बड़े बच्चे (5-8 वर्ष)

फादर्स डे के लिए 15 बेस्ट और लेटेस्ट कविताएं

हम अपनी तेजी से बढ़ती जिंदगी में कुछ विशेष पलों को छोड़ते जा रहे हैं। इस व्यस्त दुनिया में परिवार के लिए भी समय निकाल पाना मुश्किल होता जा रहा है। पहले जहाँ हम अपने सभी दुःख दर्द माता-पिता से बांट लिया करते थे वहीं आज हम अपने ही सपनों में कहीं खो चुके हैं। अपने इस व्यस्त जीवन में खुशियों के दिनों को खोजना बहुत जरूरी हो गया है और बाकी के दिनों की तरह ही फादर्स डे भी एक ऐसा ही दिन है जब आप अपने पिता के लिए कुछ विशेष करके उन्हें प्रदान कर सकते हैं। इस महीने अपने लिए और अपनों के लिए एक दिन जरूर निकालें जब आप अपने पापा विशेष महसूस करवा सकते हैं।

एक पिता ही हैं जो सदैव अपने बच्चे के पीछे खड़े रहते हैं, उन्हें सहारा देते हैं और आगे बढ़ने के लिए हमेशा प्रेरित करते रहते हैं। एक पिता अपने बच्चे से प्यार व सम्मान से ज्यादा कुछ भी चीज की अपेक्षा नहीं रखते हैं।

यह लेख बच्चों द्वारा फादर्स डे सेलिब्रेशन पर आधारित है जिसमें वे अपने दिल की बात पिता से कहकर उन्हें खुशी दे सकते हैं। यहाँ हमने कुछ 15 बेस्ट पोयम्स की लिस्ट दी है जिसकी मदद से आप अपने पापा को वो खुशी महसूस करवा सकते हैं जो आप हमेशा से करना चाहते थे। इन सभी कविताओं में पिता के लिए प्यार भरी भावनाओं का वर्णन किया गया है।

फादर्स डे पर पिता के लिए बेस्ट कविताएं

पापा के लिए आपकी भावनाओं और प्यार को ध्यान में रखते हुए हर आयु और समझ के अनुसार यहाँ हमने फादर्स डे पर विशेष 10 लेटेस्ट और शॉर्ट कविताएं दी हैं। इस फादर्स डे को अधिक विशेष बनाने के लिए आप कोई एक सबसे बेस्ट कविता चुन सकते हैं।

1. वो बचपन भी क्या सुहाना था

वो बचपन भी क्या सुहाना था!
मेले में जाने के बहाने से,

पापा की जेब खाली कराना था,
वो नटखट बातें, वो शोर शरारतें

एक उधम का माहौल सा होता था ,
जब पापा होते थे घर पर,

सब डरेडरे से रहते थे,
जब बात कोई ना माने तो,

माँ पापा की धमकी देती थी,
वो बचपन भी क्या सुहाना था।

गर्मी की छुट्टी होते ही,
हम पिक्निक पर जाने की जिद करते,

हर लम्हा खुल कर जीते थे,
हर फिक्र से दूर रहते थे,

हर दिन एक नई फरमाइश लिए,
पापा घर आओ तो कुछ लेते आना,

देखो पापा खाली हाथ तुम,
दफ्तर से लौट ना आना,

वो बचपन भी क्या सुहाना था।
पापा तुम तो नायक हो,

हर चुनौती को टक्कर देते थे,
कैसे सब जीत लेते थे,

माँ के कान में वे कुछ कहते थे,
वो माथे पर शिकन ले आती थी,

हम पूछे तो वो कहते थे,
सब ठीक है कोई बात नहीं,

बच्चे थे हम क्या जानते?
उनकी व्यथा को कैसे पहचानते?

