इस्तेमाल किया गया था। इस इमारत को बनाने में पूरे दो दशक का समय लगा। यह इमारत भारत की सबसे ऊँची इमारतों में से एक है। इस इमारत की लंबाई 73 मीटर है। यह शंक्वाकार और पांच मंजिलों की इमारत है। इस इमारत को गौर से देखा जाए तो यह देखने में थोड़ी झुकी हुई दिखाई देती है। इस इमारत के सबसे ऊपरी हिस्से में जाने के लिए 379 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं।
इस इमारत के आस पास और भी कई सारी छोटी और बड़ी इमारतों का निर्माण कराया गया था जो अलग अलग शासकों द्वारा बनवाई गई थीं।
इस इमारत के बगल में एक खास लोहे का खंभा है जो 2000 वर्ष पुराना है लेकिन इसके बारे में एक ताज्जुब करने वाली बात है कि खुले आसमान के नीचे रहने के बावजूद इसमें अभी तक जंग का कोई नामोनिशान नहीं है। इसके आस पास भव्य बाग का निर्माण भी किया गया है ताकि पर्यटकों को यह जगह और भी ज्यादा आकर्षित करे।
हमारे भारत में कुछ ऐसे ऐतिहासिक स्मारक हैं जो हमारे इतिहास की जमा पूंजी हैं। कुतुब मीनार उन्हीं मे से एक है। यदि आप इसके बारे में 400 से 600 अक्षरों में निबंध लिखना चाहते हैं तो इसके लिए आगे हमारे आर्टिकल को जरूर पढ़ें जिससे आपको समझ आएगा कि निबंध की संरचना कैसी होनी चाहिए।
दिल्ली के महरौली में स्थित कुतुब मीनार का निर्माण उस समय हुआ जब भारत पर धीरे धीरे इस्लामिक शासन की शुरुआत हो रही थी। उस समय लगभग सभी भारतीय राजा कमजोर पड़ गए थे। जिसके कारण इस्लामिक देशों द्वारा लगातार आक्रमण होता रहा और एक दिन वे इसमें कामयाब हुए और दिल्ली सल्तनत का निर्माण किया और अपनी कला की छाप छोड़ने के लिए कुतुब मीनार आदि जैसे इमारतों को बनवाया ताकि भविष्य में उनकी यादें बनीं रहें और साथ ही उनकी वास्तुकला का भी प्रचार हो सके। तो चलिए कुतुब मीनार के बारे में गहन अध्ययन के लिए इसके इतिहास, इस इमारत की बनावट आदि के बारे में आपको विस्तार से बताते हैं।
कुतुब मीनार भारत की भव्य इमारत है जो गुलाम वंश के संस्थापक कुतुबुद्दीन ऐबक की पहल थी जो 1199 में शुरू हुई थी। लेकिन इसको पूरा इल्तुतमिश जो कुतुबुद्दीन का दामाद था, ने करवाया था। इस स्मारक को बनने में कई वर्षों का समय लगा। कुतुब मीनार मुग़ल और भारतीय दोनों कलाकृतियों का एक अद्भुत उदाहरण है। इसकी इतनी ऊंचाई के कारण कई बार यह भूकंप से प्रभावित भी हुई लेकिन विभिन्न शासकों द्वारा इसकी मरम्मत भी कराई गई है।
कुतुब मीनार की बनावट की बात करें तो यह पांच मंजिलों और लाल रंग की काफी सुन्दर इमारत है। इस इमारत की लंबाई 72.5 मीटर है। इस इमारत में लगभग 379 सीढियाँ हैं जिससे पर्यटक सबसे ऊँची मंजिल तक जा सकते हैं। हालांकि सुरक्षा की दृष्टि से भारत सरकार ने इसके अंदर जाना प्रतिबंधित कर दिया है। इसकी संरचना कुछ इस प्रकार है कि नीचे से ऊपर जाते जाते यह और संकीर्ण होती जाती है। इस मीनार के आस पास कई ऐसी इमारतें हैं जो अलग-अलग राजाओं द्वारा बनाई गयी थीं लेकिन अब वे धराशायी हो चुकी हैं।
कुतुब मीनार को भारत की कुछ खास ऊंची इमारतों में शामिल किया गया है। साथ ही यूनेस्को ने इसे अपने विश्व धरोहर की सूची में भी शामिल किया है जो भारत के लिए गौरव की बात है। यह स्मारक खास तरह के बलुआ पत्थर की ईंटों से बनी है इसलिए यह लाल रंग का है। ऐसा कहा जाता है कि इस इमारत का निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक ने भारत में मुस्लिम शासन की नींव रखने के उपलक्ष्य में करवाया था। साथ ही इसके बगल में भारत की पहली मस्जिद बनाई गई थी। जिसका नाम उसने कुव्वत-उल-इस्लाम रखा था।
इस स्मारक की जितनी भी तारीफ करें कम है क्यूंकि पहले के समय में इतनी ऊँची इमारत बनाना काफी अचंभे की बात है। यह दुनिया की ईंटों से बनने वाली सबसे ऊँची इमारतों में से एक है। जिसे लाखों की संख्या में हर साल पर्यटक देखने आते हैं। इसके आस पास बगीचों का भी निर्माण किया गया है ताकि इसकी सुंदरता को और आकर्षक बनाया जा सके। इस मीनार के पास एक 2000 वर्ष पुराना लोहे का स्तंभ है जिसमें अभी तक जंग नहीं लगा है। यह स्तंभ चंद्रगुप्त विक्रमदित्य के शासनकाल में लगाया गया था।
कुतुब मीनार के बारे में ऐसे तो कई सारी बातें हैं जो सभी को पता होंगी। लेकिन कुछ बातें ऐसी हैं जिसकी जानकारी लोगों को अक्सर नहीं होती है। तो चलिए इसी बात को आगे बढ़ाते हुए आपको कुतुब मीनार के बारे में कुछ तथ्यों से अवगत कराते हैं।
इस निबंध से बच्चे यह सीख सकते हैं कि हमें अपनी प्राचीन और ऐतिहासिक धरोहरों के बारे में जानना चाहिए। साथ ही इसके बारे में पता भी होना चाहिए कि इसको बनाने में किनका हाथ था या किन परिस्थितियों में इसे बनाया गया था। हमें हमारे बच्चों को कुतुब मीनार जैसी ऐतिहासिक इमारतों का भ्रमण जरूर कराना चाहिए ताकि बच्चे इस दिशा में अपने ज्ञान को बढ़ा सकें और हमारे इतिहास के बारे में जान सकें।
कुतुब मीनार एक धरोहर है जिसके बारे में हम जरूर पता होना चाहिए। तो कुछ ऐसे प्रश्नों के उत्तर जानते हैं जो सभी बच्चों को पता होना चाहिए।
कुतुब मीनार दिल्ली के महरौली में स्थित है।
कुतुब मीनार की नींव कुतुबुद्दीन ऐबक ने रखी।
कुतुब मीनार की ऊंचाई 72.5 मीटर है।
कुतुब मीनार का निर्माण 1199 से 1220 के बीच हुआ।
सूफी संत बख्तियार कुतुबुद्दीन को समर्पित करने के लिए इस इमारत का नाम कुतुब मीनार पड़ा।
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