आज जाना हमनें ये,
कितना मुश्किल था पिता होना,

वो बचपन भी क्या सुहाना था।
जिस भरी जेब का हमें गुमान था,

उसमें चंद सिक्के के सिवा कुछ ना था,
फिर भी ना जाने कैसे वो,

जादूगर से हो जाते थे,
मेरे मन की भीतर छुपी हर बात को,

वो झट से जान जाते थे,
वो सच में जादूगर ही थे,

जो सब कुछ देकर कहीं खो गए
इतनी सारी यादों के पीछे,

हम सबको यूं छोड़ गए,
वो बचपन भी क्या सुहाना था।

समर

2. ईंटों से मकान आपने बनाया

ईंटों से मकान आपने बनाया,
सपनों के आशियाने को आपने सजाया,

तेरे होने से घर की रौनक बढ़ जाती है,
पिता के होने से जिंदगी आसान हो जाती है।

तुम सूरज बनकर हमें जीवन देते हो,
खुद तप कर हमारे जीवन को उजाले से भर देते हो,

आपका बेटा होना मेरा अभिमान है,
पिता के होने से घर की शान है।

मेरी शोहरत इज्जत आपसे है,
मेरी हर साँस आपसे है,

उस बच्चे का कणकण आभारी क्यों न हो,
जिसके पिता आप जैसा महान हो।

समर

3. खुद के लिए भी जी लो तुम

तुम संघर्ष को ऐसे जीते हो,
मानो हर दुख को पी जाते हो,

पिता हो तुम, तुम को भी है हक,
भावनाओं की आजादी का,

उतार फेकों यह बोझ,
जो समाज की बेड़ियो का भार है,
तुमको भी अपनी खुशियों का अधिकार है,

बच्चों के खातिर खुद को वार दिया,
तेरी खवाहिश है क्या आखिर,

कभी ना उसकी दरकार किया,
अब बैठो भी आराम से,

खुद के बारे में सोचों भी,
सपनों को अपने जीलो तुम,

जो छोड़ा था मेरी खातिर,
एक बार पिता जी लो तुम,

अब बस भी करो संघर्ष की लड़ाई,
ये जिम्मा अब हमें दे दो तुम,
कुछ खुद के लिए भी जी लो तुम।

समर

4. पिता क्या है

पिता पहचान है,
पिता सम्मान है,
पिता निःस्वार्थ प्रेम का नाम है।

पिता अनमोल है,
पिता आशीर्वाद है,
पिता कामयाबी की सीढ़ी का नाम है।

पिता रक्षक है,
पिता ढाल है,
पिता परिवार की नींव का नाम है।

पिता आदर है,
पिता आदर्श है,
पिता अनुशासक का नाम है।

पिता धर्म है,
पिता स्वर्ग है,
पिता बलिदान का नाम है।

– समर  

5. हाँ वो पिता है

अपने अरमानों का
जो गला घोंट देता है,
हाँ वो पिता,
अपने ख्वाबों को भी तोल देता है।

मई की तपती धूप में,
पसीने का हर मोल देता है
हाँ वो पिता है,
परिवार के लिए अपना हर शौक छोड़ देता है,

बच्चों के लिए,
हर कायनात को भी मोड़ देता है,
हाँ वो पिता है,
जो जिम्मेदारियों की चादर ओढ़ लेता है।

बेटी की विदाई पर,
जो अकेले ही फूटकर रो लेता है,
हाँ, वो पिता है,
जो सारे दर्द खुद में ही सोख लेता है।

6. वो चट्टानों सा खड़ा रहा

हर मुश्किलों को पार कर,
वो चट्टानों सा खड़ा रहा।

जीवन के हर पड़ाव में,
अपने इरादों पर अड़ा रहा।

हर तूफानों को पार किया,
परिवार का रक्षक बना रहा।

खुद हर कष्ट को सहन कर,
सबकी मुस्कान बना रहा।

वो पिता बनकर सघर्षों से,
खुद तप कर घर बनाता रहा।

अपने नाम कुछ न रख कर,
बच्चों पर सब वार दिया।

तुझ सा होना कुछ मुश्किल है,
भगवान सा होना मुश्किल है।

– समर

7. बचपन का वो जमाना

बचपन का भी एक जमाना था
खुशियों का जैसे मिलता खजाना था
चाँद की चाहत को लेकर
दिल तितली की ओर मंडराता था।
खबर नहीं थी मुझको सुबह की,
शाम का भी कोई फ़साना न था
बस स्कूल से घर आया करता और
खेलने भी तो जाना था
कभी भीगी सड़कों पर दौड़ना
तो कभी बारिश में नांव चलाना था।
ऐसे भी दिन थे मेरे,
रोने की वजह न थी कोई
हर दिन मेरा मस्ताना था
पापा का जो हाथ है मुझपर
बस इसी बात का मैं दीवाना था।

8.  पापा बहुत याद आता है वो बचपन का जमाना

मेरे लिए उनका यूं हाथी-घोड़ा बन जाना,
बचपन में मेरा दांत टूटने पर एक नई कहानी बनाना।

कभी हँसाना, कभी चिढ़ाना
तो कभी खींची हुई तस्वीरों की एल्बम बनाना।

पापा बहुत याद आता है वो बचपन का जमाना।

कभी रेस लगाना, कभी खेल-खेल में जान बूझकर हार जाना।
कभी हौंसला बढ़ाना, कभी मुझे चोट लगने पर खुद का रो जाना।
मम्मी के न रहने पर आपका वो रोज सुबह खाना बनाना।

पापा बहुत याद आता है वो बचपन का जमाना।

छोटी-छोटी बातों पर वो शर्त लगाना।
हमें हँसाने के लिए मम्मी को चिढ़ाना
हार में भी खुश होना और,
हर त्योहार में आपका ठुमके लगाना।

पापा बहुत याद आता है वो बचपन का जमाना।

9. मेरे पापा

ऊपर से सख्त, अंदर से नर्म रहते हैं।
लोरी भले न सुनाएं पर,
मुसीबतों से लड़ना सिखाते हैं, मेरे पापा।

उंगली पकड़ कर चलना सिखाया,
ठोकर से बचकर आगे बढ़ना सिखाया,
अगर गिर जाऊं मैं कहीं,
तो हौंसलों के दम पर उठना सिखाते हैं, मेरे पापा।

मैं उनका सम्मान हूं तो वो मेरी पहचान हैं।
हर मुश्किल में वो बनते मेरी ढाल हैं।
खुद टूटकर भी हर पल मुझे बचाते हैं, मेरे पापा।

10. कभी न भुला पाऊं ऐसी कहानी हैं, पापा

अभिमान की एक कली और स्वाभिमान का फूल हैं, पापा।
कभी धरती सा धैर्यवान तो कभी आसमान की उड़ान हैं, पापा।
यदि माँ ने मुझको जन्म दिया तो मेरे अस्तित्व की पहचान हैं, पापा।

वो कांधे पर चढ़ना सिखाए,
वो गर्व की नई-नई कहानियां सुनाए,
माँ अगर चलना सिखाती हैं
तो वो लहरों से लड़ना सिखाए।

कभी अनुशासन की टोकरी तो कभी नटखट की पुड़िया हैं, पापा।
कभी चुप चुप से और मौन रहते तो कभी दुनिया है भाषण हैं, पापा।
अगर माँ है मीठी लोरी जिससे मुझे निंदिया है आती,
तो कभी न भुला पाऊं ऐसी कहानी हैं, पापा।

हँसी की ठिठोली और आंसुओं की बरसात भी हैं, पापा।
खुशियों में सबके संग और गम में बिलकुल अकेले भी हैं, पापा।
माँ तो कह लेती है, हर ख्वाहिश
पर सब कुछ समेटे हुए चट्टान से दृढ़ रहते हैं, पापा।

11. धूप में भी छांव का आशियाना बनाए

जो दर्द में भी हर पल मुस्कुराए,
अपने आंसुओं को छिपाए,
कड़ी धूप में छांव का आशियाना बनाए,
वो कोई और नहीं, मेरे पापा ही हैं।

आपने ही दिया सब कुछ,
आपसे सुगंधित है मेरा संसार,
मुझे तो बस एक बूंद की आस थी,
पर आपने हमेशा की है प्यार की बरसात।

सच ही है कि,
आपके बिना मेरी जन्नत है अधूरी,
बस आपके नाम से ही,
हो जाती है मेरी मन्नत पूरी।

12. पापा आपके प्यार में कुर्बान मेरी जिंदगी

एक हाथ ने दिया था मुझको सहारा,
कांधे में बिठाकर दिखाया था हर नजारा,
कैसे भूल जाऊं बचपन के खेल व शैतानियां,
वो सितारों की बातें और नटखट कृष्ण की कहानियां।

आपकी हर बात से सीखा है मैंने,
आपकी छांव में ही हर कदम रखा है मैंने,
आपकी ख्वाहिशों से ही है मेरी जिंदगी,
आपकी हर इच्छा को अपना कल समझा है मैंने।

हमेशा प्यार की ही बरसात की है आपने,
हर बार आपने ही है मुझको संभाला,
पापा आपके प्यार में कुर्बान मेरी जिंदगी,
आपके लिए है मेरा जीवन सारा।

13. याद है मुझे

वो प्यारी सी मुस्कान,
मेरी शरारतों पर भी आपका ठहाका लगाना, याद है मुझे
आप हमेशा मुझे दुनिया की सैर कराते थे,
कहीं भी जाएं पर मेरे लिए चॉकलेट और तोहफे जरूर लाते थे
मेरे हर बर्थ डे पर घर में पूजा रखवाते थे,
मेरी छोटी सी छोटी सफलता की कहानियां लोगों को सुनाते थे
हर पल आँखों में मेरे सपनों को समेटना,
पापा आपका हर वो एहसास, याद है मुझे।

14. ये कैसा दस्तूर बनाया

पापा, ये कैसा दस्तूर है बनाया,
एक पल में ही,
आपने मुझे कर दिया पराया,
कैसे रहेगी लाड़ली आपकी,
इस पराये घर में,
क्या इतना सा भी खयाल आपको न आया।

खिलखिलाती हँसी के साथ,
कैसे पिएंगे आप सुबह की चाय,
मैं बड़ी क्या हुई,
आपने तो मेरी शाम की मैगी को भी ठुकराया।

मेरे लिए लिख दी सारी खुशियां,
पर अपने त्यागों को क्यों जीवन का हिस्सा बनाया,
कैसा है ये रिश्ता,
अपनी ही बिटिया को पराई करके,
जो आपने है निभाया।

15. कैसे कहूं पापा आप मुझे बहुत याद आते हैं

अपने जीवन का हर फर्ज निभाते हैं,
वक्त पड़ने पर कभी न लिया हुआ कर्ज भी चुकाते हैं,
अपने बच्चे की एक मुस्कान के आगे अपना सब कुछ भूल ही जाते हैं,
कैसे कहूं पापा आप मुझे बहुत याद आते हैं।

क्यों नहीं खत्म कर सकती मैं ये दूरी,
अब इतनी भी क्या है मजबूरी,
तोड़ के बंधन सारे,
मैं क्यों न करूं अपनी इच्छा पूरी।

यहाँ लोग डर से चिल्लाते जा रहे हैं,
पर वो खुशी से मुझ पर अपना सब कुछ मुझ पर लुटाते जा रहे हैं,
मैं क्यों न जियुं उस इंसान के लिए,
जो अपने सपनों को तोड़कर मेरी दुनिया बनाते जा रहे हैं।

बढ़ते बच्चे पूरी तरह से अपने बड़ों पर निर्भर रहते हैं और इन दिनों में उन्हें प्यार व अपनेपन की परिभाषा सिखाना बहुत जरूरी है। कुछ विशेष दिन, जैसे मदर्स डे या फादर्स डे भी होते हैं जब बच्चे अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए न जानें कितने प्रयास करते हैं। ऐसे अवसरों में भावनाओं को शब्दों में पिरोकर व्यक्त करने बेहतर और क्या हो सकता है। यहाँ पर फादर्स डे पर विशेष कुछ कविताएं दी हुई हैं जिनकी मदद से आप आने वाले विशेष दिन (फादर्स डे) को विशेष बनाने में आप अपने बच्चे की मदद कर सकती हैं। आप चाहें तो अपने पिता को भी एक विशेष कविता डेडिकेट कर सकती हैं, हैप्पी फादर्स डे।

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सुरक्षा कटियार

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